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गोपालगंज: अपनी 'मुक्ति' की राह देख रहा है 42 लाख की लागत से बना शवदाह गृह - bihar government

इसका उद्घाटन तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री अश्विनी चौबे ने साल 2014 में किया था. लेकिन, उद्घाटन के बाद से ही मुक्तिधाम प्रशासनिक उपेक्षा का शिकार रहा.

मुक्तिधाम गृह
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Published : Jul 12, 2019, 12:02 AM IST

Updated : Jul 12, 2019, 12:07 AM IST

गोपालगंज: जिले के एकमात्र मुक्तिधाम गृह आज अपनी मुक्ति की राह देख रहा है. गोपालगंज में शवों के संस्कार के लिए बना शवदाह गृह बेहद दयनीय हालत में है. आलम यह है कि अब ये नशेड़ियों का अड्डा बन गया है. लेकिन, इस मुक्तिधाम पर ना ही प्रशासन की नजर जा रही है और ना ही जनप्रतिनिधियों की. नतीजतन यह मुक्तिधाम उपेक्षित पड़ा है.

मुक्तिधाम की उपेक्षा को स्थानीय लोग प्रशासनिक निरंकुशता करार देते हैं. उनका कहना है कि प्रशासन की अनदेखी के कारण इसका जीर्णोद्धार नहीं हो सका. इस शवदाह गृह को करीब 42 लाख की लागत से बनाया गया था. मुक्तिधाम अब नशेड़ियों का ठिकाना बन चुका है.

gopalganj
स्थानीय जन प्रतिनिधि

हाल बदहाल
शवदाह की हालत इतनी खराब है कि यहां का गेट और सोलर लाइट की बैटरी गायब है. यह पूरी तरह से झाड़ियों से ढ़का गया है. मुक्तिधाम का वेटिंग रूम नशेड़ियों का धाम बन गया है. वर्षो पहले इसके जीर्णोद्धार और सौंदर्यीकरण के साथ-साथ विद्युत शव दाह गृह की योजना बनाई गई थी. लेकिन, यह योजना अभी तक फाइलों से बाहर नहीं निकल सकी.

अश्विनी चौबे ने किया था उद्घाटन
शहर के कमला राय कॉलेज रोड स्थित पोस्टमार्टम हाउस के पास करीब पांच साल पहले 1 एकड़ 46 डिसमिल में जिले का एकमात्र मुक्तिधाम बना गया. जिसकी लागत 42 लाख आई थी. इसका उद्घाटन तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री अश्विनी चौबे ने साल 2014 में किया था. लेकिन, उद्घाटन के बाद से ही मुक्तिधाम प्रशासनिक उपेक्षा का शिकार रहा. निर्माण के बाद से यहां एक भी शव का दाह संस्कार नहीं हो सका.

ईटीवी भारत संवाददाता की रिपोर्ट

क्या कहते है स्थानीय लोग और अधिकारी?
स्थानीय समाजसेवी विमल कुमार ने वर्ष 2009 में लोक स्वास्थ्य प्रमंडल से आरटीआई के तहत इस शवदाह गृह की जानकारी मांगी थी. उनकी मानें तो नगर परिषद, प्रशासन और जनप्रतिनिधि के उदासीनता के कारण इसका पूर्ण विकास नहीं हो सका. इस संदर्भ में जब नगर परिषद के चेयरमैन हरेंद्र चौधरी से बात की गई तो उन्होंने कहा कि शहर की जनसंख्या को देखते हुए मुक्तिधाम अपर्याप्त है. नगर परिषद की ओर से सरकार को प्रस्ताव भेजा गया है. जिसमें ढाई करोड़ की लागत से इलेक्ट्रिकल शव दाह गृह बनेगा. साथ ही जंगलिया वार्ड नंबर 15 में 16 लाख की लागत से 4 सीट का मैनुअल शव दाह गृह बनेगा, जिसका डीपीआर तैयार हो चुका है. उन्होंने कहा कि चिराई घर के पास इलेक्ट्रिक शव दाह गृह इस वित्तीय वर्ष में बनकर तैयार हो जाएगा.

गोपालगंज: जिले के एकमात्र मुक्तिधाम गृह आज अपनी मुक्ति की राह देख रहा है. गोपालगंज में शवों के संस्कार के लिए बना शवदाह गृह बेहद दयनीय हालत में है. आलम यह है कि अब ये नशेड़ियों का अड्डा बन गया है. लेकिन, इस मुक्तिधाम पर ना ही प्रशासन की नजर जा रही है और ना ही जनप्रतिनिधियों की. नतीजतन यह मुक्तिधाम उपेक्षित पड़ा है.

मुक्तिधाम की उपेक्षा को स्थानीय लोग प्रशासनिक निरंकुशता करार देते हैं. उनका कहना है कि प्रशासन की अनदेखी के कारण इसका जीर्णोद्धार नहीं हो सका. इस शवदाह गृह को करीब 42 लाख की लागत से बनाया गया था. मुक्तिधाम अब नशेड़ियों का ठिकाना बन चुका है.

gopalganj
स्थानीय जन प्रतिनिधि

हाल बदहाल
शवदाह की हालत इतनी खराब है कि यहां का गेट और सोलर लाइट की बैटरी गायब है. यह पूरी तरह से झाड़ियों से ढ़का गया है. मुक्तिधाम का वेटिंग रूम नशेड़ियों का धाम बन गया है. वर्षो पहले इसके जीर्णोद्धार और सौंदर्यीकरण के साथ-साथ विद्युत शव दाह गृह की योजना बनाई गई थी. लेकिन, यह योजना अभी तक फाइलों से बाहर नहीं निकल सकी.

अश्विनी चौबे ने किया था उद्घाटन
शहर के कमला राय कॉलेज रोड स्थित पोस्टमार्टम हाउस के पास करीब पांच साल पहले 1 एकड़ 46 डिसमिल में जिले का एकमात्र मुक्तिधाम बना गया. जिसकी लागत 42 लाख आई थी. इसका उद्घाटन तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री अश्विनी चौबे ने साल 2014 में किया था. लेकिन, उद्घाटन के बाद से ही मुक्तिधाम प्रशासनिक उपेक्षा का शिकार रहा. निर्माण के बाद से यहां एक भी शव का दाह संस्कार नहीं हो सका.

ईटीवी भारत संवाददाता की रिपोर्ट

क्या कहते है स्थानीय लोग और अधिकारी?
स्थानीय समाजसेवी विमल कुमार ने वर्ष 2009 में लोक स्वास्थ्य प्रमंडल से आरटीआई के तहत इस शवदाह गृह की जानकारी मांगी थी. उनकी मानें तो नगर परिषद, प्रशासन और जनप्रतिनिधि के उदासीनता के कारण इसका पूर्ण विकास नहीं हो सका. इस संदर्भ में जब नगर परिषद के चेयरमैन हरेंद्र चौधरी से बात की गई तो उन्होंने कहा कि शहर की जनसंख्या को देखते हुए मुक्तिधाम अपर्याप्त है. नगर परिषद की ओर से सरकार को प्रस्ताव भेजा गया है. जिसमें ढाई करोड़ की लागत से इलेक्ट्रिकल शव दाह गृह बनेगा. साथ ही जंगलिया वार्ड नंबर 15 में 16 लाख की लागत से 4 सीट का मैनुअल शव दाह गृह बनेगा, जिसका डीपीआर तैयार हो चुका है. उन्होंने कहा कि चिराई घर के पास इलेक्ट्रिक शव दाह गृह इस वित्तीय वर्ष में बनकर तैयार हो जाएगा.

Intro:जिले के एकमात्र शवों के दाह संस्कार के लिए बने मुक्तिधाम खुद के मुक्ति के लिए आस लगाए बैठा है। आलम यह है कि इस मुक्तिधाम पर ना ही प्रशासन की नजर जाती और ना ही जनप्रतिनिधियों की जिसे यह मुक्तिधाम उपेक्षित हो गया।




Body:मुक्तिधाम के उपेक्षा के लिए स्थानीय लोग इसे प्रशासनिक निरंकुशता बता रहे हैं। इसके कारण इसका जीर्णोद्धार नहीं हो सका। करीब 42 लाख की लागत से बनाया मुक्तिधाम अब नशेड़ियों का ठिकाना बन गया है। यहां का गेट और यहां के सोलर लाइट की बैटरी गायब है। झाड़ियों से ढ़का यह मुक्तिधाम का वेटिंग रूम नशेड़ियों का धाम बन गया है। वर्षो पूर्व इसके जीर्णोद्धार व सौंदर्यीकरण व विद्युत शव दाह गृह की योजना बनाई गई थी लेकिन यह योजना अभी तक फाइलों से बाहर नहीं निकल सकी। शहर के कमला राय कॉलेज रोड स्थित पोस्टमार्टम हाउस के पास करीब पांच साल पहले 1 एकड़ 46 डिसमिल में जिले का एकमात्र मुक्तिधाम 42 लाख की लागत से बनाई गई थी इसका उद्घाटन तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री अश्वनी चौबे ने किया था। लेकिन उद्घाटन के बाद से ही मुक्तिधाम पर प्रशासनिक उपेक्षा की मार पड़ गई। निर्माण के बाद से ही इसकी उपेक्षा करने का नतीजा यह रहा कि आज तक यहां एक भी शव का दाह संस्कार नहीं हो सका। झाड़ियों के बीच मुक्तिधाम पूरी तरह घिर चुका है।
स्थानीय समाजसेवी विमल कुमार द्वारा वर्ष 2009 में लोक स्वास्थ्य प्रमंडल से आरटीआई के तहत जानकारी मांगी गई थी। वही समाजसेवी विमल कुमार के माने तो उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री स्व अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में मुक्तिधाम योजना का शुरूआत की गई थी जिसे देख गोपालगंज जिले में भी एक मुक्तिधाम बनाने के लिए सरकार से मांग की गई थी। जिस पर सरकार ने अमल करते हुए गोपालगंज को एक मुक्तिधाम बनाने की योजना तैयार कर कार्य को शुरुआत की गई। इस कार्य की योजना में कुल 42 लाख रुपए खर्च हुए और मुक्तिधाम बनकर तैयार हो गए। जिसका उद्घाटन वर्ष 2014 में तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री अश्विनी चौबे ने किया था। लेकिन यह मुक्तिधाम उद्घाटन के साथ ही उपेक्षा का शिकार हो गया। उन्होंने बताया कि नगर परिषद, प्रशासन और जनप्रतिनिधि के उदासीनता के कारण इसका पूर्ण विकास नहीं हो सका। इस संदर्भ में जब नगर परिषद के चेयरमैन हरेंद्र चौधरी से बात की गई तो उन्होंने कहा की शहर की जनसंख्या को देखते हुए मुक्तिधाम अपर्याप्त है नगर परिषद द्वारा सरकार को प्रस्ताव भेजा गया है। जिसमें ढाई करोड़ की लागत से इलेक्ट्रिकल शव दाह गृह बनेगा साथ ही जंगलिया वार्ड नंबर 15 में 16 लाख की लागत से 4 सीट का मैनुअल शव दाह गृह बनेगा जिसका डीपीआर तैयार हो चुका है। उन्होंने कहा कि चिराई घर के पास इलेक्ट्रिक शव दाह गृह इस वित्तीय वर्ष में बनकर तैयार हो जाएगा


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Last Updated : Jul 12, 2019, 12:07 AM IST
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