गया: कोरोना वैक्सीन (Corona Vaccine) के प्रति सरकार लोगों को जागरूक करने के लिए अभियान (Corona Vaccination Campaign) चला रही है. सरकार के इस अभियान को कई एनजीओ का भी साथ मिल रहा है. इसी के तहत गया के सौ प्रतिशत वैक्सीनेटेड गांवों को उपहार दिए जा रहे हैं. डोभी प्रखंड के धीरजा, बिगहा और पैली दलित गांव को भी कई सौगात दी गई है. इस गिफ्ट की खास बात ये है कि इसके कारण ग्रामीणों की बरसों पुरानी समस्या का समाधान हो गया है.
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जिन गांवो में शत-प्रतिशत लोग कोरोना का टीका ले चुके हैं, वहां के लोगों को मनचाहा उपहार मिल रहा है. बिना किसी शोर-शराबे के इस तरह की सकारात्मक पहल नक्सल प्रभावित और पिछड़े गांव में की जा रही है. पहले ग्रामीणों के बीच वैक्सीन को लेकर कई तरह के भ्रम थे. वैक्सीन लेने से वे कतराते थे लेकिन इस तरह की अनोखी पहल के कारण ग्रामीणों में जागरुकता फैली है और लोग बढ़-चढ़ कर वैक्सीन को सफल बनाने के अभियान में हिस्सा ले रहे हैं.
कनाडा, वियतनाम सहित कई अन्य देशों के बौद्ध श्रद्धालुओं के आर्थिक सहयोग से इस तरह के कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं. अब तक हजारों लोगों को राशन मुहैया कराया जा चुका है. साथ ही जिले में हजारों चापाकल भी लगाए जा चुके हैं. कोरोना काल में जिनका रोजगार छिन गया और वे वापस अपने घरों में बेरोजगार होकर बैठे हैं, उनको ज्यादा फोकस किया जा रहा है.- विवेक कुमार, समाजसेवी
इसी क्रम में गया जिले के डोभी प्रखंड के धीरजा बिगहा और पैली दलित गांव में कार्यक्रम आयोजित किया गया. जिसमें गांव के सैकड़ों लोगों को मुफ्त राशन दिया गया. साथ ही दोनों गांवों में एक-एक हैंडपंप भी लगवा दिया गया है. मालूम हो कि यहां के लोग लंबे समय से पेयजल की किल्लत से परेशान थे.
सैकड़ों लोगों की आबादी वाला यह गांव है. लेकिन गांव में चापाकल नहीं रहने से पानी दूर से से लाना पड़ता था. ऐसे में यह जानकारी मिली कि कोविड वैक्सीन लेने पर चापाकल उपहार के रूप में मिलेगा. तब सभी ग्रामीणों ने मिलकर यह तय किया कि सभी कोरोना का टीका लेंगे. गांव के सभी लोगों के द्वारा टीका लेने के बाद चापाकल गांव में लगाया गया और अब हम चापाकल के पानी का ही उपयोग कर रहे हैं.- रामबली मांझी, धीरजा गांव निवासी
कोरोना वैक्सीनेशन के प्रति जागरूकता लाने के लिए पूर्ण वैक्सीनेशन वाले गांवों को मनचाहा उपहार दिया जा रहा है. ग्रामीणों के बीच खाद्य सामग्री के अलावा छाता और मछरदानी भी बांटी जा रही है. इस कारण लोग कोरोना के प्रति जागरूक होकर वैक्सीनेशन करा रहे हैं, साथ ही इन गांवों में पेयजल की समस्या भी दूर हो रही है.
बता दें कि राज्य सरकार का प्रयास है कि केंद्र से बिहार को पर्याप्त मात्रा में वैक्सीन प्राप्त हो, ताकि छह महीने में छह करोड़ टीके का लक्ष्य हासिल किया जा सके. केंद्र सरकार ने राज्यों की मांग को देखते हुए वैक्सीन उत्पादन क्षमता भी बढ़ाई है. वैक्सीन उत्पादन क्षमता में वृद्धि होने से बिहार के कोटे में भी वृद्धि होगी. बिहार अपने नागरिकों को अधिक संख्या में टीकाकरण कराने के लिए निरंतर केंद्र के संपर्क में है. सरकार के इस अभियान को सफल बनाने के लिए कई एनजीओ भी अहम भूमिका निभा रहे हैं.
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