गया: बिहार के गया में सनातन धर्मावलंबियों के लिए एक से बढ़कर एक चमत्कारिक मंदिर हैं, जो भक्तों के लिए आस्था का बड़ा केंद्र होते हैं. यहां एक ऐसा प्राचीन मंदिर भी है, जो देवघर के बाबा बैधनाथ धाम की तर्ज पर बना हुआ है. मंदिर में प्रवेश का रास्ता भी संकीर्ण है और यहां स्थापित शिवलिंग की महिमा अपरंपार है. यहां आह्वान कर देवघर के बाबा बैधनाथ धाम मंदिर से मिट्टी लाई गई थी. यह सैकड़ो साल पुरानी बात है, वह मिट्टी यहां काले पत्थर के शिवलिंग में परिवर्तित हो गई थी.
गया के इस शिवमंदिर की है अनोखी मान्यता : गया के विष्णुपद में प्राचीन बाबा बैधनाथ मंदिर है. यह मंदिर देवघर के बाबा बैजनाथ धाम मंदिर की तर्ज पर बना है. इस मंदिर के प्रवेश द्वार भी संकीर्ण है. यहां भगवान भोलेनाथ का शिवलिंग स्थापित है. वहीं यहां पर बटुक भैरव समेत कई देवी-देवताओं की प्राचीन प्रतिमाएं स्थापित हैं. इस मंदिर की महिमा भी अनोखी है. जिनका वंश वृद्धि नहीं होता, कहा जाता है कि इस मंदिर में स्थापित शिवलिंग की पूजा करने से ऐसे घरों में संतान की प्राप्ति होती है.
भक्तों की हर मुराद पूरी करते हैं भोलेनाथ : मुख्य रूप से इस मंदिर में वंश वृद्धि की मन्नत लेकर लोग आते हैं. वैसे कहा जाता है, कि यहां सच्चे मन से आने वाले भक्तों की हर मनोकामना भगवान भोलेनाथ पूरी करते हैं. हालांकि जिन लोगों की वंश वृद्धि नहीं होती, उनकी मनोकामना भगवान भोलेनाथ शिवलिंग के रूप में पूजन के बाद आशीर्वाद के तौर पर कर देते हैं. फिर इस तरह की मनोकामना लेकर आने वाला भक्त खाली हाथ नहीं लौटता.
पौराणिक रूप से आहवाहित शिवलिंग है स्थापित: इस मंदिर के पुजारी दीपू लाल भईया बताते हैं कि पौराणिक रूप से यहां आह्वान कर शिवलिंग स्थापित किया गया है. यह उनके पूर्वजों के द्वारा स्थापित की गई थी. उनकी जानकारी में इस मंदिर का इतिहास 163 साल पुराना है. पुजारी के अनुसार यहां चमत्कार हुआ और जिस स्थान पर मिट्टी रखी गई थी, वह शिवलिंग के रूप में परिवर्तित हो गया था.
"मेरे पूर्वज को संतान प्राप्ति नहीं होती थी. जिससे दतक पुत्र गोद लेने पड़ते थे. इस समस्या के निदान के लिए मेरे पूर्वज देवघर में स्थित बाबा बैजनाथ मंदिर गए और वहां से आह्वान कर मिट्टी लाई. वहीं इस मिट्टी को शिवलिंग के रूप में इस स्थान पर रखा गया. हमारे पूर्वजों के द्वारा पूजा-अर्चना और भजन शुरू किया गया. जिसके बाद संतान की प्राप्ति हुई और वंश की वृद्धि हुई. "-दीपू लाल भईया, मंदिर के पुजारी
मंदिर में है बटुक भैरव की विशाल प्रतिमा: इस मंदिर में भगवान भोलेनाथ का शिवलिंग स्थापित है. यहां बाबा बासुकीनाथ भी हैं. वहीं अन्य देवी देवता की काफी प्राचीन प्रतिमा है. विशाल प्रतिमा बटुक भैरव जी की भी है. पुजारी बताते हैं कि बटुक भैरव की प्रतिमा स्थापित करने के लिए 12 वर्ष का ब्रह्मचर्य रखना पड़ता है. बड़ी बात है कि बटुक भैरव की प्रतिमा से भक्तों को भूत प्रेत की बाधा से निजात मिलता है. बटुक भैरव की प्रतिमा के स्पर्श से यह प्राप्त ऐसे दुख दूर हो जाते है और सुख की प्राप्ति होती है.