गोपालगंज: देश में बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ का नारा तो केंद्र सरकार ने बुलंद कर रखा है. लेकिन जमीन पर कई मासूम बेटियां जिंदा रहते हुए भी पल-पल मर रही हैं. गोपालगंज जिले में ऐसी ही एक मासूम बीमार बेटी अपनी जान की भीख मांग रही है. वो जीना चाहती है. पढ़ना चाहती है. मगर गरीबी के बोझ तले ना तो उसका इलाज हो पा रहा है और ना ही कोई मदद को आगे आ रहा है.
पूरा मामला जिला मुख्यालय से करीब 15 किलोमीटर दूर स्थित माझा प्रखंड के मधु सरेया गांव का है. यहां 13 वर्षीय सविता गंभीर बीमारियों की चपेट में है. लीवर में सूजन और ज्वाइंडिस का शिकार सविता के शरीर की हालत देखने में किसी कुपोषण पीड़ित बच्ची की तरह दिखती है. सविता से बात करने पर उसके मुंह से सिर्फ एक ही लफ्ज निकलता है कि वो जीना चाहती है.
6 साल की उम्र में खो चुकी है बाप का साया
सविता पूरे दिन टूटी चारपाई पर ही लेटी रहती है. वहीं, घर की माली हालत बेहद खराब है. सविता जब 6 साल की थी, तब ही उसके पिता की मौत हो गई थी. बता दें कि सविता की मां भी बेहद कमजोर हैं. मां ने अपनी बेबसी बताते हुए कहा कि वो दूसरों के खेतों में मजदूरी कर अपना जीवन यापन कर रही हैं. इस मजदूरी में उनको दो वक्त की रोटी भी ठीक से नसीब नहीं होती है. फिर बेटी के इलाज कैसे करवाया जाए.
नहीं मिली बुनियादी सुविधाएं
टूटी दिवारें, कच्चा घर और कहने को घास-फूस की छत. ऊपर से बीमारी का बोझ. कुछ यही दर्दनाक बेबसी सबकुछ बयां करने के लिए काफी है. मां के पास इतने रुपये नहीं है कि वो बेटी का इलाज करवा सकें. वहीं, सरकार की किसी भी आवासीय योजना के तहत इनका ना तो पक्का मकान बना और ना ही इन्हें कोई सरकारी सुविधा का लाभ मिला. इसके चलते आज सविता बिस्तर पर है.
मुखिया जी बोले- जांच करूंगा
पूरे हालातों के बारे में जब ईटीवी भारत संवाददाता ने गांव के मुखिया से बात की. मुखिया उमाशंकर के मुताबिक उन्हें इस बात की कोई जानकारी नहीं है. ना ही कोई उनके पास फरियाद लेकर आया. वहीं, उन्होंने जांच के मदद करने की बात कही है.
मसीहा का इंतजार
ईटीवी भारत के संवाददाता ने अपने स्तर से पीड़ित बेटी सविता की मुमकिन मदद की है. वहीं, सविता को अभी भी उस मसीहा का इंतजार है, जो उसका इलाज करवा सके. उसे जीवनदान दे सके. गरीबी की मार झेल रहे इस परिवार को सीएम नीतीश कुमार से आर्थिक मदद की आस है.