गोपालगंज: वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण के बीच मातृ स्वास्थ्य को सुनिश्चित की जा रही है. इसी कड़ी में प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के तहत सदर अस्पताल समेत सभी पीएचसी में शिविर लगाकर स्त्री रोग विशेषज्ञ अथवा एमबीबीएस चिकित्सक द्वारा गर्भवती महिलाओं की प्रसव पूर्व जांच की गयी. साथ ही उच्च जोखिम गर्भधारण महिलाओं की पहचान कर उचित प्रबंधन सुनिश्चित करने का प्रयास किया गया.
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गर्भवती महिला को प्रसव के पहले जांच कराना जरूरी
जिला स्वास्थ्य समिति के डीपीएम धीरज कुमार ने बताया कि प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान कार्यक्रम का उद्देश्य गर्भवती महिलाओं को गुणवत्तापूर्ण प्रसव पूर्व जांच की सुविधा उपलब्ध कराने के साथ उन्हें बेहतर परामर्श देना है. गर्भावस्था के दौरान प्रसव पूर्व जांच से प्रसव के दौरान होने वाली जटिलताओं में कमी लाता है.
सम्पूर्ण प्रसव पूर्व जांच के आभाव में उच्च जोखिम गर्भधारण की पहचान नहीं हो पाती. इससे प्रसव के दौरान जटिलता की संभावना बढ़ जाती है. उन्होंने बताया कि इस अभियान की सहायता से प्रसव के पहले ही संभावित जटिलता का पता चल जाता है। जिससे प्रसव के दौरान होने वाली जटिलता में काफी कमी भी आती है और इससे होने वाली मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में भी कमी आती है.
गर्भवती महिलाओं की हुई जांच
सिविल सर्जन डॉ. योगेंद्र महतो ने बताया कि कैम्प में उच्च रक्तचाप, वजन, शारीरिक जांच, मधुमेह, एचआईवी एवं यूरिन के साथ जटिलता के आधार पर अन्य जांच की गयी. साथ ही उच्च जोखिम गर्भधारण महिलाओं को भी चिन्हित किया गया एवं बेहतर प्रबंधन के लिए दवा के साथ जरूरी परामर्श दिये गये. कुपोषण से पीड़ित महिलाओं पर विशेष जोर प्रसव पूर्व जांच में एनीमिक महिला को आयरन फोलिक एसिड की दवा देकर इसका नियमित सेवन करने की सलाह दी गयी.
गर्भवती महिलाओं के लिए हरी साग-सब्जी, दूध, सोयाबीन, फल खाना जरुरी
एनीमिक महिलाओं को हरी साग-सब्जी, दूध, सोयाबीन, फल, भूना हुआ चना एवं गुड़ खाने की सलाह दी गयी. साथ ही उन्हें गर्भावस्था के आखिरी दिनों में कम से कम चार बार खाना खाने की भी सलाह दी गयी. बेहतर पोषण गर्भवती महिलाओं में खून की कमी को होने से बचाता है. इसलिए सभी गर्भवती महिलाओं को जांच के बाद पोषण के बारे में भी जानकारी दी जाती है.