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अपने हुनर से सैकड़ों महिलाओं के घर में उजाला ला रही हैं सीता देवी

सीता देवी अपने हुनर की कमाई से अपने घर में उजाला तो लाई साथ ही सैकड़ों महिलाओं को बिजली काम सिखाकर उनके घर मे भी प्रकाश फैला दिया.

हुनर से बनाई पहचान
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Published : Mar 8, 2019, 7:30 PM IST

गया: जब कुछ करने का हौसला हो तो किसी भी हालात से लड़ा जा सकता है. ये साबित कर रही हैं गया की 45 वर्षीय सीता देवी. ये शहर के व्यस्त चौराहे काशीनाथ मोड़ के पास फुटपाथ पर बैठ कर खराब विधुत उपकरणों की रिपेयरिंग का काम कर रही हैं. पति की बीमारी के बाद जब घर में चूल्हा जलना बंद हुआ तो इन्होंने घर चलाने की जिम्मेदारी खुद पर ले ली.

womans day
फुटपाथ पर बिजली उपकरण रिपेयर करतीं सीता देवी

सीता देवी ने अपने पति के हुनर को सीख कर फुटपाथ पर बिजली यंत्रो की मरम्मती का काम करने लगी. सीता देवी अपने हुनर की कमाई से अपने घर में उजाला तो लाई साथ ही सैकड़ों महिलाओं को बिजली काम सिखाकर उनके घर मे भी प्रकाश फैला दिया.

20 साल पहले हालातों ने सिखाया हुनर
20 साल पहले एक दिन सीता देवी के पति की तबियत बहुत खराब हो गई. डॉक्टर ने पति को पूरी तरह बेड रेस्ट के लिए बोल दिया. घर में तीन बच्चे और खुद की बीमारी के लिए पति दुकान पर बैठने लगे. उनकी देखभाल के लिए सीता देवी भी उनके साथ बैठती थीं. इस दौरान उन्होंने उपकरणों की रिपेय़रिंग का पूरा काम सीख लिया और खुद दुकान पर बैठनें लगी.

सीता देवी ने खुद ली घर की जिम्मेदारी

कई महिलाओं को सिखाया काम
सीता देवी अपने घर दिग्घी तालाब के पास 30 महिलाओं के समूह बनाकर बिजली यंत्रो को बनाने का काम सिखाती हैं. 20 वर्षों ने उन्होंने 100 से अधिक महिलाओं को बिजली का काम सिखाया.

अपनी मेहनत और हुनर की कमाई से आज सीता देवी पति का पटना में इलाज करवा रही हैं. साथ ही बच्चों को भी बेहतर शिक्षा भी दे रही हैं.

गया: जब कुछ करने का हौसला हो तो किसी भी हालात से लड़ा जा सकता है. ये साबित कर रही हैं गया की 45 वर्षीय सीता देवी. ये शहर के व्यस्त चौराहे काशीनाथ मोड़ के पास फुटपाथ पर बैठ कर खराब विधुत उपकरणों की रिपेयरिंग का काम कर रही हैं. पति की बीमारी के बाद जब घर में चूल्हा जलना बंद हुआ तो इन्होंने घर चलाने की जिम्मेदारी खुद पर ले ली.

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फुटपाथ पर बिजली उपकरण रिपेयर करतीं सीता देवी

सीता देवी ने अपने पति के हुनर को सीख कर फुटपाथ पर बिजली यंत्रो की मरम्मती का काम करने लगी. सीता देवी अपने हुनर की कमाई से अपने घर में उजाला तो लाई साथ ही सैकड़ों महिलाओं को बिजली काम सिखाकर उनके घर मे भी प्रकाश फैला दिया.

20 साल पहले हालातों ने सिखाया हुनर
20 साल पहले एक दिन सीता देवी के पति की तबियत बहुत खराब हो गई. डॉक्टर ने पति को पूरी तरह बेड रेस्ट के लिए बोल दिया. घर में तीन बच्चे और खुद की बीमारी के लिए पति दुकान पर बैठने लगे. उनकी देखभाल के लिए सीता देवी भी उनके साथ बैठती थीं. इस दौरान उन्होंने उपकरणों की रिपेय़रिंग का पूरा काम सीख लिया और खुद दुकान पर बैठनें लगी.

सीता देवी ने खुद ली घर की जिम्मेदारी

कई महिलाओं को सिखाया काम
सीता देवी अपने घर दिग्घी तालाब के पास 30 महिलाओं के समूह बनाकर बिजली यंत्रो को बनाने का काम सिखाती हैं. 20 वर्षों ने उन्होंने 100 से अधिक महिलाओं को बिजली का काम सिखाया.

अपनी मेहनत और हुनर की कमाई से आज सीता देवी पति का पटना में इलाज करवा रही हैं. साथ ही बच्चों को भी बेहतर शिक्षा भी दे रही हैं.

Intro:गया के सबसे व्यस्त चौराहा काशीनाथ मोड़ के पास 45 वर्षीय सीता देवी खराब बल्ब 20 वर्षो से चारो ऋतुओ में सड़क किनारे फुटपाथ पर बैठकर बल्ब बनाती है साथ ही आज तक सैकड़ो महिलाओं को बिजली का काम सीखा भी चुकी है।


Body:45 वर्षीय सीता देवी के घर के चूल्हे जलना बन्द हुआ तो अपने पति के हुनर को सिख कर फुटपाथ पर बिजली यंत्रो को मरम्मत कार्य करने लगी। सीता देवी अपने हुनर के कमाई से अपने घर मे उजाला तो लाई साथ ही सैकड़ो महिलाओं को बिजली काम सिखाकर उनके घर मे भी प्रकाश फैला दिया।

20 वर्ष पूर्व एक दिन सीता देवी के पति का तबियत बहुत खराब हो गया था ,डॉक्टर ने पूर्णतः बेड रेस्ट करने को बोल दिया। घर मे तीन बच्चे और बीमार पति को खर्च नही चलने लगा तो पति कभी कभी दुकान पर बैठने लगे। सीता देवी उनकी देखभाल के लिए दुकान पर बैठी रहती थी। धीरे धीरे पति को काम करते देखकर सीता देवी काम को सिख गयी ।पति फिर घर पर बिजली उपकरण बनाना सीखा दिए। पति दुकान जाना बंद कर दिए पूर्ण रूप से सीता देवी फुटपाथ पर बैठकर दुकान चलाने लगी। फुटपाथ पर दुकान से सीता देवी बीमार पति का इलाज पटना में करवा रही है तीनो बच्चों को अच्छे स्कूल में पढ़ा रही है।

हौसला जब कुछ करने का हो तो मंजिल तक जाने से कोई नही रोकता, सीता देवी के हौसला ही था जो बिजली यंत्रो का मरम्मत कार्य सिख कर फुटपाथ पर बैठकर बनाने लगी। बिहार के दो दशक पूर्व महिलाओं के सड़क पर चलना सुरक्षित नही था जहां सीता देवी सड़क किनारे दुकान चलाती थी। इनके हौसला का सम्मान शासन- प्रशासन और कई सामाजिक संस्थाओं ने किया है। सीता देवी अपने घर दिग्घी तालाब के पास 30 महिलाओं के समूह बनाकर बिजली यंत्रो को बनाने के सिखाती हैं। 20 वर्षो ने उन्होंने 100 से अधिक महिलाओं को बिजली का काम सीखा दी है।


Conclusion:सीता देवी गया के काशीनाथ मोड़ पर एलईडी बल्ब बनाते दिख जाती है लेकिन अपने घर पर सीता देवी फ़ंखा, कूलर,आयरन,आदि बिजली उपकरण बनाती हैं।

सीता देवी बताती है 20 वर्ष पहले मजबूरी में ये काम को सीखे थे ।पति से दुकान पर बैठा नही जाता है। उनको काम करते देखकर सिख गयी थी। काम सीखने के बाद से बिजली का सारा काम करने लगी। फुटपाथ पर ही पति का दुकान था फुटपाथ पर ही बैठकर काम करने लगी। शुरू शुरू में लोगो को विश्वास नही होता था मैं भी बल्ब और फ़ंखा बना दूँगी। लोगो ने फिर मेरे काम को देखा उनको अच्छा लगा अब हजारो मेरे ग्राहक है। मैं सैकड़ो महिलाओं को बिजली काम सीखा दी हुँ। मैं तो मजबूरी में सीखी थी पर अब के युग महिलाओं के हाथ मे हुनर रहना चाहिए तब न पुरुषों से बराबरी करेगी। फुटपाथ पर बैठने में दिक्कत तो होता है गर्मी में लू,बरसात में पानी, ठंड में सर्द हवा से दिक्कत होती है। उसके बाद नगर निगम आकर हटा देता है दुकान वाला सामने में दुकान नही लगाने देता है। 20 वर्षो से झेल रही हु। इस काम से अच्छी कमाई भी हो जाती है।
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