गोपालगंज: कहते हैं आज भी हमारे समाज में कुछ ऐसे विरले लोग हैं जो अपनी कला दूसरों को नि:शुल्क सिखाते हैं. गोपालगंज जिले के कटैया थाना क्षेत्र के डुमरिया गांव के निवासी स्वर्गीय मुन्नी उपाध्याय के पुत्र विद्यानंद उपाध्याय नि:शुल्क संगीत की शिक्षा प्रदान कर रहें हैं. विद्यानंद संगीत प्रेमियों के बीच पिछले 10 वर्षों से संगीत की शिक्षा प्रदान करते आ रहे हैं.
मंदिर परिसर में देते हैं संगीत के विभिन्न विषयों की शिक्षा
आपको बता दें कि विद्यानंद पिछले 10 सालों से छात्र-छात्राओं को निःशुल्क ढोलक, हारमोनियम, तबला के अलावा सारेगामापा..., गीत, नृत्य, पेंटिंग की शिक्षा दे रहे हैं. वे प्रतिदिन हथुआ गोपाल मंदिर परिसर में अलग-अलग बैच में 50-60 विद्यार्थियों को संगीत सिखाते हैं. यहां कुल विद्यार्थियों की संख्या 200 है, जो संगीत के अलग-अलग विषयों की पढ़ाई करते हैं. वहीं वर्तमान में कुछ विद्यार्थी अपनी स्वेच्छा से गुरु-दक्षिणा के रुप में कुछ राशि प्रदान करते हैं.
कौन है विद्यानंद उपाध्याय
डुमरिया निवासी विद्यानंद उपाध्याय किसी परिचय के मोहताज नहीं है. ये वर्ष 1966 से हथुआ स्थित गोपाल मंदिर परिसर में रहकर पढ़ाई करते थे. इन्हें बचपन से हीं संगीत से काफी लगाव था. इन्होंने 1984 में स्नातकोत्तर की उपाधि संगीत और भूगोल से किया. वर्ष 2009 राजेन्द्र उच्च विद्यालय में प्राचार्य के पद पर रहकर बच्चों को शिक्षा भी दिया. अबतक ये संगीत से इस तरह जुड़ चुके थे कि इन्होंने संगीत प्रेमियों के लिए संगीत महाविद्यालय की स्थापना कर डाली.
नहीं मिलता है सरकारी सुविधाओं का लाभ
हथुआ के गोपाल मंदिर परिसर में संगीत महाविद्यालय 10 वर्षों के पहले से ही संचालित हुआ था, लेकिन 10 वर्ष से ये निरन्तर चल रहा है. 6 वर्ष पूर्व विद्यानंद ने अपने दम पर चंडीगढ़ प्राचीन कला केंद्र से इस महाविद्यालय की मान्यता ली. इसका केंद्र संख्या 6114 है. बावजूद इसके आज तक इन्हें सरकारी सुविधाओं का लाभ नहीं मिल सका. ईटीवी भारत से बात करते हुए विद्यानन्द उपाध्याय ने बताया कि पहले वे बिल्कुल शुल्क नहीं लेते थे. बाद में जब बच्चे कहने लगे कि उन्हें निःशुल्क शिक्षा लेना अच्छा नहीं लगता, तब से जो जितना स्वेच्छा से देता है, उसे गुरु-दक्षिणा के रुप में रख लेते हैं.
'संगीत को गुरु पंरपरा के रुप में लिया जाए'
विद्यानंद ने संगीत के वर्तमान स्थिति के बारे में बताया कि वर्तमान में संगीत व्यवसाय के रूप में परिवर्तित हो गए हैं. इसे व्यवसाय के रुप में नहीं बल्कि गुरु परंपरा के रूप में परिवर्तित किया जाए. उन्होनें बताया कि संगीत घराने के रूप में सीमित हो गया है. इसे सर्वव्यापी बनाने की जरुरत है. वहीं पश्चात संस्कृति से आजकल लोग संगीत को जोड़ने लगे हैं, जिसमें वह मधुरता की ताकत नहीं रह गई है.
गंगा चैनल पर प्रोग्राम कर चुकी है इनकी छात्रा
संगीत की शिक्षा प्राप्त कर रही छात्रा श्वेता कुमारी ने बताया कि वह यहां 7 वर्षों से गुरु जी के सानिध्य में संगीत की शिक्षा प्राप्त कर रही है, जो उसके लिए काफी फायदेमंद रहा है. 2017 में वह गंगा चैनल पर भी प्रोग्राम कर चुकी है.