गोपालगंज: बेरोजगार युवाओं को सक्षम और सबल बनाने के लिए प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम चलाया गया है. लेकिन गोपालगंज जिले में फिलहाल यह योजना दम तोड़ती हुई नजर आ रही है. विभाग कहीं भी इस स्कीम में सक्रिय नहीं दिखता है.
बेरोजगारों को रोजगार दिलाने में विभाग अपने लक्ष्य को पूरा नहीं कर पा रह है. बैंक का हाल भी अमूमन वैसा ही है. बैंक लोन देने में असंवेदनशील बनी हुई है. ऐसे में युवा कभी उद्योग विभाग, तो कभी बैंक का चक्कर लगा रहे हैं.
मात्र दो युवा का स्वीकृत हुआ लोन
स्वरोजगार के सपने देखने वाले युवाओं को बैंकों और जिला उद्योग केंद्र का चक्कर लगाना पड़ रहा है. लेकिन लोन नहीं मिल पा रही है. आलम यह है कि वित्तीय वर्ष में मात्र दो लोगों का ही ऋण स्वीकृत किया गया है. इससे आसानी से समझा जा सकता है कि बैंक इस स्कीम को लेकर कितना संवेदनशील है. जिला उद्योग विभाग के पिछले 5 साल के आंकड़ों के मुताबिक निर्धारित 190 में से मात्र 147 लोगों को ही लोन प्राप्त हो सका है. हालांकि विभाग ने कुल 866 प्राप्त आवेदन बैंको के पास भेजे थे. जिसमें 164 आवेदकों को ही स्वीकृति मिली. चालू वित्तीय वर्ष 2019-20 में 47 का लक्ष्य रखा गया था जिसमें से 2 युवाओं का ही लोन स्वीकृत किया गया है.
बैंकों के चक्कर लगा रहे युवा
आवेदन भरने के 3 महीने बाद युवाओं का समय दफ्तरों के चक्कर लगाने में व्यतीत हो गए. परेशानी कम करने के लिए सरकार ने पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन कर दी. उद्योग विभाग भी बैंको को ऑनलाइन आवेदन भेजता है. जिसके बारे में युवाओं को जानकारी दी जाती है. फिर भी युवाओं को बैंको का चक्कर लगाना पड़ता है. मार्च महीने में युवाओं ने स्वरोजगार में भरोसा जताते हुए लक्ष्य से अधिक आवेदन किए. लेकिन विभाग लक्ष्य को पूरा करने में पिछले पांच साल से फिसड्डी साबित हो रहा है.
बैंकों का टाल-मटोल रवैया
युवा कहते हैं कि बेरोजगारों के लिए कई योजनाएं चलाई गई हैं. प्रधानमंत्री सृजन कार्यक्रम में फॉर्म भरा, लेकिन इस योजना का लाभ नहीं मिल सका. बैंक हमेशा टाल मटोल रवैया अपनाता है.
एक महीने में मात्र तीन आवेदन
सेंट्रल बैंक के शाखा प्रबंधक दीपक मिश्रा ने बताया कि पिछले एक महीने में मात्र तीन आवेदन प्राप्त हुए हैं. इसमें दो की स्वीकृति प्रदान की गई है. अन्य लोगों के सवाल पर कहा कि चुनाव और अचार संहिता के साथ स्टाफ की कमी के कारण मुहैया नहीं कराई जा सकी. अब सभी लोगों को लोन मुहैया कराया जायेगा.
लक्ष्य प्राप्ति के लिए टास्क फोर्स गठित
उद्योग विभाग के महाप्रबंधक कमलेश कुमार सिंह ने पिछले पांच वर्षों के रिपोर्ट के बारे में बताया. उन्होंने कहा कि 190 लक्ष्य के मुकाबले 147 को लोन मिला है. हालांकि बैंकों की उदासीनता के कारण लक्ष्य की प्राप्ति नहीं हो सकी है. इस संबंध में जिलाधिकारी द्वारा बैंकों से वार्ता की जा रही है. प्रयास है कि सभी लोगों को लोन मिल जाए. 2019-20 में 47 लक्ष्य प्राप्ति के लिए टास्क फोर्स कमिटी की गठन की गई है.
लक्ष्य पूरा करने में विभाग असफल
बेरोजगारों को स्वरोजगार देने लिए सरकार भले ही गम्भीर हो जाए. लेकिन निचले अधिकारियों की मनमानी के कारण सरकार की योजना खटाई में पड़ती दिख रही है. यह योजना बेरोजगारों के लिए अच्छी पहल है. लेकिन बैंकों की मनमानी और लेट-लतीफी के कारण विभाग अपना लक्ष्य पूरा करने में असफल होता दिख रहा है.