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ये तस्वीर रूला देगी: हर तरफ पानी ही पानी... कंधे पर दो बच्चों को लाद 8 KM तक पैदल चलते रहे मां-बाप

गोपालगंज में मांझा और सदर प्रखंड के कई गांव बाढ़ की चपेट में आ गए हैं. गांव से बाहर निकलने वाले सभी सड़कों पर पानी भरा है, ऐसे में आने-जाने के लिए नाव ही एकमात्र सहारा है, लेकिन प्रशासन द्वारा बाढ़ पीड़ितों को नाव उपलब्ध नहीं कराने से लोगों को आने-जाने में भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

बाढ़ के पानी में आते-जाते लोग
बाढ़ के पानी में आते-जाते लोग
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Published : Jul 8, 2021, 3:11 PM IST

Updated : Jul 8, 2021, 4:56 PM IST

गोपालगंज: नेपाल के तराई क्षेत्रों में हों रही बारिश के कारण गंडक नदी ( Gandak River ) के जलस्तर में एक बार फिर तेजी से वृद्धि हुआ है. वहीं बाल्मीकि बराज ( Valmiki Barrage ) से 2 लाख क्यूसेक पानी छोड़े जाने के बाद जिले के मांझा व सदर प्रखंड ( Gopalganj Sadar Block ) के कई गांव बाढ़ ( Flood In Bihar ) की चपेट में आ गए हैं. बाढ़ पीड़ितों को नाव उपलब्ध नहीं कराने के कारण लोग जान जोखिम में डाल कर पानी पार कर आवागमन करते हुए नजर आ रहे हैं.

ये भी पढ़ें- गोपालगंज: 6 करोड़ की लागत से छरकी बांध को किया जा रहा मजबूत, लोगों ने ली राहत की सांस

दरअसल, मांझा प्रखंड के आधा दर्जन गांव जलमग्न हो चुके हैं. गांव से बाहर निकलने वाले सभी सड़कों पर पानी ( Flood Water ) भरा है, ऐसे में आने-जाने के लिए नाव ही एकमात्र सहारा है लेकिन प्रशासन द्वारा बाढ़ पीड़ितों को नाव उपलब्ध नहीं कराने के कारण लोग जान जोखिम में डाल कर पानी पार कर आवागमन करते हुए नजर आ रहे हैं.

देखें वीडियो

मांझा प्रखंड के निमुइया पंचायत के मंगुरहा गांव निवासी भगत मांझी का बच्चा बीमार पड़ गया उसे इलाज के लिए अस्पताल जाना था, लेकिन बाढ़ के कारण बाहर निकलने का कोई साधन नहीं था. ऐसे में भगत मांझी अपने दो बच्चों को कंधे पर बैठा कर सुबह आठ बजे से पानी के बीच चलते रहे. 8 किलोमीटर की दूरी तय कर मांझा के भैसहि बांध पहुंचे.

ये भी पढ़ें- गोपालगंज: छरकी बांध निर्माण से बैकुंठपुर के ग्रामीणों में खुशी, कहा- बाढ़ से मिलेगी राहत

तस्वीरों में आप देख सकते हैं कि भगत मांझी अपने कंधे पर दो बच्चों को बैठा कर पानी में चल रहे हैं, जो बीमार हैं. वहीं पीछे भगत मांझी की पत्नी अपने नवजात बच्चे को गोद मे लेकर पानी की धार में जान जोखिम में डाल कर चल रही है. क्योंकि बच्चों के इलाज कराने के लिए गोपालगंज जाना जरूरी है. बाढ़ पीड़ित भगत मांझी ने बताया कि सरकार के तरफ से नाव की व्यवस्था नहीं की गई है जिसके चलते बाढ़ पीड़ित जान जोखिम में डालकर आने-जाने को मजबूर हैं.

ये भी पढ़ें- बूढ़ी गंडक के उफान से हाहाकार, मुजफ्फरपुर में बाढ़ से घिरे 15 हजार लोग

गंडक के जलस्तर में हुई अचानक वृद्धि के कारण दियरा इलाके के लोगों की परेशानी बढ़ गई है. जिले के सदर प्रखंड के 6 पंचायत के 21 गांव गंड़क के पानी में डूब गए हैं. निचले इलाके में रहने वाले एक हजार लोगों को रेस्क्यू करके बाहर निकाला गया है. बताया जाता है कि इन गांवों के 7 से 8 सौ घर में बाढ़ का पानी घुस गया था और 5 सौ घर अभी भी पानी में डूबे हुए हैं.

गोपालगंज: नेपाल के तराई क्षेत्रों में हों रही बारिश के कारण गंडक नदी ( Gandak River ) के जलस्तर में एक बार फिर तेजी से वृद्धि हुआ है. वहीं बाल्मीकि बराज ( Valmiki Barrage ) से 2 लाख क्यूसेक पानी छोड़े जाने के बाद जिले के मांझा व सदर प्रखंड ( Gopalganj Sadar Block ) के कई गांव बाढ़ ( Flood In Bihar ) की चपेट में आ गए हैं. बाढ़ पीड़ितों को नाव उपलब्ध नहीं कराने के कारण लोग जान जोखिम में डाल कर पानी पार कर आवागमन करते हुए नजर आ रहे हैं.

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दरअसल, मांझा प्रखंड के आधा दर्जन गांव जलमग्न हो चुके हैं. गांव से बाहर निकलने वाले सभी सड़कों पर पानी ( Flood Water ) भरा है, ऐसे में आने-जाने के लिए नाव ही एकमात्र सहारा है लेकिन प्रशासन द्वारा बाढ़ पीड़ितों को नाव उपलब्ध नहीं कराने के कारण लोग जान जोखिम में डाल कर पानी पार कर आवागमन करते हुए नजर आ रहे हैं.

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मांझा प्रखंड के निमुइया पंचायत के मंगुरहा गांव निवासी भगत मांझी का बच्चा बीमार पड़ गया उसे इलाज के लिए अस्पताल जाना था, लेकिन बाढ़ के कारण बाहर निकलने का कोई साधन नहीं था. ऐसे में भगत मांझी अपने दो बच्चों को कंधे पर बैठा कर सुबह आठ बजे से पानी के बीच चलते रहे. 8 किलोमीटर की दूरी तय कर मांझा के भैसहि बांध पहुंचे.

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तस्वीरों में आप देख सकते हैं कि भगत मांझी अपने कंधे पर दो बच्चों को बैठा कर पानी में चल रहे हैं, जो बीमार हैं. वहीं पीछे भगत मांझी की पत्नी अपने नवजात बच्चे को गोद मे लेकर पानी की धार में जान जोखिम में डाल कर चल रही है. क्योंकि बच्चों के इलाज कराने के लिए गोपालगंज जाना जरूरी है. बाढ़ पीड़ित भगत मांझी ने बताया कि सरकार के तरफ से नाव की व्यवस्था नहीं की गई है जिसके चलते बाढ़ पीड़ित जान जोखिम में डालकर आने-जाने को मजबूर हैं.

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गंडक के जलस्तर में हुई अचानक वृद्धि के कारण दियरा इलाके के लोगों की परेशानी बढ़ गई है. जिले के सदर प्रखंड के 6 पंचायत के 21 गांव गंड़क के पानी में डूब गए हैं. निचले इलाके में रहने वाले एक हजार लोगों को रेस्क्यू करके बाहर निकाला गया है. बताया जाता है कि इन गांवों के 7 से 8 सौ घर में बाढ़ का पानी घुस गया था और 5 सौ घर अभी भी पानी में डूबे हुए हैं.

Last Updated : Jul 8, 2021, 4:56 PM IST
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