गोपालगंजः सरकार लोगों के स्वावलंबन के लिए तरह-तरह की योजनाएं चलाती है. वहीं, प्रशिक्षण देकर रोजगार मुहैया कराने की भी कोशिश होती है. लेकिन तामझाम से शुरू करने के बाद भी कई योजनाओं पर अमल नहीं होता. कुछ ऐसा ही हाल जिले में है, जहां मत्स्य प्रशिक्षण सह प्रसार केंद्र बदहाली की भेंट चढ़ गया है. तुरकाहा में मत्स्य प्रशिक्षण सह प्रसार केंद्र उद्घाटन के 7 वर्ष बाद भी शुरू नहीं हो सका है, इसका लाभ मछली पालक को आज तक नहीं मिला.
ज्ञात हो कि 27 जनवरी 2012 में सदर प्रखंड के तुरकाहा में तत्कालीन पशुपालन मंत्री गिरिराज सिंह ने मत्स्य प्रसार सह प्रशिक्षण केंद्र भवन का उद्घाटन किया था. मछली पालकों को प्रशिक्षण देने के लिए भवन के बगल में एक बड़े तालाब की खुदाई की गई. लेकिन वर्तमान में तालाब जीर्ण-शीर्ण अवस्था में है. दूसरी तरफ भवन के आसपास अतिक्रमण कर स्थानीय लोगों ने मवेशियों के लिए तबेला बना दिया गया है.
लोगों का आरोप- विभाग नहीं दे रहा ध्यान
वहीं, दूसरी तरफ मछली पालक आज भी इस भवन के खुलने का इंतजार कर रहे हैं. उद्घाटन के समय मछुआरों और स्थानीय लोगों में ये उम्मीद जगी थी कि मत्स्य पालन प्रशिक्षण लेकर अपने धंधे को आगे बढ़ाएंगे. स्थानीय लोगों का कहना है कि विभाग की तरफ से इस पर ध्यान नहीं दिया जा रहा. दरअसल, इस केंद्र को खोलने का उद्देश्य प्रशिक्षण देकर ग्रामीणों में मत्स्य पालन के प्रति आकर्षण बढ़ाना था. लेकिन इस योजना के मूर्त रूप लेने से पहले ही प्रशिक्षण केंद्र में ताला लटक गया.
'लक्ष्य मिला तो फिर से चालू होगा केंद्र'
इस संदर्भ में इस मत्स्य प्रसार पर्यवेक्षक अख्तर हुसैन ने ईटीवी भारत को बताया कि उस केंद्र पर सत्र 2014-15 में मछली पालकों के लिए प्रशिक्षण का कार्य हुआ था. जिसमें अनुसूचित जाति और जनजाति के 30-30 लोगों की संख्या का लक्ष्य निर्धारित किया गया था. लेकिन इसके बाद जिलास्तर पर सरकार की तरफ से लक्ष्य नहीं आया. इसके बाद आयोजन पटना में किया गया. उन्होंने बताया कि केंद्र चालू है, अगर फिर से लक्ष्य दिया जाता है तो पुनः प्रशिक्षण का कार्य शुरू किया जाएगा.