गया: समय का चक्र घूमता है और कभी खुशी, कभी गम के साथ इंसानों पर प्रभाव डालता है. वर्तमान समय में गया जिले में हिट वेव के प्रकोप से सैकड़ों लोगों की जान चली गयी है. गया के विष्णुपद स्थित वैदिक मंत्रालय के रामाचार्य बताते हैं कि इस तरह की भीषण गर्मी 25 सालों में एक बार पड़ती है. पंचांग में भीषण गर्मी पड़ने का जिक्र कर दिया गया था. पंचांग के अनुसार जून के अंत मे बारिश होगी और लोगों को गर्मी से राहत मिलेगी.
'प्रकृति का चक्र अनवरत चलता रहता है'
वैदिक मंत्रालय के रामाचार्य ने बताया कि अतिवृष्टि होने पर भगवान कृष्ण ने पहाड़ उठाकर लोगों की जान बचायी थी. ईश्वर त्रासदी लाते हैं तो उससे बचने का रास्ता भी दिखाते हैं. ईश्वर की त्रासदी कोई एकाएक नहीं होती है. सभी एक समय से होता है. प्रत्येक 25 सालों में कभी भीषण गर्मी, कभी कड़ाके की ठंड तो कभी बाढ़ आने वाली बरसात होती है. ये प्रकृति का चक्र है जो अनवरत चलता रहता है. इस वर्ष जो गर्मी पड़ी है ये 25 वर्ष पूर्व भी पड़ी थी और उसके 25 साल पूर्व भी पड़ी थी. लेकिन इससे किसी की मरने का सूचना नहीं आयी थी. उन्होंने बताया कि उस वक्त वातावरण में इतना प्रदूषण नहीं था. लोगों में सहनशक्ति अधिक थी. लोग गर्मी से बचने के लिए ग्रीष्म ऋतु के अनुकूल रहन-सहन रखते थे.
'पहले भी गया में आया था हीटवेव'
रामाचार्य ने कहा कि ये हीट वेव पहले भी गया में आया था. उस वक्त मौत इस वजह से नहीं हुई क्योंकि उस समय पेड़ पौधे अधिक थे. वातावरण प्रदूषित नहीं था. गर्मी में लोग वातानुकूलित परिस्थितियों में रहते थे. सुबह 11 से शाम 4 बजे तक अधिक लू चलती है, लोग उस समय घर से नहीं निकलते थे. उन्होंने कहा कि ऐसा शत प्रतिशत नहीं कहा जा सकता है, उस वक्त मौत नहीं हुई होगी. मौत हुई होगी पर कम हुई होगी. उस समय अभी जैसे प्रचार-प्रसार भी नहीं होते थे.
'भीषण गर्मी के बारे में पंचांग में बताया गया है'
रामाचार्य ने बताया कि आज के समय में लोग इस गर्मी में मांसाहारी भोजन करते हैं. शराब का सेवन करते हैं. इससे शरीर में गर्मी अधिक हो जाती है. इंसान राह चलते बेहोश हो जाता है. अस्पताल जाते-जाते उनकी मौत हो जाती है. उनका कहना है कि लोग खुद अपनी मौत के जिम्मेदार है. ईश्वर और गर्मी इसके जिम्मेदार नहीं है. उन्होंने बताया कि गया और औरंगाबाद में अधिक गर्मी पड़ने के भौगोलिक कारण भी हैं.