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17 साल बाद जून में ही बढ़ने लगा गंडक का जलस्तर, जल-प्रलय की आशंका से घबराए लोग

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Published : Jun 23, 2020, 7:03 PM IST

17 साल बाद गंडक का जलस्तर इस कदर बढ़ा है कि नदी दियारे की ओर रुख करने लगी है. वाल्मीकि नगर डैम से गंडक में 1 लाख 63 हजार 7 सौ क्यूसेक पानी डिस्चार्ज किया गया है. तटवर्ती इलाके में गंडक का पानी पिछले 4 दिनों से लगातार बढ़ रहा है.

gandak river
gandak river

गोपालगंज: गंडक नदी के तट पर बसा जिला हमेशा से ही बाढ़ प्रभावित क्षेत्र रहा है. यहां लोग बाढ़ की विभीषिका से हर साल बेघर हो जाते हैं. एक बार फिर गंडक नदी ने तबाही मचाना शुरू कर दिया है. वाल्मीकि नगर बराज से छोड़े गए डेढ़ लाख क्यूसेक पानी के बाद दियारा इलाके के कई गांव बाढ़ की चपेट में आ गए हैं.

लोगों में दहशत का माहौल
नेपाल के तराई इलाको में हो रही लगातार बारिश के बाद वाल्मीकि नगर बराज से भी 1 लाख 63 हजार 7 सौ क्यूसेक पानी छोड़ा गया है. इसके बाद से ही दियारा इलाके के गांव में बाढ़ का पानी तेजी से फैलने लगा है. इससे इलाके के लोगो की नींद उड़ गई गई है. लोग अपने घरों में कैद हो गए हैं. ग्रामीणों में सांप-बिच्छू का भी डर है.

gandak river
बाढ़ से जन-जीवन अस्त व्यस्त

घर छोड़ कर पलायन कर रहे लोग
दियारा इलाके में रहने वाले बाढ़ से घिरे लोग घर छोड़ कर अब पलायन करने लगे हैं. नदी का जलस्तर बढ़ने के कारण कई गांवों का संपर्क टूट गया है. जिला प्रशासन की ओर से सरकारी नाव का इंतजाम भी किया गया है, लेकिन नाव बाढ़ प्रभावित गांवों तक नहीं पहुंच सकी है. सबसे अधिक परेशानी सदर प्रखंड के मेहन्दीय, मशान थाना, मकसूदपुर, जगिरी टोला, मलाही टोला, रामपुर जैसे गांवों की सड़कों पर 3 से 4 फुट पानी बह रहा है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

नहीं पहुंची प्रशासनिक सुविधा
अब तक लोगों के पास कोई भी प्रशासनिक सुविधा नहीं पहुंच पाई है. जानकारों की मानें तो साल 2003 के बाद पहली बार जून के महीने में ही गंडक उफान पर है. नदी की अभी जो स्थिति है, अमूमन ऐसा नजारा जुलाई के पहले सप्ताह में देखने को मिलता है. लेकिन जून में ही जुलाई जैसे नजारे से गंडक के तटवर्ती इलाकों में तबाही शुरू हो गई है. बाढ़ का प्रभाव यहां 15 जुलाई से शुरू होता है और 10 सितंबर तक नदी का लेवल 3 से 4 फुट नीचे चला जाता है, उसके बाद रास्ते खुल जाते हैं.

gandak river
बाढ़ के पानी में रहने को ग्रामीण मजबूर

17 साल बाद इस कदर बढ़ा गंडक का जलस्तर
17 साल बाद गंडक का जलस्तर इस कदर बढ़ा है. नदी दियारे की ओर रुख करने लगी है. वाल्मीकि नगर डैम से गंडक में 1 लाख 63 हजार 7 सौ क्यूसेक पानी डिस्चार्ज किया गया है. तटवर्ती इलाके मे गंडक का पानी पिछले 4 दिनों से लगातार बढ़ रहा है. सभी बांधों पर सतर्कता बरतनी शुरू कर दी गई है. तटवर्ती इलाके के निचले हिस्से में बसे 60 गांवों की करीब 40 हजार आबादी पर एक बार फिर से बाढ़ का खतरा मंडराने लगा है. इसके अलावा जिले में बारिश के कारण इलाके के क्षेत्र में पानी का फैलाव भी तेजी से बढ़ रहा है.

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बाढ़ के पानी में खाना बनाती महिला

कई प्रखंडों के गांव में फैला बाढ़ का पानी
कुचायकोट प्रखण्ड के काला मटिहनीया, रूप सागर, सलेमपुर, जमुनिया, गम्हरिया, सदर प्रखंड के पथरा, बरईपट्टी, जगरी टोला, खाप मकसूदपुर, रामनगर मसान थाना, माझा प्रखंड के पथरा, गौसिया, धामापाकड़, पुरैना, भैसही, बरौली प्रखंड के सिकटिया, सलेमपुर, सिकरिया, सलेमपुर, सिधवलिया प्रखंड के सलेमपुर, बंजरिया, अमरपुरा, बैकुंठपुर प्रखंड के अमारी, सीतलपुर, सलेमपुर, अदमापुर, मटियारी, प्यारेपुर, आशाखेड़ा, मोहम्मदपुर आदि गांव में बाढ़ का पानी फैलने लगा है.

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गांव में घुसा पानी

एसडीओ का आश्वासन
वहीं बाढ़ नियंत्रण के एसडीओ ओसामा बारिसी ने बताया कि गंडक का पानी खतरे के निशान से 7.5 मीटर ऊपर बह रहा है. हमने इससे निपटने की तैयारी कर ली है. हमारी तैयारी पुख्ता है, हम काफी सतर्क हैं. लोगों को घबराने की जरूरत नहीं है.

गोपालगंज: गंडक नदी के तट पर बसा जिला हमेशा से ही बाढ़ प्रभावित क्षेत्र रहा है. यहां लोग बाढ़ की विभीषिका से हर साल बेघर हो जाते हैं. एक बार फिर गंडक नदी ने तबाही मचाना शुरू कर दिया है. वाल्मीकि नगर बराज से छोड़े गए डेढ़ लाख क्यूसेक पानी के बाद दियारा इलाके के कई गांव बाढ़ की चपेट में आ गए हैं.

लोगों में दहशत का माहौल
नेपाल के तराई इलाको में हो रही लगातार बारिश के बाद वाल्मीकि नगर बराज से भी 1 लाख 63 हजार 7 सौ क्यूसेक पानी छोड़ा गया है. इसके बाद से ही दियारा इलाके के गांव में बाढ़ का पानी तेजी से फैलने लगा है. इससे इलाके के लोगो की नींद उड़ गई गई है. लोग अपने घरों में कैद हो गए हैं. ग्रामीणों में सांप-बिच्छू का भी डर है.

gandak river
बाढ़ से जन-जीवन अस्त व्यस्त

घर छोड़ कर पलायन कर रहे लोग
दियारा इलाके में रहने वाले बाढ़ से घिरे लोग घर छोड़ कर अब पलायन करने लगे हैं. नदी का जलस्तर बढ़ने के कारण कई गांवों का संपर्क टूट गया है. जिला प्रशासन की ओर से सरकारी नाव का इंतजाम भी किया गया है, लेकिन नाव बाढ़ प्रभावित गांवों तक नहीं पहुंच सकी है. सबसे अधिक परेशानी सदर प्रखंड के मेहन्दीय, मशान थाना, मकसूदपुर, जगिरी टोला, मलाही टोला, रामपुर जैसे गांवों की सड़कों पर 3 से 4 फुट पानी बह रहा है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

नहीं पहुंची प्रशासनिक सुविधा
अब तक लोगों के पास कोई भी प्रशासनिक सुविधा नहीं पहुंच पाई है. जानकारों की मानें तो साल 2003 के बाद पहली बार जून के महीने में ही गंडक उफान पर है. नदी की अभी जो स्थिति है, अमूमन ऐसा नजारा जुलाई के पहले सप्ताह में देखने को मिलता है. लेकिन जून में ही जुलाई जैसे नजारे से गंडक के तटवर्ती इलाकों में तबाही शुरू हो गई है. बाढ़ का प्रभाव यहां 15 जुलाई से शुरू होता है और 10 सितंबर तक नदी का लेवल 3 से 4 फुट नीचे चला जाता है, उसके बाद रास्ते खुल जाते हैं.

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बाढ़ के पानी में रहने को ग्रामीण मजबूर

17 साल बाद इस कदर बढ़ा गंडक का जलस्तर
17 साल बाद गंडक का जलस्तर इस कदर बढ़ा है. नदी दियारे की ओर रुख करने लगी है. वाल्मीकि नगर डैम से गंडक में 1 लाख 63 हजार 7 सौ क्यूसेक पानी डिस्चार्ज किया गया है. तटवर्ती इलाके मे गंडक का पानी पिछले 4 दिनों से लगातार बढ़ रहा है. सभी बांधों पर सतर्कता बरतनी शुरू कर दी गई है. तटवर्ती इलाके के निचले हिस्से में बसे 60 गांवों की करीब 40 हजार आबादी पर एक बार फिर से बाढ़ का खतरा मंडराने लगा है. इसके अलावा जिले में बारिश के कारण इलाके के क्षेत्र में पानी का फैलाव भी तेजी से बढ़ रहा है.

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बाढ़ के पानी में खाना बनाती महिला

कई प्रखंडों के गांव में फैला बाढ़ का पानी
कुचायकोट प्रखण्ड के काला मटिहनीया, रूप सागर, सलेमपुर, जमुनिया, गम्हरिया, सदर प्रखंड के पथरा, बरईपट्टी, जगरी टोला, खाप मकसूदपुर, रामनगर मसान थाना, माझा प्रखंड के पथरा, गौसिया, धामापाकड़, पुरैना, भैसही, बरौली प्रखंड के सिकटिया, सलेमपुर, सिकरिया, सलेमपुर, सिधवलिया प्रखंड के सलेमपुर, बंजरिया, अमरपुरा, बैकुंठपुर प्रखंड के अमारी, सीतलपुर, सलेमपुर, अदमापुर, मटियारी, प्यारेपुर, आशाखेड़ा, मोहम्मदपुर आदि गांव में बाढ़ का पानी फैलने लगा है.

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गांव में घुसा पानी

एसडीओ का आश्वासन
वहीं बाढ़ नियंत्रण के एसडीओ ओसामा बारिसी ने बताया कि गंडक का पानी खतरे के निशान से 7.5 मीटर ऊपर बह रहा है. हमने इससे निपटने की तैयारी कर ली है. हमारी तैयारी पुख्ता है, हम काफी सतर्क हैं. लोगों को घबराने की जरूरत नहीं है.

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