गोपालगंज: जिले के भोरे थाना क्षेत्र की जगतौली ओपी स्थित हाता पड़रौना गांव में बगीचे से एक मजदूर का शव पेड़ से लटकता बरामद किया गया है. बताया जाता है कि मजदूर कर्ज के बोझ तले दबा था और परेशान चल रहा था.
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गोपलगंज में बगीचे से मजदूर का शव बरामद: बताया जाता है कि मजदूर को जब कहीं काम नहीं मिला तो उसने तंग आकर पेड़ में फांसी का फंदा लगाकर खुदकुशी कर ली, जिसके बाद इलाके में सनसनी फैल गई. सूचना पाकर मौके पर पहुंची पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए गोपालगंज सदर अस्पताल भेज दिया है और मामले की जांच में जुट गई है.
काम नहीं मिलने से था परेशान: मृतक की पहचान भोरे थाना क्षेत्र के हाता पड़रौना गांव निवासी 40 वर्षीय मोतीचंद राम के रूप में की गई है. दरअसल इस संदर्भ में बताया जाता है कि भोरे थाना क्षेत्र के हाता पड़रौना गांव निवासी 40 वर्षीय मोतीचंद राम दो दिन पूर्व रोजी रोटी के सिलसिले में मजदूरी करने सिवान गया था. घर पर फोन कर बताया कि मुझे अभी कोई रोजगार नहीं मिल रहा है.
कर्ज के बोझ तले दबे मजदूर ने दे दी जान: इस बात पर परिजनों ने उसे वापस घर आने को कहा, जिसके बाद मोतीचंद सिवान से रात में भवानी छापर बाजार पहुंचकर सुबह तक घर आने की बात कही. इसी बीच कुछ लोग बगीचे की तरफ गये, जहां जगतौली ओपी के सटे बाग में एक पेड़ पर शव लटका हुआ था.
मजदूर के चार बच्चे हैं: ग्रामीणों ने इसकी सूचना परिजनों को दी. ग्रामीणों के साथ परिजन मौके पर पहुंच गए. परिजनों का कहना है कि मृतक के चप्पल पेड़ के नीचे पड़े थे. मृतक की तीन बेटी और एक बेटा है. अभी सभी अविवाहित हैं. चारों बच्चों का रो रोकर बुरा हाल है.
पुलिस कर रही सभी बिंदुओं की जांच: बेटियों की चीत्कार से क्षेत्र का माहौल गमगीन हो गया है. फिलहाल पुलिस हत्या एवं आत्महत्या दोनों बिंदुओं पर जांच कर रही है. पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही मौत की गुत्थी सुलझने की उम्मीद जताई जा रही है. दूसरी तरफ बताया जाता है कि मोती चंद राम इन दिनों आर्थिक तंगी से जूझ रहा था. हाल के दिनों में पत्नी और बेटे का तीन ऑपरेशन करीब दो लाख रुपए कर्ज लेकर कराया था.
कई जिम्मेदारियां थी निभानी: वहीं एक माइक्रोफाइनेंस कंपनी के द्वारा चार लोन लिए गए थे, जिनका किश्त 14000 रुपया प्रति माह भरना था. किश्त वे भर नहीं पा रहे थे और काम उन्हें मिल नहीं रहा था. इधर, लड़कियों की शादी की जिम्मेवारी भी उनके सिर पर थी.
बेटे का बयान: पत्नी और बेटे के इलाज का बोझ भी उठाना था. जमीन के नाम पर उनके पास कुछ भी नहीं है. कोई सरकारी सुविधा भी उन्हें नहीं मिली है. यहां तक की इस गरीब परिवार के पास कोई राशन कार्ड भी नहीं है. इन्हीं बातों से तंग आकर मोतीचंद राम काम पर जाने की बात कह कर घर से निकले और फिर वापस नहीं लौटे.
"घर से निकलने के बाद उन्होंने रिश्तेदारों से मुलाकात की थी. पूरी रात हमलोग परेशान रहे लेकिन उनका कहीं पता नहीं चला. सुबह उनका शव बरामद किया गया."- मुकेश कुमार ,मृतक के बेटा