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Gopalganj News: पछुआ हवा ने किसानों की बढ़ाई मुश्किलें, तरबूज की फसल बर्बाद.. किसान परेशान

बिहार के गोपालगंज में पछुआ हवा ने किसानों की मुश्किले बढ़ा दी है. गर्मी के मौसम में तरबूज की फसल लगाकर मुनाफा कमाने वाले की पूंजी बर्बाद हो गई है. गंडक नदी के किनारे 7 एकड़ में तरबूज की खेती करने वाले किसान मौसम की इस मार से पूरी तरह हार मान गए हैं. आगे पढ़ें पूरी खबर...

गोपालगंज में तरबूज की खेती
गोपालगंज में तरबूज की खेती
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Published : May 27, 2023, 10:51 AM IST

गोपालगंज में तरबूज किसान परेशान

गोपालगंज: बिहार के गोपालगंज के दियारा इलाके में तरबूज की खेती इस बार किसानों के लिए फायदे नहीं बल्कि नुकसान दायक साबित हुई है. आलम यह है कि पछुआ हवा ने किसानों के अरमान पर पानी फेर दिया है. जिससे दियारा इलाके में कई एकड़ में किए गए तरबूज की खेती बर्बाद हो गई है. तरबूज का पूर्ण विकास नहीं होने और पीलापन आने के कारण खरीदार भी नहीं मिल रहे हैं. ऐसे में इन तरबूजों को किसान खेतो में ही छोड़ देते है. सीहोरवा गांव स्थित दियारा इलाके में गंडक नदी के किनारे 7 एकड़ में तरबूज की खेती करने वाले किसान गुलजार ने पछुआ हवा से खेतों में बर्बाद तरबूज की फसल को दिखाते हुए कहा कि इस साल पूरी फसल बर्बाद हो गई है. अब यह चिंता सता रही है कि कर्जदारों के पैसा कैसे चुकाएंगे. घर जाने के लिए पैसे भी नहीं है. ये कहानी केवल गुलजार की ही नहीं बल्कि गुलजार के जैसे कई ऐसे किसानों की है.

पढ़ें-परंपरागत खेती छोड़ किसानों ने अपनायी आधुनिक खेती, अब हो रही लाखों की कमाई

पिछले साल 50 से 60 हजार का मुनाफा: गुलजार के अलावा सगे संबंधित और पूरा परिवार तरबूज की खेती से जुड़ा हुआ हैं. पिछले साल की खेती काफी अच्छी हुई थी जिससे गुलजार ने 50 से 60 हजार रुपए मुनाफा कमाया था लेकिन इस बार पूंजी भी नहीं निकल पाई है. पछुआ हवा के कारण तरबूज की मिठास फीकी और पीला पड़ने के कारण किसानों में मायूसी है. पिछले कुछ सालों से कोरोना, बाढ़ और अब पछुआ हवा ने किसानों की हालत को सूखा दिया है. लगातार पछुवा हवा चलने से तरबूज की खेती पर काफी असर पड़ रहा है. पौधों के झुलसने से फल नहीं पकड़ पा रहा है.

पछुवा हवा से तरबूज की खेती बर्बाद: इस वर्ष पौधों के विकास और फल देने के समय पर ही तेज पछुवा हवा बहने और तपन के चलते काफी प्रयास के बाद भी तरबूज झुलस जा रहे हैं. कहीं-कहीं फल लगा है तो उसमें कोई खासा बढ़ोत्तरी नहीं हो रही है. अगर यही हाल रहा तो खेती की लागत भी नहीं निकल पाएगी. गुलजार ने बताया कि वर्ष 2021 में कोरोना के चलते भाव नहीं मिलने से नुकसान हुआ और इस वर्ष पछुवा हवा बर्बाद कर रहा है. गर्मी की मार से न सिर्फ आम जन जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है बल्कि किसानों पर भी इसका बहुत बुरा असर पड़ रहा है. खासतौर पर गर्मियों में आने वाले फल तरबूज की खेती में ये साफ देखने को मिल रहा है. दिनभर चिलचिलाती धूप में इंसान तो क्या खेती भी सूख गई हैं.

"वर्ष 2021 में कोरोना के चलते भाव नहीं मिलने से नुकसान हुआ और इस वर्ष पछुवा हवा बर्बाद कर रहा है. गर्मी की मार से न सिर्फ आम जन जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है बल्कि किसानों पर भी इसका बहुत बुरा असर पड़ रहा है."- गुलजार, तरबूज किसान

गोपालगंज में तरबूज किसान परेशान

गोपालगंज: बिहार के गोपालगंज के दियारा इलाके में तरबूज की खेती इस बार किसानों के लिए फायदे नहीं बल्कि नुकसान दायक साबित हुई है. आलम यह है कि पछुआ हवा ने किसानों के अरमान पर पानी फेर दिया है. जिससे दियारा इलाके में कई एकड़ में किए गए तरबूज की खेती बर्बाद हो गई है. तरबूज का पूर्ण विकास नहीं होने और पीलापन आने के कारण खरीदार भी नहीं मिल रहे हैं. ऐसे में इन तरबूजों को किसान खेतो में ही छोड़ देते है. सीहोरवा गांव स्थित दियारा इलाके में गंडक नदी के किनारे 7 एकड़ में तरबूज की खेती करने वाले किसान गुलजार ने पछुआ हवा से खेतों में बर्बाद तरबूज की फसल को दिखाते हुए कहा कि इस साल पूरी फसल बर्बाद हो गई है. अब यह चिंता सता रही है कि कर्जदारों के पैसा कैसे चुकाएंगे. घर जाने के लिए पैसे भी नहीं है. ये कहानी केवल गुलजार की ही नहीं बल्कि गुलजार के जैसे कई ऐसे किसानों की है.

पढ़ें-परंपरागत खेती छोड़ किसानों ने अपनायी आधुनिक खेती, अब हो रही लाखों की कमाई

पिछले साल 50 से 60 हजार का मुनाफा: गुलजार के अलावा सगे संबंधित और पूरा परिवार तरबूज की खेती से जुड़ा हुआ हैं. पिछले साल की खेती काफी अच्छी हुई थी जिससे गुलजार ने 50 से 60 हजार रुपए मुनाफा कमाया था लेकिन इस बार पूंजी भी नहीं निकल पाई है. पछुआ हवा के कारण तरबूज की मिठास फीकी और पीला पड़ने के कारण किसानों में मायूसी है. पिछले कुछ सालों से कोरोना, बाढ़ और अब पछुआ हवा ने किसानों की हालत को सूखा दिया है. लगातार पछुवा हवा चलने से तरबूज की खेती पर काफी असर पड़ रहा है. पौधों के झुलसने से फल नहीं पकड़ पा रहा है.

पछुवा हवा से तरबूज की खेती बर्बाद: इस वर्ष पौधों के विकास और फल देने के समय पर ही तेज पछुवा हवा बहने और तपन के चलते काफी प्रयास के बाद भी तरबूज झुलस जा रहे हैं. कहीं-कहीं फल लगा है तो उसमें कोई खासा बढ़ोत्तरी नहीं हो रही है. अगर यही हाल रहा तो खेती की लागत भी नहीं निकल पाएगी. गुलजार ने बताया कि वर्ष 2021 में कोरोना के चलते भाव नहीं मिलने से नुकसान हुआ और इस वर्ष पछुवा हवा बर्बाद कर रहा है. गर्मी की मार से न सिर्फ आम जन जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है बल्कि किसानों पर भी इसका बहुत बुरा असर पड़ रहा है. खासतौर पर गर्मियों में आने वाले फल तरबूज की खेती में ये साफ देखने को मिल रहा है. दिनभर चिलचिलाती धूप में इंसान तो क्या खेती भी सूख गई हैं.

"वर्ष 2021 में कोरोना के चलते भाव नहीं मिलने से नुकसान हुआ और इस वर्ष पछुवा हवा बर्बाद कर रहा है. गर्मी की मार से न सिर्फ आम जन जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है बल्कि किसानों पर भी इसका बहुत बुरा असर पड़ रहा है."- गुलजार, तरबूज किसान

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