गोपालगंज: स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने जिले के सदर अस्पताल में 24 अक्टूबर 2019 को पीडियाट्रिक वार्ड का उद्घाटन किया था. लेकिन इस वार्ड उद्घाटन करने के बाद भी इसमें पूरे संसाधन उपलब्ध नहीं कराए गए और ना ही पर्याप्त कर्मियों को बहाल किया गया. हालात ये है कि यह पीडियाट्रिक वार्ड बंद पड़ा हुआ है.
पीडियाट्रिक वार्ड बस नाम का
दरअसल, जिले के सदर अस्पताल में आधुनिक तकनीक से इलाज करने के लिए एक पीडियाट्रिक वार्ड बनाया गया. जिसके बाद 24 अक्टूबर को स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय की ओर से इसका उद्घाटन भी कर दिया गया. लेकिन इसके बाद भी बुनियादी सुविधा नहीं होने के कारण मरीजों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है.
वार्ड में नहीं है बुनियादी सुविधा
वार्ड में एसी की कमी के अलाव बच्चों को ऑक्सीजन देने के लिए पाइप लाइन की भी कमी है. ऐसे में आईसीयू वार्ड में भर्ती कैसे लिया जा सकता है. वहीं पर्याप्त संसाधन के साथ चिकित्सक और कर्मियों का भी अस्पताल में घोर अभाव है. इस वार्ड में एक डॉक्टर और एक जीएनएम तैनात हैं. जिसकी वजह से यहां गंभीर बीमारी से ग्रसित बच्चों का इलाज नहीं हो पाता.
संसाधनों की कमी से बच्चों का इलाज असंभव
अस्पताल के डॉक्टर सौरभ ठाकुर ने बताया कि यहां संसाधनों की कमी से हम भी मजबूर हो जाते हैं. यहां कर्मियों की बहुत कमी है 8 कर्मियों की जरुरत है, लेकिन यहां एक जीएनएम है. पूरी व्यवस्था सुचारू रूप से चालू नहीं हुई है. जिस कारण 24 घंटे काम नहीं हो रहा है. ऐसे में वार्ड में बच्चों को कैसे इलाज संभव होगा.
'मंत्री जी की कथनी और करनी में अंतर'
सौरभ ठाकुर ने कहा कि उद्घाटन के वक्त स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे ने कहा था कि सदर अस्पताल में जापानी बुखार से हो रही बच्चों की मौत को लेकर सरकार गंभीर है. पीडियाट्रिक वार्ड सदर अस्पताल में 2012 की योजना है, लेकिन अभी तक लंबित था. इसके बन जाने से आईसीयू रहित वार्ड में 1 माह से 10 साल तक के बच्चों का इलाज होगा.
'काम तो किया जा रहा है'
सदर अस्पताल के उपाधीक्षक पिसी प्रभात ने कहा कि व्यवस्था को कारगर कराने के लिये प्रयास किया जा रहा है. उसमें डॉक्टर और जीएनएम को तैनात किया गया है. सभी लोग अपने कार्य में मुस्तैद है. बता दें कि पीडियाट्रिक्स वार्ड लाइफ सपोर्ट की आधुनिक संसाधनों से लैस बिस्तर तथा आसपास उपकरणों से बनी होती है जो गंभीर बीमार नौनिहालों के लिए जीवन वरदान साबित होता है.