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गर्मी आते ही लोगों के सामने आया पेयजल संकट, घंटों लाइन लगाने पर मिल रहा है पानी - Gaya Municipal Corporation

गर्मी के मौसम में गया के लोगों के सामने एक बार फिर पेयजल की समस्या पैदा हो गई है. पथरीली संरचना के कारण पहले से ही गया में भूजल का स्तर काफी नीचे है. गर्मी में ये और नीचे चला जाता है. इस जलसंकट के कारण लोग काफी परेशानी झेल रहे हैं.

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Published : Jun 6, 2020, 5:04 PM IST

गया: कोरोना महामारी के बीच गर्मी की दस्तक ने गया वासियों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं. मौसम के बढ़ते तापमान ने चापाकलों और नलों से पानी को सुखा दिया है. गया शहर में पानी के लिए हाहाकार मचा हुआ है. आम लोगों को पीने के पानी के लिए कई-कई दिनों तक इंतजार करना पड़ रहा है.

सूबे के गर्म जिलों में से एक गया की प्राकृतिक संरचना पथरीली है. यहां भूमिगत जलस्रोत बहुत कम जगहों तक उपलब्ध है. जिले की सभी नदियों में सिर्फ बरसात में पानी रहता है. ऐसे में गया के ज्यादातर इलाकों में लोग पानी के लिये सरकार की योजनाओं पर ही निर्भर हैं. गया शहर में पाइपलाइन का विस्तार शुरू तो जोर शोर से हुआ था लेकिन आज तक पाइपलाइन से पानी घरों तक नहीं पहुंच पाया. सरकार की हर घर नल जल योजना भी गया के गलियों में गुम हो गई है.

देखें स्पेशल रिपोर्ट

कई दिनों का इंतजार
गया शहर के आम लोग पीने के पानी के लिए आठ दिनों तक का इंतजार करते हैं. उसके बाद धूप में पसीना बहाने पर दो बाल्टी पानी नसीब होता है. सरकार के दावे हैं कि हर तरफ सुशासन है लेकिन इन दावों की सारी असलियत गया के पहाड़ों पर बसी बस्तियों और गलियों में सामने आ जाती है. सरकार ने राहगीरों के पीने के पानी के लिए वॉटर टावर लगाया था. सैकड़ों की संख्या में वॉटर टावर लगे हैं लेकिन चालू हालात में 10 भी नहीं हैं. गया शहर में चापाकल की बात करें तो इसकी संख्या सैकड़ों में है. कागजों पर सभी चल रहे हैं लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है.

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पानी के लिये खड़े लोग

लोगों ने किया प्रदर्शन
पानी की समस्या के कारण गया शहर के बागेश्वरी मोहल्ले के लोगों को पानी के लिए कड़कड़ाती धूप में सड़क जाम कर प्रदर्शन करना पड़ा. मोहल्ले की छात्रा काजल बताती हैं कि जिस दिन सड़क जाम हुआ उस दिन पानी आया. उसके आठ दिन बाद फिर शनिवार को वॉटर टैंकर आया है. जल पाइपलाइन बिछा है लेकिन उसमें पानी रात में आता है. घर का एक सदस्य पानी आने के इंतजार में वाटर प्वाइंट पर बैठा रहता है.

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पानी ले जाता बच्चा

नगर निगम ने दी जानकारी
वहीं गया शहर में पानी की किल्लत को लेकर गया नगर निगम के आयुक्त सावन कुमार ने बताया कि पिछले साल की तुलना में भूमिगत जलस्तर में बढ़ोतरी हुई है. हमलोग शहर के सभी वार्डों में वॉटर टैंकर लगाकर 250 जगहों पर नल प्वाइंट बना रहे हैं. 45 चापाकल और चार प्याऊं खराब हैं. सभी की मरम्मती की जा रही है. वहीं सबसे ज्यादा दिक्कत शहर के मुस्तफाबाद और बागेश्वरी में है. इसके लिए बागेश्वरी मोहल्ले में दो बोरिंग करवा दी गई है. एक-दो दिन में ये सभी चालू हो जाएंगे. गया शहर का 25 सालों से प्रतिनिधित्व कर रहे बिहार सरकार के कृषि मंत्री सह नगर विधायक प्रेम कुमार ने इस बारे में बताया कि पिछले साल के बारिश से जलस्तर में बढ़ोतरी हुई है. शहर में जहां भी पानी की दिक्कतें होती हैं, उन सभी का मैं निदान करता हूं. हाल ही में शहर में पानी की किल्लत को लेकर नगर आयुक्त के साथ बैठक हुई थी.

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वॉटर टैप

गया नगर निगम में अन्य जल स्रोतों की स्थिति
नगर निगम में जल के स्त्रोतों की बात करें तो शहर में 800 चापाकल, इनमें से 215 खराब अवस्था में है. प्याऊं व स्टैंड वाटर पॉइंट की संख्या 152 है, इनमें 42 खराब स्थिति में है. मिनी जलापूर्ति केंद्रों की संख्या 74 है, इनमें 15 खराब हालत में है. जलापूर्ति केंद्र 53 हैं.

गया: कोरोना महामारी के बीच गर्मी की दस्तक ने गया वासियों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं. मौसम के बढ़ते तापमान ने चापाकलों और नलों से पानी को सुखा दिया है. गया शहर में पानी के लिए हाहाकार मचा हुआ है. आम लोगों को पीने के पानी के लिए कई-कई दिनों तक इंतजार करना पड़ रहा है.

सूबे के गर्म जिलों में से एक गया की प्राकृतिक संरचना पथरीली है. यहां भूमिगत जलस्रोत बहुत कम जगहों तक उपलब्ध है. जिले की सभी नदियों में सिर्फ बरसात में पानी रहता है. ऐसे में गया के ज्यादातर इलाकों में लोग पानी के लिये सरकार की योजनाओं पर ही निर्भर हैं. गया शहर में पाइपलाइन का विस्तार शुरू तो जोर शोर से हुआ था लेकिन आज तक पाइपलाइन से पानी घरों तक नहीं पहुंच पाया. सरकार की हर घर नल जल योजना भी गया के गलियों में गुम हो गई है.

देखें स्पेशल रिपोर्ट

कई दिनों का इंतजार
गया शहर के आम लोग पीने के पानी के लिए आठ दिनों तक का इंतजार करते हैं. उसके बाद धूप में पसीना बहाने पर दो बाल्टी पानी नसीब होता है. सरकार के दावे हैं कि हर तरफ सुशासन है लेकिन इन दावों की सारी असलियत गया के पहाड़ों पर बसी बस्तियों और गलियों में सामने आ जाती है. सरकार ने राहगीरों के पीने के पानी के लिए वॉटर टावर लगाया था. सैकड़ों की संख्या में वॉटर टावर लगे हैं लेकिन चालू हालात में 10 भी नहीं हैं. गया शहर में चापाकल की बात करें तो इसकी संख्या सैकड़ों में है. कागजों पर सभी चल रहे हैं लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है.

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पानी के लिये खड़े लोग

लोगों ने किया प्रदर्शन
पानी की समस्या के कारण गया शहर के बागेश्वरी मोहल्ले के लोगों को पानी के लिए कड़कड़ाती धूप में सड़क जाम कर प्रदर्शन करना पड़ा. मोहल्ले की छात्रा काजल बताती हैं कि जिस दिन सड़क जाम हुआ उस दिन पानी आया. उसके आठ दिन बाद फिर शनिवार को वॉटर टैंकर आया है. जल पाइपलाइन बिछा है लेकिन उसमें पानी रात में आता है. घर का एक सदस्य पानी आने के इंतजार में वाटर प्वाइंट पर बैठा रहता है.

gaya
पानी ले जाता बच्चा

नगर निगम ने दी जानकारी
वहीं गया शहर में पानी की किल्लत को लेकर गया नगर निगम के आयुक्त सावन कुमार ने बताया कि पिछले साल की तुलना में भूमिगत जलस्तर में बढ़ोतरी हुई है. हमलोग शहर के सभी वार्डों में वॉटर टैंकर लगाकर 250 जगहों पर नल प्वाइंट बना रहे हैं. 45 चापाकल और चार प्याऊं खराब हैं. सभी की मरम्मती की जा रही है. वहीं सबसे ज्यादा दिक्कत शहर के मुस्तफाबाद और बागेश्वरी में है. इसके लिए बागेश्वरी मोहल्ले में दो बोरिंग करवा दी गई है. एक-दो दिन में ये सभी चालू हो जाएंगे. गया शहर का 25 सालों से प्रतिनिधित्व कर रहे बिहार सरकार के कृषि मंत्री सह नगर विधायक प्रेम कुमार ने इस बारे में बताया कि पिछले साल के बारिश से जलस्तर में बढ़ोतरी हुई है. शहर में जहां भी पानी की दिक्कतें होती हैं, उन सभी का मैं निदान करता हूं. हाल ही में शहर में पानी की किल्लत को लेकर नगर आयुक्त के साथ बैठक हुई थी.

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वॉटर टैप

गया नगर निगम में अन्य जल स्रोतों की स्थिति
नगर निगम में जल के स्त्रोतों की बात करें तो शहर में 800 चापाकल, इनमें से 215 खराब अवस्था में है. प्याऊं व स्टैंड वाटर पॉइंट की संख्या 152 है, इनमें 42 खराब स्थिति में है. मिनी जलापूर्ति केंद्रों की संख्या 74 है, इनमें 15 खराब हालत में है. जलापूर्ति केंद्र 53 हैं.

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