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गोपालगंज: वर्षों पूर्व बना हेल्थ एंड वेलनेस केयर सेंटर में लगा रहता है ताला - health and wellness care center locked

गोपालगंज के हथुआ प्रखण्ड के मटिहानी माधो गांव में सालों पहले बना हेल्थ एंड वेलनेस केयर सेंटर में ताला लगा रहता है. जिससे यहां पर स्वास्थ्य सुविधा से लोग वंचित रहते हैं. कोरोना काल में भी इस हेल्थ केयर सेंटर पर डॉक्टर नहीं आते हैं. जिस कारण लोगों को इलाज कराने के लिए हथुआ जाना पड़ता है.

वर्षो पूर्व बना हेल्थ एंड वेलनेस केयर सेंटर में लगा रहता है ताला
वर्षो पूर्व बना हेल्थ एंड वेलनेस केयर सेंटर में लगा रहता है ताला
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Published : Jun 20, 2021, 11:21 AM IST

गोपालगंज: हथुआ प्रखण्ड के मटिहानी माधो गांव मे वर्षों पूर्व बने हेल्थ एंड वेलनेस केयर सेंटर (Health and Wellness Care Center) में ताला लगा रहता है. जिससे आस-पास के इलाकों के लोग स्वास्थ्य सुविधाओं ( Health Facilities ) से बंचित रहते हैं. कभी-कभी ही स्वास्थ्यकर्मी ( Health Worker ) या डॉक्टर ( Doctor ) इस केंद्र पर पहुंचते हैं. जिसकी वजह से यहां पर अक्सर ताला लगा रहता है. कोरोना काल (Corona ) में भी ये सेंटर बंद ही रहा.

ये भी पढ़ें- तेज प्रताप ने सदर अस्पताल का किया निरीक्षण, कहा- स्वास्थ्य मंत्री के गृह जिले की ही स्थिति खराब

बस नाम का रह गया है केयर सेंटर
दरअसल, गोपालगंज जिले में स्वास्थ्य सुविधा को बेहतर करने के लिए रोज नए कार्य किये जा रहे हैं. इसके साथ ही जरूरत पड़ने पर ठोस कदम भी उठाए जा रहे हैं. इसके बावजूद जिले में स्वास्थ्य व्यवस्था सुचारू रूप से बहाल नहीं हो पा रही है. मामला हथुआ अनुमंडल के मटिहानी माधो स्वास्थ्य केंद्र का है. जहां पर वर्षों पूर्व हेल्थ एंड वेलनेस केयर सेंटर खोला गया था. ताकि हथुआ प्रखंड के दूरदराज के इलाकों में लोगों को स्वास्थ्य सुविधा मिल सके.

देखें वीडियो

लेकिन इस स्वास्थ्य उपकेंद्र पर मरीजों की सुविधाएं नसीब नहीं हो रही है. कभी-कभी ही स्वास्थ्यकर्मी या डॉक्टर इस केंद्र पर पहुंचते हैं. जिसकी वजह से यहां पर अक्सर ताला लगा रहता है. कोरोना काल में जब बीमार मरीजों को इलाज के लिए अस्पताल की जरूरत पड़ती थी. तब भी इस इलाके के लोगों को इस स्वास्थ्य उपकेंद्र में मायूसी ही मिलती थी. और उन्हे इलाज के लिए हथुआ जाना पड़ता था.

ये भी पढ़ें- जो डॉक्टर मशीन तक ऑपरेट नहीं कर पा रहे वो इलाज क्या करेंगे- तेज प्रताप यादव

केयर सेंटर में नहीं आते डॉक्टर
स्थानीय ग्रामीणों के मुताबिक यहां पर पिछले कई माह से चिकित्सक और स्टाफ नहीं आ रहे हैं. और ना ही इस स्वास्थ्य उपकेंद्र का कोई देखभाल किया जाता है. जिसकी वजह से यहां पर साफ देखा जा सकता है कि, कैसे इस उपकेंद्र के आसपास में झाड़ियां निकल आई हैं. यहां बरसात के मौसम में जहरीले सांप-बिच्छू का भी खतरा बना रहता है. ग्रामीणों के मुताबिक यहां 9 साल पूर्व स्वास्थ्य उपकेंद्र बनाए गए थे. जिसका लाभ इस इलाके के आम लोगों को नहीं मिल पा रहा है.

हेल्थ एंड वेलनेस केयर सेंटर में नहीं आते हैं डॉक्टर
हेल्थ एंड वेलनेस केयर सेंटर में नहीं आते हैं डॉक्टर

ये भी पढ़ें- गोपालगंज: हथुआ जी एन एम ट्रेनिंग सेंटर को बनाया गया आधुनिक कोविड अस्पताल

स्वास्थ्य व्यवस्था राम भरोसे
सरकार स्वास्थ्य व्यवस्था पर करोड़ों रुपये खर्च करती है. और खासकर ग्रामीण इलाकों में लोग अभी भी इलाज के लिए प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर ही जाते हैं. लेकिन कई जिलों के पीएचसी पर अभी भी कोई सुविधा उपलब्ध नहीं है. जिससे लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ता है. कोरोना काल में स्वास्थ्य विभाग की कलई पूरी तरह खुलकर सबके सामने आ गई, जिसका विपक्ष ने मुद्दा बनाकर सरकार को घेरा भी. राज्य सरकार स्वास्थ्य सुविधा को पहले से और बेहतर करने में जुटी है. लेकिन कई जगहों से ऐसी खबरें आ ही जाती है, जिससे स्वास्थ्य विभाग के काम करने के तरीके पर सवाल उठने लगते हैं.

गोपालगंज: हथुआ प्रखण्ड के मटिहानी माधो गांव मे वर्षों पूर्व बने हेल्थ एंड वेलनेस केयर सेंटर (Health and Wellness Care Center) में ताला लगा रहता है. जिससे आस-पास के इलाकों के लोग स्वास्थ्य सुविधाओं ( Health Facilities ) से बंचित रहते हैं. कभी-कभी ही स्वास्थ्यकर्मी ( Health Worker ) या डॉक्टर ( Doctor ) इस केंद्र पर पहुंचते हैं. जिसकी वजह से यहां पर अक्सर ताला लगा रहता है. कोरोना काल (Corona ) में भी ये सेंटर बंद ही रहा.

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बस नाम का रह गया है केयर सेंटर
दरअसल, गोपालगंज जिले में स्वास्थ्य सुविधा को बेहतर करने के लिए रोज नए कार्य किये जा रहे हैं. इसके साथ ही जरूरत पड़ने पर ठोस कदम भी उठाए जा रहे हैं. इसके बावजूद जिले में स्वास्थ्य व्यवस्था सुचारू रूप से बहाल नहीं हो पा रही है. मामला हथुआ अनुमंडल के मटिहानी माधो स्वास्थ्य केंद्र का है. जहां पर वर्षों पूर्व हेल्थ एंड वेलनेस केयर सेंटर खोला गया था. ताकि हथुआ प्रखंड के दूरदराज के इलाकों में लोगों को स्वास्थ्य सुविधा मिल सके.

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लेकिन इस स्वास्थ्य उपकेंद्र पर मरीजों की सुविधाएं नसीब नहीं हो रही है. कभी-कभी ही स्वास्थ्यकर्मी या डॉक्टर इस केंद्र पर पहुंचते हैं. जिसकी वजह से यहां पर अक्सर ताला लगा रहता है. कोरोना काल में जब बीमार मरीजों को इलाज के लिए अस्पताल की जरूरत पड़ती थी. तब भी इस इलाके के लोगों को इस स्वास्थ्य उपकेंद्र में मायूसी ही मिलती थी. और उन्हे इलाज के लिए हथुआ जाना पड़ता था.

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केयर सेंटर में नहीं आते डॉक्टर
स्थानीय ग्रामीणों के मुताबिक यहां पर पिछले कई माह से चिकित्सक और स्टाफ नहीं आ रहे हैं. और ना ही इस स्वास्थ्य उपकेंद्र का कोई देखभाल किया जाता है. जिसकी वजह से यहां पर साफ देखा जा सकता है कि, कैसे इस उपकेंद्र के आसपास में झाड़ियां निकल आई हैं. यहां बरसात के मौसम में जहरीले सांप-बिच्छू का भी खतरा बना रहता है. ग्रामीणों के मुताबिक यहां 9 साल पूर्व स्वास्थ्य उपकेंद्र बनाए गए थे. जिसका लाभ इस इलाके के आम लोगों को नहीं मिल पा रहा है.

हेल्थ एंड वेलनेस केयर सेंटर में नहीं आते हैं डॉक्टर
हेल्थ एंड वेलनेस केयर सेंटर में नहीं आते हैं डॉक्टर

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स्वास्थ्य व्यवस्था राम भरोसे
सरकार स्वास्थ्य व्यवस्था पर करोड़ों रुपये खर्च करती है. और खासकर ग्रामीण इलाकों में लोग अभी भी इलाज के लिए प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर ही जाते हैं. लेकिन कई जिलों के पीएचसी पर अभी भी कोई सुविधा उपलब्ध नहीं है. जिससे लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ता है. कोरोना काल में स्वास्थ्य विभाग की कलई पूरी तरह खुलकर सबके सामने आ गई, जिसका विपक्ष ने मुद्दा बनाकर सरकार को घेरा भी. राज्य सरकार स्वास्थ्य सुविधा को पहले से और बेहतर करने में जुटी है. लेकिन कई जगहों से ऐसी खबरें आ ही जाती है, जिससे स्वास्थ्य विभाग के काम करने के तरीके पर सवाल उठने लगते हैं.

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