पटनाः बिहार सरकार के नगर विकास विभाग ने एक पत्र जारी कर आदेश दिया है कि नगर निगम दैनिक भत्ता पर कार्यरत कर्मचारियों को हटा दे, इस आदेश के विरोध में गया नगर निगम में कार्यरत 1700 मजदूर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए. सफाईकर्मियों की इस हड़ताल की वजह से शहर की सड़कों पर 10 हजार टन कचरा फैला हुआ है.
शहर में कचरों का अंबार
गया नगर निगम के दैनिक भत्ता मजदूरों ने नगर विकास मंत्री के पहल और मेयर के आश्वासन के बावजूद हड़ताल खत्म नहीं किया है. सफाईकर्मियों की हड़ताल से शहर में कचरे का अंबार लगा हुआ है. पिछले चार दिनों से करीब 1700 दैनिक भत्ता मजदूर नगर निगम कार्यालय में विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. आज पांचवे दिन भी नगर निगम के दैनिक भत्ता मजदूर हड़ताल पर है.
कचरे पर चढ़कर जा रहे लोग
ईटीवी भारत ने शहर में इस हड़ताल से लोगों को हो रही परेशानी की जानकारी ली. हड़ताल के कारण शहर के ह्र्दयस्थली टॉवर चौक के हर तरफ कचरा पसरा हुआ मिला. कचरों ने पूरे सड़क पर कब्जा जमा लिया है. लोग कचरे पर चढ़कर जा रहे हैं.
गंदगी देखकर पर्यटक निराश
इस संबंध में कांग्रेस नेता विजय कुमार मिठू ने बताया कि पूरे शहर में कचरे का अंबार लगा है. कोई इसको हटाने का जिम्मेदारी नहीं ले रहा है. अंतराष्ट्रीय पर्यटन स्थली का ये हाल देखकर पर्यटक निराश हो रहे हैं. अगर ये कचरा जल्द नहीं हटाया गया तो शहर में महामारी फैल जाएगी.
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'दुर्गति की जिम्मेदार बिहार सरकार'
समाजसेवी बाबूलाल ने कहा कि इस दुर्गति की जिम्मेदार सिर्फ बिहार सरकार है. इसमें ना तो नगर निगम दोषी हैं और ना ही कर्मचारी. ये लोग शहर में तीन बार झाड़ू लगाते थे और कचड़ा साफ करते थे. बिहार सरकार ने बिना वैकल्पिक व्यवस्था किए आदेश निकाला दिया, ये बिल्कुल गलत है.
सफाईकर्मियों को है भविष्य की चिंता
हालांकि नगर निगम के दैनिक भत्ता मजदूरों की हड़ताल समाप्त करने के लिए नगर विकास मंत्री ने आदेश दिया है. दैनिक कर्मचारियों को 31 मार्च तक नहीं निकाला जाएगा. आउटसोर्सिंग कंपनियों के करार में इनको प्राथमिकता दी जाएगी. लेकिन ये आश्वासन नाकाफी हैं, सफाईकर्मी अपने भविष्य की चिंता करते हुए परेशान हैं, क्योंकि 10 सालों तक काम करने बाद निकाले जाने की वजह से इनका कुनबा बिखरता नजर आ रहा है.