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गया के मोहरे गांव में विकास की चली बयार, सात निश्चय योजना के तहत 70 फीसदी हुआ काम

गया जिले के मोहरे पंचायत के मोहरे गांव की तस्वीर आज बिल्कुल बदल गई है. गांव में सात सात निश्चय योजना के तहत लगभग 70 फीसदी काम हो चुका है. खुली नाली, कच्ची रोड और पानी की समस्या से निजात मिलने से ग्रामीण बेहद खुश हैं.

saat nischay yojna in gaya
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Published : Mar 20, 2021, 12:48 PM IST

गया: फतेहपुर प्रखंड के मोहरे पंचायत के मोहरे गांव में सात निश्चय योजना के तहत लगभग 70 फीसदी काम हुआ है. सात निश्चय योजना से मोहरे गांव की तस्वीर ही बदल गयी है.

यह भी पढ़ें- CM नीतीश कुमार ने बिहार दिवस को लेकर जीविका दीदियों के नाम से लिखा खुला पत्र

शहर से कम नहीं मोहरे गांव

खुले नाले और कच्ची रोड से लोगों को निजात मिल गई है. वहीं, गांव में नल जल योजना से सबसे बड़ी समस्या जल संकट दूर हो गया है. ग्रामीण सात निश्चय योजना के तहत काम होता देख काफी खुश हैं.

देखें रिपोर्ट

'पहले गांव में रोड नहीं होने से यहां की गलियों में एक भी गाड़ी नहीं आती थी. बरसात के मौसम में पैदल चलने में परेशानी होती थी. नजदीक रहने के बावजूद मुख्य मार्ग से महीनों कटे रहते थे. आज सात निश्चय योजना के तहत सड़क का पक्कीकरण हो रहा है.'-धानो देवी, ग्रामीण

'गांव फतेहपुर प्रखण्ड कार्यालय के सामने है लेकिन आज तक किसी अधिकारी या जनप्रतिनिधियों ने इस गांव के विकास के लिए काम नहीं किया. वर्तमान मुखिया ने वादा किया था कि सड़क बना देंगे, तो उन्होंने बना दी.'- सुरेश चौधरी, ग्रामीण

यह भी पढ़ें- नालंदा के युवक को ट्रेन से उतारकर किया गया क्वारंटीन, चेन्नई के लिए हुआ था रवाना

'इन पांच सालों में काम हो रहा है. गांव को विकसित नहीं कह सकते हैं लेकिन गांव में विकास के काम हो रहे हैं. सात निश्चय योजना तो ग्रामीणों के लिए वरदान साबित हुआ. अंदर गली तक पक्की सड़क और पक्की नाली बन गयी है.'-उपेंद्र कुमार, ग्रामीण

'मोहरे पंचायत में सात निश्चय योजना से हर एक वार्ड में गली-नली और सड़क का पक्कीकरण हुआ है. पंचायत के हर वार्ड में हर घर तक नल से जल पहुंच रहा है. गांव में विकास हुआ है. हमें उम्मीद ही नहीं विश्वास है कि सरकार ने पंचायत चुनाव को लेकर जो मानक तय किया है, उस पर मैं खरा उतरूंगा.'- संजय चौधरी, मुखिया, मोहरे पंचायत

सात निश्चय योजना से हो रहा विकास
गौरतलब है कि नीतीश सरकार ने 2015 में सात निश्चय योजना कि शुरुआत की थी. इस योजना का सबसे प्रमुख काम नल जल योजना था. मोहरे गांव में इसके तहत तेजी से काम हुआ है. साथ ही बचे हुए कामों को तेजी से किया जा रहा है. हालांकि पंचायत चुनाव के मद्देनजर भी काम में तेजी आई है. क्योंकि सीएम का फरमान है कि जो काम करेगा वही चुनाव लड़ेगा. जिसने अपने इलाके में काम नहीं किया है उसे चुनाव लड़ने नहीं दिया जाएगा.

कारण चाहे जो भी हो लेकिन फिलहाल मोहरे गांव की सूरत बदल गई है. और इससे ग्रामीण बेहद उत्साहित हैं.

गया: फतेहपुर प्रखंड के मोहरे पंचायत के मोहरे गांव में सात निश्चय योजना के तहत लगभग 70 फीसदी काम हुआ है. सात निश्चय योजना से मोहरे गांव की तस्वीर ही बदल गयी है.

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शहर से कम नहीं मोहरे गांव

खुले नाले और कच्ची रोड से लोगों को निजात मिल गई है. वहीं, गांव में नल जल योजना से सबसे बड़ी समस्या जल संकट दूर हो गया है. ग्रामीण सात निश्चय योजना के तहत काम होता देख काफी खुश हैं.

देखें रिपोर्ट

'पहले गांव में रोड नहीं होने से यहां की गलियों में एक भी गाड़ी नहीं आती थी. बरसात के मौसम में पैदल चलने में परेशानी होती थी. नजदीक रहने के बावजूद मुख्य मार्ग से महीनों कटे रहते थे. आज सात निश्चय योजना के तहत सड़क का पक्कीकरण हो रहा है.'-धानो देवी, ग्रामीण

'गांव फतेहपुर प्रखण्ड कार्यालय के सामने है लेकिन आज तक किसी अधिकारी या जनप्रतिनिधियों ने इस गांव के विकास के लिए काम नहीं किया. वर्तमान मुखिया ने वादा किया था कि सड़क बना देंगे, तो उन्होंने बना दी.'- सुरेश चौधरी, ग्रामीण

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'मोहरे पंचायत में सात निश्चय योजना से हर एक वार्ड में गली-नली और सड़क का पक्कीकरण हुआ है. पंचायत के हर वार्ड में हर घर तक नल से जल पहुंच रहा है. गांव में विकास हुआ है. हमें उम्मीद ही नहीं विश्वास है कि सरकार ने पंचायत चुनाव को लेकर जो मानक तय किया है, उस पर मैं खरा उतरूंगा.'- संजय चौधरी, मुखिया, मोहरे पंचायत

सात निश्चय योजना से हो रहा विकास
गौरतलब है कि नीतीश सरकार ने 2015 में सात निश्चय योजना कि शुरुआत की थी. इस योजना का सबसे प्रमुख काम नल जल योजना था. मोहरे गांव में इसके तहत तेजी से काम हुआ है. साथ ही बचे हुए कामों को तेजी से किया जा रहा है. हालांकि पंचायत चुनाव के मद्देनजर भी काम में तेजी आई है. क्योंकि सीएम का फरमान है कि जो काम करेगा वही चुनाव लड़ेगा. जिसने अपने इलाके में काम नहीं किया है उसे चुनाव लड़ने नहीं दिया जाएगा.

कारण चाहे जो भी हो लेकिन फिलहाल मोहरे गांव की सूरत बदल गई है. और इससे ग्रामीण बेहद उत्साहित हैं.

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