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Gaya News: इस गांव के लोगों को है झारखंड की सड़क का सहारा, रोड नहीं होने से शादी-ब्याह में भी दिक्कत - बिहार में सड़क

भले ही सरकार विकास के लाख दावे कर ले लेकिन आजादी के 75 साल बाद भी बिहार के गया में एक ऐसा गांव है, जहां आज भी सड़क नहीं है. आलम ये है कि यहां के लोगों को बाहर निकलने के लिए पड़ोसी राज्य झारखंड की सड़क का इस्तेमाल करना पड़ता है. पढ़ें पूरी खबर..

गया के इस गांव में नहीं है सड़क
गया के इस गांव में नहीं है सड़क
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Published : May 16, 2023, 8:58 AM IST

गया के इस गांव में नहीं है सड़क

गया: बिहार के गया के एक गांव के लोगों को झारखंड की सड़क का सहारा है. ग्रामीण झारखंड की नदी को पार कर पहले वहां स्थित मुख्य मार्ग पर जाते हैं और फिर बिहार के इलाके में प्रवेश करते हैं. इस स्थिति के कारण इस गांव में शादियां भी बड़ी मुश्किल से ही लग पाती है. मामाला है जिले के बाराचट्टी प्रखंड अंतर्गत भलुआ पंचायत के तेतरिया गांव का है. जहां आज तक सड़क नहीं बनी है. इसके कारण यह गांव आज भी पिछड़ा हुआ है. कई दशकों की तरह आज भी तेतरिया गांव के लोग झारखंड की नदी पार कर झारखंड के दनुआ में मुख्य सड़क तक पहुंचते हैं और फिर बिहार की ओर रुख करते हैं.

पढ़ें-Purnea Bridge Collapsed: बिहार में भ्रष्टाचार का एक और नमूना, पूर्णिया में ढलाई के 4 घंटे बाद ही गिर गया पुल

बमुश्किल ही लग पाती है शादियां: सड़क नहीं होने के कारण यहां रिशते वाले आना ही नहीं चाहते. वहीं जो आते हैं वो सड़क नहीं देखकर भड़क जाते हैं और रुकते नहीं हैं. इस तरह यहां लड़के और लड़कियों दोनों की शादियां प्रभावित होती है. गांव के लोग बताते हैं कि बड़ी मुश्किल से किसी प्रकार से शादियां लग पाती है. इस संबंध में ग्रामीण उगनी देवी बताती है कि के गांव में सड़क नहीं है. वह झारखंड की नदी पार करती है और वहां के रास्ते से ही मुख्य सड़क तक जाती है, फिर बिहार पहुंचती है. ये गांव बिहार- झारखंड के बॉर्डर पर है, लेकिन इसकी अपनी कोई सड़क नहीं होने के कारण 5-6 किलोमीटर की दूरी ज्यादा तय करनी पड़ती है. यदि इसके पास अपनी सड़क होती तो ये फासला आधा होता. वहीं ग्रामीण महिला मालती देवी बताती है कि नदी में जब पानी बढ़ जाता है, तो घर से निकलना भी मुश्किल हो जाता है. मरीज बीमार हो जाए तो काफी दिक्कतें आती है.

"गांव में सड़क नहीं है. वह झारखंड की नदी पार करती है और वहां के रास्ते से ही मुख्य सड़क तक जाती है, फिर बिहार पहुंचती है. ये गांव बिहार- झारखंड के बॉर्डर पर है, लेकिन इसकी अपनी कोई सड़क नहीं होने के कारण 5-6 किलोमीटर की दूरी ज्यादा तय करनी पड़ती है. यदि इसके पास अपनी सड़क होती तो ये फासला आधा होता."-उगनी देवी, ग्रामीण

सड़क बनाने का रास्ता हुआ साफ: वहीं, इस संबंध में पूर्व पंचायत समिति सदस्य जगदीश यादव बताते हैं कि सड़क नहीं रहने के कारण यहां शादियां प्रभावित होती है. रिशते वाले आना नहीं चाहते हैं. किसी प्रकार से शादियां लग पाती हैं. सड़क नहीं रहने से ग्रामीणों को काफी दिक्कते झेलनी पड़ रही है. हालांकि अब सड़क बनाने का रास्ता साफ हुआ है. वन विभाग के ऑब्जेक्शन के कारण यह सड़क नहीं बन पा रही थी, लेकिन अब गया जिला पदाधिकारी द्वारा बताया गया है कि वन विभाग को गैर वन भूमि दे दी गई है. अब इस सड़क को बनाने का काम शुरू हो जाएगा. बताते हैं कि वर्ष 2013 में प्रधानमंत्री सड़क योजना से काम शुरू किया गया था लेकिन वन विभाग ने ऑब्जेक्शन लगा दिया था, इस तरह दशकों बाद शुरू हुआ निर्माण कर पर भी रुक गया था.

"सड़क नहीं रहने के कारण यहां शादियां प्रभावित होती है. रिशते वाले आना नहीं चाहते हैं. किसी प्रकार से शादियां लग पाती हैं. सड़क नहीं रहने से ग्रामीणों को काफी दिक्कते झेलनी पड़ रही है. हालांकि अब सड़क बनाने का रास्ता साफ हुआ है. वन विभाग के ऑब्जेक्शन के कारण यह सड़क नहीं बन पा रही थी, लेकिन अब गया जिला पदाधिकारी द्वारा बताया गया है कि वन विभाग को गैर वन भूमि दे दी गई है. अब इस सड़क को बनाने का काम शुरू हो जाएगा."-जगदीश यादव, पूर्व पंचायत समिति सदस्य

सड़क नहीं रहने से होती है काफी परेशानी: भलुआ पंचायत की मुखिया बताती है कि हमारे पंचायत में तेतरिया गांव है जहां वो रहती है. हमारे गांव में आज तक सड़क नहीं बन सकी है. 700 की आबादी है लेकिन यहां के लोग सड़क के बिना काफी दिक्कतों का सामना कर रहे हैं. झारखंड के रास्ते आते-जाते हैं. वन विभाग की जमीन रहने के कारण ऐसा हुआ है. इसके कारण शादियां भी प्रभावित होती है. इधर गया जिला पदाधिकारी डॉक्टर त्यागराजन एसएम के हवाले से मिली जानकारी के अनुसार गया के बाराचट्टी प्रखंड अंतर्गत तेतरिया गांव में अरसे से सड़क नहीं बन पाई है. वन विभाग की जमीन रहने के कारण सड़क नहीं बन पा रही थी. वन विभाग को गैर वन भूमि उपलब्ध करा दी गई है और जल्द ही सड़क का निर्माण कार्य शुरू हो जाएगा.

"हमारे गांव में आज तक सड़क नहीं बन सकी है. 700 की आबादी है लेकिन यहां के लोग सड़क के बिना काफी दिक्कतों का सामना कर रहे हैं. झारखंड के रास्ते आते-जाते हैं. वन विभाग की जमीन रहने के कारण ऐसा हुआ है. इसके कारण शादियां भी प्रभावित होती है." -सविता देवी, मुखिया

गया के इस गांव में नहीं है सड़क

गया: बिहार के गया के एक गांव के लोगों को झारखंड की सड़क का सहारा है. ग्रामीण झारखंड की नदी को पार कर पहले वहां स्थित मुख्य मार्ग पर जाते हैं और फिर बिहार के इलाके में प्रवेश करते हैं. इस स्थिति के कारण इस गांव में शादियां भी बड़ी मुश्किल से ही लग पाती है. मामाला है जिले के बाराचट्टी प्रखंड अंतर्गत भलुआ पंचायत के तेतरिया गांव का है. जहां आज तक सड़क नहीं बनी है. इसके कारण यह गांव आज भी पिछड़ा हुआ है. कई दशकों की तरह आज भी तेतरिया गांव के लोग झारखंड की नदी पार कर झारखंड के दनुआ में मुख्य सड़क तक पहुंचते हैं और फिर बिहार की ओर रुख करते हैं.

पढ़ें-Purnea Bridge Collapsed: बिहार में भ्रष्टाचार का एक और नमूना, पूर्णिया में ढलाई के 4 घंटे बाद ही गिर गया पुल

बमुश्किल ही लग पाती है शादियां: सड़क नहीं होने के कारण यहां रिशते वाले आना ही नहीं चाहते. वहीं जो आते हैं वो सड़क नहीं देखकर भड़क जाते हैं और रुकते नहीं हैं. इस तरह यहां लड़के और लड़कियों दोनों की शादियां प्रभावित होती है. गांव के लोग बताते हैं कि बड़ी मुश्किल से किसी प्रकार से शादियां लग पाती है. इस संबंध में ग्रामीण उगनी देवी बताती है कि के गांव में सड़क नहीं है. वह झारखंड की नदी पार करती है और वहां के रास्ते से ही मुख्य सड़क तक जाती है, फिर बिहार पहुंचती है. ये गांव बिहार- झारखंड के बॉर्डर पर है, लेकिन इसकी अपनी कोई सड़क नहीं होने के कारण 5-6 किलोमीटर की दूरी ज्यादा तय करनी पड़ती है. यदि इसके पास अपनी सड़क होती तो ये फासला आधा होता. वहीं ग्रामीण महिला मालती देवी बताती है कि नदी में जब पानी बढ़ जाता है, तो घर से निकलना भी मुश्किल हो जाता है. मरीज बीमार हो जाए तो काफी दिक्कतें आती है.

"गांव में सड़क नहीं है. वह झारखंड की नदी पार करती है और वहां के रास्ते से ही मुख्य सड़क तक जाती है, फिर बिहार पहुंचती है. ये गांव बिहार- झारखंड के बॉर्डर पर है, लेकिन इसकी अपनी कोई सड़क नहीं होने के कारण 5-6 किलोमीटर की दूरी ज्यादा तय करनी पड़ती है. यदि इसके पास अपनी सड़क होती तो ये फासला आधा होता."-उगनी देवी, ग्रामीण

सड़क बनाने का रास्ता हुआ साफ: वहीं, इस संबंध में पूर्व पंचायत समिति सदस्य जगदीश यादव बताते हैं कि सड़क नहीं रहने के कारण यहां शादियां प्रभावित होती है. रिशते वाले आना नहीं चाहते हैं. किसी प्रकार से शादियां लग पाती हैं. सड़क नहीं रहने से ग्रामीणों को काफी दिक्कते झेलनी पड़ रही है. हालांकि अब सड़क बनाने का रास्ता साफ हुआ है. वन विभाग के ऑब्जेक्शन के कारण यह सड़क नहीं बन पा रही थी, लेकिन अब गया जिला पदाधिकारी द्वारा बताया गया है कि वन विभाग को गैर वन भूमि दे दी गई है. अब इस सड़क को बनाने का काम शुरू हो जाएगा. बताते हैं कि वर्ष 2013 में प्रधानमंत्री सड़क योजना से काम शुरू किया गया था लेकिन वन विभाग ने ऑब्जेक्शन लगा दिया था, इस तरह दशकों बाद शुरू हुआ निर्माण कर पर भी रुक गया था.

"सड़क नहीं रहने के कारण यहां शादियां प्रभावित होती है. रिशते वाले आना नहीं चाहते हैं. किसी प्रकार से शादियां लग पाती हैं. सड़क नहीं रहने से ग्रामीणों को काफी दिक्कते झेलनी पड़ रही है. हालांकि अब सड़क बनाने का रास्ता साफ हुआ है. वन विभाग के ऑब्जेक्शन के कारण यह सड़क नहीं बन पा रही थी, लेकिन अब गया जिला पदाधिकारी द्वारा बताया गया है कि वन विभाग को गैर वन भूमि दे दी गई है. अब इस सड़क को बनाने का काम शुरू हो जाएगा."-जगदीश यादव, पूर्व पंचायत समिति सदस्य

सड़क नहीं रहने से होती है काफी परेशानी: भलुआ पंचायत की मुखिया बताती है कि हमारे पंचायत में तेतरिया गांव है जहां वो रहती है. हमारे गांव में आज तक सड़क नहीं बन सकी है. 700 की आबादी है लेकिन यहां के लोग सड़क के बिना काफी दिक्कतों का सामना कर रहे हैं. झारखंड के रास्ते आते-जाते हैं. वन विभाग की जमीन रहने के कारण ऐसा हुआ है. इसके कारण शादियां भी प्रभावित होती है. इधर गया जिला पदाधिकारी डॉक्टर त्यागराजन एसएम के हवाले से मिली जानकारी के अनुसार गया के बाराचट्टी प्रखंड अंतर्गत तेतरिया गांव में अरसे से सड़क नहीं बन पाई है. वन विभाग की जमीन रहने के कारण सड़क नहीं बन पा रही थी. वन विभाग को गैर वन भूमि उपलब्ध करा दी गई है और जल्द ही सड़क का निर्माण कार्य शुरू हो जाएगा.

"हमारे गांव में आज तक सड़क नहीं बन सकी है. 700 की आबादी है लेकिन यहां के लोग सड़क के बिना काफी दिक्कतों का सामना कर रहे हैं. झारखंड के रास्ते आते-जाते हैं. वन विभाग की जमीन रहने के कारण ऐसा हुआ है. इसके कारण शादियां भी प्रभावित होती है." -सविता देवी, मुखिया

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