गयाः मोक्ष और ज्ञान की नगरी गया में नक्सलियों का बोलबाला रहा है. शहर से 60 किलोमीटर दूर मोहनपुर प्रखंड के अमकोला गांव में एक दशक पूर्व बच्चे पढ़ने के बजाए हथियार चलाना सीखते थे. लेकिन सरकार की योजनाओं की बदौलत अब बच्चे कलम और स्मार्ट क्लास से पढ़ाई कर अपना भविष्य संवार रहे हैं. इन बच्चों ने कलम को ही अब अपना हथियार बना लिया है.
विकास ने बदल दी गांव की तकदीर
मोहनपुर प्रखंड जहां कुछ साल पहले तक लाल सलाम की गूंज सुनाई पड़ती थी. हर दिन खून से लथपथ लोगों की लाशें मिलती थी. नक्सली अपने दस्ते को मजबूत करने के लिए छोटे-छोटे बच्चों को हथियार चलाना सिखाते थे. लेकिन सरकार के विकास की हवा इस इलाके में ऐसी बही कि गांव की तकदीर ही बदल गई. इस गांव में सड़क बनाई गई, विद्यालय बनाया गया और बिजली पहुंच गई. धीरे-धीरे हालात सुधरने लगे. जो बच्चे कल तक बंदूक उठाते थे, अब स्कूल जाने के लिए घर से स्कूल बैग उठाते हैं.
स्मार्ट क्लास से होती है पढ़ाई
मोहनपुर प्रखंड के अति नक्सल प्रभावित क्षेत्र अमकोला गांव में उत्क्रमित उच्च विद्यालय में मात्र दो शिक्षक गणित और विज्ञान के हैं. छात्रों को अन्य विषय की पढ़ाई करने में काफी दिक्कत होती थी. सरकार के उन्नयन योजना के तहत इस स्कूल में स्मार्ट क्लास लगाई जाने लगी. अब स्कूल के छात्र स्मार्ट क्लास से अन्य विषयों की पढ़ाई कर लेते हैं. हालांकि शिक्षकों की कमी तो खलती है.
स्कूल में शिक्षकों की है कमी
स्कूल के छात्रों ने बताया कि स्कूल में मात्र दो ही शिक्षक हैं, जिसमें एक शिक्षक प्रभारी प्रधानाचार्य हैं. ऐसे में हमलोगों को पढ़ाई में काफी दिक्कत होती थी. एक अगस्त से स्मार्ट क्लास की शुरुआत हुई है. अब सभी विषयों की पढ़ाई हो जाती है. पहले ये इलाका नक्सल प्रभावित क्षेत्र था. जवानों के साथ-साथ बच्चे और महिलाएं भी नक्सली दस्ते में शामिल होती थी. लेकिन अब माहौल बदल रहा है. लोग हथियार छोड़कर पढ़ाई कर रहे हैं. छात्रों ने कहा कि हमलोग हथियार का मुकाबला कलम से कर रहे हैं.
बंद होने के कगार पर था स्कूल
स्कूल के प्रधानाचार्य विनोद कुमार ने बताया कि उत्क्रमित उच्च विद्यालय एक बुरे दौर से गुजरा है. एक साल यहां मात्र दो ही छात्र मैट्रिक की परीक्षा में पास हुए थे. विभागीय स्तर से इस स्कूल को बंद किया जा रहा था, लेकिन विभाग को मैंने भरोसा दिलाया कि एक बार मौका दीजिये, हम अच्छा रिजल्ट देंगे. छात्रों की मेहनत और मेरे प्रयास से 90 प्रतिशत छात्र पास होंगे. स्कूल बन्द होने से बच गया. अब समस्या थी स्कूल में शिक्षकों की, हम दोंनो दो ही विषय पढ़ा पाते हैं. इसी बीच स्मार्ट क्लास की योजना आई. स्मार्ट क्लास से बच्चे अन्य विषयों की पढ़ाई कर रहे हैं. इसमें शिक्षक की जरूरत नहीं पड़ती है. स्मार्ट क्लास शुरू होने से आगामी मेट्रिक परीक्षा में बहुत मदद मिलेगी. इस विद्यालय में 170 छात्र हैं. यहां नवीं और दसवीं क्लास की पढ़ाई होती है.