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गया: संदिग्ध बीमारी से मौत का सिलसिला जारी, पिछले 13 दिनों में 13 बच्चों की मौत

अस्पताल प्रशासन बच्चों को हुई बीमारी पर गंभीरता बरतते हुए एक दर्जन से अधिक बच्चों का ब्लड सैम्पल जांच के लिए पटना भेजा था. जिसमें तीन बच्चों को जेई पॉजिटिव पाया गया. इसके बावजूद अस्पताल प्रशासन की ओर से रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की गई.

चमकी से पीड़ित बच्चे
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Published : Jul 15, 2019, 9:59 PM IST

गया: जिले में चमकी बुखार का प्रकोप अब भी जारी है. अनुग्रह नारायण मगध मेडिकल अस्पताल में पिछले 13 दिनों में संदिग्ध बीमारी से 13 बच्चों की मौत हुई है. इसमें 3 बच्चों की मौत जेई बीमारी से हुई है. इसकी पुष्टी खुद अस्पताल प्रशासन ने की है. वहीं, अभी भी कई बच्चों का इलाज जारी है.

gaya
अनुग्रह नारायण अस्पताल

रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं कर रहा अस्पताल
दरअसल, अस्पताल प्रशासन बच्चों को हुई बीमारी पर गंभीरता बरतते हुए एक दर्जन से अधिक बच्चों का ब्लड सैम्पल जांच के लिए पटना भेजा था. जिसमें तीन बच्चों को जेई पॉजिटिव पाया गया. इसके बावजूद अस्पताल प्रशासन रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं कर रहा है.

पेश है रिपोर्ट

अब तक 46 मरीज भर्ती
अस्पताल अधीक्षक डॉ विजय कृष्ण प्रसाद ने बताया 2 जुलाई से अब तक 46 मरीज भर्ती हुए हैं. जिसमें 13 बच्चों की मौत हो चुकी है. वहीं, 17 संदिग्ध जेई पीड़ित बच्चों का इलाज जारी है. अधीक्षक ने सलाह दी कि जब बच्चों में चमकी का लक्षण दिखे तो उसे फौरन अस्पताल में भर्ती कराना चाहिए. लोग यहां उसे अंतिम समय में लेकर आते हैं. जिससे बच्चों को बचाने में अस्पताल असफल हो जाता है.

गया: जिले में चमकी बुखार का प्रकोप अब भी जारी है. अनुग्रह नारायण मगध मेडिकल अस्पताल में पिछले 13 दिनों में संदिग्ध बीमारी से 13 बच्चों की मौत हुई है. इसमें 3 बच्चों की मौत जेई बीमारी से हुई है. इसकी पुष्टी खुद अस्पताल प्रशासन ने की है. वहीं, अभी भी कई बच्चों का इलाज जारी है.

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अनुग्रह नारायण अस्पताल

रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं कर रहा अस्पताल
दरअसल, अस्पताल प्रशासन बच्चों को हुई बीमारी पर गंभीरता बरतते हुए एक दर्जन से अधिक बच्चों का ब्लड सैम्पल जांच के लिए पटना भेजा था. जिसमें तीन बच्चों को जेई पॉजिटिव पाया गया. इसके बावजूद अस्पताल प्रशासन रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं कर रहा है.

पेश है रिपोर्ट

अब तक 46 मरीज भर्ती
अस्पताल अधीक्षक डॉ विजय कृष्ण प्रसाद ने बताया 2 जुलाई से अब तक 46 मरीज भर्ती हुए हैं. जिसमें 13 बच्चों की मौत हो चुकी है. वहीं, 17 संदिग्ध जेई पीड़ित बच्चों का इलाज जारी है. अधीक्षक ने सलाह दी कि जब बच्चों में चमकी का लक्षण दिखे तो उसे फौरन अस्पताल में भर्ती कराना चाहिए. लोग यहां उसे अंतिम समय में लेकर आते हैं. जिससे बच्चों को बचाने में अस्पताल असफल हो जाता है.

Intro:गया में चमकी बुखार आफत बनकर आया है 13 दिनों में 13 बच्चों का मौत बुखार से हो गया है। एक दर्जन से अधिक बच्चों का ब्लड संपेल जांच के लिए पटना भेजा गया था। जिसमे तीन बच्चों को जेई पॉजिटिव आया है। 2 जुलाई से अब तक 46 बच्चे भर्ती हुए हैं, एईएस/ जेई संदिग्ध 17 मरीज का इलाज चल रहा है।


Body:मगध क्षेत्र में प्राकृतिक का कहर बरप रहा है, पिछले माह लू से सेकड़ो का जान गई तो अब बरसात आगमन से 13 बच्चों का मौत जई से अनुग्रह नारायण मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल में हुआ है। हालांकि लू जिला प्रशासन को समझने और संभलने का वक़्त नही मिला था लेकिन जेई के लिए जिला प्रशासन और अस्पताल प्रशासन कमर कसे हुए हैं।

पिछले बार के तुलना में इस बार एईएस/जेई के संदिग्ध मरीजो के लिए मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल 30 बेड का आईसीयू के साथ इमरजेंसी में 60 बेडो को सुरक्षित रखा गया है। प्रमंडलीय आयुक्त और जिलाधिकारी हर दिन का मॉनट्रिंग कर रहे हैं। अस्पताल प्रशासन हर दिन का भर्ती और मौत का जानकारी उपलब्ध जिला प्रशासन को करवा रहा है।

अस्पताल प्रशासन ब्लड संपेल रिपोर्ट भेजने में पहले ही कोताही बरती थी, अब सारे ब्लड संपेल का जांच रिपोर्ट अस्पताल प्रशासन द्वारा जारी नही किया जा रहा है। रिपोर्ट में तीन मरीज जेई पॉजिटिव आया है। जिसमे दो मरीज की मौत हो गया,जबकि आधे दर्जन अन्य बीमारी के मरीज थे।

मगध मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के अधीक्षक डॉ (प्रो) विजय कृष्ण प्रसाद ने बताया 2 जुलाई से अबतक एईएस /जेई के संदिग्ध 46 मरीज भर्ती हुए हैं। जिसमे 13 की मौत हो चुका है। 17 का इलाज चल रहा है।

अधीक्षक से पूछा गया बच्चों का मरने का आंकड़ा बढ़ रहा है अधीक्षक ने बताया अस्पताल और जिला प्रशासन द्वारा बार बार आह्वान लोगो से किया जा रहा है बच्चों चमकी बुखार का लक्षण दिखे तो सीधे अस्पताल में ले जाए। लोग मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल में अंतिम समय मे आते हैं। जिससे बच्चों को बचाने में असफल रहते हैं। जितने बच्चे का मौत हुआ है अधिकांश रेफर किये गए थे और कुछ अन्य बीमारी के थे। जेई मरीजों के लिए 20 डॉक्टर सहित 2 यूनिट हर वक़्त तैनात हैं।



Conclusion:
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