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उद्घाटन के 7 साल बाद भी शुरू नहीं हुआ मत्स्य प्रशिक्षण सह प्रसार केंद्र, लटका रहता है ताला - मत्स्य प्रसार पर्यवेक्षक अख्तर हुसैन

तत्कालीन पशुपालन मंत्री गिरिराज सिंह ने 27 जनवरी 2012 को मत्स्य प्रसार सह प्रशिक्षण केंद्र के भवन का उद्घाटन किया था. हालांकि 7 साल बाद भी यह केंद्र शुरू नहीं किया जा सका है. वहीं, दूसरी तरफ केंद्र और तालाब के आसपास लोगों ने अतिक्रमण करना शुरू कर दिया है.

मत्स्य प्रशिक्षण सह प्रसार केंद्र
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Published : Oct 9, 2019, 11:33 AM IST

गोपालगंजः सरकार लोगों के स्वावलंबन के लिए तरह-तरह की योजनाएं चलाती है. वहीं, प्रशिक्षण देकर रोजगार मुहैया कराने की भी कोशिश होती है. लेकिन तामझाम से शुरू करने के बाद भी कई योजनाओं पर अमल नहीं होता. कुछ ऐसा ही हाल जिले में है, जहां मत्स्य प्रशिक्षण सह प्रसार केंद्र बदहाली की भेंट चढ़ गया है. तुरकाहा में मत्स्य प्रशिक्षण सह प्रसार केंद्र उद्घाटन के 7 वर्ष बाद भी शुरू नहीं हो सका है, इसका लाभ मछली पालक को आज तक नहीं मिला.

gopalganj
मत्स्य प्रशिक्षण सह प्रसार केंद्र मे हो रहा अतिक्रमण

ज्ञात हो कि 27 जनवरी 2012 में सदर प्रखंड के तुरकाहा में तत्कालीन पशुपालन मंत्री गिरिराज सिंह ने मत्स्य प्रसार सह प्रशिक्षण केंद्र भवन का उद्घाटन किया था. मछली पालकों को प्रशिक्षण देने के लिए भवन के बगल में एक बड़े तालाब की खुदाई की गई. लेकिन वर्तमान में तालाब जीर्ण-शीर्ण अवस्था में है. दूसरी तरफ भवन के आसपास अतिक्रमण कर स्थानीय लोगों ने मवेशियों के लिए तबेला बना दिया गया है.

gopalganj
मत्स्य प्रशिक्षण सह प्रसार केंद्र का नजारा

लोगों का आरोप- विभाग नहीं दे रहा ध्यान
वहीं, दूसरी तरफ मछली पालक आज भी इस भवन के खुलने का इंतजार कर रहे हैं. उद्घाटन के समय मछुआरों और स्थानीय लोगों में ये उम्मीद जगी थी कि मत्स्य पालन प्रशिक्षण लेकर अपने धंधे को आगे बढ़ाएंगे. स्थानीय लोगों का कहना है कि विभाग की तरफ से इस पर ध्यान नहीं दिया जा रहा. दरअसल, इस केंद्र को खोलने का उद्देश्य प्रशिक्षण देकर ग्रामीणों में मत्स्य पालन के प्रति आकर्षण बढ़ाना था. लेकिन इस योजना के मूर्त रूप लेने से पहले ही प्रशिक्षण केंद्र में ताला लटक गया.

ईटीवी भारत संवाददाता की स्पेशल रिपोर्ट

'लक्ष्य मिला तो फिर से चालू होगा केंद्र'
इस संदर्भ में इस मत्स्य प्रसार पर्यवेक्षक अख्तर हुसैन ने ईटीवी भारत को बताया कि उस केंद्र पर सत्र 2014-15 में मछली पालकों के लिए प्रशिक्षण का कार्य हुआ था. जिसमें अनुसूचित जाति और जनजाति के 30-30 लोगों की संख्या का लक्ष्य निर्धारित किया गया था. लेकिन इसके बाद जिलास्तर पर सरकार की तरफ से लक्ष्य नहीं आया. इसके बाद आयोजन पटना में किया गया. उन्होंने बताया कि केंद्र चालू है, अगर फिर से लक्ष्य दिया जाता है तो पुनः प्रशिक्षण का कार्य शुरू किया जाएगा.

गोपालगंजः सरकार लोगों के स्वावलंबन के लिए तरह-तरह की योजनाएं चलाती है. वहीं, प्रशिक्षण देकर रोजगार मुहैया कराने की भी कोशिश होती है. लेकिन तामझाम से शुरू करने के बाद भी कई योजनाओं पर अमल नहीं होता. कुछ ऐसा ही हाल जिले में है, जहां मत्स्य प्रशिक्षण सह प्रसार केंद्र बदहाली की भेंट चढ़ गया है. तुरकाहा में मत्स्य प्रशिक्षण सह प्रसार केंद्र उद्घाटन के 7 वर्ष बाद भी शुरू नहीं हो सका है, इसका लाभ मछली पालक को आज तक नहीं मिला.

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मत्स्य प्रशिक्षण सह प्रसार केंद्र मे हो रहा अतिक्रमण

ज्ञात हो कि 27 जनवरी 2012 में सदर प्रखंड के तुरकाहा में तत्कालीन पशुपालन मंत्री गिरिराज सिंह ने मत्स्य प्रसार सह प्रशिक्षण केंद्र भवन का उद्घाटन किया था. मछली पालकों को प्रशिक्षण देने के लिए भवन के बगल में एक बड़े तालाब की खुदाई की गई. लेकिन वर्तमान में तालाब जीर्ण-शीर्ण अवस्था में है. दूसरी तरफ भवन के आसपास अतिक्रमण कर स्थानीय लोगों ने मवेशियों के लिए तबेला बना दिया गया है.

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मत्स्य प्रशिक्षण सह प्रसार केंद्र का नजारा

लोगों का आरोप- विभाग नहीं दे रहा ध्यान
वहीं, दूसरी तरफ मछली पालक आज भी इस भवन के खुलने का इंतजार कर रहे हैं. उद्घाटन के समय मछुआरों और स्थानीय लोगों में ये उम्मीद जगी थी कि मत्स्य पालन प्रशिक्षण लेकर अपने धंधे को आगे बढ़ाएंगे. स्थानीय लोगों का कहना है कि विभाग की तरफ से इस पर ध्यान नहीं दिया जा रहा. दरअसल, इस केंद्र को खोलने का उद्देश्य प्रशिक्षण देकर ग्रामीणों में मत्स्य पालन के प्रति आकर्षण बढ़ाना था. लेकिन इस योजना के मूर्त रूप लेने से पहले ही प्रशिक्षण केंद्र में ताला लटक गया.

ईटीवी भारत संवाददाता की स्पेशल रिपोर्ट

'लक्ष्य मिला तो फिर से चालू होगा केंद्र'
इस संदर्भ में इस मत्स्य प्रसार पर्यवेक्षक अख्तर हुसैन ने ईटीवी भारत को बताया कि उस केंद्र पर सत्र 2014-15 में मछली पालकों के लिए प्रशिक्षण का कार्य हुआ था. जिसमें अनुसूचित जाति और जनजाति के 30-30 लोगों की संख्या का लक्ष्य निर्धारित किया गया था. लेकिन इसके बाद जिलास्तर पर सरकार की तरफ से लक्ष्य नहीं आया. इसके बाद आयोजन पटना में किया गया. उन्होंने बताया कि केंद्र चालू है, अगर फिर से लक्ष्य दिया जाता है तो पुनः प्रशिक्षण का कार्य शुरू किया जाएगा.

Intro:सरकार द्वारा हमेशा से ही कई योजनाओं की शुरुआत की जाती रही है। योजना बनाई भी जाती है, और निर्माण कार्य भी किया जाता है। लेकिन योजना बना कर निर्माण कार्य करने के बाद भूल जाना भी यहां नियति साबित हो रही है। ऐसे कई विभाग है, जहां योजना बनाने के बाद उसपर अमल नही की गई। अगर बात करें मत्स्य प्रशिक्षण सह प्रसार केंद्र की तो यह केंद्र इसी नियति की भेंट चढ़ गई है। जिसके कारण इस योजना का लाभ मछली पालक नही ले सके ।


Body:ज्ञातव्य हो कि आज से करीब 6 वर्ष पहले यानी 2012 में तत्कालीन मंत्री गिरिराज सिंह द्वारा सदर प्रखंड के तुरकाहा में रोजगार बढाने व मछली पालकों के प्रशिक्षण के लिए मत्स्य प्रसार सह प्रशिक्षण केंद्र के भवन का उदघाटन धूम धाम से किया गया। इसके बगल में बड़ी पोखरे की खुदाई भी की गई थी ताकि मछली पालन की प्रशिक्षण दिया जा सके। लेकिन यहां बने पोखरे जीर्ण सिर्ण हो गए है। और अतिक्रमण का भेंट चढ़ रहा है। वही भवन के आस पास स्थानीय लोगो ने अतिक्रमण कर मवेशियों के लिए तबेला बना दिया है। लेकिन बदलते समय के साथ इसमें लगे ताले आज तक नही खुल सके। यह भवन आज भी खुलने का इन्तेजार देख रहा है। करीब 7 साल पूर्व सरकार ने मत्स्य पालन को बढ़ावा देने के लिए मत्स्य पालकों को प्रशिक्षण की देने की योजना की शुरूआत किया था । इस योजना के तहत सदर प्रखंड के तुरकहाँ स्थित नहर के पास 27 जनवरी 2012 को मंत्री गिरिराज सिंह ने उद्घाटन कर मछुआरों के लिए सौगात दी थी। लेकिन आज तक मछुआरों को इस से मिलने वाली सुविधा नहीं मिल सकी। उद्घाटन के समय मछुआरों व स्थानीय लोगो में यह उम्मीद जगी थी की मत्स्य पालन प्रशिक्षण लेकर अपने धंधे को और आगे बढ़ाएंगे इस केंद्र को खोलने का एक उद्देश्य भी था कि प्रशिक्षण की सुविधा मिल जाने से ग्रामीणों में मत्स्य पालन के प्रति आकर्षण भी बढ़ेगा लेकिन यह योजना मूर्त रूप ले पाती इससे पहले ही प्रशिक्षण केंद्र में ताला लटक गया। इस संदर्भ में इस मत्स्य प्रसार पर्यवेक्षक अख्तर हुसैन से वार्ता की गई तो उन्होंने कहा कि उस केंद्र पर सत्र 2014-15 में मछली पालको के लिए प्रशिक्षण का कार्य हुआ था। जिसमें लक्ष्य अनुसूचित जाति व जनजाति के लोगो के लिए 30 -30 की संख्या निर्धारित की गई थी लेकिन सरकार के तरफ से लक्ष्य ही नही आया जिसके बाद प्रशिक्षण दिया जा सके। लक्ष्य का निर्धारण होने पर पुनः प्रशिक्षण का कार्य किया जाएगा।
बाइट-अख्तर हुसैन, कुर्सी पर बैठा हुआ पिला शर्ट में
बाइट-किशोर राम ,मछुआरा
बाइट-राजेश कुमार स्थानीय(टोपी पहने हुए)



Conclusion:na
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