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मरम्मत से ज्यादा कटाव रोकने में होता है खर्च, अरबों रुपये खर्च के बाद भी राम भरोसे बांध - जिला प्रशासन

गोपलगंज में गंडक नदी के बांध पर 9 जगहों पर बांध मरम्मत हुआ है. इस पर 3 अरब 85 करोड़ 50 लाख रुपये खर्च किए गए. खास बात यह है कि  बांध मरम्मत से ज्यादा नदी कटाव रोकने में राशि खर्च होती है. इसके बाद भी बांध पर खतरा मंडरा रहा है.

बांध पर खतरा
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Published : Jul 18, 2019, 11:12 AM IST

गोपालगंज: गोपालगंज, बिहार का बाढ़ प्रभावित इलाका. जहां गंडक नदी जब उफान पर होती है तो चारों तरफ तबाही ही तबाही. इसकी गोद में सैंकड़ों लोगों के साथ कई एकड़ जमीन विलीन हो चुकी है. जिला प्रशासन की तरफ से तटबंध की सुरक्षा का दावा किया जा रहा है. लेकिन ईटीवी भारत की पड़ताल में जमीनी हकीकत कुछ और ही नजर आ रही है.

ईटीवी भारत संवाददाता की रिपोर्ट

विभाग का दावा बाढ़ पूर्व पूरी तैयारी
विभाग ने दावा किया कि बाढ़ पूर्व सभी तैयारियां कर ली गई है. गंडक नदी का जलस्तर के बढ़ने-घटने से निचले इलाकों में बसे लोग डरे सहमे हुए हैं. दियारा के लोग पिछले 3-4 साल से कटाव और बाढ़ से परेशान हैं. प्रशासन की तरफ से मरम्मत की गई है. यह पर्याप्त नहीं है. नदी की धारा से तटबंध पर खतरा मंडरा रहा है.

gopalganj
बांध किनारे बसे गांव के लोग भयभीत

दो अतिसंवेदनशील प्वाइंट घोषित
बाढ़ नियंत्रण विभाग की तरफ से दो अतिसंवेदनशील प्वाइंट चिन्हित किए गए हैं. टंटसपुर बांध का 5 किलोमीटर और कालंटिहनिया स्कूल के पास 8.1 किलोमीटर दायरा शामिल है. इन स्थानों पर पानी के दबाव से खतरा मंडरा रहा है. 2017 में गंडक नदी के कटाव से बांध को नहीं बचाया जा सका था. अगले साल विभाग ने यूपी बॉर्डर के अहिरौली दान से काला मटिहानिया बांध तक बांध का मरम्मत कराया गया. इस कार्य में 512.88 लाख रुपये खर्च किए गए.

gopalganj
बांध में पड़ी दरार

गंडक पर हुए अब तक कार्य:

  • जिले में 4 साल में सबसे ज्यादा गंडक नदी पर हुआ खर्च
  • 9 जगहों पर बांध मरम्मत में 3 अरब 85 करोड़ 50 लाख रुपये खर्च
  • जिले में बांध मरम्मत से ज्यादा नदी कटाव रोकने में हुई खर्च.
  • अहिरौली दान गाइट बांध से बेतिया गोपालगंज ब्रिज तक संवेदनशील इलाका
  • कुचायकोट, गोपालगंज, सिधवलिया बरौली और बैकुंठपुर प्रखंड में मरम्मत से ज्यादा कटाव रोकने में खर्च.
  • सारण और गाइड बांध की मरम्मत के बाद भी 2018 में बाढ़ ने दियारा में मचायी थी भारी तबाही.
  • इस साल 72 किलोमीटर के दायरे में 24 जगहों पर हुआ बांध का मरम्मत.
  • टंटसपुर बांध और कालंटिहनिया अतिसंवेदनशील प्वाइंट चिन्हित
  • पिछले 2 साल में सारण तटबंध के मरम्मत कार्य में 2अरब 72 करोड़ 94 लाख 45 हजार रुपया खर्च.

पहले मरम्मत फिर कटाव से बचाव का उपाय
कुचायकोट, गोपालगंज, सिधवलिया, बरौली तथा बैकुंठपुर प्रखंड में कटाव रोकने के लिए तटबंध की मरम्मत की गई. इसमें तय से अधिक राशि खर्च हुई. तटबंध मरम्मत में भारी भरकम राशि खर्च की जाती है. इसके बाद बाढ़ रोकने में की जाने वाली खर्च पर विभाग की मंशा पर सवाल उठने लगते हैं.

अति संवेदनशील जगहों पर विशेष तैयारी
बाढ़ नियंत्रण विभाग के चीफ इंजीनियर मुरलीधर सिंह ने बताया कि अति संवेदनशील जगहों पर विशेष तैयारी है. दोनों जगह सुरक्षा के लिए मोबाइल एंबुलेंस उपलब्ध कराया गया है. इस पर बालू से भरी बोरी के साथ ही सभी प्रकार की इमरजेंसी सेवा का सामान है. इस कार्य में अधिकारी लगाए गए हैं. बांध की सुरक्षा का काम पूरा कर लिया गया है. जिले के सभी बांध सुरक्षित हैं.

गोपालगंज: गोपालगंज, बिहार का बाढ़ प्रभावित इलाका. जहां गंडक नदी जब उफान पर होती है तो चारों तरफ तबाही ही तबाही. इसकी गोद में सैंकड़ों लोगों के साथ कई एकड़ जमीन विलीन हो चुकी है. जिला प्रशासन की तरफ से तटबंध की सुरक्षा का दावा किया जा रहा है. लेकिन ईटीवी भारत की पड़ताल में जमीनी हकीकत कुछ और ही नजर आ रही है.

ईटीवी भारत संवाददाता की रिपोर्ट

विभाग का दावा बाढ़ पूर्व पूरी तैयारी
विभाग ने दावा किया कि बाढ़ पूर्व सभी तैयारियां कर ली गई है. गंडक नदी का जलस्तर के बढ़ने-घटने से निचले इलाकों में बसे लोग डरे सहमे हुए हैं. दियारा के लोग पिछले 3-4 साल से कटाव और बाढ़ से परेशान हैं. प्रशासन की तरफ से मरम्मत की गई है. यह पर्याप्त नहीं है. नदी की धारा से तटबंध पर खतरा मंडरा रहा है.

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बांध किनारे बसे गांव के लोग भयभीत

दो अतिसंवेदनशील प्वाइंट घोषित
बाढ़ नियंत्रण विभाग की तरफ से दो अतिसंवेदनशील प्वाइंट चिन्हित किए गए हैं. टंटसपुर बांध का 5 किलोमीटर और कालंटिहनिया स्कूल के पास 8.1 किलोमीटर दायरा शामिल है. इन स्थानों पर पानी के दबाव से खतरा मंडरा रहा है. 2017 में गंडक नदी के कटाव से बांध को नहीं बचाया जा सका था. अगले साल विभाग ने यूपी बॉर्डर के अहिरौली दान से काला मटिहानिया बांध तक बांध का मरम्मत कराया गया. इस कार्य में 512.88 लाख रुपये खर्च किए गए.

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बांध में पड़ी दरार

गंडक पर हुए अब तक कार्य:

  • जिले में 4 साल में सबसे ज्यादा गंडक नदी पर हुआ खर्च
  • 9 जगहों पर बांध मरम्मत में 3 अरब 85 करोड़ 50 लाख रुपये खर्च
  • जिले में बांध मरम्मत से ज्यादा नदी कटाव रोकने में हुई खर्च.
  • अहिरौली दान गाइट बांध से बेतिया गोपालगंज ब्रिज तक संवेदनशील इलाका
  • कुचायकोट, गोपालगंज, सिधवलिया बरौली और बैकुंठपुर प्रखंड में मरम्मत से ज्यादा कटाव रोकने में खर्च.
  • सारण और गाइड बांध की मरम्मत के बाद भी 2018 में बाढ़ ने दियारा में मचायी थी भारी तबाही.
  • इस साल 72 किलोमीटर के दायरे में 24 जगहों पर हुआ बांध का मरम्मत.
  • टंटसपुर बांध और कालंटिहनिया अतिसंवेदनशील प्वाइंट चिन्हित
  • पिछले 2 साल में सारण तटबंध के मरम्मत कार्य में 2अरब 72 करोड़ 94 लाख 45 हजार रुपया खर्च.

पहले मरम्मत फिर कटाव से बचाव का उपाय
कुचायकोट, गोपालगंज, सिधवलिया, बरौली तथा बैकुंठपुर प्रखंड में कटाव रोकने के लिए तटबंध की मरम्मत की गई. इसमें तय से अधिक राशि खर्च हुई. तटबंध मरम्मत में भारी भरकम राशि खर्च की जाती है. इसके बाद बाढ़ रोकने में की जाने वाली खर्च पर विभाग की मंशा पर सवाल उठने लगते हैं.

अति संवेदनशील जगहों पर विशेष तैयारी
बाढ़ नियंत्रण विभाग के चीफ इंजीनियर मुरलीधर सिंह ने बताया कि अति संवेदनशील जगहों पर विशेष तैयारी है. दोनों जगह सुरक्षा के लिए मोबाइल एंबुलेंस उपलब्ध कराया गया है. इस पर बालू से भरी बोरी के साथ ही सभी प्रकार की इमरजेंसी सेवा का सामान है. इस कार्य में अधिकारी लगाए गए हैं. बांध की सुरक्षा का काम पूरा कर लिया गया है. जिले के सभी बांध सुरक्षित हैं.

Intro:वैसे तो गोपालगंज इलाका बाढ़ प्रभावित क्षेत्र माना जाता है यहां गंडक नदी जब उफान पर होती है तो भारी तबाही मचाती है कई बार यहां के लोग इसका शिकार हो चुके है कई एकड़ जमीन व सैकड़ो गांव गंडक के गोद मे समा चुकी है। वही जिला प्रशासन द्वारा समय समय पर बांध की सुरक्षा के लिए प्रयास भी किये जाते रहे है। बावजूद बांध की सुरक्षा नकाफि साबित हो रही है। बाढ़ नियंत्रण एवं जल निस्तारण विभाग ने 2 साल में सारण तटबंध के 72 किलोमीटर में 24 जगहों पर 12अरब 72 करोड़ 94 लाख 45 हजार रुपये खर्चकर मरम्मत का कार्य कराया है। विभाग का दावा है कि इस वर्ष बाढ़ पूर्व सभी तैयारियां कर ली गई है। इनके दवा में कितना सच्चाई है यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा।


Body:गंडक नदी के जलस्तर कभी घट तो कभी बढ़ रही है। जिससे निचले स्तर पर बसने वाले लोग काफी भयभीत व डरे सहमे हुए हैं। दियारा इलाके के लोगों की माने तो पिछले 3 से 4 साल से कटाव और बाढ़ से लोग परेशान रहे हैं। इस बार भी बाढ़ के सम्भावना को देखते हुए काफी भय बना हुआ है। प्रशासन द्वारा बांध के मरमती हमेशा की जाती है बावजूद वह कारगर नही रहता इन बार भी बांध के मरमती की गई लेकिन जो कार्य कराए गए हैं वह पर्याप्त नहीं है। गंडक नदी का धारा कब किधर मुड़ जाए कोई नही जानता। जिससे तटबंध पर खतरा मंडराने लगता है।

अतिसंवेदनशील पॉइंट

बाढ़ नियंत्रण विभाग द्वारा दो जगहों को अतिसंवेदनशील पॉइंट माना है जो टंटसपुर बांध के 5 किलोमीटर में और कालंटिहनिया स्कूल के पास 8.1किलोमीटर तक शामिल है। इन स्थानों पर कभी भी बाढ़ के दबाव से बांध पर खतरा उतपन्न हो सकता है।
ज्ञातव्य हो कि पिछले 2017 में गंडक नदी के कटाव से बांध के अस्तित्व समाप्त होने लगा था। विभाग ने उसे ससमय बचाने का भरपूर प्रयास किया लेकिन बचा नहीं सका था। वर्ष 2018 में विभाग ने यूपी बोर्डर अहिरौली दान से काला मटिहानिया बांध की512.88लाख रुपये खर्च कर बांध की मरमती कराया था।
वर्ष 2019 में उस बांध की सुरक्षा के लिए 4. 92 से 5.10 किलोमीटर अहिरौली दान गाइट बांध से बेतिया गोपालगंज ब्रिज तक216.32 लाख खर्च किये गए। फिर भी विभाग ने इन पॉइंट को अतिसंवेदन माना है। जहां बाढ़ पूर्व सभी प्रकार के संसाधन भी उपलब्ध करा दिया गया है।
2017 में गंडक नदी का जलस्तर बढ़ने के साथ तटबंध में आई विनाशकारी बाढ़ कटाव के कारण सारण तटबांध और गाइट बांध में काफी क्षति हुई थी।50 हजार की आबादी बाढ़ से प्रभावित हुई थी। उसके बाद विभाग ने डीपीआर बनाकर सरकार को भेजा ।इसके बाद सारण और गाइड बांध की मरम्मत कराई गई लेकिन इतनी बड़ी राशि खर्च करने के बाद भी वर्ष 2018 में आई बाढ़ और कटाव से दियारा के लोग परेशान रहे। काला मटिहानिया से लेकर जगिरी टोला में कटाव जारी रहा। एंटी रोजन कार्य भी कराए गए, लेकिन नदी के तेज बहाव के कारण सफलता नहीं मिल सकी थी। लोगों को अपने सामान के साथ पलायन करना पड़ा। पिछले वर्ष को देखते हुए विभाग ने इस इस वर्ष यानी वर्ष 2019 में 9 एजेंडो के तहत 9 जगहों पर 3 अरब 85 करोड़ 50 लाख रुपये खर्च कर बांध व गाइट बांध का मरम्मत कराया गया । आंकड़ों के माने दो 4 साल में जिले के विभिन्न तटबंधों की मरम्मत के नाम जो राशि खर्च की गई उससे अधिक राशि गंडक नदी के कटाव को रोकने में खर्च की गई। आंकड़ा सिर्फ एक तटबन्ध की नहीं है। कुचायकोट गोपालगंज सिधवलिया बरौली तथा बैकुंठपुर प्रखंड में नदी से कटाव को रोकने के लिए तटबंध की मरम्मत से अधिक राशि खर्च की गई ऐसे में वर्तमान वर्ष में भी तटबंध मरम्मत में इतनी बड़ी राशि खर्च करने के बाद भी रोकने में जो खर्च की जाती है उस पर विभाग की मंशा पर सवाल उठने लगते हैं
बाढ़ नियंत्रण विभाग के चीफ इंजीनियर मुरलीधर सिंह के माने तो उनका कहना है कि अति संवेदनशील जगहों पर विशेष तैयारी की गई है दशपुर और काला मटिहानिया बांध के सुरक्षा के लिए विभाग ने 5 किलोमीटर के लिए मोबाइल एंबुलेंस सेवा दिया गया है जिस पर सेंड से भरी बोरी मजदूर पंचर होने पर उसे बंद करने के औजार पोकलेन मशीन और उसके साथ विभाग के अधिकारी साथ साथ रहेंगे बांध के सुरक्षात्मक सभी काम पूरा कर लिया गया है।उन्होंने कहा कि गोपालगंज जिले के अंदर जितने भी बांध है वो सुरक्षित है सभी का कार्य पूर्ण कराई गई है




Conclusion:na
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