गोपालगंज: बिहार के गोपालगंज जिले में बीमारी के चलते 3 बच्चों की मौत हो गई. सिविल सर्जन ने तीन बच्चों के मौत की पुष्टि की है. एक बच्चे की मौत एईएस (Acute Encephalitis Syndrome) से हुई है जबकि 2 बच्चों की मौत किसी अज्ञात बीमारी के चलते हुई है.
ये भी पढ़ें- गोपालगंज :10 दिनों से बुखार से पीड़ित 11 वर्षीय बच्चे ने तोड़ा दम, चमकी बुखार से मौत की आशंका
दरअसल, जिले में वायरल फीवर पांव पसारता जा रहा है. ऐसे में कई बच्चे वायरल बीमारियों की चपेट में आते जा रहे हैं. दिघवा गांव के एक बच्चे की मौत AES से हुई है. पुष्टि होते ही मेडिकल की जांच टीम दिघवा गांव पहुंचकर जांच कर रही है. गांव में 56 बच्चों का ब्लड सेंपल लिया गया है. जिसमें 2 बच्चे मलेरिया, 8 बच्चे डेंगू और 2 बच्चे जापानी इंसेफेलाइटिस के संदिग्ध पाए गए हैं. सभी का इलाज किया जा रहा है.
सिविल सर्जन डॉक्टर योगेन्द्र महतो के मुताबिक एक बच्चे की मौत AES के चलते हुई है. बाकी दो बच्चों की मौत किस वजह से हुई इसकी जांच नहीं की जा सकी है. क्योंकि दोनों की मौत मेडिकल ट्रीटमेंट देने के पहले ही हो चुकी थी.
बता दें कि मीडिया रिपोर्ट में तीन बच्चों की मौत AES के चलते बताया जा रहा है. मीडिया रिपोर्ट का खंडन करते हुए सिविल सर्जन ने ईटीवी भारत को स्पष्ट रूप से बताया, कि उनके जिले में सिर्फ एक ही बच्चे की मौत हुई है जो कि बैकुंठपुर प्रखंड के दिघवा गांव निवासी गोपाल (2 वर्ष) नाम का बच्चा था. उसे SKMCH रेफर किया गया था. वहां उसकी इलाज के दौरान मौत हुई है. दो अन्य की पुष्टि नहीं की जा सकती.
आम भाषा में इस बीमारी को चमकी बुखार कहा जाता है. इसे अक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम यानी एईएस (AES) भी कहा जाता है. इंसेफेलाइटिस शब्द 2017 में भी बहुत चर्चा में रहा था जब गोरखपुर के बाबा राघवदास अस्पताल में 40 से ज्यादा बच्चों की मौत इस बीमारी से हो गई थी. इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम को आम भाषा में दिमागी बुखार कहा जाता है. इसकी वजह वायरस को माना जाता है.
वायरस का नाम इंसेफेलाइटिस वाइरस है. इस बीमारी के चलते शरीर में दूसरे कई संक्रमण हो जाते हैं. एईएस होने पर तेज बुखार के साथ मस्तिष्क में सूजन आ जाती है. इसके चलते शरीर का तंत्रिका तंत्र निष्क्रिय हो जाता है और रोगी की मौत तक हो जाती है. गर्मी और आद्रता बढ़ने पर यह बीमारी तेजी से फैलती है.इस बीमारी के वायरस खून में मिलने पर प्रजनन शुरू कर तेजी से बढ़ने लगते हैं.
खून के साथ ये वायरस मरीज के मस्तिष्क में पहुंच जाते हैं. मस्तिष्क में पहुंचने पर ये वायरस वहां की कोशिकाओं में सूजन कर देते हैं. दिमाग में सूजन आने पर शरीर का तंत्रिका तंत्र काम करना बंद कर देता है जो मरीज की मौत का कारण बनता है.क्या होते हैं इंसेफलाइटिस के लक्षणएक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम यानी AES शरीर के मुख्य नर्वस सिस्टम यानी तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करता है और वह भी खासतौर पर बच्चों में. इस बीमारी के लक्षणों की बात करें तो शुरुआत तेज बुखार से होती है.
इससे शरीर में ऐंठन महसूस होती है, शरीर के तंत्रिका संबंधी कार्यों में रुकावट आने लगती है, मानसिक भटकाव महसूस होता है और बच्चा बेहोश हो जाता है. दौरे पड़ने लगते हैं. घबराहट महसूस होती है. कुछ केस में तो पीड़ित व्यक्ति कोमा में भी जा सकता है. इसके अलावा लगातार सिर दर्द होना, इंफेक्शन व हीट स्ट्रोक भी प्रमुख कारण है. अगर समय पर इलाज न मिले तो मौत हो जाती है. इस बुखार के लक्षण दिखाई देतें हैं तो तत्काल डॉक्टर के पास जाएं.
इससे बचाव का कोई सटीक उपाय भी नहीं है. हालांकि, कुछ सावधानियां जरूर बरतनी चाहिए. धूप से बच्चों को दूर रखें. पूरे शरीर को ढंकने वाले कपड़े पहनाएं. बच्चों के शरीर में पानी की कमी न होने दें. रात को मच्छरदानी लगाएं. बच्चों को हल्का साधारण खाना खिलाएं और जंक फूड से दूर रखें. सड़े-गले फल न खिलाएं. घर के आसपास गंदगी न होने दें. बच्चे को खाली पेट न रहने दें, खाना खिलाकर ही सुलाएं. कच्चे मांस का सेवन न करें. किसी भी तरह के बुखार या अन्य बीमारी को नजरअंदाज न करेंय. बुखार आने पर तुरंत डॉक्टर के पास जाएं.
ये भी पढ़ें- चमकी बुखार से ऐसे बचाएं मासूमों की जान, जानें लक्षण और बचाव का तरीका