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गया की सत्यावती देवी हैं महिला सशक्तिकरण की मिसाल, 3 बच्चों को मां करती है देश और समाज की भी सेवा

सत्यावती देवी को सामाजिक कार्यों के लिए देश-विदेश में भी सम्मान मिल चुका है. पति से तलाक के बाद भी यह बिल्कुल नहीं टूटी और आज समाज के लोगों की आस बन गई.

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Published : Mar 6, 2019, 3:34 PM IST

समाजसेविका सत्यावती देवी

गयाः घर और बच्चों की जिम्मेदारी संभालते हुए एक महिला आजमहिला सशक्तिकरण की मिसाल पेश कर रही है. घर से बेघर होने और पति के तलाक दे देने के बावजूद भी यह बिल्कुल नहीं टूटी और आज समाज के लोगों की आस बन गई.

हम बात कर रहे हैं गया जिले की रहने वाली सत्यावती देवी की जोतीन बच्चों की मांहैं. आज वो समाजसेवी बन गईं. देश-विदेश में सामाजिक कार्यों के लिए सम्मान मिला रहा है. महिलाओं और समाज के लिए कार्य करके महिला सशक्तिकरण की मिसाल पेश कर रही है.सामाजिक कार्यों में महिलाओं की भागीदारी बहुत कम होती है.

जानकारी देती सत्यावती देवी

रक्तदानमें महिलाएं ज्यादा
सत्यावती द्वारा किया गए सामाजिक कार्यो में महिलाओं की भागीदारी अधिक रहती है. सत्यावती द्वारा आयोजित रक्तदान शिविर में महिलाएं बढ़ चढ़कर हिस्सा लेती हैं. सड़कों पर कूड़ा साफ करना हो या पितृपक्ष मेला से पहले तालाबों को साफ करना हो, सत्यावती महिलाओं की टोली बनाकर सफाई में जुट जाती हैं. गया केशहमीर तकिया कीरहने वाली सत्यावती देवी को सामाजिक कार्यों के लिए देश-विदेश में सम्मान मिल चुका है.

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पति से हुआ तलाक
सत्यावती देवी की ये डगर इतनी आसान नहीं थी. पति से तलाक हो गया था. छोटे भाई के घर आकर रहने लगीं. तीन बच्चों को पालन-पोषण का जिम्मेदारी भी सर पर आ गई. लेकिन इन जिम्मेदारी के पूरा करते हुए सामजिक कार्यो में भाग लेने लगीं. आसपास की गरीब लड़कियों की शादी में मदद करने से इनके समाजिक कार्य की शुरुआत हुई. उसके बाद रक्तदान शिविर लगाने लगीं.

महिलाओं को करती हैं जागरूक
सत्यावती बताती हैं शुरू में कम लोग आते थे. अब इनके पास डेढ़ सौ से ज्यादा लोगों की सूची है. जो हर तीन महीने या छः महीनों पर रक्तदान करती है. रक्तदान करने में सबसे ज्यादा महिलाएं होती हैं. गांव-गांव में घूमकर सरकारी स्कूलों में जाकर सेनेटरी पैड मुफ्त में महिलाओं को देती हैं. इसके उपयोग के बारे में जानकारी देती हैं. शहमीर तकिया के पहाड़ पर स्लम की लड़कियों को जो स्कूल नहीं जाती हैं, उनको हर रोज पढ़ाती हैं. सत्यावती के सामाजिक कार्यों में इनकी दोनो बेटियां खूब साथ देती हैं.

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बच्चों को पढ़ाती सत्यावती देवी

बेटियां भी देती हैं साथ
बड़ी बेटी एलएलबी की पढ़ाई करती है तो दूसरी बेटी बॉक्सिंग चैंपियन है. साथ छात्रसंघ की निर्वाचित सचिव है. बड़ी बेटी अदिति गुप्ता को भी सामाजिक कार्यों के लिए सम्मान मिल चुके है. छोटी बेटी विदुषी गुप्ता भी बॉक्सिंग में कई टूर्नामेंट जीत चुकी है. दोनो बेटी मां के सामाजिक कार्यों के तहत जागरूकता कार्यों में अधिक साथ देती है. नुक्कड़ नाटक हो या गांव-गांव जाकर महिलाओं को स्वच्छता, रक्तदान करने, सेनेटरी पैड के बारे में जानकारी देने की सब में यह आगे रहती हैं.

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सामजिक कार्यों पर हंसते थे लोग
वहीं, अदिति गुप्ता बताती हैं कि पहले लोग मम्मी के सामजिक कार्यों पर हंसते थे, अब सम्मान मिलता है. लोग गर्व भी करते हैं. हम दोनों बहने मम्मी के हर कार्य में साथ देते हैं. सत्यावती देवी ने 2018 में वत्सला निर्भया शक्ति संस्था बनाई. इसी साल सत्यावती देवी को प्रयागराज में सम्मानित किया गया. हाल में उनको नेपाल में रक्तदान कार्यों के लिए सम्मानित किया. 10 मार्च को दमन में भी उनको सम्मानित किया जाएगा.

गयाः घर और बच्चों की जिम्मेदारी संभालते हुए एक महिला आजमहिला सशक्तिकरण की मिसाल पेश कर रही है. घर से बेघर होने और पति के तलाक दे देने के बावजूद भी यह बिल्कुल नहीं टूटी और आज समाज के लोगों की आस बन गई.

हम बात कर रहे हैं गया जिले की रहने वाली सत्यावती देवी की जोतीन बच्चों की मांहैं. आज वो समाजसेवी बन गईं. देश-विदेश में सामाजिक कार्यों के लिए सम्मान मिला रहा है. महिलाओं और समाज के लिए कार्य करके महिला सशक्तिकरण की मिसाल पेश कर रही है.सामाजिक कार्यों में महिलाओं की भागीदारी बहुत कम होती है.

जानकारी देती सत्यावती देवी

रक्तदानमें महिलाएं ज्यादा
सत्यावती द्वारा किया गए सामाजिक कार्यो में महिलाओं की भागीदारी अधिक रहती है. सत्यावती द्वारा आयोजित रक्तदान शिविर में महिलाएं बढ़ चढ़कर हिस्सा लेती हैं. सड़कों पर कूड़ा साफ करना हो या पितृपक्ष मेला से पहले तालाबों को साफ करना हो, सत्यावती महिलाओं की टोली बनाकर सफाई में जुट जाती हैं. गया केशहमीर तकिया कीरहने वाली सत्यावती देवी को सामाजिक कार्यों के लिए देश-विदेश में सम्मान मिल चुका है.

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पति से हुआ तलाक
सत्यावती देवी की ये डगर इतनी आसान नहीं थी. पति से तलाक हो गया था. छोटे भाई के घर आकर रहने लगीं. तीन बच्चों को पालन-पोषण का जिम्मेदारी भी सर पर आ गई. लेकिन इन जिम्मेदारी के पूरा करते हुए सामजिक कार्यो में भाग लेने लगीं. आसपास की गरीब लड़कियों की शादी में मदद करने से इनके समाजिक कार्य की शुरुआत हुई. उसके बाद रक्तदान शिविर लगाने लगीं.

महिलाओं को करती हैं जागरूक
सत्यावती बताती हैं शुरू में कम लोग आते थे. अब इनके पास डेढ़ सौ से ज्यादा लोगों की सूची है. जो हर तीन महीने या छः महीनों पर रक्तदान करती है. रक्तदान करने में सबसे ज्यादा महिलाएं होती हैं. गांव-गांव में घूमकर सरकारी स्कूलों में जाकर सेनेटरी पैड मुफ्त में महिलाओं को देती हैं. इसके उपयोग के बारे में जानकारी देती हैं. शहमीर तकिया के पहाड़ पर स्लम की लड़कियों को जो स्कूल नहीं जाती हैं, उनको हर रोज पढ़ाती हैं. सत्यावती के सामाजिक कार्यों में इनकी दोनो बेटियां खूब साथ देती हैं.

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satyavati devi
बच्चों को पढ़ाती सत्यावती देवी

बेटियां भी देती हैं साथ
बड़ी बेटी एलएलबी की पढ़ाई करती है तो दूसरी बेटी बॉक्सिंग चैंपियन है. साथ छात्रसंघ की निर्वाचित सचिव है. बड़ी बेटी अदिति गुप्ता को भी सामाजिक कार्यों के लिए सम्मान मिल चुके है. छोटी बेटी विदुषी गुप्ता भी बॉक्सिंग में कई टूर्नामेंट जीत चुकी है. दोनो बेटी मां के सामाजिक कार्यों के तहत जागरूकता कार्यों में अधिक साथ देती है. नुक्कड़ नाटक हो या गांव-गांव जाकर महिलाओं को स्वच्छता, रक्तदान करने, सेनेटरी पैड के बारे में जानकारी देने की सब में यह आगे रहती हैं.

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सामजिक कार्यों पर हंसते थे लोग
वहीं, अदिति गुप्ता बताती हैं कि पहले लोग मम्मी के सामजिक कार्यों पर हंसते थे, अब सम्मान मिलता है. लोग गर्व भी करते हैं. हम दोनों बहने मम्मी के हर कार्य में साथ देते हैं. सत्यावती देवी ने 2018 में वत्सला निर्भया शक्ति संस्था बनाई. इसी साल सत्यावती देवी को प्रयागराज में सम्मानित किया गया. हाल में उनको नेपाल में रक्तदान कार्यों के लिए सम्मानित किया. 10 मार्च को दमन में भी उनको सम्मानित किया जाएगा.

Intro:पति ने तलाक दे दिया,घर से बेघर होगी पर हार नही मानी,तीन बच्चों की माँ समाजसेवी बन गयी । देश- विदेश में सामाजिक कार्यो के लिए सम्मान मिला है। महिलाओं और समाज के लिए कार्य करके महिला सशक्तिकरण की मिसाल पेश कर रही है गया के सत्यावती।


Body:सामाजिक कार्यों में महिलाओं की भागीदारी बहुत कम होती है। सत्यावती द्वारा किया गया सामाजिक कार्यो में महिलाओं की भागीदारी अधिक रहती है। सत्यावती द्वारा आयोजित रक्तदान शिविर में महिलाएं बढ़ चढ़कर हिस्सा लेती है। सड़को पर कूड़ा साफ करना हो और पितृपक्ष मेला से पहले तालाबो को साफ करना हो तो सत्यावती महिलाओं की टोली बनाकर साफ करने निकल जाती है। गया के शहमीर तकिया के रहने वाली सत्यावती देवी को सामाजिक कार्यो के लिए देश-विदेश में सम्मान मिल चुका है।

सत्यावती देवी के ये डगर इतना आसान नही था पति से तलाक हो गया था, छोटे भाई के घर आकर रहने लगी। तीन बच्चों को पालन-पोषण का जिम्मेदारी भी सर पर आ गया था। लेकिन इन जिम्मेदारी के पूरा करते हुए सामजिक कार्यो में भाग लेने लगी। आसपास के गरीब लड़कियों की शादी में मदद करने से इनका समाजिक कार्य की शुरुआत हुआ था । उसके बाद रक्तदान शिविर लगाने लगी शुरू में कम लोग आते थे अब इनके पास डेढ़ सौ से ज्यादा लोगो को सूची हैं जो हर तीन महीने या छः महीनों पर रक्तदान करती है। रक्तदान करने में सबसे ज्यादा महिलाएं होती है। गाँव गाँव घूमकर सरकारी स्कूलों में जाकर सेनेटरी पैड मुफ्त में महिलाओं को देती है इसके उपयोग के बारे में जानकारी देती है। शहमीर तकिया के पहाड़ पर स्लम की लड़कियों को जो स्कूल नही जाती है उसको हर रोज पढ़ाती हैं।

सत्यावती के सामाजिक कार्यो में इनकी दोनो बेटियां खूब साथ देती है। सामजिक कार्यो में जितनी नाम इन्होंने कमाया हैं उतनी ही इनकी बेटियां भी कमाई है। बड़ी बेटी एलएलबी की पढ़ाई करती है तो दूसरी बेटी बॉक्सिंग चैंपियन हैं साथ छात्रसंघ की निर्वाचित सचिव है। बड़ी बेटी अदिति गुप्ता को भी सामाजिक कार्यो के लिए सम्मान मिल चुके हैं। छोटी बेटी विदुषी गुप्ता भी बॉक्सिंग में कई टूर्नामेंट में जीती हैं। दोनो बेटी माँ के सामाजिक कार्यों में जागरूकता कार्यो में अधिक साथ देती है । नुक्कड़ नाटक हो या गाँव गाँव जाकर महिलाओं को स्वच्छता, रक्तदान करने, सेनेटरी पैड के बारे में जानकारी देना।

सत्यावती देवी 2018 में वत्सला निर्भया शक्ति संस्था बनाई हैं। 2019 में सत्यावती देवी को प्रयागराज में सम्मानित किया गया,हाल में उनको नेपाल में उनको रक्तदान के लिए सम्मान मिला है। 10 मार्च को दमन में उनको सम्मानित किया जाएगा।



Conclusion:सत्यावती देवी बताती हैं शुरुआत में ये कार्य मे कठिनाई हुआ, इस कार्य मे पैसे की जरूरत पड़ती थी मैं खुद गरीब थी । धीरे धीरे सब हो गया। मैं खुद काम करती हूं और बेटियां ट्यूशन करवाती है। सामजिक कार्यो के लिए समाज से आ जाता है। सामाजिक कार्यो में सबसे अधिक महिलाओं को जोड़ती हूं। महिलाएं के लिए कई सरकारी और गैर सरकारी संगठन हैं पर आम महिलाएं नही जुड़ती हैं। हमलोग महिलाओं को हर कार्य से जोड़ते हैं सफाई करना हो या रक्तदान करना हो।

अदिति गुप्ता बताती हैं पहले लोग हंसते थे मम्मी के सामजिक कार्यो पर अब सम्मान मिलता हैं लोग गर्व भी करते हैं। हमदोनो बहने मम्मी के हर कार्य मे साथ देती हूं।
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