गया: बिहार के गया में यूज सैनिटरी पैड से डायरी और कूट (क्लिप बोर्ड) के निर्माण की तैयारी है. पहली दफा बिहार के गया के ग्रामीण इलाके कोच प्रखंड के बड़गांव में सैनिटरी पैड का प्रोडक्शन शुरू कर दिया गया है. कभी नक्सल प्रभावित रहे इस इलाके में अब सैनिटरी पैड के प्रोडक्शन के बीच बेटियों को रोजगार भी मिले हैं.
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मगध का पहला ऑटोमेटिक सैनिटरी पैड मशीन: बिहार में मगध प्रमंडल अंतर्गत गया जिले के बड़गांव गांव में पहला ऑटोमेटिक सैनिटरी पैड मशीन लगाया गया है. यह फुल्ल ऑटोमेटिक है. एक ही मिनट में 50 से ज्यादा सैनिटरी पैड इसमें एक साथ निकाले जा सकते हैं. प्रतिदिन हजारों सैनिटरी पैड का प्रोडक्शन इससे किया जा सकेगा. साथ ही आर्थिक रूप से पूरी तरह कमजोर महिलाओं को सेनेटरी पैड देकर सहयोग किया जाएगा.
संकुचित भाव को दूर करना प्रयास: समाज सेवा और समर्थ संस्था से जुड़ी सुरभी कुमारी की देखरेख में इसकी शुरुआत हुई है. सुरभी कुमारी का कहना है कि सैनिटरी पैड का प्रोडक्शन सिर्फ एक कारोबार ही नहीं, बल्कि जागरूकता का भी माध्यम बनेगा. मासिक धर्म को लेकर महिलाओं के संकुचित भाव दूर करना है. महिलाओं के विभिन्न संकुचित भावनाओं को दूर करने का प्रयास भी किया जाएगा.
'हिचक की गुंजाइश न रहे': सुरभी ने बताया कि अधिकांश पुरुष सैनिटरी पैड की प्लास्टिक ही देख पाए हैं, बाकी अंदर में क्या है, इससे उन्हें कोई मतलब नहीं रहता है, तो ऐसे पुरुषों को भी जागरूक किया जाएगा. ताकि मासिक धर्म संबंधी बातों को लेकर महिलाओं में किसी तरह की हिचक की गुंजाइश न बनी रहे. ग्रामीण इलाके में यह पहली दफा है, जब फुल ऑटोमेटिक सैनिटरी पैड मशीन की शुरुआत की गई है.
काफी महिलाओं को नहीं मिल पाता सैनिटरी पैड: समर्थ संस्था से जुड़ी सुरभी बताती हैं, कि आज भी काफी महिलाओं को सैनिटरी पैड नहीं मिल पाता है. ग्रामीणों के बीच उपलब्धता भी नहीं हो पाती है. इस समस्या को दूर करने के लिए हमारी संस्था लगातार काम कर रही है. सोच यह है कि महिलाएं और पुरुष दोनों ही जागरूक बने.
सैनिटरी पैड के साथ दिया जाएगा डिस्पोजल बैग: यह पहली दफा होगा, जब सैनिटरी पैड के साथ डिस्पोजल बैग भी दिया जाएगा. जहां-जहां मार्केटिंग होगी, वहां डिस्पोजल बैग भी साथ में दिए जाएंगे. इससे फायदा यह होगा कि यूज सैनिटरी पैड को लेकर जहां-तहां फेंके जाने से बचाव हो सकेगा. आज भी यूज सैनिटरी पैड को देखे जाने के बाद इसे लेकर समाज में अंधविश्वास वाली मानसिकता बनी हुई है, उससे निजात मिलेगी. सैनिटरी पैड सीधे डिस्पोजल बैग में जाएगा.
रिसाइकिल कर डायरी और कूट का होगा निर्माण: सैनिटरी पैड का प्रोडक्शन गया में पहली बार होने के साथ बेटियों के हाथों को रोजगार भी मिल रहा है. बड़ी बात यह है, कि इसमें बेटियों को आगे किया जा रहा है, ताकि सैनिटरी पैड को लेकर महिलाओं को ज्यादा से ज्यादा जागरूक किया जा सके. वही बेटियों को रोजगार से भी जोड़ा जा सके.
चयनित गांव में लगेंगे बड़े डस्टबिन: यूज सैनिटरी पैड से डायरी और कूट व अन्य सामग्री बनाने की योजना है. इसके लिए भी खाका तैयार किया गया है. जानकारी के अनुसार इसके लिए का गांंव का चयन किया जाएगा और वहां बड़े बड़े डस्टबीन एक तय स्थान पर रखे जाएंगे. उस डस्टबीन में यूज़ सेनेटरी पैड को डाला जा सकेगा. इसके बाद उस सभी डस्टबीन से एक बार एक इकट्ठा कर यूज यूनिटरी पैड को रिसाइकल के लिए ले जाया जाएगा.
प्रोडक्शन, रिसाइकल और रोजगार है मकसद: वहीं, यूज पैड को लेकर एक बड़ी योजना भी है. सुरभी कुमारी बताती है कि यूज पैड को कलेक्ट कर उससे डायरी और कूट बनाने की योजना है. यूज सैनिटरी पैड को रिसायकल कर ऐसा किया जाएगा. प्रोडक्शन और समर्थ संस्था से जुड़ी सुरभी बताती हैं, कि सेनेटरी पैड का प्रोडक्शन, रिसाइकल और बेटियों को रोजगार यह बड़ा मकसद हमारी योजनाओं में है.