गोपालगंज: जिले में बाढ़ की तबाही से लोगों का जीना मुहाल हो गया है. जिला मुख्यालय से करीब 45 किलोमीटर दूर सिधवलिया प्रखंड के चांदपरना गांव की, तो यहां लोगों की स्थिति काफी दयनीय हो गई है. लोग यहां छाती तक पहुंचे बाढ़ के पानी में कैद हो चुके हैं. लेकिन अब तक न अधिकारी सुध लेने पहुंचे हैं और न ही जनप्रतिनिधि. इससे बाढ़ पीड़ितों में काफी आक्रोश है.
कई प्रखंडों में तेजी से फैल रहा बाढ़ का पानी
दरअसल कोरोना महामारी के बीच आई विनाशकारी बाढ़ ने बाढ़ पीड़ितों की मुश्किलें बढ़ा दी है. सारण मुख्य बांध के टूटने के कारण मांझा, बरौली, बैकुंठपुर, सिधवलिया और कुचायकोट प्रखंड में बाढ़ का पानी तेजी से फैल रहा है. लोगों की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही है.
चांदपरना गांव की स्थिति भयावह
सिधवलिया प्रखंड के शेर पंचायत स्थित चांदपरना गांव की स्थिति काफी भयावह है. गांव में प्रवेश करने के पहले 3 किलोमीटर तक घुटने भर पानी को पार करना पड़ता है. इसके बाद गांव में कही कमर तो कही छाती तक बाढ़ का पानी फैला है. इन हालातों में अब तक यहां के लोगों को प्रशासन की ओर से नाव तक मुहैया नहीं हो पाई है.
टीम ने छाती तक बाढ़ के पानी में तय किया सफर
ईटीवी भारत संवाददाता ने जमीनी हकीकत आप तक पहुंचाने के लिए घुटने और छाती तक बाढ़ के पानी में 4 किलोमीटर का सफर तय किया. इसके बाद हमारी टीम बाढ़ से घिरे लोगों तक पहुंची ताकि उनकी परेशानी प्रशासन तक पहुंचाई जा सके.
अपने घर में कैद हुए लोग
हजारों की आबादी वाले इस गांव में लोग अपने घर में कैद है. बच्चे-बूढ़े छाती तक के पानी को पार नहीं कर सकते, इसलिए अपने घर में ही रहकर बाढ़ का पानी कम होने का इंतजार कर रहे है. सिर्फ बाढ़ का पानी ही इनकी परेशानी नहीं है, बल्कि खाने-पीने, रहने सोने, दवा-दारु और रोजमर्रा के काम में भी काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.
सरकार और प्रशासन के प्रति आक्रोश
गांव की महिलाओं और बुजुर्गों ने अधिकारियों और जन प्रतिनिधियों पर जमकर अपनी भड़ास निकाली. अपनी आपबीती सुनाते हुए लोगों ने कहा कि हम काफी परेशान है. खाने-पीने तक की दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है. घर में जो कुछ भी है किसी तरह जिंदगी गुजार रहे हैं. इन हालातों में अब तक कोई भी अधिकारी-नेता हमारी सुध लेने नहीं आया है.