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गोपालगंज: संसाधन के अभाव में शोभा की वस्तु बना पीडियाट्रिक वार्ड, बच्चों को नहीं मिल रहा इलाज

पीडियाट्रिक वार्ड में एसी की कमी के अलाव बच्चों को ऑक्सीजन देने के लिए पाइप लाइन की भी  कमी है. ऐसे में आईसीयू वार्ड में भर्ती कैसे लिया जा सकता है. वहीं पर्याप्त संसाधन के साथ चिकित्सक और कर्मियों का भी अस्पताल में घोर अभाव है.

gopalangj sadar hospital
पीडियाट्रिक वार्ड
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Published : Nov 30, 2019, 9:34 AM IST

गोपालगंज: स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने जिले के सदर अस्पताल में 24 अक्टूबर 2019 को पीडियाट्रिक वार्ड का उद्घाटन किया था. लेकिन इस वार्ड उद्घाटन करने के बाद भी इसमें पूरे संसाधन उपलब्ध नहीं कराए गए और ना ही पर्याप्त कर्मियों को बहाल किया गया. हालात ये है कि यह पीडियाट्रिक वार्ड बंद पड़ा हुआ है.

पीडियाट्रिक वार्ड बस नाम का
दरअसल, जिले के सदर अस्पताल में आधुनिक तकनीक से इलाज करने के लिए एक पीडियाट्रिक वार्ड बनाया गया. जिसके बाद 24 अक्टूबर को स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय की ओर से इसका उद्घाटन भी कर दिया गया. लेकिन इसके बाद भी बुनियादी सुविधा नहीं होने के कारण मरीजों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है.

gopalangj sadar hospital
बच्चों को नहीं मिल रहा इलाज

वार्ड में नहीं है बुनियादी सुविधा
वार्ड में एसी की कमी के अलाव बच्चों को ऑक्सीजन देने के लिए पाइप लाइन की भी कमी है. ऐसे में आईसीयू वार्ड में भर्ती कैसे लिया जा सकता है. वहीं पर्याप्त संसाधन के साथ चिकित्सक और कर्मियों का भी अस्पताल में घोर अभाव है. इस वार्ड में एक डॉक्टर और एक जीएनएम तैनात हैं. जिसकी वजह से यहां गंभीर बीमारी से ग्रसित बच्चों का इलाज नहीं हो पाता.

संसाधनों की कमी से बच्चों का इलाज असंभव
अस्पताल के डॉक्टर सौरभ ठाकुर ने बताया कि यहां संसाधनों की कमी से हम भी मजबूर हो जाते हैं. यहां कर्मियों की बहुत कमी है 8 कर्मियों की जरुरत है, लेकिन यहां एक जीएनएम है. पूरी व्यवस्था सुचारू रूप से चालू नहीं हुई है. जिस कारण 24 घंटे काम नहीं हो रहा है. ऐसे में वार्ड में बच्चों को कैसे इलाज संभव होगा.

gopalangj sadar hospital
अस्पताल में बुनियादि सुविधा की कमी

'मंत्री जी की कथनी और करनी में अंतर'
सौरभ ठाकुर ने कहा कि उद्घाटन के वक्त स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे ने कहा था कि सदर अस्पताल में जापानी बुखार से हो रही बच्चों की मौत को लेकर सरकार गंभीर है. पीडियाट्रिक वार्ड सदर अस्पताल में 2012 की योजना है, लेकिन अभी तक लंबित था. इसके बन जाने से आईसीयू रहित वार्ड में 1 माह से 10 साल तक के बच्चों का इलाज होगा.

संसाधन के अभाव में शोभा की वस्तु बनी पीडियाट्रिक वार्ड

'काम तो किया जा रहा है'
सदर अस्पताल के उपाधीक्षक पिसी प्रभात ने कहा कि व्यवस्था को कारगर कराने के लिये प्रयास किया जा रहा है. उसमें डॉक्टर और जीएनएम को तैनात किया गया है. सभी लोग अपने कार्य में मुस्तैद है. बता दें कि पीडियाट्रिक्स वार्ड लाइफ सपोर्ट की आधुनिक संसाधनों से लैस बिस्तर तथा आसपास उपकरणों से बनी होती है जो गंभीर बीमार नौनिहालों के लिए जीवन वरदान साबित होता है.

गोपालगंज: स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने जिले के सदर अस्पताल में 24 अक्टूबर 2019 को पीडियाट्रिक वार्ड का उद्घाटन किया था. लेकिन इस वार्ड उद्घाटन करने के बाद भी इसमें पूरे संसाधन उपलब्ध नहीं कराए गए और ना ही पर्याप्त कर्मियों को बहाल किया गया. हालात ये है कि यह पीडियाट्रिक वार्ड बंद पड़ा हुआ है.

पीडियाट्रिक वार्ड बस नाम का
दरअसल, जिले के सदर अस्पताल में आधुनिक तकनीक से इलाज करने के लिए एक पीडियाट्रिक वार्ड बनाया गया. जिसके बाद 24 अक्टूबर को स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय की ओर से इसका उद्घाटन भी कर दिया गया. लेकिन इसके बाद भी बुनियादी सुविधा नहीं होने के कारण मरीजों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है.

gopalangj sadar hospital
बच्चों को नहीं मिल रहा इलाज

वार्ड में नहीं है बुनियादी सुविधा
वार्ड में एसी की कमी के अलाव बच्चों को ऑक्सीजन देने के लिए पाइप लाइन की भी कमी है. ऐसे में आईसीयू वार्ड में भर्ती कैसे लिया जा सकता है. वहीं पर्याप्त संसाधन के साथ चिकित्सक और कर्मियों का भी अस्पताल में घोर अभाव है. इस वार्ड में एक डॉक्टर और एक जीएनएम तैनात हैं. जिसकी वजह से यहां गंभीर बीमारी से ग्रसित बच्चों का इलाज नहीं हो पाता.

संसाधनों की कमी से बच्चों का इलाज असंभव
अस्पताल के डॉक्टर सौरभ ठाकुर ने बताया कि यहां संसाधनों की कमी से हम भी मजबूर हो जाते हैं. यहां कर्मियों की बहुत कमी है 8 कर्मियों की जरुरत है, लेकिन यहां एक जीएनएम है. पूरी व्यवस्था सुचारू रूप से चालू नहीं हुई है. जिस कारण 24 घंटे काम नहीं हो रहा है. ऐसे में वार्ड में बच्चों को कैसे इलाज संभव होगा.

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अस्पताल में बुनियादि सुविधा की कमी

'मंत्री जी की कथनी और करनी में अंतर'
सौरभ ठाकुर ने कहा कि उद्घाटन के वक्त स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे ने कहा था कि सदर अस्पताल में जापानी बुखार से हो रही बच्चों की मौत को लेकर सरकार गंभीर है. पीडियाट्रिक वार्ड सदर अस्पताल में 2012 की योजना है, लेकिन अभी तक लंबित था. इसके बन जाने से आईसीयू रहित वार्ड में 1 माह से 10 साल तक के बच्चों का इलाज होगा.

संसाधन के अभाव में शोभा की वस्तु बनी पीडियाट्रिक वार्ड

'काम तो किया जा रहा है'
सदर अस्पताल के उपाधीक्षक पिसी प्रभात ने कहा कि व्यवस्था को कारगर कराने के लिये प्रयास किया जा रहा है. उसमें डॉक्टर और जीएनएम को तैनात किया गया है. सभी लोग अपने कार्य में मुस्तैद है. बता दें कि पीडियाट्रिक्स वार्ड लाइफ सपोर्ट की आधुनिक संसाधनों से लैस बिस्तर तथा आसपास उपकरणों से बनी होती है जो गंभीर बीमार नौनिहालों के लिए जीवन वरदान साबित होता है.

Intro:सूबे के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने सदर अस्पताल में 24 अक्टूबर 2019 को पीडियाट्रिक वार्ड का उद्घाटन किया था। लेकिन यह वार्ड उद्घाटन तक ही सीमित रह गया। उद्घाटन के बाद भी इस वार्ड में पूर्ण संसाधन उपलब्ध नहीं कराए गए और ना ही पर्याप्त कर्मियों को बहाल किया गया। आलम यह है कि यह पीडियाट्रिक वार्ड बंद पड़े हुए हैं।


Body:जिस उद्देश्य से इसको चालू किया गया था शायद वह उद्देश्य पूरा करने में स्वास्थ्य विभाग गम्भीर नहीं है। इस वार्ड में एसी की कमी के आलावे बच्चों को ऑक्सीजन देने के लिए पाइप लाइन भी नहीं है। ऐसे में आईसीयू वार्ड में भर्ती कैसे लिया जा सकता है। पर्याप्त संसाधन के साथ चिकित्सक व कर्मियों का घोर अभाव है। इस वार्ड के उद्घाटन के पहले लोगों को यह उम्मीद जगी थी कि अब बच्चों को गंभीर बीमारी से ग्रसित बच्चों को इलाज के लिए जिले से बाहर नहीं जाना पड़ेगा। लेकिन लोगों की यह उम्मीद सिर्फ उम्मीद बनकर ही रह गई। इस वार्ड में एक डॉक्टर और एक जीएनएम तैनात है। जिसके वजह से यहां गंभीर बीमारी से ग्रसित बच्चों का इलाज नहीं हो पाता है। वार्ड में तैनात चिकित्सक सौरभ अग्रवाल के माने तो यहां कर्मियों की बहुत कमी है 8 कर्मियों के बाजए महज एक जीएनएम है। पूरी व्यवस्था सुचारू रूप से चालू नही हुआ है। जिसकारण 24 घंटे काम नही हो रहा है। ऐसे में वार्ड में बच्चों को कैसे इलाज संभव होगा। वार्ड में लाखों रुपये के लगाए गए मशीन सिर्फ शोभा की वस्तु बनी हुई है। 10 बेड़ो वाले इस वार्ड में 1 माह से लेकर 10 साल तक के बीमार बच्चों को भर्ती किया जाता है। स्वास्थ्य विभाग के अनुसार मुजफ्फरपुर में चमकी बुखार की शिकायत को देखते हुए अस्पताल में 10 बेडो का यह वार्ड खोला गया था। उद्घाटन के वक्त स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे ने कहा था कि सदर अस्पताल में जापानी बुखार से हो रही बच्चों की मौत को लेकर सरकार गंभीर है। बच्चों की इलाज के लिए पीडियाट्रिक वार्ड सदर अस्पताल में खोला गया है। यह 2012 की योजना है लेकिन अभी तक लंबित था। उन्होंने कहा कि आईसीयू रहित वार्ड में 1 माह से 10 साल तक के बच्चों का इलाज होगा।
पीडियाट्रिक्स वार्ड लाइफ सपोर्ट की आधुनिक संसाधनों से लैस बिस्तर तथा आसपास उपकरणों से बनी होती है जो गंभीर बीमार नौनिहालों के लिए जीवन वरदान साबित होता है। वार्ड में गंभीर रूप से बीमार बच्चों को प्राथमिक चेकआउट के साथ उपरांत भर्ती किया जाता है जहां वेंटिलेटर सपोर्ट के साथ ऑक्सीजन सहित अन्य जीवन रक्षक दवाइयां और प्रशिक्षित डॉक्टर उपलब्ध रहते हैं। अस्पताल सूत्रों का मानना है कि इस व्यवस्था में बच्चों को अधिक से अधिक सुरक्षित रखने में सफलता मिलती है। जबकि एसएनसीयू वार्ड में सिर्फ नवजात शिशु को माह भर रखने की सुविधा होती है। लेकिन आधुनिक तकनीकी में स्थापित होने इस वार्ड में तब तक बच्चों को रखकर इलाज किया जाता है। जब तक उसका जीवन सामान्य प्रक्रिया के तहत स्टेबल नही हो जाता है। तब तक उसे अन्य वार्ड म3।शिफ्ट नही किया जाता है। यानी बच्चों की सुरक्षा की पूरी जिम्मेदारी वार्ड की होती है। इस वार्ड में मिरगी का दौरा, निमोनिया, दिल में छेद, सांस लेने की समस्या सहित अन्य गंभीर संक्रमण में प्रभावित बच्चो को भर्ती किया जाता है। इस संदर्भ म एजब सदर अस्पताल के उपाधीक्षक पिसी प्रभात से बात की गई तो उन्होंने कहा कि व्यवस्था को कारगर कराने के लइये प्रयास किया जा रहा है। उसमें डॉक्टर और जीएनएम को तैनात किया गया है। सभी लोग अपने कार्य मे मुस्तैद है।









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