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'25 सालों में एक बार पड़ती है भीषण गर्मी, घूमता है काल का चक्र'

रामाचार्य ने कहा कि प्रत्येक 25 सालों में कभी भीषण गर्मी, कभी कड़ाके की ठंड तो कभी बाढ़ आने वाली बरसात होती है. ये प्राकृतिक चक्र है जो अनवरत चलता रहता है.

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Published : Jun 20, 2019, 1:40 PM IST

रामाचार्य

गया: समय का चक्र घूमता है और कभी खुशी, कभी गम के साथ इंसानों पर प्रभाव डालता है. वर्तमान समय में गया जिले में हिट वेव के प्रकोप से सैकड़ों लोगों की जान चली गयी है. गया के विष्णुपद स्थित वैदिक मंत्रालय के रामाचार्य बताते हैं कि इस तरह की भीषण गर्मी 25 सालों में एक बार पड़ती है. पंचांग में भीषण गर्मी पड़ने का जिक्र कर दिया गया था. पंचांग के अनुसार जून के अंत मे बारिश होगी और लोगों को गर्मी से राहत मिलेगी.

समय चक्र के बारे में बताते हुए वैदिक मंत्रालय के रामाचार्य

'प्रकृति का चक्र अनवरत चलता रहता है'
वैदिक मंत्रालय के रामाचार्य ने बताया कि अतिवृष्टि होने पर भगवान कृष्ण ने पहाड़ उठाकर लोगों की जान बचायी थी. ईश्वर त्रासदी लाते हैं तो उससे बचने का रास्ता भी दिखाते हैं. ईश्वर की त्रासदी कोई एकाएक नहीं होती है. सभी एक समय से होता है. प्रत्येक 25 सालों में कभी भीषण गर्मी, कभी कड़ाके की ठंड तो कभी बाढ़ आने वाली बरसात होती है. ये प्रकृति का चक्र है जो अनवरत चलता रहता है. इस वर्ष जो गर्मी पड़ी है ये 25 वर्ष पूर्व भी पड़ी थी और उसके 25 साल पूर्व भी पड़ी थी. लेकिन इससे किसी की मरने का सूचना नहीं आयी थी. उन्होंने बताया कि उस वक्त वातावरण में इतना प्रदूषण नहीं था. लोगों में सहनशक्ति अधिक थी. लोग गर्मी से बचने के लिए ग्रीष्म ऋतु के अनुकूल रहन-सहन रखते थे.

Gaya
वैदिक मंत्रालय के रामाचार्य

'पहले भी गया में आया था हीटवेव'
रामाचार्य ने कहा कि ये हीट वेव पहले भी गया में आया था. उस वक्त मौत इस वजह से नहीं हुई क्योंकि उस समय पेड़ पौधे अधिक थे. वातावरण प्रदूषित नहीं था. गर्मी में लोग वातानुकूलित परिस्थितियों में रहते थे. सुबह 11 से शाम 4 बजे तक अधिक लू चलती है, लोग उस समय घर से नहीं निकलते थे. उन्होंने कहा कि ऐसा शत प्रतिशत नहीं कहा जा सकता है, उस वक्त मौत नहीं हुई होगी. मौत हुई होगी पर कम हुई होगी. उस समय अभी जैसे प्रचार-प्रसार भी नहीं होते थे.

Gaya
वैदिक मंत्रालय के रामाचार्य

'भीषण गर्मी के बारे में पंचांग में बताया गया है'
रामाचार्य ने बताया कि आज के समय में लोग इस गर्मी में मांसाहारी भोजन करते हैं. शराब का सेवन करते हैं. इससे शरीर में गर्मी अधिक हो जाती है. इंसान राह चलते बेहोश हो जाता है. अस्पताल जाते-जाते उनकी मौत हो जाती है. उनका कहना है कि लोग खुद अपनी मौत के जिम्मेदार है. ईश्वर और गर्मी इसके जिम्मेदार नहीं है. उन्होंने बताया कि गया और औरंगाबाद में अधिक गर्मी पड़ने के भौगोलिक कारण भी हैं.

गया: समय का चक्र घूमता है और कभी खुशी, कभी गम के साथ इंसानों पर प्रभाव डालता है. वर्तमान समय में गया जिले में हिट वेव के प्रकोप से सैकड़ों लोगों की जान चली गयी है. गया के विष्णुपद स्थित वैदिक मंत्रालय के रामाचार्य बताते हैं कि इस तरह की भीषण गर्मी 25 सालों में एक बार पड़ती है. पंचांग में भीषण गर्मी पड़ने का जिक्र कर दिया गया था. पंचांग के अनुसार जून के अंत मे बारिश होगी और लोगों को गर्मी से राहत मिलेगी.

समय चक्र के बारे में बताते हुए वैदिक मंत्रालय के रामाचार्य

'प्रकृति का चक्र अनवरत चलता रहता है'
वैदिक मंत्रालय के रामाचार्य ने बताया कि अतिवृष्टि होने पर भगवान कृष्ण ने पहाड़ उठाकर लोगों की जान बचायी थी. ईश्वर त्रासदी लाते हैं तो उससे बचने का रास्ता भी दिखाते हैं. ईश्वर की त्रासदी कोई एकाएक नहीं होती है. सभी एक समय से होता है. प्रत्येक 25 सालों में कभी भीषण गर्मी, कभी कड़ाके की ठंड तो कभी बाढ़ आने वाली बरसात होती है. ये प्रकृति का चक्र है जो अनवरत चलता रहता है. इस वर्ष जो गर्मी पड़ी है ये 25 वर्ष पूर्व भी पड़ी थी और उसके 25 साल पूर्व भी पड़ी थी. लेकिन इससे किसी की मरने का सूचना नहीं आयी थी. उन्होंने बताया कि उस वक्त वातावरण में इतना प्रदूषण नहीं था. लोगों में सहनशक्ति अधिक थी. लोग गर्मी से बचने के लिए ग्रीष्म ऋतु के अनुकूल रहन-सहन रखते थे.

Gaya
वैदिक मंत्रालय के रामाचार्य

'पहले भी गया में आया था हीटवेव'
रामाचार्य ने कहा कि ये हीट वेव पहले भी गया में आया था. उस वक्त मौत इस वजह से नहीं हुई क्योंकि उस समय पेड़ पौधे अधिक थे. वातावरण प्रदूषित नहीं था. गर्मी में लोग वातानुकूलित परिस्थितियों में रहते थे. सुबह 11 से शाम 4 बजे तक अधिक लू चलती है, लोग उस समय घर से नहीं निकलते थे. उन्होंने कहा कि ऐसा शत प्रतिशत नहीं कहा जा सकता है, उस वक्त मौत नहीं हुई होगी. मौत हुई होगी पर कम हुई होगी. उस समय अभी जैसे प्रचार-प्रसार भी नहीं होते थे.

Gaya
वैदिक मंत्रालय के रामाचार्य

'भीषण गर्मी के बारे में पंचांग में बताया गया है'
रामाचार्य ने बताया कि आज के समय में लोग इस गर्मी में मांसाहारी भोजन करते हैं. शराब का सेवन करते हैं. इससे शरीर में गर्मी अधिक हो जाती है. इंसान राह चलते बेहोश हो जाता है. अस्पताल जाते-जाते उनकी मौत हो जाती है. उनका कहना है कि लोग खुद अपनी मौत के जिम्मेदार है. ईश्वर और गर्मी इसके जिम्मेदार नहीं है. उन्होंने बताया कि गया और औरंगाबाद में अधिक गर्मी पड़ने के भौगोलिक कारण भी हैं.

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समय का चक्र घूमता है कभी खुशी कभी गम के साथ इंसानों पर प्रभाव डालता है। वर्तमान समय मे गया जिला में हिटवेब के प्रकोप से सैकड़ों लोग की जान चली गयी हैं। गया के विष्णुपद स्थित वैदिक मंत्रालय के रामाचार्य बताते हैं इस तरह की भीषण गर्मी 25 सालो में एक बार पड़ती है। पंचांग में भीषण गर्मी पड़ने का जिक्र कर दिया गया था। पंचांग के अनुसार जून के अंत मे बारिश होगा और लोगो गर्मी से राहत मिलेगा।


Body:गया के विष्णुपद स्थित वैदिक मंत्रालय के रामाचार्य बताते अतिवृष्टि होने पर भगवान कृष्ण ने पहाड़ उठाकर लोगो को जान बचाये थे। ईश्वर त्रासदी लाता हैं तो उससे बचने का रास्ता दिखाता हैं। ईश्वर की त्रासदी कोई एकाएक नही होता है। सभी एक समय से होता हैं प्रत्येक 25 सालो में भीषण गर्मी , कभी कड़ाके ठंड तो कभी बाढ़ आने वाली बरसात होता है। ये प्राकृतिक का चक्र जो अनवरत चलते रहता हैं। इस वर्ष जो गर्मी पड़ा है ये 25 वर्ष पूर्व भी पड़ा था उसके 25 साल पूर्व भी पड़ा था। लेकिन किसी की मरने का सूचना नही आया। उस वक़्त वातावरण में इतना प्रदूषण नही था। लोगो मे सहनशक्ति अधिक था। लोग गर्मी से बचने के लिए ग्रीष्म ऋतु के अनुकूल रहन सहन रखते थे।

आज के समय मे लोग इस गर्मी में माँसाहारी भोजन करते हैं , शराब का सेवन करते हैं इससे शरीर में गर्मी अधिक हो जाता है। इंसान राह चलते बिहोश हो जा रहे हैं अस्पताल जाते जाते उनकी मौत हो जा रही है। मौत के जिम्मेदार खुद है। ईश्वर और गर्मी इसके जिम्मेदार नही है। पंचांग में पहले बता दिया गया था इस वर्ष भीषण गर्मी पड़ेगी फिर भी लोग सचेत नही हुए। गया और औरंगाबाद में अधिक गर्मी पड़ने का भूगौलिक कारण भी हैं।

अब ये हिटवेब पहले भी गया में आया था उस वक़्त मौत क्यों नही हुआ, पहला कारण उस वक़्त पेड़ पौधे अधिक थे। वातावरण प्रदूषित नही था। गर्मी में लोग वातानुकूलित परिस्थितियों में रहते थे। सुबह 11 से शाम 4 बजे तक अधिक लू चलती है। लोग उस वक़्त निकलते नही थे। और ऐसा शत प्रतिशत नही कहा जा सकता हैं उस वक़्त मौत नही हुई होगयी। मौत हुआ होगा पर कम हुआ होगा। अभी जैसे प्रचार प्रसार भी नही होता था।

पंचांग में बताया गया है जून के अंत मे बारिश हो गयी। लोगो को जून के अंत तक गर्मी से राहत मिलेगा और बारिश इस बार खंडित खंडित करके सामान्य बारिश होगा।


Conclusion:
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