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मुजफ्फरपुर के बाद AES का सबसे बड़ा क्लस्टर बना गया, ANMMCH में बनाया गया स्पेशल वार्ड

बिहार के अस्पतालों में स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी के कारण बीते साल चमकी बुखार से काफी बच्चों की मौत हुई थी. वहीं, प्रशासन ने गंभीरता दिखाते हुए इस बार गया के अनुग्रह नारायण मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल को अलर्ट पर रखा है.

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ANMMCH में बनाया गया स्पेशल वार्ड
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Published : May 29, 2021, 9:57 PM IST

गया: बिहार में जापानी बुखार यानी जेई-एईएस (JE- AES) के मरीज सबसे ज्यादा मुजफ्फरपुर(Muzaffarpur) में मिलते हैं. उसके बाद इस बीमारी का सबसे बड़ा क्लस्टर(Cluster) गया (Gaya) जिला है. एक दशक में गया जिले में सैकड़ों बच्चों की मौत हुई है.

जिले में लगातार दो दिन बारिश होने से एईएस-जेई के मरीज मिलने की आशंका जताया जा रही है. जिसको लेकर अनुग्रह नारायण मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल( Anugrah Narayan Magadh Medical College Hospital) को अलर्ट(alert) पर रखा गया है.

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100 बेड का पीडियाट्रिक आईसीयू वार्ड बनकर तैयार

यह भी पढ़ें- मुजफ्फरपुर: 20 बच्चों में AES की पुष्टि, चमकी बुखार से पीड़ित 5 बच्चे SKMCH में भर्ती, 1 की हालत नाजुक

गया बना जापानी बुखार का दूसरा क्लस्टर
दरअसल, बिहार में जापानी बुखार (JE) का दूसरा सबसे बड़ा क्लस्टर गया है. गया जिले में जेई और एईएस से मरने वालों की संख्या सबसे अधिक है. मगध क्षेत्र का सबसे बड़ा अस्पताल अनुग्रह नारायण मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल (ANMMCH) में जेई और एईएस को लेकर पूरी तैयारी कर ली गई है.

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शिशु विभाग

बिहार के दक्षिण क्षेत्र मगध इलाके में जेई और एईएस मॉनसून के बारिश के साथ आता है. पिछले वर्ष मॉनसून के आगमन से जापानी बुखार के मरीज मिलने लगे थे. पिछले दो साल में डेढ़ दर्जन से अधिक बच्चों की मौत इस बीमारी से हुई है.

यह भी पढ़ें- SKMCH में भर्ती 2 और बच्चों में AES की पुष्टि, इस साल 3 मासूमों की हुई है मौत

जिले के कई अस्पताल अलर्ट पर
इस साल गया जिला प्रशासन, जिला स्वास्थ्य विभाग और अनुग्रह नारायण मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल जेई और एईएस के लेकर काफी अलर्ट पर है. मगध क्षेत्र के सबसे बड़े अस्पताल अनुग्रह नारायण मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल को कोविड 19 के लिए सुरक्षित होने के बावजूद अस्पताल प्रशासन काफी सतर्कता से पूरे अस्पताल में सिर्फ शिशु विभाग को चालू रखा है.

देखें रिपोर्ट..

'इस विभाग में जेई और एईएस के लिए स्पेशल वार्ड बनाया गया है.बीते शाम मेरा बच्चा बुखार और कंपकंपी जैसा महसूस कर रहा था. इस अस्पताल में इलाज से काफी अच्छा हो गया . यहां इलाज की काफी अच्छी व्यवस्था है'.- संजीव कुमार, जेई के संदिग्ध मरीज के पिता

'जेई और एईएस के लिए 10 बेड का स्पेशल वार्ड बनाया गया है.मरीजों की संख्या बढ़ने पर बेडों की संख्या बढ़ायी जाएगी. वार्ड के सभी बेड तक ऑक्सीजन की आपूर्ति की व्यवस्था की गई है. इस बीमारी से जुड़ी दवाइयां और बाकी जरूरतों के सभी चीजें उपलब्ध हैं'.- डॉ हरिश्चंद्र हरि, अधीक्षक

आपको बता दें कि बिहार के मुजफ्फरपुर में श्रीकृष्ण मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में इस वर्ष 100 बेड का पीडियाट्रिक आईसीयू वार्ड बनकर तैयार हो गया है. साल 2019 में हिटवेब की समीक्षा करने आये बिहार के मुख्यमंत्री ने अनुग्रह नारायण मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भी जेई और एईएस के लिए स्पेशल वार्ड बनाने का घोषणा की थी, लेकिन दो साल बीतने पर भी वार्ड बनकर तैयार नहीं हुआ.

ये भी पढ़ें...चमकी बुखार के खतरे से निपटने के लिए स्वास्थ्य विभाग तैयार: मंगल पांडेय

गौरतलब है चमकी बुखार में अकसर रात के तीसरे पहर और सुबह में तेज बुखार का अटैक आता है. अमूमन यह बीमारी उन बच्चों पर ज्यादा प्रभावी होती है, जिनका ग्लूकोज लेवल कम रहता है. यही वजह है स्वास्थ्य विभाग ने सभी एईएस प्रभावित इलाकों में बच्चों को सही न्यूट्रिशन देने की गाइडलाइंस जारी किया है.

यह भी पढ़ें- चमकी बुखार के खतरे से निपटने के लिए स्वास्थ्य विभाग तैयार: मंगल पांडेय

यह भी पढ़ें- मुजफ्फरपुर में चमकी बुखार से तेजी से ग्रसित हो रहे बच्चे, जागरुकता कार्यक्रम चलाकर लोगों को किया जा रहा जागरूक

यह भी पढ़ें- AES से लड़ने के लिए तैयार है ANMMCH, बनाया गया 10 बेड का स्पेशल वार्ड

गया: बिहार में जापानी बुखार यानी जेई-एईएस (JE- AES) के मरीज सबसे ज्यादा मुजफ्फरपुर(Muzaffarpur) में मिलते हैं. उसके बाद इस बीमारी का सबसे बड़ा क्लस्टर(Cluster) गया (Gaya) जिला है. एक दशक में गया जिले में सैकड़ों बच्चों की मौत हुई है.

जिले में लगातार दो दिन बारिश होने से एईएस-जेई के मरीज मिलने की आशंका जताया जा रही है. जिसको लेकर अनुग्रह नारायण मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल( Anugrah Narayan Magadh Medical College Hospital) को अलर्ट(alert) पर रखा गया है.

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100 बेड का पीडियाट्रिक आईसीयू वार्ड बनकर तैयार

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गया बना जापानी बुखार का दूसरा क्लस्टर
दरअसल, बिहार में जापानी बुखार (JE) का दूसरा सबसे बड़ा क्लस्टर गया है. गया जिले में जेई और एईएस से मरने वालों की संख्या सबसे अधिक है. मगध क्षेत्र का सबसे बड़ा अस्पताल अनुग्रह नारायण मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल (ANMMCH) में जेई और एईएस को लेकर पूरी तैयारी कर ली गई है.

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शिशु विभाग

बिहार के दक्षिण क्षेत्र मगध इलाके में जेई और एईएस मॉनसून के बारिश के साथ आता है. पिछले वर्ष मॉनसून के आगमन से जापानी बुखार के मरीज मिलने लगे थे. पिछले दो साल में डेढ़ दर्जन से अधिक बच्चों की मौत इस बीमारी से हुई है.

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जिले के कई अस्पताल अलर्ट पर
इस साल गया जिला प्रशासन, जिला स्वास्थ्य विभाग और अनुग्रह नारायण मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल जेई और एईएस के लेकर काफी अलर्ट पर है. मगध क्षेत्र के सबसे बड़े अस्पताल अनुग्रह नारायण मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल को कोविड 19 के लिए सुरक्षित होने के बावजूद अस्पताल प्रशासन काफी सतर्कता से पूरे अस्पताल में सिर्फ शिशु विभाग को चालू रखा है.

देखें रिपोर्ट..

'इस विभाग में जेई और एईएस के लिए स्पेशल वार्ड बनाया गया है.बीते शाम मेरा बच्चा बुखार और कंपकंपी जैसा महसूस कर रहा था. इस अस्पताल में इलाज से काफी अच्छा हो गया . यहां इलाज की काफी अच्छी व्यवस्था है'.- संजीव कुमार, जेई के संदिग्ध मरीज के पिता

'जेई और एईएस के लिए 10 बेड का स्पेशल वार्ड बनाया गया है.मरीजों की संख्या बढ़ने पर बेडों की संख्या बढ़ायी जाएगी. वार्ड के सभी बेड तक ऑक्सीजन की आपूर्ति की व्यवस्था की गई है. इस बीमारी से जुड़ी दवाइयां और बाकी जरूरतों के सभी चीजें उपलब्ध हैं'.- डॉ हरिश्चंद्र हरि, अधीक्षक

आपको बता दें कि बिहार के मुजफ्फरपुर में श्रीकृष्ण मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में इस वर्ष 100 बेड का पीडियाट्रिक आईसीयू वार्ड बनकर तैयार हो गया है. साल 2019 में हिटवेब की समीक्षा करने आये बिहार के मुख्यमंत्री ने अनुग्रह नारायण मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भी जेई और एईएस के लिए स्पेशल वार्ड बनाने का घोषणा की थी, लेकिन दो साल बीतने पर भी वार्ड बनकर तैयार नहीं हुआ.

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गौरतलब है चमकी बुखार में अकसर रात के तीसरे पहर और सुबह में तेज बुखार का अटैक आता है. अमूमन यह बीमारी उन बच्चों पर ज्यादा प्रभावी होती है, जिनका ग्लूकोज लेवल कम रहता है. यही वजह है स्वास्थ्य विभाग ने सभी एईएस प्रभावित इलाकों में बच्चों को सही न्यूट्रिशन देने की गाइडलाइंस जारी किया है.

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