पटना: बिहार के गया जिले में प्रवासी मजदूरों को जिला प्रशासन की पहल पर मधुमक्खी पालन का प्रशिक्षण दिया जा रहा है. प्रशिक्षण प्राप्त करने पर मजदूरों को सरकार एक-एक लाख रुपए देगी, जिससे वे स्वावलंबी बन सकें.
कोरोना वायरस के संक्रमण को तेजी से फैलने से रोकने के लिए मार्च 2020 में लॉकडाउन लगाया गया था. इससे चलते मजदूरों को खाने के लाले पड़ गए थे. मजदूर महानगरों से घर वापस लौटने लगे थे. घर आकर भी उनके पास रोजगार का कोई साधन नहीं था. ऐसे में राज्य सरकार ने वादा किया था कि वह मजदूरों को ट्रेनिंग देगी ताकि वे स्वरोजगार कर सकें और उन्हें काम की तलाश में बाहर न जाना पड़े.
मधुमक्खी पालन सीख रहे मजदूर
जिला प्रशासन प्रवासी मजदूरों की सूची बनाकर उनकी इच्छा अनुसार विभिन्न क्षेत्रों में प्रशिक्षण दे रही है. मानपुर प्रखंड के कईया गांव में मधुमक्खी पालन का प्रशिक्षण दिया जा रहा है. प्रवासी मजदूर संतोष कुमार बताते हैं कि मैं उत्तरप्रदेश में काम करता था. लॉकडाउन लगने पर घर लौट आया था. 14 दिन के लिए सरकारी स्कूल में क्वारंटाइन में रहा. क्वारंटाइन से निकलते समय रोजगार देने की बात कही गई थी. 6 माह बाद ट्रेनिंग के लिए हमलोगों का चयन किया गया. हमलोग पिछले 15 दिन से मधुमक्खी पालन सीख रहे हैं.
मजदूरों को मिलेगा 1-1 लाख
प्रशिक्षण दे रहे श्रीकांत बताते हैं कि इस क्लस्टर में 20 लोगों की टोली है. इनमें 11 प्रवासी और 9 अप्रवासी मजदूर हैं. सरकार सभी को एक-एक लाख रुपए देगी. शुरुआत में सभी को मधुमक्खियों के 5-5 बॉक्स दिए गए हैं. एक बॉक्स की कीमत किट के साथ पांच हजार रुपए है. यहां मधुमक्खी पालन की पूरी जानकारी दी जा रही है.
जिलाधिकारी अभिषेक सिंह ने बताया कि ट्रेनिंग के लिए एक समूह में प्रवासी और अप्रवासी मजदूरों को शामिल किया जा रहा है. हमलोगों का प्रयास है कि इन सभी को स्वरोजगार करने का जरिया दिया जाए.
"मधुमक्खी पालन से निकलने वाले शहद की अच्छी पैकिंग और रिफाइन करने के लिए लेटेस्ट मशीन की खरीददारी की जाएगी. गया में मधुमक्खी पालन की अच्छी संभावनाएं हैं. यहां पहले के किसान मधुमक्खी पालन करते आ रहे हैं."- अभिषेक सिंह, डीएम
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मधु शोधन के लिए खरीदी जाएगी 5 लाख की मशीन
मधुमक्खी पालन एक स्थान पर नहीं हो सकता. मधुमक्खी को सीजन के अनुसार सरसों, लीची, आम व अन्य फसल के खेतों में ले जाना पड़ता है. इसके लिए मधुमक्खी को मुजफ्फरपुर, पूर्णिया व अन्य जिलों में ले जाना पड़ता है. ट्रेनिंग के दौरान यह भी बताया जाता है कि कब मधुमक्खी को कहां ले जाना है. गया के क्लस्टर में आधुनिक मशीन की खरीदारी की जाएगी. पांच लाख की इस मशीन से ब्रांडेड कंपनी की तर्ज पर मधु का शोधन और पैकेजिंग की जाएगी. जिले का यह पहला प्लांट होगा.