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बैंकों की मनमानी के कारण खटाई में PMEGP स्कीम, नहीं मिल रहा बेरोजगारों को लाभ

प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम में गोपालगंज के युवा लोन लेने के लिए बैंक और उद्योग केंद्र का चक्कर लगा रहे हैं. वित्तीय वर्ष में मात्र दो लोगों का ही ऋण स्वीकृत हुआ है.

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Published : Jun 18, 2019, 12:02 PM IST

पीएमईजीपी में बैंकों की मनमानी

गोपालगंज: बेरोजगार युवाओं को सक्षम और सबल बनाने के लिए प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम चलाया गया है. लेकिन गोपालगंज जिले में फिलहाल यह योजना दम तोड़ती हुई नजर आ रही है. विभाग कहीं भी इस स्कीम में सक्रिय नहीं दिखता है.

बेरोजगारों को रोजगार दिलाने में विभाग अपने लक्ष्य को पूरा नहीं कर पा रह है. बैंक का हाल भी अमूमन वैसा ही है. बैंक लोन देने में असंवेदनशील बनी हुई है. ऐसे में युवा कभी उद्योग विभाग, तो कभी बैंक का चक्कर लगा रहे हैं.

पीएमईजीपी का गोपालगंज में बुरा हाल

मात्र दो युवा का स्वीकृत हुआ लोन
स्वरोजगार के सपने देखने वाले युवाओं को बैंकों और जिला उद्योग केंद्र का चक्कर लगाना पड़ रहा है. लेकिन लोन नहीं मिल पा रही है. आलम यह है कि वित्तीय वर्ष में मात्र दो लोगों का ही ऋण स्वीकृत किया गया है. इससे आसानी से समझा जा सकता है कि बैंक इस स्कीम को लेकर कितना संवेदनशील है. जिला उद्योग विभाग के पिछले 5 साल के आंकड़ों के मुताबिक निर्धारित 190 में से मात्र 147 लोगों को ही लोन प्राप्त हो सका है. हालांकि विभाग ने कुल 866 प्राप्त आवेदन बैंको के पास भेजे थे. जिसमें 164 आवेदकों को ही स्वीकृति मिली. चालू वित्तीय वर्ष 2019-20 में 47 का लक्ष्य रखा गया था जिसमें से 2 युवाओं का ही लोन स्वीकृत किया गया है.

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सेंट्रल बैंक के शाखा प्रबंधक दीपक मिश्रा

बैंकों के चक्कर लगा रहे युवा
आवेदन भरने के 3 महीने बाद युवाओं का समय दफ्तरों के चक्कर लगाने में व्यतीत हो गए. परेशानी कम करने के लिए सरकार ने पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन कर दी. उद्योग विभाग भी बैंको को ऑनलाइन आवेदन भेजता है. जिसके बारे में युवाओं को जानकारी दी जाती है. फिर भी युवाओं को बैंको का चक्कर लगाना पड़ता है. मार्च महीने में युवाओं ने स्वरोजगार में भरोसा जताते हुए लक्ष्य से अधिक आवेदन किए. लेकिन विभाग लक्ष्य को पूरा करने में पिछले पांच साल से फिसड्डी साबित हो रहा है.

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जिला उद्योग केंद्र

बैंकों का टाल-मटोल रवैया
युवा कहते हैं कि बेरोजगारों के लिए कई योजनाएं चलाई गई हैं. प्रधानमंत्री सृजन कार्यक्रम में फॉर्म भरा, लेकिन इस योजना का लाभ नहीं मिल सका. बैंक हमेशा टाल मटोल रवैया अपनाता है.

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बेरोजगार युवा

एक महीने में मात्र तीन आवेदन
सेंट्रल बैंक के शाखा प्रबंधक दीपक मिश्रा ने बताया कि पिछले एक महीने में मात्र तीन आवेदन प्राप्त हुए हैं. इसमें दो की स्वीकृति प्रदान की गई है. अन्य लोगों के सवाल पर कहा कि चुनाव और अचार संहिता के साथ स्टाफ की कमी के कारण मुहैया नहीं कराई जा सकी. अब सभी लोगों को लोन मुहैया कराया जायेगा.

लक्ष्य प्राप्ति के लिए टास्क फोर्स गठित
उद्योग विभाग के महाप्रबंधक कमलेश कुमार सिंह ने पिछले पांच वर्षों के रिपोर्ट के बारे में बताया. उन्होंने कहा कि 190 लक्ष्य के मुकाबले 147 को लोन मिला है. हालांकि बैंकों की उदासीनता के कारण लक्ष्य की प्राप्ति नहीं हो सकी है. इस संबंध में जिलाधिकारी द्वारा बैंकों से वार्ता की जा रही है. प्रयास है कि सभी लोगों को लोन मिल जाए. 2019-20 में 47 लक्ष्य प्राप्ति के लिए टास्क फोर्स कमिटी की गठन की गई है.

लक्ष्य पूरा करने में विभाग असफल
बेरोजगारों को स्वरोजगार देने लिए सरकार भले ही गम्भीर हो जाए. लेकिन निचले अधिकारियों की मनमानी के कारण सरकार की योजना खटाई में पड़ती दिख रही है. यह योजना बेरोजगारों के लिए अच्छी पहल है. लेकिन बैंकों की मनमानी और लेट-लतीफी के कारण विभाग अपना लक्ष्य पूरा करने में असफल होता दिख रहा है.

गोपालगंज: बेरोजगार युवाओं को सक्षम और सबल बनाने के लिए प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम चलाया गया है. लेकिन गोपालगंज जिले में फिलहाल यह योजना दम तोड़ती हुई नजर आ रही है. विभाग कहीं भी इस स्कीम में सक्रिय नहीं दिखता है.

बेरोजगारों को रोजगार दिलाने में विभाग अपने लक्ष्य को पूरा नहीं कर पा रह है. बैंक का हाल भी अमूमन वैसा ही है. बैंक लोन देने में असंवेदनशील बनी हुई है. ऐसे में युवा कभी उद्योग विभाग, तो कभी बैंक का चक्कर लगा रहे हैं.

पीएमईजीपी का गोपालगंज में बुरा हाल

मात्र दो युवा का स्वीकृत हुआ लोन
स्वरोजगार के सपने देखने वाले युवाओं को बैंकों और जिला उद्योग केंद्र का चक्कर लगाना पड़ रहा है. लेकिन लोन नहीं मिल पा रही है. आलम यह है कि वित्तीय वर्ष में मात्र दो लोगों का ही ऋण स्वीकृत किया गया है. इससे आसानी से समझा जा सकता है कि बैंक इस स्कीम को लेकर कितना संवेदनशील है. जिला उद्योग विभाग के पिछले 5 साल के आंकड़ों के मुताबिक निर्धारित 190 में से मात्र 147 लोगों को ही लोन प्राप्त हो सका है. हालांकि विभाग ने कुल 866 प्राप्त आवेदन बैंको के पास भेजे थे. जिसमें 164 आवेदकों को ही स्वीकृति मिली. चालू वित्तीय वर्ष 2019-20 में 47 का लक्ष्य रखा गया था जिसमें से 2 युवाओं का ही लोन स्वीकृत किया गया है.

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सेंट्रल बैंक के शाखा प्रबंधक दीपक मिश्रा

बैंकों के चक्कर लगा रहे युवा
आवेदन भरने के 3 महीने बाद युवाओं का समय दफ्तरों के चक्कर लगाने में व्यतीत हो गए. परेशानी कम करने के लिए सरकार ने पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन कर दी. उद्योग विभाग भी बैंको को ऑनलाइन आवेदन भेजता है. जिसके बारे में युवाओं को जानकारी दी जाती है. फिर भी युवाओं को बैंको का चक्कर लगाना पड़ता है. मार्च महीने में युवाओं ने स्वरोजगार में भरोसा जताते हुए लक्ष्य से अधिक आवेदन किए. लेकिन विभाग लक्ष्य को पूरा करने में पिछले पांच साल से फिसड्डी साबित हो रहा है.

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जिला उद्योग केंद्र

बैंकों का टाल-मटोल रवैया
युवा कहते हैं कि बेरोजगारों के लिए कई योजनाएं चलाई गई हैं. प्रधानमंत्री सृजन कार्यक्रम में फॉर्म भरा, लेकिन इस योजना का लाभ नहीं मिल सका. बैंक हमेशा टाल मटोल रवैया अपनाता है.

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बेरोजगार युवा

एक महीने में मात्र तीन आवेदन
सेंट्रल बैंक के शाखा प्रबंधक दीपक मिश्रा ने बताया कि पिछले एक महीने में मात्र तीन आवेदन प्राप्त हुए हैं. इसमें दो की स्वीकृति प्रदान की गई है. अन्य लोगों के सवाल पर कहा कि चुनाव और अचार संहिता के साथ स्टाफ की कमी के कारण मुहैया नहीं कराई जा सकी. अब सभी लोगों को लोन मुहैया कराया जायेगा.

लक्ष्य प्राप्ति के लिए टास्क फोर्स गठित
उद्योग विभाग के महाप्रबंधक कमलेश कुमार सिंह ने पिछले पांच वर्षों के रिपोर्ट के बारे में बताया. उन्होंने कहा कि 190 लक्ष्य के मुकाबले 147 को लोन मिला है. हालांकि बैंकों की उदासीनता के कारण लक्ष्य की प्राप्ति नहीं हो सकी है. इस संबंध में जिलाधिकारी द्वारा बैंकों से वार्ता की जा रही है. प्रयास है कि सभी लोगों को लोन मिल जाए. 2019-20 में 47 लक्ष्य प्राप्ति के लिए टास्क फोर्स कमिटी की गठन की गई है.

लक्ष्य पूरा करने में विभाग असफल
बेरोजगारों को स्वरोजगार देने लिए सरकार भले ही गम्भीर हो जाए. लेकिन निचले अधिकारियों की मनमानी के कारण सरकार की योजना खटाई में पड़ती दिख रही है. यह योजना बेरोजगारों के लिए अच्छी पहल है. लेकिन बैंकों की मनमानी और लेट-लतीफी के कारण विभाग अपना लक्ष्य पूरा करने में असफल होता दिख रहा है.

Intro:प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा संचालित प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम जिले में दम तोड़ती हुई नजर आती है यहां के वेरोजगारो को रोजगार देने में नाही विभाग अपना लक्ष्य पूरा कर रहा और नाही बैंक ही बेरोजगारों को रोजगार के लिए लोन देने में संवेदनशील बनी है अब ऐसे में बेरोजगार युवा कभी उद्योग विभाग का तो कभी बैंक का चक्कर लगा रहे है ।


Body:स्वरोजगार का सपना संजोए युवा बैंकों और जिला उद्योग केंद्र के चक्कर लगा रहे हैं। इसके बावजूद उन्हें समय पर बैंकों से लोन नही मिल रहा चालू वित्तीय वर्ष में जिस तरह से बैंक ने महज दो लोगों को ऋण स्वीकृत किया है उसे आसानी से समझा जा सकता है, की बेरोजगारों के हाथों में काम देने के लिए बैंक कितना गंभीर है। जिला उद्योग के आंकड़ो पर अगर गौर करे तो पिछले 5 साल में कुल 190 लक्ष्य निर्धारित किया गया था। विभाग द्वारा कुल 866 प्राप्त आवेदन को बैंकों को भेजा था। जिसमे बैंकों ने 164 आवेदकों को ही स्वीकृति प्रदान की थी। जिसमे अब तक महज 147 लोगो को ही लोन प्राप्त हो सके है। वही चालू वर्ष 2019 -20 में 47 लक्ष्य रखे गए है। जिसमे दो युवा ही खुशनसीब रहा। जिसपर बैंक अधिकारियों ने दरियादिली दिखाने का काम करते हुए लोन स्वीकृत किया है। ईसके पिछले बचे हुए आवेदक आज भी बैंक का चक्कर लगा रहे है। 3 माह का समय युवाओं का आवेदन फॉर्म भरने के बाद दफ्तरों के चक्कर लगाने में व्यतीत हो गए शासन ने तो पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन कर दी जिससे युवाओं को कम परेशानी हो। इसके लिए आवेदन फॉर्म ऑनलाइन करने के साथ ही बैंकों को भी उद्योग विभाग ऑनलाइन आवेदन भेजता है। साथ ही युवाओं को इस संबंध में जानकारी भी दी जाती है। इसके बावजूद युवाओं को बैंकों और उद्योग विभाग के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं। मार्च माह में विभाग को जब लक्ष्य मिला तो युवाओं ने स्वरोजगार में भरोसा जताते हुए लक्ष्य से अधिक आवेदन दिए इसके बाद भी लाभुकों को लाभ नही मिल सका जो विभाग जिससे विभाग भी अपने लक्ष्य को पिछले पांच वर्षों में पूरा नही कर सका।इस संदर्भ में युवाओं ने बताया कि प्रधानमंत्री ने बेरोजगारों के लिए कई योजना चला रखी है जिसमे प्रधानमंत्री सृजन कार्यक्रम भी है जिसमे हमने फॉर्म भरा लेकिन इस योजना का लाभ नही मिल सका। बैंक हमेशा टाल मटोल रवैया अपनाते रहता है। वही सेंट्रल बैंक के शाखा प्रबंधक दीपक मिश्रा ने इस संदर्भ में बताया की पिछले एक माह में तीन आवेदन प्राप्त हुए है। जिसमे दो लोगो को स्वीकृति प्रदान की गई है। अन्य लोगो के सवाल पर उन्होंने कहा कि कुछ लोगो को चुनाव व अचार संहिता के साथ स्टाफ की कमी के कारण मुहैया नही कराई जा सकी। अब सभी लोगो को।लोन मुहैया कराई जाएगी। वही उद्योग विभाग के महाप्रबंधक कमलेश कुमार सिंह ने बताया ने पिछले पांच वर्षों के रिपोर्ट पेश करते करते हुए कहा कि190 लक्ष्य के विरुद्ध 147 प्राप्त हुए है उसमें बैंकों की उदासीनता के कारण लक्ष्य की प्राप्ति नही हो सकी है। वैसे हमलोग व डीएम साहब द्वारा भी बैंकों से वार्ता की जा रही है हमारा प्रयास है कि सभी लोगो को लोन समय से मिल जाये। वही वर्तमान सत्र 2019-20 में 47 लक्ष्य मीले है जिसके लिए टास्क फोर्स कमिटी की गठन की गई हैं




Conclusion:बेरोजगारों को स्वरोजगार के प्रति सरकार चाहे जितना भी गम्भीर हो जाये लेकिन निचले अधिकारियों की मनमानी के कारण सरकार की योजना खटाई में पड़ ही जाती है इस योजना में भी बेरोजगारों के लिए अच्छी पहल थी लेकिन बैंकों ने अपने टाल मटोल रैया के कारण विभगा का लक्ष्य भी पूरा होने में बाधक बना
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