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पारंपरिक बग्घी पर निकली हथुआ महाराज की सवारी

राजतंत्र के जमाने में हथुआ राज भारत का एक प्रमुख राज हुआ करता था. विजयदशमी के दिन यहां आखिरी राजा महादेव आश्रम प्रसाद शाही की विशाल तस्वीर को प्राचीनतम बग्गी पर रखकर घुमाई जाती है.

पारंपरिक बग्घी पर निकली हथुआ महाराज की सवारी
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Published : Oct 8, 2019, 11:01 PM IST

गोपालगंजः जिले के मशहूर राज घरानों में एक हथुआ राज ने विजयदशमी के दिन अपनी पुरानी परंपरा निभाई. राज घराने ने महाराजा महादेव आश्रम प्रसाद शाही की प्रतिमा को पारंपरिक तरीके से शहर में घुमाया. हाथी-घोडे़ और गाजे-बाजे के साथ प्रतिमा यात्रा शुरू हुई.

पारंपरिक बग्घी पर निकली हथुआ महाराज की सवारी

राजतंत्र के जमाने में हथुआ राज भारत का एक प्रमुख राज हुआ करता था. परंपरा है कि विजयदशमी के दिन आखिरी राजा महादेव आश्रम प्रसाद शाही की विशाल तस्वीर को प्राचीनतम बग्गी पर रखकर घुमाई जाती है. इसके बाद ये यात्रा गोपाल मंदिर और ऐतिहासिक शीशमहल होकर अपने पैलेस में लौट जाती है.

आकर्षण का केंद्र है प्राचीन बग्घी
राजघराने की पुरानी बग्घी से यात्रा शुरू की जाती है. हथुआ राज के वंशज महाराज मृगेंद्र प्रताप शाही ने बताया कि यह कई साल पुरानी परंपरा है जिसे वह आज भी निभाते आ रहे हैं. विजयादशमी के दिन शस्त्रों की पूजा भी होती है. उन्होंने बताया कि इससे पहले राजा-महाराजा पूरे क्षेत्र में भ्रमण कर प्रजा की तकलीफों को सुनते थे.

gopalganj
हथुआ महाराज मृगेन्द्र प्रताप शाही

राज घराने की शोभा है ये नीलकंठ
इस अवसर पर हथुआ के विभिन्न क्षेत्रों से लोगों को सम्मानित कर उन्हें पगड़ी पहनाई जाती है. वैभव का प्रतीक माने जाने वाले पक्षी नीलकंठ का दर्शन भी हथुवा राज परिवार कराता है. उसे देखने के लिए लोगों की काफी भीड़ लगती है.

गोपालगंजः जिले के मशहूर राज घरानों में एक हथुआ राज ने विजयदशमी के दिन अपनी पुरानी परंपरा निभाई. राज घराने ने महाराजा महादेव आश्रम प्रसाद शाही की प्रतिमा को पारंपरिक तरीके से शहर में घुमाया. हाथी-घोडे़ और गाजे-बाजे के साथ प्रतिमा यात्रा शुरू हुई.

पारंपरिक बग्घी पर निकली हथुआ महाराज की सवारी

राजतंत्र के जमाने में हथुआ राज भारत का एक प्रमुख राज हुआ करता था. परंपरा है कि विजयदशमी के दिन आखिरी राजा महादेव आश्रम प्रसाद शाही की विशाल तस्वीर को प्राचीनतम बग्गी पर रखकर घुमाई जाती है. इसके बाद ये यात्रा गोपाल मंदिर और ऐतिहासिक शीशमहल होकर अपने पैलेस में लौट जाती है.

आकर्षण का केंद्र है प्राचीन बग्घी
राजघराने की पुरानी बग्घी से यात्रा शुरू की जाती है. हथुआ राज के वंशज महाराज मृगेंद्र प्रताप शाही ने बताया कि यह कई साल पुरानी परंपरा है जिसे वह आज भी निभाते आ रहे हैं. विजयादशमी के दिन शस्त्रों की पूजा भी होती है. उन्होंने बताया कि इससे पहले राजा-महाराजा पूरे क्षेत्र में भ्रमण कर प्रजा की तकलीफों को सुनते थे.

gopalganj
हथुआ महाराज मृगेन्द्र प्रताप शाही

राज घराने की शोभा है ये नीलकंठ
इस अवसर पर हथुआ के विभिन्न क्षेत्रों से लोगों को सम्मानित कर उन्हें पगड़ी पहनाई जाती है. वैभव का प्रतीक माने जाने वाले पक्षी नीलकंठ का दर्शन भी हथुवा राज परिवार कराता है. उसे देखने के लिए लोगों की काफी भीड़ लगती है.

Intro:हिंदुस्तान के प्राचीनतम राजघराने में एक एवं बिहार के गोपालगंज जिले के बड़े राजघरानों में एक हथुआ राज के द्वारा महाराजा महादेव आश्रम प्रसाद शाही की प्रतिमा को पारंपरिक बग्गी पर रखकर पूरे क्षेत्र का भ्रमण कराया गया तथा हाथी घोड़ा एवं सैनिकों के साथ पूरे गाजे-बाजे के साथ हथुआ के विभिन्न क्षेत्रों में ऐतिहासिक गोपाल मंदिर होते हुए शीशमहल होकर पूरे क्षेत्र में भ्रमण कराया गया इस अवसर पर हथुआ के वरिष्ठ लोगों को पारंपरिक पगड़ी पहनाकर सम्मानित भी किया गया आपको बता दें कि 1956 में जब जमीदारी उन्मूलन कानून लागू हुआ जिसके बाद से राजा के वंशजों द्वारा राजा महाराजाओं की प्रतिमा को बग्गी पर रखकर भ्रमण कराने की परंपरा रही है हथुआ महाराजा ने बताया कि विजयादशमी के दिन अस्त्रों शस्त्रों की पूजा भी की जाती है तथा यह हमारी सैकड़ों बस पुरानी परंपरा रही है।Body:गोपालगंज जिले का हथुआ राज जो कि बिहार के बड़े राजघरानों में से एक है तथा राजतंत्र के जमाने मे हथुआ राज एक भारत का प्रमुख राज हुआ करता था का विजयदशमी पर हथुवा महाराजा के द्वारा क्षेत्र का परिभ्रमण एक बहुत ही पुरानी परंपरा रही है जिसे आज भी विजयादशमी के दिन आखरी राजा महादेव आश्रम प्रसाद शाही की विशाल तस्वीर को प्राचीनतम बग्गी पर रखकर पूरे क्षेत्र में भ्रमण कराया जाता है आपको बता दें कि सन 1956 में जब जमीन दारी उन्मूलन लागू हुआ जिसके बाद से राजतंत्र खत्म हुई तब से लगातार राजा के वंशजों द्वारा राजा के फोटो को पूरे शहर में बग्गी पर रखकर पूरे गाजे-बाजे एवं हाथी घोड़े के साथ भ्रमण कराया जाता है तथा यह भ्रमण हथुआ राज पैलेस से निकलकर पूरे क्षेत्र में भ्रमण करते हुए गोपाल मंदिर एवं ऐतिहासिक शीश महल होते हुए फिर अपने पैलेस में लौट आता है वर्तमान में उनके वंशज महाराज मृगेंद्र प्रताप शाही ने बताया कि कई सव वर्ष पुरानी परंपरा है जिसे हम आज भी निभाते आ रहे हैं कि विजयादशमी के दिन शस्त्रों की पूजा भी होती है तथा हमारे पूर्वजों के प्रतिमा को शहर में भ्रमण कराया जाता है इससे पहले हमारे बंसज राजा महाराजा जो हुआ करते थे वह पूरे क्षेत्र में भ्रमण करते थे तथा क्षेत्र के प्रजा के दुख तकलीफों को सुना करते थे इस अवसर पर हथुआ के विभिन्न क्षेत्रों से लोगों को सम्मानित किया जाता है तथा उन्हें पगड़ी भी पहनाई जाती है हथुवा के आम लोगों में तथा दूरदराज से आए लोगों में हथुवा राज्य परिवार के वंशजों को एक झलक पाने की होड़ लगी रहती है वही वैभव की प्रतीक माने जाने वाली पक्षी नीलकंठ की भी लोगों को हथुवा राज परिवार द्वारा दर्शन कराया जाता है तथा उसे देखने के लिए भी क्षेत्र के लोगों की भीड़ लगती है।

बाईट --- हथुआ महाराजा मृगेन्द्र प्रताप शाहीConclusion:NA
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