गया: बिहार के गया में नारी सशक्तिकरण (Women Empowerment in Gaya) का एक बेमिसाल उदाहरण देखने को मिला है. जिले के नूतन नगर की रहने वाली पम्मी शर्मा अपनी नारी शक्ति चाय वाली स्टॉल के लिए काफी जानी जाती हैं. उन्होंने इस स्टॉल की शुरूआत तब की जब उनके परिवार की माली हालत एकदम से खराब हो चली थी. रोजमर्रा की जिंदगी पर जहां आफत थी. वहीं बच्ची की स्कूल फीस चुकाने की समस्या सामने खड़ी थी. घर की खराब हालत और बच्ची की स्कूल की फीस चुकाने के लिए पम्मी शर्मा रास्ता ढूंढ रही थी. इसी बीच बच्ची की स्कूल की फीस नहीं चुकाने पर विद्यालय की ओर से कहा गया कि एग्जाम में बच्ची को नहीं बैठने दिया जाएगा. स्कूल की नोटिस पर मां गंभीर हो गई और चाय की स्टॉल लगाने का निर्णय लिया.
इस कॉलेज के बाहर लगाती हैं स्टॉल: पम्मी शर्मा ने अपने पति, पिता और परिवार के किसी भी सदस्य को बिना बताए ही चाय की दुकान खोलने का निर्णय लिया था. पूंजी नहीं होने की वजह से चाय की दुकान का विकल्प ही सामने आया. पम्मी शर्मा गया के मिर्जा गालिब कॉलेज के पास फुटपाथ पर 'नारी शक्ति चाय वाली' नाम से अपनी चाय की दुकान चलाती है. दुकान खुलने के बाद धीरे-धीरे घर की माली हालत सुधरने लगी है. पम्मी शर्मा को पता था कि चाय की दुकान खोलने से पहले अगर घर वालों को इस बारे में बता दिया तो वो लोग उन्हें रोकेंगे. हालांकि जब इस बात की सभी को जानकारी हुई तो पम्मी शर्मा का साहस देखकर वह भी उसके साथ खड़े हो गए हैं.
राजस्थान की यूनिवर्सिटी में पढ़ाती थी कंप्यूटर: पम्मी शर्मा ने ग्रेजुएशन किया हुआ है. वह राजस्थान के यूनिवर्सिटी में नौकरी करती थी, उनके पति नारायण कुमार भी वहां जॉब करते थे. कोरोना काल के लॉकडाउन में पति की नौकरी चली गई तो वह इकलौती कमाने वाली रह गई. हालांकि किराए के मकान में रहकर परिवार का खर्च चलाना मुश्किल साबित होने लगा. पम्मी बताती है कि पति मेडिकल फार्मा में सेल्स एरिया मैनेजर थे और वह राजस्थान यूनिवर्सिटी में कंप्यूटर ऑपरेटर थी. पति की नौकरी जाने के बाद रुपए कम पड़ने लगे, तो घर चलाने में काफी मुश्किलें आई, काफी संघर्ष किया. स्थिति नहीं सुधरी तो उन लोगों ने गया लौटने का निर्णय लिया. पिछले दो वर्ष से गया आने के बाद यहां भी नौकरी पाने और खर्च चलाने के लिए लगातार संघर्ष कर रही थी. जिसके बाद उन्होंने यह फैसला लिया. वहीं उनके पति को अभी तक जॉब नहीं मिल पाई है.
नाम के पीछे की है ये वजह: पम्मी बताती है कि उनकी दुकान का नाम 'नारी शक्ति चाय वाली है', समाज में महिलाओं को तोड़ने और झुकाने वालों को एक चैलेंज के रूप में उन्होंने यह नाम दिया है. ऐसे लोग नारी को कमजोर नहीं समझें, उन्हें यह समझ में आए कि वह आत्मनिर्भर बन सकती है. हालांकि पम्मी कहना है कि शुरूआत में काफी कुछ दिक्कतें आई लेकिन अब सब कुछ नॉर्मल हो रहा है. मैं खुद की मालकिन हूं और अब मैं 10 लोगों को रोजगार दे सकती हूं. मेरे अचानक नारी शक्ति वाली चाय की दुकान खोले जाने से सब हैरान हो गए लेकिन अब सब नॉर्मल है. हर महिला में शर्म होती है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि नारी कमजोर होती है. ऐसा कोई भी काम नहीं है, जो नारी नहीं कर सकती सकती है, चाहे वह काम छोटा हो या बड़ा. महिलाएं सिलाई मशीन चला सकती है. सब्जी की दुकान खोल सकती है, बड़े काम भी कर सकती है. यह नाम नारी सशक्तिकरण के प्रयास को सफल बनाने के लिए भी चुना गया है.
"दुकान का नाम 'नारी शक्ति चाय वाली' है, समाज में महिलाओं को तोड़ने और झुकाने वालों को एक चैलेंज के रूप में मैंने यह नाम दिया है. ऐसे लोग नारी को कमजोर नहीं समझें, उन्हें यह समझ में आए कि वह आत्मनिर्भर बन सकती है. शुरूआत में काफी कुछ दिक्कतें आई लेकिन अब सब कुछ नॉर्मल हो रहा है. मैं खुद की मालकिन हूं और अब मैं 10 लोगों को रोजगार दे सकती हूं. मेरे अचानक नारी शक्ति वाली चाय की दुकान खोले जाने से सब हैरान हो गए लेकिन अब सब नॉर्मल है. हर महिला में शर्म होती है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि नारी कमजोर होती है. ऐसा कोई भी काम नहीं है, जो नारी नहीं कर सकती सकती है, चाहे वह काम छोटा हो या बड़ा." - पम्मी शर्मा, संचालक, नारी शक्ति चाय वाली
छात्रों ने बताया प्रेरणा का स्त्रोत: नारी शक्ति चाय वाली की दुकान पर चाय पीने को आए अभिज्ञान शांडिल्य बताते हैं, कि पम्मी शर्मा जैसी महिला को देखकर काफी प्रेरणा मिलती है. वह यहां हिम्मत करके खड़ी है. सरकार तो दावा करती है, कि नारी सशक्तिकरण हो रहा है लेकिन ऐसा कुछ नहीं है. नारी को आज भी खुद आगे आना होगा. महिला तरक्की करेगी तभी राज्य और देश भी तरक्की करेगा. फिलहाल पम्मी शर्मा के इस हौसले को देखकर कालेज जाने वाली छात्राओं के भी हौसले बुलंद हुए हैं. वह नारी शक्ति चाय वाली से प्रेरित हैं और हर तरह से उन्हें सपोर्ट कर रही हैं.