गोपालगंज: हिन्दू धर्म के पवित्र धार्मिक ग्रंथ गीता का अर्थ उपदेश देने वाला होता है. गोपालगंज की बेटी गीता कुछ यूं ही अपने नाम को चरितार्थ कर रही है. गीता आज लोगों के लिए प्रेरणा की स्त्रोत हैं. गीता करीब 4 सालों से गरीब बच्चों को मानसिक, सामाजिक और शारीरिक विकास के लिए निःशुल्क शिक्षा दे रही हैं.
गरीब बच्चों को दे रही हैं फ्री योगा और ट्यूशन
जानकारी के अनुसार सदर प्रखंड के हजियापुर निवासी रामनाथ साह की इकलौती बेटी गीता सीमित संसाधनों में ना सिर्फ अपनी पीएचडी की पढ़ाई पूरी कर रही है. बल्कि, समाज को नई दिशा देने के लिए अपने शहर के छोटे बच्चों को योग की ट्रेनिंग के साथ-साथ अपने व्यस्त जीवन शैली से प्रतिदिन समय निकालकर गरीब बच्चों को ट्यूशन पढ़ाकर कुछ कर गुजरने के लिए प्रेरित भी कर रही हैं.
आसान नहीं रहा है गीता का सफर
तीन भाईयों में सबसे बड़ी गीता ने बताया कि हम लोग पहले संयुक्त परिवार में रहते थे. पिताजी की आमदनी अच्छी नहीं थी. परिवार मेरी पढ़ाई का बोझ वहन नहीं कर सकता था, लेकिन मुझमें शुरू से ही समाज के लिए कुछ करने की ललक थी. जिसके बाद पिताजी की कलकत्ता के स्टील फैक्टी में नौकरी लग गई और हम सभी कलकत्ता चले गए, लेकिन वहां की पढ़ाई समझ में नहीं आने के कारण मैं अपने घर गोपालगंज लौट आई.
एक से 10 तक के बच्चों को देती हैं निःशुल्क शिक्षा
साथ ही गीता ने बताया कि घर आने के बाद घर पर अकेले रहकर मैंने एक से 10 तक गरीब छात्र-छात्राओं को निशुल्क शिक्षा देना शुरू कर दिया. खास कर गरीब लड़कियों को जो पढ़ना तो चाहती हैं लेकिन पैसे के अभाव में पढ़ नहीं पातीं. उन छात्राओं को हर संभव मदद करती हूं. उन्होंने कहा कि पिताजी के भेजे गए खर्चों से पैसे बचाकर बच्चों के लिए कॉपी, किताब और पेंसिल की भी व्यवस्था करती हूं.