गया: निसंतान दंपति संतान सुख प्राप्ति के लिए हर संभव कोशिश करते हैं. दंपति व्रत रखते हैं और तो और हर चमत्कारी शक्तियों पर विश्वास भी करते हैं. जिससे उनकी सूनी गोद भर जाए. शास्त्रों में बताया गया है कि संतान से ही व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है. किमवदंती है कि हमारे देश में कई ऐसे कुंड और सरोवर हैं, जहां स्नान मात्र से ही संतान की प्राप्ति होती है. जी हां, आज हम आपको बताते हैं बिहार के गया जिले में एक ऐसा सरोवर (Rukmini Sarovar In Gaya) है जहां स्नान मात्र से ही संतान की प्राप्ति होती है.
इसे भी पढ़ें: पितृपक्ष : गया में जीते जी लोग करते हैं खुद का पिंडदान, जानिए क्या है महत्व
शास्त्रों के अनुसार मान्यता है कि बिहार की धार्मिक नगरी गयाजी में भगवान कृष्ण ने एक रुक्मिणी सरोवर बनाया था. जहां स्नान मात्र से निसंतान स्त्रियों को संतान सुख की प्राप्ति (Women Bathing In Rukmini Sarovar) होती है. धार्मिक मान्यता के अनुसार यहां स्नान के बाद कपड़ा छोड़ने और अक्षयवट को आलिंगन करने से संतान की प्राप्ति होती है.
ये भी पढ़ें: Pitru Paksha 2021: छठवें दिन 16 पिंडवेदियों पर तर्पण करने का महत्व, पितरों को अक्षय लोक की होती है प्राप्ति
बता दें कि रुक्मिणी सरोवर और अक्षयवट में पिंडदान भी किया जाता है. एक दिवसीय से लेकर त्रेपाक्षिक श्राद्ध का अंतिम पिंडदान अक्षयवट में किया जाता है. इस सरोवर को रुक्मिणी सरोवर कहा जाता है. इस सरोवर में लोग पिंडदान भी करते हैं. लेकिन इसकी महत्ता सिर्फ पितरों को मोक्ष देने तक ही नहीं है. यह सरोवर महिलाओं को संतान सुख भी देता है.
अक्षयवट स्थित पंडा वीरन लाल दुबहलिया ने बताया कि पूरे विश्व मे पांच अक्षयवट है जिसमें एक अक्षयवट गया जी मे स्थित है. इस अक्षयवट को माता सीता ने अमर रहने का वरदान दिया था. इस माधव अक्षयवट में गयाजी में अंतिम पिंडदान किया जाता है. इसके साथ ही इसका अलग धार्मिक महत्व है. संतान प्राप्ति के लिए रुक्मिणी सरोवर में महिलाएं स्थानीय ब्राह्णण से संकल्प करवाने के बाद स्नान करती है. उसके बाद महिला अक्षयवट जाती हैं. अक्षय वट को आलिंगन करने के बाद आंचल फाड़कर अक्षयवट में बांधती हैं. इसके बाद महिला को संतान की प्राप्ति होती है.
'गया शहर के माड़नपुर मोहल्ले में स्थित रुकमणी सरोवर है. रुक्मिणी सरोवर में स्नान करने उसके बाद पुराना कपड़ा छोड़ने और अक्षयवट को आलिंगन करने से संतान की प्राप्ति होती है. द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण ने इस सरोवर का निर्माण किया था. भगवान कृष्ण ने रुक्मिणी के लिए इस तालाब का निर्माण किया था. यही कारण है कि अक्सर संतान की चाह वाली महिलाएं रुक्मिणी तालाब में आकर डुबकी लगाती है और स्नान के बाद पुराने कपड़े को छोड़ नए कपड़ा धारण करती है. उसके बाद नए कपड़े के आंचल का एक टुकड़ा को अक्षयवट में बांधकर आलिंगन करती है, उन्हें जरूर संतान सुख की प्राप्ति होती है.' -आकाश गिरी, पुजारी, मंगलागौरी मंदिर