गोपालगंज: बिहार के गोपालगंज के लाल मुकेश कुमार ने कमाल कर दिया है. दरअसल मुकेश का सलेक्शन इंडिया A क्रिकेट टीम के लिए किया (Mukesh Kumar Selected For India A Cricket Team) गया है. आज वह न्यूजीलैंड टीम के साथ मैच खेलेंगे. मुकेश को अंतिम 16 खिलाड़ियों में स्थान दिया गया है. मिली जानकारी के अनुसार मुकेश गोपालगंज जिले के सदर प्रखंड स्थित काकड़ कुंड गांव के मूल निवासी है. वर्तमान में मुकेश के परिवार के सभी सदस्य कोलकाता में रहते हैं. मिली जानकारी के अनुसार मुकेश के पिता काशीनाथ सिंह कोलकाता में टैक्सी चलाते थे. टीम इंडिया में मुकेश के चयन होने के बाद गांव और मुकेश के घर के साथ-साथ उनके रिश्तेदारों में खुशी का माहौल है.
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टैक्सी चालक के बेटे ने कर दिया कमाल : गोपालगंज सदर प्रखंड के काकड़कुंड गांव निवासी टैक्सी चालक के बेटे मुकेश कुमार का भारत ए टीम में चयन हुआ है, जो न्यूजीलैंड के खिलाफ मैच खेलेंगे. अंतरराष्ट्रीय मैच में चयनित होने के बाद पूरे जिले में खुशी की लहर है. उनके मां और चाचा समेत परिवार के अन्य लोगों ने मुकेश के सफलता पर फुले नहीं समा रहे हैं. भारतीय क्रिकेट टीम ए में शामिल मुकेश के परिजनों ने अपने बेटे की सफलता पर खुशी जाहिर की है. साथ ही उन्होंने कहा कि अपने अथक मेहनत और प्रयास से उसने जो जगह बनाई, वह काबिले तारीफ है.
इंडिया A क्रिकेट टीम के लिए मुकेश कुमार का सलेक्शन : दरअसल मुकेश जिले के काकड़कुंड गांव निवासी स्वर्गीय काशीनाथ सिंह के सबसे छोटे बेटे हें. मुकेश दो भाई और चार बहनों में सबसे छोटे हैं. उन्होंने स्नातक तक की पढ़ाई पूरी की है. मुकेश ने बताया एक एक्सिडेंट ने मेरी तकदीर बदल दी. क्योंकि वर्ष 2010-11 में एक्सीडेंट के शिकार हो गए, जिसके बाद पिता ने कलकत्ता बुला लिया गया और वहीं से क्रिकेट का नया अध्याय शुरू हुआ. इस दौरान बंगाल टीम में 2014 में शामिल हुआ और रणजी ट्राफी के लिए हरियाणा के लाली ग्राउंड में वर्ष 2015 में वीरेंद्र सहवाग का विकेट लिया.
'मेरे मार्गदर्शक और कोच राणा देव बोस व जॉयदीप मुखर्जी ने काफी सहयोग किया. शुरुआती दिनों में मुझे क्रिकेट के प्रति लगाव इतना थी कि साइकिल से 15-20 किलोमीटर चले जाते थे. सुबह ब्रेक फास्ट कर खेलने चले जाते थे, ना ही खाने की चिंता और ना ही पीने की. सिर्फ क्रिकेट खेलने की चिन्ता थी. शुरुआती दिनों के कोच अमित सिंह से मुझे काफी मदद मिली. कभी बाहर से खेल कर आते तो रात होने पर उन्हीं के पास रह जाते. जब भी हताश होता उन्होंने हौसला देकर एनर्जी भर दिया था.' - मकेश कुमार, क्रिकेट खिलाड़ी
गोपालगंज के लाल ने बिहार का नाम किया रोशन : बता दें कि मुकेश दाहिने हाथ के तेज गेंदबाज हैं. वर्ष 2001 से जिले के मिंज स्टेडियम से खेलने की शुरुआत की. सत्यपाल नवरोतम ने बताया कि. वर्ष 2005-6 में प्रतिभा की तलाश क्रिकेट प्रतियोगिता में मुकेश की प्रतिभा देखी गई, इसके बाद उसकी प्रतिभा बढ़ती गई. वर्ष 2009- 10 में बिहार अंडर 19 टीम में बीसीसीआई के बनाये गए कमिटी में खिलाड़ी भी रहे. बिहार की मान्यता नहीं रहने के कारण बंगाल से ही क्रिकेट खेलने का मन बना लिया. पिछले साल आईपीएल ऑक्शन में भी नाम आया था.
गरीबी से उठकर शिखर तक पहुंचे : परिजनों ने बताया कि मुकेश बचपन से ही क्रिकेट के प्रति काफी लगाव रखता था, कभी हार नहीं मानने की जिद और अथक परिश्रम के बदौलत उसने खुद से अपनी मेहनत कर जगह बनाई है. विभिन्न जगह क्रिकेट मैच खेलकर कई ट्रॉफी भी जीती है. उसकी क्रिकेट के प्रति इतनी लगाव थी कि वह सुबह से लेकर शाम तक क्रिकेट ही खेलते रहता था. कई बार परिजन उसे उसकी यह लगाव देख कर डांट-फटकार भी लगाया करते थे. इसके बावजूद परिजनों से छुप कर वह क्रिकेट खेलने निकल जाता था.
'आज काफी खुश हूं कि मेरा बेटा क्रिकेट में नाम कमा रहा है और जो सोची थी वो सोच पूरी हो गई. विदेश में जाकर क्रिकेट खेलेगा.' - मालती देवी, मुकेश कुमार की मां
'पूर्व में माली हालत अच्छी नहीं थी जिसके कारण मुकेश चाह कर भी आगे की पढ़ाई नहीं कर पाया. किसी तरह स्नातक तक की पढ़ाई पूरी की. इसी बीच वह कोलकाता चला गया जहां उनके पिता टैक्सी चलाते थे. वहीं पर रहकर क्रिकेट खेलने लगा और आज उसकी सफलता सब के सामने है.' - धर्मनाथ सिंह, मुकेश कुमार के चाचा