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Holi 2023: होली में इस मंदिर का विशेष महत्त्व, यहां स्थापित है हिरण्यकश्यप का वध करती भगवान नरसिंह की दुर्लभ प्रतिमा

गया में होली के मौके पर यहां स्थित भगवान नरसिंह के मंदिर का बड़ा महत्व है, जहां सालों पुरानी एक प्रतिमा है. ये प्रतिमा हिरण्यकश्यप का वध करते भगवान नरसिंह की है. इस मंदिर में इसी प्रतिमा के बगल में प्रह्लाद की भी मूर्ती है. ये अद्भुत चमत्कारिक प्रतिमा गया जिले के गुरारू प्रखंड के कोच्चि में है.

गया में भगवान नरसिंह का अद्भुत मंदिर
गया में भगवान नरसिंह का अद्भुत मंदिर
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Published : Mar 6, 2023, 1:33 PM IST

होली में भगवान नरसिंह की मंदिर का विशेष महत्त्व

गयाः बिहार के गया में भगवान नरसिंह की हिरण्यकश्यप का वध करते 5 फीट की प्रतिमा है. यह प्रतिमा काले पत्थर की अष्टधातु की बताई जाती है. लोगों की मान्यता है कि गर्जना करते भगवान नरसिंह की यह प्रतिमा प्रकट हुई थी. गर्जना सुनकर लोग कुएं के समीप देखने गए, तो उन्हें यह प्रतिमा दिखी, जिसे उसी कुएं में दीवार देकर स्थापित किया गया है. यह प्रतिमा हजारों साल पुरानी बताई जाती है. टिकारी महाराज के राजघराने द्वारा भगवान नरसिंह की प्रतिमा के जीर्णोद्धार का जिक्र 18 वीं शताब्दी से मिलता है.

ये भी पढ़ेंः Holi 2023: महाबोधि और विष्णुपद मंदिर के अर्पित फूलों से बने हर्बल गुलाल, अमेरिका में भारतीय मूल के लोग इसी से खेलेंगे होली

मनोकामना पूर्ण करने वाली है प्रतिमाः वैसे, बिहार तो क्या देश भर में भगवान नरसिंह की पौराणिक प्रतिमाएं दुर्लभ हैं. किंतु भगवान नरसिंह की ऐसी दुर्लभ प्रतिमा गया जिले के गुरारू प्रखंड अंतर्गत कोच्चि में है. भगवान नरसिंह की प्रतिमा रौद्र रूप में है. भगवान नरसिंह हिरण्यकश्यप का वध करते मुद्रा में हैं. वहीं, पास में एक और प्रतिमा भी है, जो प्रह्लाद की बताई जाती है. भगवान नरसिंह की यह प्रतिमा काफी चमत्कारी और मनोकामना पूर्ण करने वाली बताई जाती है.

होली में दूर-दूर से दर्शन को आते हैं लोगः होली में यहां विशेष पूजा होती है. भगवान नरसिंह के इस अद्भुत मंदिर के दर्शन के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं. लोग बताते हैं कि कोलकाता से भी यहां भक्त पहुंचते हैं. ऐसा मंदिर काफी दुर्लभ होता है, जहां भगवान नरसिंह की प्रतिमा हिरण्यकश्यप का वध करते मुद्रा में हों. वहीं, यह प्रतिमा अत्यंत ही प्राचीन है. होली के दिनों में यहां विशेष पूजा-अर्चना का आयोजन किया जाता है क्योंकि विष्णु भक्त प्रह्लाद की कथा इससे जुड़ी हुई है. अपने भक्तों की पुकार पर भगवान विष्णु नरसिंह अवतार लेकर प्रकट हुए थे और हिरण्यकश्यप का वध किया था.

भगवान नरसिंह के दरबार में पूरी होती है मन्नतः हिरण्यकश्यप को ऐसे वरदान प्राप्त थे कि भगवान को नरसिंह अवतार लेकर उसका वध करना पड़ा था. वहीं भगवान नरसिंह की प्रतिमा को लेकर गुरारू प्रखंड के कोच्चि गांव की एक अलग ही महता है. खासकर होली जैसे पर्व के मौके पर यहां भक्तों की भीड़ उमड़ती है यहां से कई मान्यताएं भक्तों की जुड़ी हुई हैं. भक्तों का मानना है कि भगवान नरसिंह के दरबार में जो कुछ मांगा जाए उसकी मन्नत पूरी हो जाती है.

प्रतिमा की रक्षा काले नाग करते हैं रक्षाः भगवान नरसिंह की हिरण्यकश्यप का वध करते यह प्रतिमा अष्टधातु की बताई जाती है. पुजारी विपिन मोहन मिश्र बताते हैं कि यहां हजार साल पुरानी भगवान नरसिंह की प्रतिमा स्थापित है. यह प्रतिमा अष्टधातु की है. भगवान गर्जना करते हुए प्रकट हुए थे और तब से यह प्रतिमा यहां स्थापित है. इसकी रक्षा काले नाग करते हैं, जो आस पास में ही रहते हैं. यह चमत्कार है कि मंदिर परिसर में यदि कोई सोया रहता है तो उस पर से होकर काले नाग गुजर जाते हैं, किंतु उस पर किसी प्रकार का चोट नहीं करते. इस तरह से यह मंदिर कई रूपों में शक्तिशाली है और होली में यहां की महिमा और बढ़ जाती है.

"भक्त प्रह्लाद से जुड़े होने के कारण प्रतिमा और मंदिर में दर्शन का महत्व होली के दिनों में बढ़ जाता है और भक्तों की यहां भीड़ काफी उमड़ती है. भगवान गर्जना करते हुए प्रकट हुए थे और तब से यह प्रतिमा यहां स्थापित है. इसकी रक्षा काले नाग करते हैं, जो आस पास में ही रहते हैं. यह मंदिर कई रूपों में शक्तिशाली है"- विपिन मोहन मिश्र, मंदिर के पुजारी

होली में भगवान नरसिंह की मंदिर का विशेष महत्त्व

गयाः बिहार के गया में भगवान नरसिंह की हिरण्यकश्यप का वध करते 5 फीट की प्रतिमा है. यह प्रतिमा काले पत्थर की अष्टधातु की बताई जाती है. लोगों की मान्यता है कि गर्जना करते भगवान नरसिंह की यह प्रतिमा प्रकट हुई थी. गर्जना सुनकर लोग कुएं के समीप देखने गए, तो उन्हें यह प्रतिमा दिखी, जिसे उसी कुएं में दीवार देकर स्थापित किया गया है. यह प्रतिमा हजारों साल पुरानी बताई जाती है. टिकारी महाराज के राजघराने द्वारा भगवान नरसिंह की प्रतिमा के जीर्णोद्धार का जिक्र 18 वीं शताब्दी से मिलता है.

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मनोकामना पूर्ण करने वाली है प्रतिमाः वैसे, बिहार तो क्या देश भर में भगवान नरसिंह की पौराणिक प्रतिमाएं दुर्लभ हैं. किंतु भगवान नरसिंह की ऐसी दुर्लभ प्रतिमा गया जिले के गुरारू प्रखंड अंतर्गत कोच्चि में है. भगवान नरसिंह की प्रतिमा रौद्र रूप में है. भगवान नरसिंह हिरण्यकश्यप का वध करते मुद्रा में हैं. वहीं, पास में एक और प्रतिमा भी है, जो प्रह्लाद की बताई जाती है. भगवान नरसिंह की यह प्रतिमा काफी चमत्कारी और मनोकामना पूर्ण करने वाली बताई जाती है.

होली में दूर-दूर से दर्शन को आते हैं लोगः होली में यहां विशेष पूजा होती है. भगवान नरसिंह के इस अद्भुत मंदिर के दर्शन के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं. लोग बताते हैं कि कोलकाता से भी यहां भक्त पहुंचते हैं. ऐसा मंदिर काफी दुर्लभ होता है, जहां भगवान नरसिंह की प्रतिमा हिरण्यकश्यप का वध करते मुद्रा में हों. वहीं, यह प्रतिमा अत्यंत ही प्राचीन है. होली के दिनों में यहां विशेष पूजा-अर्चना का आयोजन किया जाता है क्योंकि विष्णु भक्त प्रह्लाद की कथा इससे जुड़ी हुई है. अपने भक्तों की पुकार पर भगवान विष्णु नरसिंह अवतार लेकर प्रकट हुए थे और हिरण्यकश्यप का वध किया था.

भगवान नरसिंह के दरबार में पूरी होती है मन्नतः हिरण्यकश्यप को ऐसे वरदान प्राप्त थे कि भगवान को नरसिंह अवतार लेकर उसका वध करना पड़ा था. वहीं भगवान नरसिंह की प्रतिमा को लेकर गुरारू प्रखंड के कोच्चि गांव की एक अलग ही महता है. खासकर होली जैसे पर्व के मौके पर यहां भक्तों की भीड़ उमड़ती है यहां से कई मान्यताएं भक्तों की जुड़ी हुई हैं. भक्तों का मानना है कि भगवान नरसिंह के दरबार में जो कुछ मांगा जाए उसकी मन्नत पूरी हो जाती है.

प्रतिमा की रक्षा काले नाग करते हैं रक्षाः भगवान नरसिंह की हिरण्यकश्यप का वध करते यह प्रतिमा अष्टधातु की बताई जाती है. पुजारी विपिन मोहन मिश्र बताते हैं कि यहां हजार साल पुरानी भगवान नरसिंह की प्रतिमा स्थापित है. यह प्रतिमा अष्टधातु की है. भगवान गर्जना करते हुए प्रकट हुए थे और तब से यह प्रतिमा यहां स्थापित है. इसकी रक्षा काले नाग करते हैं, जो आस पास में ही रहते हैं. यह चमत्कार है कि मंदिर परिसर में यदि कोई सोया रहता है तो उस पर से होकर काले नाग गुजर जाते हैं, किंतु उस पर किसी प्रकार का चोट नहीं करते. इस तरह से यह मंदिर कई रूपों में शक्तिशाली है और होली में यहां की महिमा और बढ़ जाती है.

"भक्त प्रह्लाद से जुड़े होने के कारण प्रतिमा और मंदिर में दर्शन का महत्व होली के दिनों में बढ़ जाता है और भक्तों की यहां भीड़ काफी उमड़ती है. भगवान गर्जना करते हुए प्रकट हुए थे और तब से यह प्रतिमा यहां स्थापित है. इसकी रक्षा काले नाग करते हैं, जो आस पास में ही रहते हैं. यह मंदिर कई रूपों में शक्तिशाली है"- विपिन मोहन मिश्र, मंदिर के पुजारी

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