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लॉकडाउन में युवाओं ने बंजर जमीन पर लगाया शांति वन, वट सावित्री पूजा से मिली प्रेरणा - बंजर जमीन

गया शहर से सटे केंदुआ गांव की जमीन बंजर है. स्थिति ऐसी है कि महिलाओं को वट सावित्री पूजा के लिए एक किलोमीटर दूर जाना पड़ता था. पांच युवकों ने बंजर जमीन पर शांति वन लगा दिया. इन्होंने 40 किस्म के 800 पौधे लगाए हैं.

Gaya
गया में युवाओं ने बंजर जमीन पर लगाया वन.
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Published : Nov 28, 2020, 2:18 PM IST

Updated : Nov 28, 2020, 2:29 PM IST

गया: कहते हैं मन में कुछ कर गुजरने की जिजीविषा हो तो कोई भी समय, कालखंड राह में बाधा खड़ी नहीं करती. कोरोना में जहां लोग बेरोजगारी, नौकरी और दूसरी चीजों की दुहाई देते रहे. वहीं, कुछ ऐसे लोग भी रहे जिन्होंने कोरोना के समय में वह काम किया जो मानवीय मूल्यों की नई कहानी लिख गया. गया जिसने पूरे विश्व को ज्ञान दिया, वहां के पांच युवकों ने कोरोना के समय में संकल्प लेकर वह काम किया जो सभी लोगों के लिए एक प्रेरणा स्वरूप है.

पर्यावरण से जीवन रहता है और पर्यावरण को जीवंत रखने के लिए पेड़ों का होना जरूरी है. जीवन के लिए इस हरियाली का होना जरूरी है. इसे ही आत्मसाध कर इन पांचों ने वैसी जगह की तस्वीर बदल दी जो बंजर कही जाती थी.

देखें रिपोर्ट

बंजर भूमि पर लगाया शांति वन
गया शहर से सटे केंदुआ गांव की जमीन बंजर है. गांव के आसपास नाममात्र के पेड़ हैं. स्थिति ऐसी है कि महिलाओं को वट सावित्री की पूजा के लिए एक किलोमीटर दूर जाना पड़ता था. गांव के लोग परेशानी सहते, लेकिन पहल करने के लिए कोई आगे नहीं आता.

plantation in barren land
युवाओं ने फल्गु के तट पर हरियाली ला दी.

लॉकडाउन के दौरान युवा लौटकर गांव आए. युवाओं ने बंजर जमीन को हरा-भरा करने की ठानी और फल्गु नदी के किनारे शांति वन लगाने का फैसला किया. गांव के पांच युवाओं ने मार्च में अपना अभियान शुरू किया और एक के बाद एक 800 पौधे लगा दिए. 9 माह में ये पौधे अब पेड़ का आकार लेने लगे हैं. फल्गु नदी के जिस तट पर पहले सिर्फ जंगली झाड़ियां दिखती थी अब वहां हरियाली की झलक मिल रही है.

plantation in barren land
युवाओं ने 40 किस्म के पौधे लगाए.

दिव्यांग ने की पौधों की देखभाल
बंजर जमीन में पौधे लगाना बहुत मुश्किल था. यहां जंगली पौधे आसानी से बढ़ जाते हैं, लेकिन युवाओं द्वारा लगाए गए पौधों को बढ़ने में काफी दिक्कतें हुईं. पौधों को जानवरों से बचाने के लिए गांव के एक दिव्यांग को 5 हजार रुपए के मेहनताना पर रखा गया.

ग्रामीण अंकित ने कहा कि इन पांच युवकों के काम से पूरा गांव गौरव महसूस कर रहा है. ये सभी सुबह से लेकर देर शाम तक मेहनत करते थे. आज इनकी हर तरफ तारीफ हो रही है.

plantation in barren land
महिलाओं को पूजा के लिए 1 किलोमीटर दूर जाना पड़ता था.

40 किस्म के पौधे लगाए
"हमारे सीनियर चंदन हमलोगों को पिछले वट सावित्री पूजा से प्रेरित कर रहे थे. लॉकडाउन के समय हमलोग गांव में जमा हुए. उन्होंने सभी को फिर से प्रेरित किया. इसके बाद हमलोगों ने पौधा लगाना शुरू कर दिया. शुरुआत में कुछ पौधे वन विभाग ने दिए. इसके बाद हमलोगों ने खरीदकर पौधे लगाए. शांति वन में हमने 40 किस्म के पौधे लगाए गए हैं. हमलोगों का लक्ष्य है कि फल्गु नदी के तट के पूरे बंजर जमीन को शांति वन बना दें."- मंटू यादव, पौधे लगाने वाले पांच युवाओं में से एक

गया: कहते हैं मन में कुछ कर गुजरने की जिजीविषा हो तो कोई भी समय, कालखंड राह में बाधा खड़ी नहीं करती. कोरोना में जहां लोग बेरोजगारी, नौकरी और दूसरी चीजों की दुहाई देते रहे. वहीं, कुछ ऐसे लोग भी रहे जिन्होंने कोरोना के समय में वह काम किया जो मानवीय मूल्यों की नई कहानी लिख गया. गया जिसने पूरे विश्व को ज्ञान दिया, वहां के पांच युवकों ने कोरोना के समय में संकल्प लेकर वह काम किया जो सभी लोगों के लिए एक प्रेरणा स्वरूप है.

पर्यावरण से जीवन रहता है और पर्यावरण को जीवंत रखने के लिए पेड़ों का होना जरूरी है. जीवन के लिए इस हरियाली का होना जरूरी है. इसे ही आत्मसाध कर इन पांचों ने वैसी जगह की तस्वीर बदल दी जो बंजर कही जाती थी.

देखें रिपोर्ट

बंजर भूमि पर लगाया शांति वन
गया शहर से सटे केंदुआ गांव की जमीन बंजर है. गांव के आसपास नाममात्र के पेड़ हैं. स्थिति ऐसी है कि महिलाओं को वट सावित्री की पूजा के लिए एक किलोमीटर दूर जाना पड़ता था. गांव के लोग परेशानी सहते, लेकिन पहल करने के लिए कोई आगे नहीं आता.

plantation in barren land
युवाओं ने फल्गु के तट पर हरियाली ला दी.

लॉकडाउन के दौरान युवा लौटकर गांव आए. युवाओं ने बंजर जमीन को हरा-भरा करने की ठानी और फल्गु नदी के किनारे शांति वन लगाने का फैसला किया. गांव के पांच युवाओं ने मार्च में अपना अभियान शुरू किया और एक के बाद एक 800 पौधे लगा दिए. 9 माह में ये पौधे अब पेड़ का आकार लेने लगे हैं. फल्गु नदी के जिस तट पर पहले सिर्फ जंगली झाड़ियां दिखती थी अब वहां हरियाली की झलक मिल रही है.

plantation in barren land
युवाओं ने 40 किस्म के पौधे लगाए.

दिव्यांग ने की पौधों की देखभाल
बंजर जमीन में पौधे लगाना बहुत मुश्किल था. यहां जंगली पौधे आसानी से बढ़ जाते हैं, लेकिन युवाओं द्वारा लगाए गए पौधों को बढ़ने में काफी दिक्कतें हुईं. पौधों को जानवरों से बचाने के लिए गांव के एक दिव्यांग को 5 हजार रुपए के मेहनताना पर रखा गया.

ग्रामीण अंकित ने कहा कि इन पांच युवकों के काम से पूरा गांव गौरव महसूस कर रहा है. ये सभी सुबह से लेकर देर शाम तक मेहनत करते थे. आज इनकी हर तरफ तारीफ हो रही है.

plantation in barren land
महिलाओं को पूजा के लिए 1 किलोमीटर दूर जाना पड़ता था.

40 किस्म के पौधे लगाए
"हमारे सीनियर चंदन हमलोगों को पिछले वट सावित्री पूजा से प्रेरित कर रहे थे. लॉकडाउन के समय हमलोग गांव में जमा हुए. उन्होंने सभी को फिर से प्रेरित किया. इसके बाद हमलोगों ने पौधा लगाना शुरू कर दिया. शुरुआत में कुछ पौधे वन विभाग ने दिए. इसके बाद हमलोगों ने खरीदकर पौधे लगाए. शांति वन में हमने 40 किस्म के पौधे लगाए गए हैं. हमलोगों का लक्ष्य है कि फल्गु नदी के तट के पूरे बंजर जमीन को शांति वन बना दें."- मंटू यादव, पौधे लगाने वाले पांच युवाओं में से एक

Last Updated : Nov 28, 2020, 2:29 PM IST
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