गया: बोध गया, जिसे ज्ञान की भूमि कहते हैं. ये शहर अपने आप में शांति का संदेश देता है. यूं तो यहां अनेक शांति स्तूप हैं. लेकिन जिले के महाबोधि सोसाइटी ऑफ इंडिया के परिसर में निर्मित यह स्तूप अपने आप में अनोखा है.
बता दें कि, महाबोधि सोसाइटी ऑफ इंडिया में स्थित यह स्तूप युद्ध में इस्तेमाल किए गए गोलियों से बनाया गया है. जो कि समाज में अमन-चैन का संदेश दे रहा है. देश-विदेश से लोग इसके दर्शन के लिए आते हैं.
युद्ध की सामग्री से बना यह स्तूप
करीब 23 वर्षों तक श्रीलंका सरकार और लिट्टे समूह के बीच युद्ध चला था. इस युद्ध में इस्तेमाल किये गए गोलियों के खोके और अन्य सामानों से इस स्तूप का निर्माण किया गया है. इस तरह के दो स्तूप बनाए गए थे. एक स्तूप को बोधगया के श्रीलंकाई बौद्ध मंदिर तो वहीं दूसरे को श्रीलंका के बौद्ध मंदिर में रखा गया है. श्रीलंका से आये बौद्ध अनुयायी और पर्यटक इस स्तूप को देखने बोधगया जरूर आते हैं.
क्या कहते हैं सोसायटी के लोग...
महाबोधि सोसाइटी ऑफ इंडिया से जुड़े कैलाश प्रसाद बताते हैं कि बौद्ध धर्म से जुड़ा हर स्तूप पूजनीय है. इस स्तूप का महत्व इसलिए ज्यादा है क्योंकि यह युद्ध में इस्तेमाल किये गए कारतूस के खोखे से बनाया गया है. इस स्तूप को स्थापित करने के पीछे का सन्देश यह है कि लोग हिंसा का मार्ग छोड़कर शांति के मार्ग पर चलें और सुखद जीवन जिएं.