ETV Bharat / state

माओवादी शीर्ष नेताओं ने संदीप को खत्म करने का जारी किया था फरमान, ईडी के खुलासे के बाद बढ़ा था मतभेद

नक्सली संगठन भाकपा माओवादी के सेंट्रल कमेटी मेंबर और बिहार में सबसे बड़े नक्सली लीडर संदीप यादव ((Maoist Sandeep Yadav Died) की मौत अब भी रहस्य बनी हुई है. सूत्रों के मुताबिक 2018 में ईडी की कार्रवाई के बाद उसके पास से लाखों की संपत्ति जब्त हुई थी, जिसके बाद माओवादी संगठन के शीर्ष नेताओं ने माना था कि वो लेवी वसूली में गड़बड़ी करता है. उसके शीर्ष नेताओं ने संदीप को बाहर का रास्ता दिखाया था और उसे खत्म करने का फरमान भी जारी किया था.

नक्सली लीडर संदीप यादव
नक्सली लीडर संदीप यादव
author img

By

Published : May 27, 2022, 7:49 AM IST

Updated : May 27, 2022, 2:33 PM IST

गया: बिहार के गया जिला के बांके बाजार (Banke Bazar) में भाकपा माओवादी संगठन (CPI Maoist Organization) के जिस नक्सली विजय उर्फ संदीप यादव की लाश बरामद की गयी है, वह पिछले 27 सालों से पांच राज्यों की पुलिस के लिए मोस्ट वांटेड बना हुआ था. नक्सल प्रभावित इलाकों में उसका नाम आतंक का पर्याय था. झारखंड पुलिस ने उस पर सबसे अधिक 25 लाख रुपये का इनाम घोषित कर रखा था. संदीप यादव की मौत (suspense on death of Maoist Sandeep Yadav) अभी भी रहस्य बनी हुई है, क्योंकि इसकी मौत किस कारण हुई ये स्पष्ट नहीं हो पाया है. संदीप की लाश को उसके गांव में बुधवार को कुछ लोग चबूतरे पर छोड़ गये थे. जिसकी पहचान विजय के पुत्र सोनू कुमार ने की. आशंका व्यक्त की जा रही है कि उसकी हत्या के पीछे उसके अपने ही विश्वस्त लोगों ने की है.

ये भी पढ़ेंः 27 सालों से फरार नक्सली संदीप यादव की मौत, ढूंढ रही थी 6 राज्यों की पुलिस, 84 लाख का था इनामी

रॉबिनहुड जैसी थी संदीप की छवीः बताया जाता है कि विजय यादव झारखंड के इलाकों में बड़े साहब के नाम से जाना जाता था. झारखंड के पलामू प्रमंडल और चतरा जिले के इलाकों में एक खास तबके के बीच उसकी रॉबिनहुड जैसी छवि थी. वह इस तबके में आयोजित होनेवाले कई पारिवारिक कार्यक्रमों में भी शामिल होता था. झारखंड पुलिस की वांटेड सूची में यह आठवें नंबर पर था. उसके पिता का नाम रामदेव यादव है. यह ग्राम लुटवाटोला बाबुरामडीह थाना इमामगंज जिला गया (बिहार) का मूल निवासी था. संदीप ने फिल्मी स्टाइल में एक घुड़सवार दस्ता तैयार किया था. दस्ते के लोग उसकी अगुवाई में एके-47 जैसे हथियार लेकर चलते थे. उसका अपना खुफिया तंत्र था, जिसकी रिपोर्ट के आधार पर ही किसी इलाके में उसका मूवमेंट होता था.

शव को गांव में लाते लोग
शव को गांव में लाते लोग

पुलिस के लिए बना हुआ था सिरदर्दः जानकारी के मुताबिक उसके इर्द-गर्द त्रिस्तरीय सुरक्षा दस्ता रहता था. कई बार पुलिस उसके ठिकानों पर पहुंची, लेकिन वह हर बार चकमा देकर निकलने में कामयाब रहता था. उसके दस्ते के हमलों में दर्जनों पुलिसकर्मी और सुरक्षा बलों के जवान शहीद हुए थे. पुलिस के पास उसकी मात्र एक बेहद पुरानी तस्वीर थी. कुछ समय पहले पुलिस ने नक्सली वारदातों में उसके खिलाफ दर्ज मामलों की सूची तैयार की थी. इसके मुताबिक वह 88 मामलों में वांछित था. झारखंड के अलावा बिहार, छत्तीसगढ़, बंगाल और आंध्रप्रदेश में भी उसपर मामले दर्ज हैं. उसकी मौत को लेकर तरह-तरह की चर्चाएं गर्म हैं. परिजन कुछ खुलकर बताने को तैयार नहीं हैं. गुरुवार की सुबह पुलिस अभिरक्षा में संदीप का शव गया शहर के अनुग्रह नारायण मगध मेडिकल अस्पताल पोस्टमार्टम के लिए लाया गया. मेडिकल टीम गठित होने के बाद वीडियोग्राफी कराकर शव का पोस्टमॉर्टम कराया गया.

संदीप यादव की पत्नी बांके बाजार में है शिक्षिकाः पोस्टमॉर्टम के बाद शव को एंबुलेंस वाहन द्वारा पैतृक गांव बांकेबाजार प्रखंड के बाबूरामडीह भेज दिया गया. एंबुलेंस वाहन द्वारा लगभग 4 बजे बाबूरामडीह जैसे ही शव गांव पहुंचा. पूरा माहौल मातम में तब्दील हो गया. धीरे-धीरे हजारों की भीड़ इकट्ठी हो गई. लोग आक्रोशित होने लगे. शव को एक चबूतरे पर रखकर लोग संदीप यादव अमर रहे के नारे लगाने लगे. लोग इतने ज्यादा नाराज थे कि उन्होंने लाल सलाम के साथ जब तक नक्सलवाद की लहर कायम रहेगी तब तक संदीप यादव का नाम गूंजता रहेगा, के नारे लगाए जा रहे थे. इस दौरान पुलिस का एक भी जवान या आलाअधिकारी गांव में मौजूद नहीं था. विजय यादव की पत्नी बांके बाजार में शिक्षिका है. रांची के डीआईजी विजय यादव की मौत की सूचना मिलने के बाद झारखंड पुलिस ने भी बिहार पुलिस से भी संपर्क साधा है.

रोते बिलखते संदीप के परिजन
रोते बिलखते संदीप के परिजन

ये भी पढ़ेंः कैसे हुई कुख्यात नक्सली संदीप यादव की मौत, बेटे ने खोला राज

'मौत के कारण स्पष्ट नहीं हो सके हैं. मेडिकल टीम गठित की गई है. पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट से मौत के कारण सामने आ सकेंगे. वैसे परिवार वाले डायबिटीज पेशेंट बता रहे हैं. पोस्टमॉर्टम के बाद परिजनों को शव सौंप दिया गया है. उसके गांव में ही अंतिम संस्कार किया जाएगा. उसका भाई बुटाली यादव जो जेल में बंद उसको पुलिस अभिरक्षा में गांव में जाने की अनुमती दी जाएगी. संदीप नक्सलयों का बड़े नेता था, इसलिए नक्सलयों में थोड़ा गुस्सा तो है और उन्हें बड़ा नुकसान है. इसे खिलाफ देश के कई राज्यों की पुलिस ने ईनाम घोषित कर रखे थे झारखंड पुलिस द्वारा 25 लाख और बिहार में 5 लाख का इनाम घोषित था. इसके अलावा अन्य राज्यों में भी इसे खिलाफ इनाम घोषित है'- हरप्रीत कौर, एसएसपी

संदीप के गांव में पुलिस की टीम
संदीप के गांव में पुलिस की टीम

माओवादियों की सेंट्रल कमिटी के शीर्ष नेता थे नाराजः सोर्स से मिली जानकारी के अनुसार बिहार में पहली बार 2018 में ईडी ने किसी नक्सली के खिलाफ कार्रवाई की थी. ईडी की कार्रवाई में संदीप यादव की संपत्ति और परिजनों के नामों से रहे संपत्ति को खंगाला गया था. संदीप यादव उर्फ रूपेश के ठिकानों पर रेड डालकर 86 लाख मूल्य की चल-अचल संपत्ति जब्त की थी. जब्त संपत्ति में भूखंड और फ्लैट की कीमत 50 लाख रुपये आंकी गयी थी. इसके बाद माओवादियों की सेंट्रल कमिटी के शीर्ष नेताओं ने संदीप से हिसाब मांगा था. माना जा रहा था कि उसने लेवी वसूली में गड़बड़ी की है. हिसाब नहीं देने पर माओवादी संगठन के शीर्ष नेताओं ने संदीप को बाहर का रास्ता दिखाया था और उसे खत्म करने का फरमान जारी किया था. माओवादियों की सेंट्रल कमिटी से उसकी 3 महीने से दूरी बनी हुई थी. गौरतलब है कि संदीप की मौत के बाद एक आई वीडियो में उसका पैर भी बंधा दिख रहा है.

विश्वसनीय खबरों को देखने के लिए डाउनलोड करें ETV BHARAT APP

गया: बिहार के गया जिला के बांके बाजार (Banke Bazar) में भाकपा माओवादी संगठन (CPI Maoist Organization) के जिस नक्सली विजय उर्फ संदीप यादव की लाश बरामद की गयी है, वह पिछले 27 सालों से पांच राज्यों की पुलिस के लिए मोस्ट वांटेड बना हुआ था. नक्सल प्रभावित इलाकों में उसका नाम आतंक का पर्याय था. झारखंड पुलिस ने उस पर सबसे अधिक 25 लाख रुपये का इनाम घोषित कर रखा था. संदीप यादव की मौत (suspense on death of Maoist Sandeep Yadav) अभी भी रहस्य बनी हुई है, क्योंकि इसकी मौत किस कारण हुई ये स्पष्ट नहीं हो पाया है. संदीप की लाश को उसके गांव में बुधवार को कुछ लोग चबूतरे पर छोड़ गये थे. जिसकी पहचान विजय के पुत्र सोनू कुमार ने की. आशंका व्यक्त की जा रही है कि उसकी हत्या के पीछे उसके अपने ही विश्वस्त लोगों ने की है.

ये भी पढ़ेंः 27 सालों से फरार नक्सली संदीप यादव की मौत, ढूंढ रही थी 6 राज्यों की पुलिस, 84 लाख का था इनामी

रॉबिनहुड जैसी थी संदीप की छवीः बताया जाता है कि विजय यादव झारखंड के इलाकों में बड़े साहब के नाम से जाना जाता था. झारखंड के पलामू प्रमंडल और चतरा जिले के इलाकों में एक खास तबके के बीच उसकी रॉबिनहुड जैसी छवि थी. वह इस तबके में आयोजित होनेवाले कई पारिवारिक कार्यक्रमों में भी शामिल होता था. झारखंड पुलिस की वांटेड सूची में यह आठवें नंबर पर था. उसके पिता का नाम रामदेव यादव है. यह ग्राम लुटवाटोला बाबुरामडीह थाना इमामगंज जिला गया (बिहार) का मूल निवासी था. संदीप ने फिल्मी स्टाइल में एक घुड़सवार दस्ता तैयार किया था. दस्ते के लोग उसकी अगुवाई में एके-47 जैसे हथियार लेकर चलते थे. उसका अपना खुफिया तंत्र था, जिसकी रिपोर्ट के आधार पर ही किसी इलाके में उसका मूवमेंट होता था.

शव को गांव में लाते लोग
शव को गांव में लाते लोग

पुलिस के लिए बना हुआ था सिरदर्दः जानकारी के मुताबिक उसके इर्द-गर्द त्रिस्तरीय सुरक्षा दस्ता रहता था. कई बार पुलिस उसके ठिकानों पर पहुंची, लेकिन वह हर बार चकमा देकर निकलने में कामयाब रहता था. उसके दस्ते के हमलों में दर्जनों पुलिसकर्मी और सुरक्षा बलों के जवान शहीद हुए थे. पुलिस के पास उसकी मात्र एक बेहद पुरानी तस्वीर थी. कुछ समय पहले पुलिस ने नक्सली वारदातों में उसके खिलाफ दर्ज मामलों की सूची तैयार की थी. इसके मुताबिक वह 88 मामलों में वांछित था. झारखंड के अलावा बिहार, छत्तीसगढ़, बंगाल और आंध्रप्रदेश में भी उसपर मामले दर्ज हैं. उसकी मौत को लेकर तरह-तरह की चर्चाएं गर्म हैं. परिजन कुछ खुलकर बताने को तैयार नहीं हैं. गुरुवार की सुबह पुलिस अभिरक्षा में संदीप का शव गया शहर के अनुग्रह नारायण मगध मेडिकल अस्पताल पोस्टमार्टम के लिए लाया गया. मेडिकल टीम गठित होने के बाद वीडियोग्राफी कराकर शव का पोस्टमॉर्टम कराया गया.

संदीप यादव की पत्नी बांके बाजार में है शिक्षिकाः पोस्टमॉर्टम के बाद शव को एंबुलेंस वाहन द्वारा पैतृक गांव बांकेबाजार प्रखंड के बाबूरामडीह भेज दिया गया. एंबुलेंस वाहन द्वारा लगभग 4 बजे बाबूरामडीह जैसे ही शव गांव पहुंचा. पूरा माहौल मातम में तब्दील हो गया. धीरे-धीरे हजारों की भीड़ इकट्ठी हो गई. लोग आक्रोशित होने लगे. शव को एक चबूतरे पर रखकर लोग संदीप यादव अमर रहे के नारे लगाने लगे. लोग इतने ज्यादा नाराज थे कि उन्होंने लाल सलाम के साथ जब तक नक्सलवाद की लहर कायम रहेगी तब तक संदीप यादव का नाम गूंजता रहेगा, के नारे लगाए जा रहे थे. इस दौरान पुलिस का एक भी जवान या आलाअधिकारी गांव में मौजूद नहीं था. विजय यादव की पत्नी बांके बाजार में शिक्षिका है. रांची के डीआईजी विजय यादव की मौत की सूचना मिलने के बाद झारखंड पुलिस ने भी बिहार पुलिस से भी संपर्क साधा है.

रोते बिलखते संदीप के परिजन
रोते बिलखते संदीप के परिजन

ये भी पढ़ेंः कैसे हुई कुख्यात नक्सली संदीप यादव की मौत, बेटे ने खोला राज

'मौत के कारण स्पष्ट नहीं हो सके हैं. मेडिकल टीम गठित की गई है. पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट से मौत के कारण सामने आ सकेंगे. वैसे परिवार वाले डायबिटीज पेशेंट बता रहे हैं. पोस्टमॉर्टम के बाद परिजनों को शव सौंप दिया गया है. उसके गांव में ही अंतिम संस्कार किया जाएगा. उसका भाई बुटाली यादव जो जेल में बंद उसको पुलिस अभिरक्षा में गांव में जाने की अनुमती दी जाएगी. संदीप नक्सलयों का बड़े नेता था, इसलिए नक्सलयों में थोड़ा गुस्सा तो है और उन्हें बड़ा नुकसान है. इसे खिलाफ देश के कई राज्यों की पुलिस ने ईनाम घोषित कर रखे थे झारखंड पुलिस द्वारा 25 लाख और बिहार में 5 लाख का इनाम घोषित था. इसके अलावा अन्य राज्यों में भी इसे खिलाफ इनाम घोषित है'- हरप्रीत कौर, एसएसपी

संदीप के गांव में पुलिस की टीम
संदीप के गांव में पुलिस की टीम

माओवादियों की सेंट्रल कमिटी के शीर्ष नेता थे नाराजः सोर्स से मिली जानकारी के अनुसार बिहार में पहली बार 2018 में ईडी ने किसी नक्सली के खिलाफ कार्रवाई की थी. ईडी की कार्रवाई में संदीप यादव की संपत्ति और परिजनों के नामों से रहे संपत्ति को खंगाला गया था. संदीप यादव उर्फ रूपेश के ठिकानों पर रेड डालकर 86 लाख मूल्य की चल-अचल संपत्ति जब्त की थी. जब्त संपत्ति में भूखंड और फ्लैट की कीमत 50 लाख रुपये आंकी गयी थी. इसके बाद माओवादियों की सेंट्रल कमिटी के शीर्ष नेताओं ने संदीप से हिसाब मांगा था. माना जा रहा था कि उसने लेवी वसूली में गड़बड़ी की है. हिसाब नहीं देने पर माओवादी संगठन के शीर्ष नेताओं ने संदीप को बाहर का रास्ता दिखाया था और उसे खत्म करने का फरमान जारी किया था. माओवादियों की सेंट्रल कमिटी से उसकी 3 महीने से दूरी बनी हुई थी. गौरतलब है कि संदीप की मौत के बाद एक आई वीडियो में उसका पैर भी बंधा दिख रहा है.

विश्वसनीय खबरों को देखने के लिए डाउनलोड करें ETV BHARAT APP

Last Updated : May 27, 2022, 2:33 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.