गया: बिहार के गया में स्ट्रॉबेरी की खेती कई एकड़ में हो रही है. स्ट्रॉबेरी की खेती इतनी फायदेमंद साबित हो रही है, कि दिल्ली में फाइव स्टार होटल में अपनी अच्छी पगार वाली जॉब छोड़ कर गया के युवक विष्णु चित आनंद इसे कर रहे है. इससे सालाना वह लाखों कमा भी रहे हैं. ये आइडिया उन्हें दिल्ली में सड़कों पर स्ट्रॉबेरी देखकर आया. लेकिन स्ट्रॉबेरी की खेती के बीच रिस्क लेने में उन्हें सोचना पड़ रहा था. लेकिन इस बीच कोरोना काल का लॉकडाउन लगा और कोरोना के हालातों के बीच वे दिल्ली से गया को पहुंचे, उसके बाद अपने आइडिया को जमीन पर उतारा.
ये भी पढ़ेंः गया के मौसम में युवा किसान ने की स्ट्रॉबेरी की सफल खेती
बाजारों में छाने लगा स्ट्रॉबेरीः कोरोना काल में गया लौटने के बाद विष्णु के मन में स्ट्रॉबेरी के प्रति पुराना आइडिया फिर से कौंंध आया. इसी बीच उन्होंने अपने मित्र से इसकी सलाह ली और यूट्यूब पर सर्च करना शुरू किया. इसके बाद विष्णु चित आनंद ने निर्णय ले लिया कि दिल्ली में फाइव स्टार होटल में नौकरी छोड़कर स्ट्रॉबेरी की खेती करेंगे. फिर उन्होंने गया के टिकारी में खेत लीज पर लेकर स्ट्रॉबेरी की खेती शुरू कर दी. स्ट्रॉबेरी की खेती की शुरुआती दिन में बिक्री नहीं हुई, क्योंकि लोगों के बीच इसकी ज्यादा जानकारी नहीं थी. स्ट्रॉबेरी की खेती में पहले साल ज्यादा फायदा नहीं हुआ, लेकिन इसके बाद समय के साथ स्ट्रॉबेरी की डिमांड बढ़ी और फिर या बाजारों में छाने लगा.
गया की मिट्टी स्ट्रॉबेरी की खेती के लिए उपयुक्तः गया की मिट्टी और जलवायु स्ट्रॉबेरी की खेती के लिए उपयुक्त साबित हो रही है. गया के विष्णु चित आनंद ने स्ट्रॉबेरी की खेती को उपजाने के लिए कई मिथकों को भी तोड़ा है. अक्सर माना जाता है, कि काली मिट्टी में स्ट्रॉबेरी की खेती नहीं की जा सकती है या कोई भी फसल आसानी से नहीं उपजाई जा सकती है. किंतु इस युवक ने इस मिथक को तोड़ा है. ये युवक काली मिट्टी में भीस्ट्रॉबेरी की खेती कर रहा है. विष्णु चित आनंद बताते हैं, कि बलुआही मिट्टी स्ट्रॉबेरी की खेती के लिए उपयुक्त मानी जाती है, लेकिन स्ट्रॉबेरी की खेती काली मिट्टी में भी हो रही है.
केमिकल फ्री स्ट्रॉबेरी की हो रही खेतीः इसकी खेती पूरी तरह से जैविक नहीं है, लेकिन केमिकल फ्री है. एक हेक्टेयर में स्ट्रॉबेरी लगाने में करीब 1 लाख का खर्च आता है. खर्च कर सालाना लाखों रुपये बच जा रहे हैं. इसकी खेती कर फाइव स्टार होटल की नौकरी छोड़ने वाले विष्णु ने अब स्ट्रॉबेरी की खेती करने के दौरान में कई लोगों को रोजगार भी दे रखा है.
अक्टूबर से मार्च-अप्रैल तक होती है स्ट्रॉबेरी की खेतीः विष्णु बताते हैं कि अक्टूबर माह से लेकर मार्च-अप्रैल तक स्ट्रॉबेरी की खेती होती है, यानी कि मुख्य रूप से ठंड के समय में ही इसकी खेती होती है. स्ट्रॉबेरी की खेती करने वाले विष्णु स्ट्रॉबेरी शेक भी बना रहे हैं. वो बताते हैं कि इसे पैकेट में रखकर बिक्री की योजना है. पैकेट वाला यह शेक कई दिनों तक सुरक्षित रहता है. स्ट्रॉबेरी शेक में दूध, स्ट्रॉबेरी और हल्की मात्रा दूध की दी जाती है.
"जहां फाइव स्टार होटल में दिल्ली में काम करते थे, वहां स्ट्रॉबेरी भी शामिल थी. वहीं सड़कों पर देखते थे कि इसकी बिक्री बड़े पैमाने पर होती है. हरियाणा में यह तकरीबन सभी जगहों पर उपलब्ध होता था. इसे देखकर ही उनके मन में बराबर स्ट्रॉबेरी की खेती करने का आइडिया आता था और अभी स्ट्रॉबेरी की खेती कर रहे हैं. बचपन से ही खेती करने के प्रति काफी लगाव था"- विष्णु चित आनंद, युवा किसान
वेस्टेज का भी होगा उपयोगः युवा किसान विष्णु चित आनंद ने बताया कि स्ट्रॉबेरी किसी भी आकार की हो खराब नहीं होती किंतु छोटे आकार की स्ट्रौबरी को लोग खराब समझते हैं. अब वेस्टेज समझे जाने वाले छोटे आकार के स्ट्रॉबेरी भी उपयोग में लाए जा सकेंगे. स्ट्रॉबेरी शेक में इसका इस्तेमाल किया जाएगा. विष्णु बताते हैं कि छोटे स्ट्रॉबेरी फ्रूट का गुण कम नहीं होता है, बल्कि बड़े स्ट्रॉबेरी फ्रूट की तरह ही रहता है.
लैपटॉप लेकर खेत में बैठते हैं विष्णुः शिक्षा कभी बेकार नहीं जाती और यही वजह है कि गया के विष्णु स्ट्रॉबेरी की खेती करने वाले कृषक जरूर बन गए हैं, लेकिन अभी भी लैपटॉप का उपयोग करते हैं. खेतों के बीच बैठकर लैपटॉप से अपने सारे हिसाब किताब रखते हैं. वहीं विभिन्न जानकारियां भी हासिल करते हैं.