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गोपालगंज: दस वर्षों से निःशुल्क दे रहे हैं संगीत की शिक्षा, 200 छात्र करते हैं यहां पढ़ाई - ganga channel

डुमरिया गांव के निवासी विद्यानंद पिछले 10 सालों से छात्र-छात्राओं को निःशुल्क ढोलक, हारमोनियम, तबला के अलावा सारेगामापा..., गीत, नृत्य, पेंटिंग की शिक्षा दे रहे हैं. 2017 में इनकी छात्रा गंगा चैनल के शो सारेगामापा रंग पुरवइया पर भी प्रोग्राम कर चुकी है.

संगीत
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Published : Aug 24, 2019, 9:06 AM IST

Updated : Aug 24, 2019, 9:24 AM IST

गोपालगंज: कहते हैं आज भी हमारे समाज में कुछ ऐसे विरले लोग हैं जो अपनी कला दूसरों को नि:शुल्क सिखाते हैं. गोपालगंज जिले के कटैया थाना क्षेत्र के डुमरिया गांव के निवासी स्वर्गीय मुन्नी उपाध्याय के पुत्र विद्यानंद उपाध्याय नि:शुल्क संगीत की शिक्षा प्रदान कर रहें हैं. विद्यानंद संगीत प्रेमियों के बीच पिछले 10 वर्षों से संगीत की शिक्षा प्रदान करते आ रहे हैं.

गोपालगंज
तबला बजाते हुए विद्यानंद

मंदिर परिसर में देते हैं संगीत के विभिन्न विषयों की शिक्षा
आपको बता दें कि विद्यानंद पिछले 10 सालों से छात्र-छात्राओं को निःशुल्क ढोलक, हारमोनियम, तबला के अलावा सारेगामापा..., गीत, नृत्य, पेंटिंग की शिक्षा दे रहे हैं. वे प्रतिदिन हथुआ गोपाल मंदिर परिसर में अलग-अलग बैच में 50-60 विद्यार्थियों को संगीत सिखाते हैं. यहां कुल विद्यार्थियों की संख्या 200 है, जो संगीत के अलग-अलग विषयों की पढ़ाई करते हैं. वहीं वर्तमान में कुछ विद्यार्थी अपनी स्वेच्छा से गुरु-दक्षिणा के रुप में कुछ राशि प्रदान करते हैं.

गोपालगंज
संगीत सिखाते हुए विद्यानंद

कौन है विद्यानंद उपाध्याय
डुमरिया निवासी विद्यानंद उपाध्याय किसी परिचय के मोहताज नहीं है. ये वर्ष 1966 से हथुआ स्थित गोपाल मंदिर परिसर में रहकर पढ़ाई करते थे. इन्हें बचपन से हीं संगीत से काफी लगाव था. इन्होंने 1984 में स्नातकोत्तर की उपाधि संगीत और भूगोल से किया. वर्ष 2009 राजेन्द्र उच्च विद्यालय में प्राचार्य के पद पर रहकर बच्चों को शिक्षा भी दिया. अबतक ये संगीत से इस तरह जुड़ चुके थे कि इन्होंने संगीत प्रेमियों के लिए संगीत महाविद्यालय की स्थापना कर डाली.

गोपालगंज
संगीत में लीन छात्र

नहीं मिलता है सरकारी सुविधाओं का लाभ
हथुआ के गोपाल मंदिर परिसर में संगीत महाविद्यालय 10 वर्षों के पहले से ही संचालित हुआ था, लेकिन 10 वर्ष से ये निरन्तर चल रहा है. 6 वर्ष पूर्व विद्यानंद ने अपने दम पर चंडीगढ़ प्राचीन कला केंद्र से इस महाविद्यालय की मान्यता ली. इसका केंद्र संख्या 6114 है. बावजूद इसके आज तक इन्हें सरकारी सुविधाओं का लाभ नहीं मिल सका. ईटीवी भारत से बात करते हुए विद्यानन्द उपाध्याय ने बताया कि पहले वे बिल्कुल शुल्क नहीं लेते थे. बाद में जब बच्चे कहने लगे कि उन्हें निःशुल्क शिक्षा लेना अच्छा नहीं लगता, तब से जो जितना स्वेच्छा से देता है, उसे गुरु-दक्षिणा के रुप में रख लेते हैं.

निःशुल्क मिल रही संगीत की शिक्षा

'संगीत को गुरु पंरपरा के रुप में लिया जाए'
विद्यानंद ने संगीत के वर्तमान स्थिति के बारे में बताया कि वर्तमान में संगीत व्यवसाय के रूप में परिवर्तित हो गए हैं. इसे व्यवसाय के रुप में नहीं बल्कि गुरु परंपरा के रूप में परिवर्तित किया जाए. उन्होनें बताया कि संगीत घराने के रूप में सीमित हो गया है. इसे सर्वव्यापी बनाने की जरुरत है. वहीं पश्चात संस्कृति से आजकल लोग संगीत को जोड़ने लगे हैं, जिसमें वह मधुरता की ताकत नहीं रह गई है.

गोपालगंज
गंगा चैनल पर प्रोग्राम कर चुकी छात्रा

गंगा चैनल पर प्रोग्राम कर चुकी है इनकी छात्रा
संगीत की शिक्षा प्राप्त कर रही छात्रा श्वेता कुमारी ने बताया कि वह यहां 7 वर्षों से गुरु जी के सानिध्य में संगीत की शिक्षा प्राप्त कर रही है, जो उसके लिए काफी फायदेमंद रहा है. 2017 में वह गंगा चैनल पर भी प्रोग्राम कर चुकी है.

गोपालगंज: कहते हैं आज भी हमारे समाज में कुछ ऐसे विरले लोग हैं जो अपनी कला दूसरों को नि:शुल्क सिखाते हैं. गोपालगंज जिले के कटैया थाना क्षेत्र के डुमरिया गांव के निवासी स्वर्गीय मुन्नी उपाध्याय के पुत्र विद्यानंद उपाध्याय नि:शुल्क संगीत की शिक्षा प्रदान कर रहें हैं. विद्यानंद संगीत प्रेमियों के बीच पिछले 10 वर्षों से संगीत की शिक्षा प्रदान करते आ रहे हैं.

गोपालगंज
तबला बजाते हुए विद्यानंद

मंदिर परिसर में देते हैं संगीत के विभिन्न विषयों की शिक्षा
आपको बता दें कि विद्यानंद पिछले 10 सालों से छात्र-छात्राओं को निःशुल्क ढोलक, हारमोनियम, तबला के अलावा सारेगामापा..., गीत, नृत्य, पेंटिंग की शिक्षा दे रहे हैं. वे प्रतिदिन हथुआ गोपाल मंदिर परिसर में अलग-अलग बैच में 50-60 विद्यार्थियों को संगीत सिखाते हैं. यहां कुल विद्यार्थियों की संख्या 200 है, जो संगीत के अलग-अलग विषयों की पढ़ाई करते हैं. वहीं वर्तमान में कुछ विद्यार्थी अपनी स्वेच्छा से गुरु-दक्षिणा के रुप में कुछ राशि प्रदान करते हैं.

गोपालगंज
संगीत सिखाते हुए विद्यानंद

कौन है विद्यानंद उपाध्याय
डुमरिया निवासी विद्यानंद उपाध्याय किसी परिचय के मोहताज नहीं है. ये वर्ष 1966 से हथुआ स्थित गोपाल मंदिर परिसर में रहकर पढ़ाई करते थे. इन्हें बचपन से हीं संगीत से काफी लगाव था. इन्होंने 1984 में स्नातकोत्तर की उपाधि संगीत और भूगोल से किया. वर्ष 2009 राजेन्द्र उच्च विद्यालय में प्राचार्य के पद पर रहकर बच्चों को शिक्षा भी दिया. अबतक ये संगीत से इस तरह जुड़ चुके थे कि इन्होंने संगीत प्रेमियों के लिए संगीत महाविद्यालय की स्थापना कर डाली.

गोपालगंज
संगीत में लीन छात्र

नहीं मिलता है सरकारी सुविधाओं का लाभ
हथुआ के गोपाल मंदिर परिसर में संगीत महाविद्यालय 10 वर्षों के पहले से ही संचालित हुआ था, लेकिन 10 वर्ष से ये निरन्तर चल रहा है. 6 वर्ष पूर्व विद्यानंद ने अपने दम पर चंडीगढ़ प्राचीन कला केंद्र से इस महाविद्यालय की मान्यता ली. इसका केंद्र संख्या 6114 है. बावजूद इसके आज तक इन्हें सरकारी सुविधाओं का लाभ नहीं मिल सका. ईटीवी भारत से बात करते हुए विद्यानन्द उपाध्याय ने बताया कि पहले वे बिल्कुल शुल्क नहीं लेते थे. बाद में जब बच्चे कहने लगे कि उन्हें निःशुल्क शिक्षा लेना अच्छा नहीं लगता, तब से जो जितना स्वेच्छा से देता है, उसे गुरु-दक्षिणा के रुप में रख लेते हैं.

निःशुल्क मिल रही संगीत की शिक्षा

'संगीत को गुरु पंरपरा के रुप में लिया जाए'
विद्यानंद ने संगीत के वर्तमान स्थिति के बारे में बताया कि वर्तमान में संगीत व्यवसाय के रूप में परिवर्तित हो गए हैं. इसे व्यवसाय के रुप में नहीं बल्कि गुरु परंपरा के रूप में परिवर्तित किया जाए. उन्होनें बताया कि संगीत घराने के रूप में सीमित हो गया है. इसे सर्वव्यापी बनाने की जरुरत है. वहीं पश्चात संस्कृति से आजकल लोग संगीत को जोड़ने लगे हैं, जिसमें वह मधुरता की ताकत नहीं रह गई है.

गोपालगंज
गंगा चैनल पर प्रोग्राम कर चुकी छात्रा

गंगा चैनल पर प्रोग्राम कर चुकी है इनकी छात्रा
संगीत की शिक्षा प्राप्त कर रही छात्रा श्वेता कुमारी ने बताया कि वह यहां 7 वर्षों से गुरु जी के सानिध्य में संगीत की शिक्षा प्राप्त कर रही है, जो उसके लिए काफी फायदेमंद रहा है. 2017 में वह गंगा चैनल पर भी प्रोग्राम कर चुकी है.

Intro:कहते हैं आज भी हमारे समाज में कुछ ऐसे विरले लोग हैं जो अपनी कला दूसरों को सिखाते हैं और बदले में किसी तरह की फीस भी नहीं लेते ऐसे लोगों में शुमार है। गोपालगंज जिले के कटेया थाना क्षेत्र के डुमरिया गांव निवासी स्वर्गीय मुन्नी उपाध्याय के पुत्र विद्यानंद उपाध्याय। जो करीब 10 वर्षों से संगीत प्रेमियों के बीच संगीत की शिक्षा प्रदान करते आ रहे हैं। ये


Body:विद्यानंद उपाध्याय पिछले 10 सालों से छात्र छात्राओं को निःशुल्क ढोलक, हारमोनियम,तबला के अलावा सारे गामा पा... गीत,नृत्य , पेंटिंग की शिक्षा दे रहे हैं। वे प्रतिदिन हथुआ गोपाल मंदिर परिसर में अलग-अलग बैच में 50 से 60 छात्राओं को संगीत सिखाते हैं। यहां कुल छात्रों की संख्या 200 है जो संगीत के अलग-अलग विषयों की पढ़ाई करते हैं। लेकिन वर्तमान में कुछ छात्रों द्वारा इन्हें गुरु दक्षिणा रूप में जिसको जितना मन करता है उतना अपने स्वेच्छा से प्रदान करता है।

कौन है विद्यानंद उपाध्याय

कटेया प्रखंड के डुमरिया गांव निवासी विद्यानंद उपाध्याय किसी परिचय का मोहताज नहीं है। ये वर्ष 1966 से हथुआ स्थित गोपाल मंदिर परिसर में रहकर पढ़ाई करते थे। बचपन से संगीत से काफी लगाव था। इन्होंने 1984 में स्नातकोत्तर की उपाधि संगीत और भूगोल से की।वर्ष 2009 राजेन्द्र उच्च विद्यालय में प्राचार्य के पद पर रह कर बच्चो को शिक्षा दी। इसके बाद इन्होंने संगीत प्रेमियों के लिए संगीत महाविद्यालय की स्थापना कर डाली।

नही मिलता है सरकारी सुविधाओं का लाभ

हथुआ के गोपाल मंदिर परिसर में संगीत महाविद्यालय दस वर्षों के पहले से ही संचालित होता रहा है। लेकिन दस वर्ष से ये निरन्तर चल रहा है। 6 वर्ष पूर्व इस महाविद्यालय को अपने दम पर इन्होंने चंडीगढ़ प्राचीन कला केंद्र से इसकी मान्यता ली। जिसका केंद्र संख्या 6114 है।लेकिन आज तक इन्हें सरकारी सुविधाओं का लाभ नही मिल सका। ईटीवी भारत से बात करते हुए विद्यानन्द उपाध्याय ने बताया की पहले तो मैं विल्कुल फी नही लेता था लेकिन बच्चो द्वारा कहा गया कि गुरू जी हमे निःशुल्क शिक्षा लेना अच्छा नही लगता। इसलिए जो जितना स्वेच्छा से देता उसे मैं रख लेता हूँ। ईश्वर के दया से मेरा पारिवारिक स्थिति अच्छी है। मुझे जितनी आवश्यकता है उतना मिल जाता है। तो फिर फीस की क्या आवश्यकता है। आज हमारे महाविद्यालय से बच्चे पढ़ कर विभिन्न जगह नौकरियां कर रहे हैं। मैं चाहता हूं कि संगीत को व्यवसाय के रूप ना दिया जाए क्योंकि वर्तमान में संगीत व्यवसाय के रूप में परिवर्तित हो गए हैं। ईसे गुरु परंपरा के रूप में परिवर्तित किया जाए और यह घराने के रूप में सीमित हो गया है। घराने तक ही सीमित न रहे इसे सर्वव्यापी बनाया जाए। साथ ही पश्चात संस्कृति और संगीत से आजकल लोग संगीत को जोड़ने लगे हैं। जिसमें वह मधुरता वो ताकत नहीं रही। संगीत की शिक्षा प्राप्त कर रही श्वेता कुमारी ने बताया कि मैं यहां 7 वर्षों से गुरु जी के सानिध्य में संगीत की शिक्षा प्राप्त कर रही हूं, जो काफी फायदेमंद रहा है। 2017 में मैंने गंगा चैनल पर भी प्रोग्राम कर चुकी हूं।




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Last Updated : Aug 24, 2019, 9:24 AM IST
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