गया: बिहार के गया में विश्व प्रसिद्ध और मोक्ष धाम विष्णुपद मंदिर में सोलह वेदी के समीप लगी धूप घड़ी इन दिनों काम नहीं कर रही है. मुख्य उपकरण के गिरकर अलग हो जाने से ऐसा हुआ है. धूप घड़ी करीब 162 साल से भी पुरानी बताई जाती है. माना जाता है कि पहले जब भगवान विष्णु को भोग लगाया जाता था, तो इसी धूप घड़ी से समय ज्ञात किया जाता था. फिलहाल धरोहर के रूप में रही धूप घड़ी अब किसी प्रकार का समय नहीं बता रही है.
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162 साल पुरानी घड़ी रखरखाव के अभाव मे खराब : धूप घड़ी यानि कि एक ऐसा अद्भुत उपकरण जो कि सूर्य की रोशनी और होने वाली छाया से समय का पता बताती है. ऐसी अद्भुत घड़ी विष्णुपद मंदिर के प्रांगण में सोलह वेदी के समीप करीब 2 सदियों से है. बिना बैटरी और कांटे से समय बताने वाली यह धूप घड़ी बिल्कुल ही अनोखी है. यह एक धरोहर के रूप में भी है. पुराने जमाने में लोग सूर्य की दिशा और धूप देखकर समय का पता करते थे. इसके बाद धूप घड़ी भी आई. धूप घड़ी देश के कुछ चुनिंदा स्थानों पर आज भी मौजूद है. धूप घड़ी की खासियत है, कि इससे समय का एक सटीक अंदाजा मिल जाता है.
भगवान विष्णु को भोग लगाने के लिए देखी जाती थी घड़ी : मोक्ष धाम विष्णुपद मंदिर के प्रांगण में धूप घड़ी रखा गया है. बताया जाता है कभी भगवान विष्णु को भोग लगाने के लिए धूप घड़ी से सही समय ज्ञात किया जाता था. जब आज के युग की तरह इलेक्ट्रिक घड़ियां नहीं थी, तो धूप घड़ी समय ज्ञात करवाने में बड़ी भूमिका निभाती थी. वहीं, विष्णुपद मंदिर आने वाले तीर्थयात्री धूप घड़ी को जरूर देखते हैं. धूप घड़ी तीर्थयात्रियों को अचंभित करती है. फिलहाल मुख्य उपकरण के गिरकर अलग हो जाने के कारण तीर्थयात्रियों इस धरोहर को देख नहीं पा रहे है.
धूप घड़ी.. ऐसे बताती है समय : विष्णुपद मंदिर प्रांगण में सोलह वेदी के समीप बने धूप घड़ी की बनावट अद्भुत है. करीब ढाई से तीन फीट ऊंचे पत्थर का एक गोलाकार खंभानुमा बना हुआ है, जिसके ऊपर थोड़ी ज्यादा चौड़ाई का एक हिस्सा बनाया गया है. इस हिस्से पर अंक समेत अन्य चीजें अंकित हैं और इसी पर एक पीतल का मेटल लगा हुआ है, जो काफी पौराणिक है. यह पीतल का मेटल ही मुख्य उपकरण बताया जाता है, जिसकी मदद से धूप की रोशनी के साथ सही समय का ज्ञात होता है. पीतल के मेटल पर जब सूर्य की रोशनी पड़ती है और उसकी छाया जिस अंक पर बनती है, वही सही समय का ज्ञात करवाती है.
धूप घड़ी को अब शीशे के फ्रेम से सुरक्षित रखा जाएगा: मंदिर प्रबंधन की माने तो धूप घड़ी गिरने से टूट गया था, जो फिलहाल काम नहीं कर रहा है. क्योंकि दो बार किसी तरह से उखड़ कर गिरा है, जिसके बाद से इसे सुरक्षित रखा गया है. अब शीशे का फ्रेम बना कर उसमें सुरक्षित रखा जाएगा. साथ ही चारों ओर से स्टील का रॉड भी लगाया जाएगा. वास्तविक आकार ग्लोब की तरह होगा.
162 साल पुरानी धूप घड़ी फिर से करने लगेगी काम: इस संबंध में विष्णुपद प्रबंध कारिणी समिति के अध्यक्ष शंभूलाल विट्ठल ने बताया कि दो बार पीतल का नाव नुमा मेटल गिरने से धूप घड़ी अभी काम नहीं कर रही है. यह धूप घड़ी करीब 162 साल से भी पुरानी है. हमारी कोशिश है कि जल्द ही यह फिर से काम करने लगेगा. इसके लिए कई कार्य हो रहे हैं. पीतल का मेटल फिलहाल सुरक्षित है और फिर से उसे लगाया जाएगा, ताकि धूप घड़ी काम करना शुरू कर दे.
''इसके लिए शीशे का फ्रेम बनाकर जाम कराया जाएगा. ग्लोब नुमा बनाने की तैयारी है. विशेष कारीगरों को बुलाया जा रहा है. दो बार किसी कारणवश पीतल का नाव नुमा मेटल गिरने से धूप घड़ी फिलहाल काम नहीं कर रही है=. लेकिन नए तरीके से इसे फिर से लगाए जाने पर इसे कोई छू नहीं सकेगा. जिससे भविष्य में यह नहीं गिरेगा और धूप घड़ी काम करती रहेगी.'' - शंभूलाल विट्ठल, अध्यक्ष, विष्णुपद प्रबंध कारिणी समिति, गया