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गोपालगंज में जेनेरिक दवा दुकान बंद, बाहर महंगे दाम पर खरीदने को मजबूर हैं जरूरतमंद - gopalganj Generic medicine shop closed

गोपालगंज में कई वर्षों से जेनेरिक दवा की दुकान बंद है. जिसकी वजह से मरीज महंगे दाम पर दवा खरीदने को मजबूर हैं

gopalganj
गोपालगंज सदर अस्पताल
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Published : Jun 27, 2020, 6:51 PM IST

गोपालगंज: केंद्र सरकार और राज्य सरकार स्वास्थ्य व्यवस्था की बेहतरी के चाहे जितने भी दावे कर लें, लेकिन उनके दावे खोखले साबित हो जाते हैं. सरकार की ओर से जहां जगह-जगह जेनेरिक दवाइयों की दुकान खोली जा रही है. वहीं सदर अस्पताल में वर्षों से जेनेरिक दवा की दुकान बंद पड़ी है. जिसके कारण गरीब सस्ते दामों पर दवाइयों का लाभ नहीं ले पा रहे हैं.

चार साल पहले खुली थी दुकान
सदर अस्पताल गोपालगंज में चार वर्ष पूर्व जेनेरिक दवा की दुकान खुली थी. तब लोगों को यह आस जगी थी कि अब महंगे दाम पर दवा बाहर से नहीं खरीदनी पड़ेगी. लेकिन दुकान खुलने के कुछ ही दिनों बाद यह दुकान बंद हो गई है. वहीं सरकार की ओर से संचालित निःशुल्क दवा केंद्र पर भी पर्याप्त दवाइयां उपलब्ध नहीं रहने से मजबूरन यहां के लोग डॉक्टर की लिखी गई दवा को महंगे दामों पर बाहर से खरीद रहे हैं.

मरीजों को नहीं मिला रहा लाभ
एक ओर केंद्र सरकार विभिन्न सदर और पीएचसी अस्पतालों में जन औषधि केंद्र खोल कर गरीबों को राहत देने का कार्य कर रही है. वहीं गोपालगंज सदर अस्पताल में बंद पड़ी जेनेरिक दवा दुकान 4 वर्ष बाद भी नहीं खुली है. जेनेरिक दवा दुकान पर ना ही सरकार की नजर जाती है और ना ही अस्पताल प्रशासन की नजर जाती है. सदर अस्पताल में मुफ्त में मिलने वाली दवाएं पर्याप्त मात्रा में नहीं होने के कारण मरीजों को उसका लाभ नहीं मिल पा रहा है.

महंगे दामों पर खरीद रहे दवा
डॉक्टर भी बाहर की दवाएं लगातार लिखते रहे हैं. मजबूरन मरीजों के लिए बाहर से दवाई महंगे दामों पर खरीदी जा रही है. सदर अस्पताल में जेनेरिक दवा की बंद दुकान कब खुलेगी, यह कोई बताने को तैयार नहीं है. अब तो इसके खुलने के आसार भी नहीं लग रहे हैं. जिला स्वास्थ समिति ने भी इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया है. इसके कारण सस्ती दवाओं का लाभ गरीबों को नहीं मिल पा रहा है.

जीवन रक्षक दवाओं का अभाव
सदर अस्पताल में जीवन रक्षक दवाओं का घोर अभाव है. सिर्फ यहां कैल्शियम, आयरन और पेरासिटामोल पेन किलर जैसी कुछ गिनी चुनी दवाएं ही उपलब्ध रहती है. अन्य दवाओं के लिए मरीजों को बाहर की दवा दुकानों पर आश्रित रहना पड़ता है. इस मामले में सिविल सर्जन टीएन सिंह ने कहा कि यहां पहले दो जेनेरिक दवा की दुकान खुली थी. लेकिन दुकानदारों को जिन शर्तो का अनुपालन करना था, उसे वह नहीं कर पाए. जिसके कारण उन्हें बंद करना पड़ा. इसके खिलाफ वो लोग कोर्ट गए, जहां मामला अभी लंबित है.

गोपालगंज: केंद्र सरकार और राज्य सरकार स्वास्थ्य व्यवस्था की बेहतरी के चाहे जितने भी दावे कर लें, लेकिन उनके दावे खोखले साबित हो जाते हैं. सरकार की ओर से जहां जगह-जगह जेनेरिक दवाइयों की दुकान खोली जा रही है. वहीं सदर अस्पताल में वर्षों से जेनेरिक दवा की दुकान बंद पड़ी है. जिसके कारण गरीब सस्ते दामों पर दवाइयों का लाभ नहीं ले पा रहे हैं.

चार साल पहले खुली थी दुकान
सदर अस्पताल गोपालगंज में चार वर्ष पूर्व जेनेरिक दवा की दुकान खुली थी. तब लोगों को यह आस जगी थी कि अब महंगे दाम पर दवा बाहर से नहीं खरीदनी पड़ेगी. लेकिन दुकान खुलने के कुछ ही दिनों बाद यह दुकान बंद हो गई है. वहीं सरकार की ओर से संचालित निःशुल्क दवा केंद्र पर भी पर्याप्त दवाइयां उपलब्ध नहीं रहने से मजबूरन यहां के लोग डॉक्टर की लिखी गई दवा को महंगे दामों पर बाहर से खरीद रहे हैं.

मरीजों को नहीं मिला रहा लाभ
एक ओर केंद्र सरकार विभिन्न सदर और पीएचसी अस्पतालों में जन औषधि केंद्र खोल कर गरीबों को राहत देने का कार्य कर रही है. वहीं गोपालगंज सदर अस्पताल में बंद पड़ी जेनेरिक दवा दुकान 4 वर्ष बाद भी नहीं खुली है. जेनेरिक दवा दुकान पर ना ही सरकार की नजर जाती है और ना ही अस्पताल प्रशासन की नजर जाती है. सदर अस्पताल में मुफ्त में मिलने वाली दवाएं पर्याप्त मात्रा में नहीं होने के कारण मरीजों को उसका लाभ नहीं मिल पा रहा है.

महंगे दामों पर खरीद रहे दवा
डॉक्टर भी बाहर की दवाएं लगातार लिखते रहे हैं. मजबूरन मरीजों के लिए बाहर से दवाई महंगे दामों पर खरीदी जा रही है. सदर अस्पताल में जेनेरिक दवा की बंद दुकान कब खुलेगी, यह कोई बताने को तैयार नहीं है. अब तो इसके खुलने के आसार भी नहीं लग रहे हैं. जिला स्वास्थ समिति ने भी इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया है. इसके कारण सस्ती दवाओं का लाभ गरीबों को नहीं मिल पा रहा है.

जीवन रक्षक दवाओं का अभाव
सदर अस्पताल में जीवन रक्षक दवाओं का घोर अभाव है. सिर्फ यहां कैल्शियम, आयरन और पेरासिटामोल पेन किलर जैसी कुछ गिनी चुनी दवाएं ही उपलब्ध रहती है. अन्य दवाओं के लिए मरीजों को बाहर की दवा दुकानों पर आश्रित रहना पड़ता है. इस मामले में सिविल सर्जन टीएन सिंह ने कहा कि यहां पहले दो जेनेरिक दवा की दुकान खुली थी. लेकिन दुकानदारों को जिन शर्तो का अनुपालन करना था, उसे वह नहीं कर पाए. जिसके कारण उन्हें बंद करना पड़ा. इसके खिलाफ वो लोग कोर्ट गए, जहां मामला अभी लंबित है.

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