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मांझी पहले अपने नाम में लगे 'राम' को हटाएं फिर दिमाग का इलाज कराएं- BJP

भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष मिथलेश तिवारी (BJP State Vice President Mithlesh Tiwari) ने जीतन राम मांझी बयान को लेकर कड़ी निंदा की है. उन्होंने कहा है कि राम को नहीं मानने वाला व्यक्ति इस भारत के सभ्यता और संस्कृति को जानता ही नहीं. मांझी को अपने नाम में लगाए गए 'राम' नाम को ही हटा देना चाहिए.

भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष मिथलेश तिवारी
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Published : Apr 15, 2022, 1:50 PM IST

गोपालगंजः हिंदुस्तानी अवाम पार्टी के प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी (Jitan Ram Manjhi Statement On God Ram) ने भगवान राम को लेकर एक बार फिर विवादित बयान दिया. जिसके बाद चारों तरफ उनके इस बयान की निंदा हो रही है. भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष मिथलेश (BJP leader Mithlesh Tiwari on Jitan Ram Manjhi) तिवारी ने कहा है कि अगर कोई राम को काल्पनिक कहता है, तो उसे अपने मन-मस्तिष्क का इलाज कराना चाहिए. अगर मांझी राम को काल्पनिक मानते हैं, तो उन्हें अपने नाम में लगाए गए राम नाम को ही हटा देना चाहिए.

ये भी पढ़ेंः मांझी का फिर विवादित बयान, बोले- 'राम भगवान नहीं... वो महज किरदार'

'जीतन राम मांझी द्वारा हमेशा ही इसी तरह का बयान दिया जाता है. जब राम को नहीं मानते हैं तो वे अपने नाम में राम क्यों लगाते हैं. राम को नहीं मानने वाला व्यक्ति इस भारत के सभ्यता और संस्कृति को जानता ही नहीं. राम को कोई काल्पनिक कहता है तो मुझे हंसी आती है, क्योंकि अगर राम नहीं तो भारतवर्ष नहीं. राम के बिना भारत की कोई कल्पना ही नहीं हो सकती'- मिथलेश तिवारी, प्रदेश उपाध्यक्ष, भाजपा

ऐसे लोगों के मस्तिष्क का इलाज होनी चाहिएः बीजेपी नेता ने कहा कि अगर वे इस तरह का बयान नही देंगे तो उनके नाम की चर्चा नहीं होगी, इसलिए कुछ लोग बोल कर चर्चा में रहना चाहते हैं. उनकी जो आयु हो गई है, उसे भी गंभीरता से लेना चाहिए. बिहार की बेटी सीता मैया है और राम जी का ससुराल भी बिहार है. अगर कोई इस कारण मजाक में कुछ कहे तो कोई बात नहीं. लेकिन अगर कोई सीरियसली इस बात को कहे तो उनके मन मस्तिष्क का इलाज होना चाहिए.

'राम तुलसीदास और वाल्मीकि के एक काव्य पात्र थे': दरअसल जीतनराम मांझी ने गुरुवार को बाबा साहब भीमराव अंबेडकर की जयंती और माता सवरी महोत्सव समारोह में कहा था कि वे गोस्वामी तुलसीदास और वाल्मीकि को मानते हैं, लेकिन राम को नहीं मानते, राम कोई भगवान नहीं थे. वह गोस्वामी तुलसीदास और वाल्मीकि के एक काव्य पात्र थे. उन्होंने कहा कि महाकाव्य में बहुत सी अच्छी बात है, उसको हम मानते हैं. अगर आप कहते हैं कि राम को मानते हैं, तो यह दोनों बात नहीं चलेगी. हम राम को भगवान नहीं मानते हैं.

पढ़ें- ब्राह्मणों पर टिप्पणी को लेकर पूर्व सीएम मांझी के खिलाफ दो प्राथमिकी दर्ज

ब्राह्मणों पर दिया था विवादित बयानः इससे पहले भी कई बार जीतन राम मांझी ने भगवान राम और ब्राह्मणों को लेकर विवादित बयान दे चुके है. जिससे उनकी काफी किरकरी हुई थी. मांझी ने कहा था कि ब्राह्मण मांस खाते हैं, शराब पीते हैं, झूठ बोलते हैं ऐसे ब्राह्मणों से पूजा-पाठ कराना पाप है. वहीं, भगवान राम को नकारते हुए कहा कि राम केवल गोस्वामी तुलसीदास और वाल्मीकि के एक काव्य पात्र थे. पूर्व सीएम ने सुर्खियां बटोरने के लिए एक बार फिर से ब्राह्मण और भगवान राम को लेकर विवादित बयान दिया है.

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गोपालगंजः हिंदुस्तानी अवाम पार्टी के प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी (Jitan Ram Manjhi Statement On God Ram) ने भगवान राम को लेकर एक बार फिर विवादित बयान दिया. जिसके बाद चारों तरफ उनके इस बयान की निंदा हो रही है. भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष मिथलेश (BJP leader Mithlesh Tiwari on Jitan Ram Manjhi) तिवारी ने कहा है कि अगर कोई राम को काल्पनिक कहता है, तो उसे अपने मन-मस्तिष्क का इलाज कराना चाहिए. अगर मांझी राम को काल्पनिक मानते हैं, तो उन्हें अपने नाम में लगाए गए राम नाम को ही हटा देना चाहिए.

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'जीतन राम मांझी द्वारा हमेशा ही इसी तरह का बयान दिया जाता है. जब राम को नहीं मानते हैं तो वे अपने नाम में राम क्यों लगाते हैं. राम को नहीं मानने वाला व्यक्ति इस भारत के सभ्यता और संस्कृति को जानता ही नहीं. राम को कोई काल्पनिक कहता है तो मुझे हंसी आती है, क्योंकि अगर राम नहीं तो भारतवर्ष नहीं. राम के बिना भारत की कोई कल्पना ही नहीं हो सकती'- मिथलेश तिवारी, प्रदेश उपाध्यक्ष, भाजपा

ऐसे लोगों के मस्तिष्क का इलाज होनी चाहिएः बीजेपी नेता ने कहा कि अगर वे इस तरह का बयान नही देंगे तो उनके नाम की चर्चा नहीं होगी, इसलिए कुछ लोग बोल कर चर्चा में रहना चाहते हैं. उनकी जो आयु हो गई है, उसे भी गंभीरता से लेना चाहिए. बिहार की बेटी सीता मैया है और राम जी का ससुराल भी बिहार है. अगर कोई इस कारण मजाक में कुछ कहे तो कोई बात नहीं. लेकिन अगर कोई सीरियसली इस बात को कहे तो उनके मन मस्तिष्क का इलाज होना चाहिए.

'राम तुलसीदास और वाल्मीकि के एक काव्य पात्र थे': दरअसल जीतनराम मांझी ने गुरुवार को बाबा साहब भीमराव अंबेडकर की जयंती और माता सवरी महोत्सव समारोह में कहा था कि वे गोस्वामी तुलसीदास और वाल्मीकि को मानते हैं, लेकिन राम को नहीं मानते, राम कोई भगवान नहीं थे. वह गोस्वामी तुलसीदास और वाल्मीकि के एक काव्य पात्र थे. उन्होंने कहा कि महाकाव्य में बहुत सी अच्छी बात है, उसको हम मानते हैं. अगर आप कहते हैं कि राम को मानते हैं, तो यह दोनों बात नहीं चलेगी. हम राम को भगवान नहीं मानते हैं.

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ब्राह्मणों पर दिया था विवादित बयानः इससे पहले भी कई बार जीतन राम मांझी ने भगवान राम और ब्राह्मणों को लेकर विवादित बयान दे चुके है. जिससे उनकी काफी किरकरी हुई थी. मांझी ने कहा था कि ब्राह्मण मांस खाते हैं, शराब पीते हैं, झूठ बोलते हैं ऐसे ब्राह्मणों से पूजा-पाठ कराना पाप है. वहीं, भगवान राम को नकारते हुए कहा कि राम केवल गोस्वामी तुलसीदास और वाल्मीकि के एक काव्य पात्र थे. पूर्व सीएम ने सुर्खियां बटोरने के लिए एक बार फिर से ब्राह्मण और भगवान राम को लेकर विवादित बयान दिया है.

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