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मिनी पितृपक्ष का मार्मिक दृश्य: किशोर ने छोटी बहन की आत्मा की शांति के लिए किया पिंडदान

मृतका के पिता ने बताया कि मौत होने के बाद एम्बुलेंस से उसे गया लाया गया और यहां के मोक्षधाम श्मशान घाट पर उसका अंतिम संस्कार किया गया. अकाल मृत्यु की शिकार हुई बेटी की आत्मा को शांति मिले, इसके लिए पिंडदान करा रहे हैं.

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Published : Dec 25, 2019, 1:09 PM IST

गया: गया में मिनी पितृपक्ष चल रहा है. इस दौरान एक मार्मिक दृश्य देखने को मिला. दरअसरल, एक 14 वर्षीय किशोर अपनी छोटी बहन के मोक्ष के लिए यहां पिंडदान करने पहुंचा था. किशोर कड़ाके की ठंड में सुबह-सुबह मोक्ष दायिनी फल्गू नदी के तट पर खुले बदन कर्मकांड कर रहा था. पूरे विधि-विधान से कर्मकांड करते हुए बार-बार उसकी आंखें छलक जा रही थी. ये दृश्य वहां से गुजर रहे हर शख्स को भावुक कर रहा था.

जयपुर में हुई थी मौत
किशोर के पिता संतोष सिंह ने बताया कि वे औरंगाबाद के रहने वाले हैं. राजस्थान में मजदूरी कर घर चलाते हैं. राजस्थान से घर लौटने के क्रम में कोटा के पास 13 वर्षीय साक्षी की अचानक तबीयत बिगड़ी. जिसके बाद उसे अस्पताल ले गए. जहां डॉक्टरों ने तुरंत जयपुर रेफर कर दिया. जयपुर के अस्पताल में तीन दिन बाद आईसीयू में उसने दम तोड़ दिया.

पेश है रिपोर्ट

...ताकि आत्मा को मिले शांति
संतोष सिंह ने बताया कि मौत होने के बाद एम्बुलेंस से उसे गया लाया गया और यहां के मोक्षधाम श्मशान घाट पर उसका अंतिम संस्कार किया गया. अकाल मृत्यु की शिकार हुई बेटी की आत्मा को शांति मिले, इसके लिए पिंडदान करा रहे हैं. उन्होंने बताया कि गया साक्षी की नानी का घर भी है. बहन के मोक्ष के लिए पिंडदान कर रहा शुभम कुछ भी बोलने की स्थिति में नहीं था. कुछ भी बोलते हुए उसकी आंखें भर आती थी.

गया: गया में मिनी पितृपक्ष चल रहा है. इस दौरान एक मार्मिक दृश्य देखने को मिला. दरअसरल, एक 14 वर्षीय किशोर अपनी छोटी बहन के मोक्ष के लिए यहां पिंडदान करने पहुंचा था. किशोर कड़ाके की ठंड में सुबह-सुबह मोक्ष दायिनी फल्गू नदी के तट पर खुले बदन कर्मकांड कर रहा था. पूरे विधि-विधान से कर्मकांड करते हुए बार-बार उसकी आंखें छलक जा रही थी. ये दृश्य वहां से गुजर रहे हर शख्स को भावुक कर रहा था.

जयपुर में हुई थी मौत
किशोर के पिता संतोष सिंह ने बताया कि वे औरंगाबाद के रहने वाले हैं. राजस्थान में मजदूरी कर घर चलाते हैं. राजस्थान से घर लौटने के क्रम में कोटा के पास 13 वर्षीय साक्षी की अचानक तबीयत बिगड़ी. जिसके बाद उसे अस्पताल ले गए. जहां डॉक्टरों ने तुरंत जयपुर रेफर कर दिया. जयपुर के अस्पताल में तीन दिन बाद आईसीयू में उसने दम तोड़ दिया.

पेश है रिपोर्ट

...ताकि आत्मा को मिले शांति
संतोष सिंह ने बताया कि मौत होने के बाद एम्बुलेंस से उसे गया लाया गया और यहां के मोक्षधाम श्मशान घाट पर उसका अंतिम संस्कार किया गया. अकाल मृत्यु की शिकार हुई बेटी की आत्मा को शांति मिले, इसके लिए पिंडदान करा रहे हैं. उन्होंने बताया कि गया साक्षी की नानी का घर भी है. बहन के मोक्ष के लिए पिंडदान कर रहा शुभम कुछ भी बोलने की स्थिति में नहीं था. कुछ भी बोलते हुए उसकी आंखें भर आती थी.

Intro:भाई-बहन का प्यार ऐसे भी अनमोल माना जाता है, हमउम्र भाई बहन हो तो उनके प्यार-लाड का क्या कहना। गया में मिनी पितृपक्ष चल रहा है इस पक्ष में एक भाई अपनी बहन के आत्मा की शांति के लिए पिंडदान किया। ये दृश्य हर कोई देख ठहर जा रहा था भाई बहन के इस असीम प्यार को सभी ने सराहा।


Body:14 वर्षीय शुभम ने अपनी 13 वर्षीय बहन साक्षी का पिंडदान अहले सुबह से मोक्षदायिनी फल्गू नदी के रेत पर बैठकर किया। कर्मकांड के विधि विधान को पूर्ण करते करते बार बार भाई के आंखों के आंसू छलक जा रहा था। पास बैठे पिता हौसला अफजाई करते पर पूरा परिवार उस गम को भूल नही पा रहा था। मिनी पितृपक्ष का ये मार्मिक दृश्य हर कोई को झकझोर दे रहा था।

vo: 1 रुआंसे आवाज में भाई शुभम बताते हैं मेरी बहन का अकाल मृत्यु हो गया था, मेरा नानी घर गया में है यहां के बारे में जानते हैं यहां पिंडदान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती हैं। मैं बस चाहता हूं मेरी बहन कही भी हो अच्छी से रहे।


vo:2 पुत्र के इन शब्दों से पिता का गला भर गया था आखों में आंसू डगमगा गया पर पिता संतोष सिंह ने खुद को ढांढस बांधते हुए बताया की मैं राजस्थान में मजदूरी करता हू,मेरा ससुराल गया के शहमीर तकिया में है। पूरा परिवार गया आ रहे थे जैसे ही कोटा पहुँचे बेटी साक्षी की तबीयत बिगड़ गयी , ट्रैन से उतारकर उसे अस्पताल में भर्ती किया गया उसके बाद जयपुर रेफर किया गया वहां तीन दिन बाद उसने दम तोड़ दिया। हमलोग वहां से गया आया, मोक्षधाम श्मशान घाट पर अंतिम संस्कार किया , अकाल मृत्यु हुए इसके लिए आज गया जी मे पिंडदान कर रहे हैं।


Conclusion:आपको बता दे गया जी मे पिंडदान करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है जिनका अकाल मृत्यु होता है पितृपक्ष में आकर पिंडदान करते हैं जिससे दिवंगत व्यक्ति के आत्मा की शांति मिलती हैं।
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