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गया में नहीं है एक भी वाटर ट्रीटमेंट प्लांट, मोबिल जैसा गंदा पानी पीने को मजबूर हैं ग्रामीण

मोक्षनगरी के नाम से जाना जाने वाला गया जिला स्वच्छ पानी के अभाव से जूझ रहा है. इस जिले में एक भी वाटर ट्रीटमेंट प्लांट नहीं है. जिस कारण यहां के लोगों को पीने का पानी तो दूर कपड़े धोने के लिए भी पानी छानकर प्रयोग में लाना पड़ता है.

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Published : Dec 29, 2020, 7:43 PM IST

Updated : Dec 30, 2020, 8:54 PM IST

गंदे पानी से ग्रामीण परेशान
गंदे पानी से ग्रामीण परेशान

गया: बिहार का गया एक ऐसा जिला है, जिसकी पहचान विदेशों तक है. लेकिन उस जिला में लोग स्वच्छ पानी के लिए तरस रहे हैं. बिहार का गया जिला में एक भी वाटर ट्रीटमेंट प्लांट नहीं है. जिस कारण लोगों के घर में गंदा पानी जा रहा है. लोग मोबिल जैसा गंदा पानी पीने को विवश हैं. हालांकि साल 2021 में बुडको के माध्यम से शहर में वाटर ट्रीटमेंट प्लांट बनाने का दावा किया गया है.

मोक्षनगरी में बुनियादी सुविधाओं का अभाव
दरअसल, मोक्षनगरी गया में बुनियादी सुविधाओं का घोर अभाव है. गया के ब्रह्न सरोवर और वैतरणी सरोवर के पास के मोहल्लों में नगर निगम के माध्यम से सप्लाई पानी बिल्कुल नाली के पानी जैसा आता है. यहां के लोग पानी को पीने के लिए उपयोग नहीं करते हैं, बल्कि कपड़ा धोने के लिए भी पानी छानकर उपयोग करते हैं.

गंदे पानी से ग्रामीण परेशान
गंदे पानी से लोग परेशान

पहाड़ों पर टैंकों को किया गया है स्थापित
शहर में अंग्रेजों के शासन काल से वाटर सप्लाई पाइप से की जा रही है. अंग्रेजों के माध्यम से बनायी गयी टैंकों से पानी स्टोरेज किया जा रहा है. इससे ही आधा गया तक पानी पहुंचता है. गया में पहाड़ों पर पानी टैंक को स्थापित किया गया है. मंगलागौरी मंदिर के ऊपर पहाड़ पर दो वर्ष पहले निगम के माध्यम से दो टैंक स्थापित किया गया है. इन दोनों टैंकों की क्षमता प्रति 4 लाख लीटर है.

देखें विशेष रिपोर्ट.

दो टैंक हुआ क्षतिग्रस्त
ईटीवी भारत की टीम ने पानी स्टोरेज करने वाले जगह पर जाकर जानकारी प्राप्त किया. मंगलागौरी मंदिर के ऊपर पहाड़ पर स्थित चार वाटर टैंक में से दो टैंक बिल्कुल क्षतिग्रस्त है. अंग्रेजों के माध्यम से बनाया गए दो टैंक में आठ लाख गैलन पानी रखने की क्षमता है. लेकिन इसकी दीवारें अब जवाब दे रही है. कई जगहों पर पानी टैंक से लीक भी कर रहा है. टैंक के बाहरी हिस्सों में कायी बैठी हुई है. बाहर आवरण की बदहाल स्थिति देख अंदर का आंकलन किया जा सकता है. वाटर टैंक मैन ने बताया कि अंग्रेजों के माध्यम से दोनों टैंक बनाया गया है. टैंक की सफाई साल में पितृपक्ष मेले के पहले होती है. उन्होंने ने बताया कि दो टैंकों के ऊपर की छत भी टूटी हुई है.

गंदे पानी से ग्रामीण परेशान
गंदे पानी से परेशान महिलाएं.

100 घर पाइपलाइन के भरोसे
ईटीवी भारत ने शहर के विष्णुपद क्षेत्र के वैतरणी सरोवर मोहल्ले का जायजा लिया. इस मोहल्ले में करीब 100 घर है. सभी लोग पानी के लिए पाइपलाइन के भरोसे हैं. लेकिन पाइपलाइन पुरानी होने की वजह से घर में गंदा पानी जाता है.

गंदा पानी आने की वजह से दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. पानी इतना गंदा है कि पानी जानवर भी न पीये. यह पानी वैतरणी सरोवर की पानी से भी ज्यादा खराब है. यह पानी पीना तो दूर की बात है कपड़ा धोने के लिए भी छानकर प्रयोग में लाना पड़ता है. -रीता देवी, स्थानीय

गंदे पानी से ग्रामीण परेशान
गंदे पानी से परेशानी

आजादी के पहले से बिछा है पाइपलाइन
वार्ड नं 45 के वार्ड पार्षद प्रतिनिधि ने बताया कि उस मोहल्ले में आजादी के पहले से पाइपलाइन बिछा हुआ है. यह पाइपलाइन कई जगह पर क्षतिग्रस्त हो गया है. इस मुद्दे को निगम के बैठक में कई बार उठाया है. नए पाइपलाइन बिछाने में बिजली विभाग की लापरवाही सामने आ रही है. बिजली विभाग ने अंडरग्राउंड बिजली ले गयी है लेकिन उसको चिहिन्त नहीं किया है. बिजली विभाग अंडरग्राउंड वायर के बारे में जानकारी देगी, उसके बाद वहां नया पाइपलाइन बिछाया जाएगा.

गंदे पानी से ग्रामीण परेशान
गंदे पानी से ग्रामीण परेशान

नहीं किया जाता वाटर का ट्रीटमेंट
ईटीवी भारत ने गया नगर निगम के नगर आयुक्त सावन कुमार से वाटर ट्रीटमेंट की जानकारी लिया. इस दौरान पाया कि गया में एक भी वाटर ट्रीटमेंट प्लांट नहीं है. शहर में लगभग 70 लाख गैलन पानी की जरूरत है. अभी 30 से 35 लाख टन गैलन पानी की सप्लाई की जाती है.

गया में अभी वाटर ट्रीटमेंट प्लांट नहीं है. इस वजह से वाटर का ट्रीटमेंट नहीं हो पाता है. लेकिन साल में दो बार सभी वाटर टैंक को पारंपरिक तरीके से साफई की जाती है. 2021 में बुडको वाटर ट्रीटमेंट प्लांट को बैठा रही है, जिससे लोगों को स्वच्छ पानी मिलेगा. -सावन कुमार, नगर निगम आयुक्त

गया: बिहार का गया एक ऐसा जिला है, जिसकी पहचान विदेशों तक है. लेकिन उस जिला में लोग स्वच्छ पानी के लिए तरस रहे हैं. बिहार का गया जिला में एक भी वाटर ट्रीटमेंट प्लांट नहीं है. जिस कारण लोगों के घर में गंदा पानी जा रहा है. लोग मोबिल जैसा गंदा पानी पीने को विवश हैं. हालांकि साल 2021 में बुडको के माध्यम से शहर में वाटर ट्रीटमेंट प्लांट बनाने का दावा किया गया है.

मोक्षनगरी में बुनियादी सुविधाओं का अभाव
दरअसल, मोक्षनगरी गया में बुनियादी सुविधाओं का घोर अभाव है. गया के ब्रह्न सरोवर और वैतरणी सरोवर के पास के मोहल्लों में नगर निगम के माध्यम से सप्लाई पानी बिल्कुल नाली के पानी जैसा आता है. यहां के लोग पानी को पीने के लिए उपयोग नहीं करते हैं, बल्कि कपड़ा धोने के लिए भी पानी छानकर उपयोग करते हैं.

गंदे पानी से ग्रामीण परेशान
गंदे पानी से लोग परेशान

पहाड़ों पर टैंकों को किया गया है स्थापित
शहर में अंग्रेजों के शासन काल से वाटर सप्लाई पाइप से की जा रही है. अंग्रेजों के माध्यम से बनायी गयी टैंकों से पानी स्टोरेज किया जा रहा है. इससे ही आधा गया तक पानी पहुंचता है. गया में पहाड़ों पर पानी टैंक को स्थापित किया गया है. मंगलागौरी मंदिर के ऊपर पहाड़ पर दो वर्ष पहले निगम के माध्यम से दो टैंक स्थापित किया गया है. इन दोनों टैंकों की क्षमता प्रति 4 लाख लीटर है.

देखें विशेष रिपोर्ट.

दो टैंक हुआ क्षतिग्रस्त
ईटीवी भारत की टीम ने पानी स्टोरेज करने वाले जगह पर जाकर जानकारी प्राप्त किया. मंगलागौरी मंदिर के ऊपर पहाड़ पर स्थित चार वाटर टैंक में से दो टैंक बिल्कुल क्षतिग्रस्त है. अंग्रेजों के माध्यम से बनाया गए दो टैंक में आठ लाख गैलन पानी रखने की क्षमता है. लेकिन इसकी दीवारें अब जवाब दे रही है. कई जगहों पर पानी टैंक से लीक भी कर रहा है. टैंक के बाहरी हिस्सों में कायी बैठी हुई है. बाहर आवरण की बदहाल स्थिति देख अंदर का आंकलन किया जा सकता है. वाटर टैंक मैन ने बताया कि अंग्रेजों के माध्यम से दोनों टैंक बनाया गया है. टैंक की सफाई साल में पितृपक्ष मेले के पहले होती है. उन्होंने ने बताया कि दो टैंकों के ऊपर की छत भी टूटी हुई है.

गंदे पानी से ग्रामीण परेशान
गंदे पानी से परेशान महिलाएं.

100 घर पाइपलाइन के भरोसे
ईटीवी भारत ने शहर के विष्णुपद क्षेत्र के वैतरणी सरोवर मोहल्ले का जायजा लिया. इस मोहल्ले में करीब 100 घर है. सभी लोग पानी के लिए पाइपलाइन के भरोसे हैं. लेकिन पाइपलाइन पुरानी होने की वजह से घर में गंदा पानी जाता है.

गंदा पानी आने की वजह से दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. पानी इतना गंदा है कि पानी जानवर भी न पीये. यह पानी वैतरणी सरोवर की पानी से भी ज्यादा खराब है. यह पानी पीना तो दूर की बात है कपड़ा धोने के लिए भी छानकर प्रयोग में लाना पड़ता है. -रीता देवी, स्थानीय

गंदे पानी से ग्रामीण परेशान
गंदे पानी से परेशानी

आजादी के पहले से बिछा है पाइपलाइन
वार्ड नं 45 के वार्ड पार्षद प्रतिनिधि ने बताया कि उस मोहल्ले में आजादी के पहले से पाइपलाइन बिछा हुआ है. यह पाइपलाइन कई जगह पर क्षतिग्रस्त हो गया है. इस मुद्दे को निगम के बैठक में कई बार उठाया है. नए पाइपलाइन बिछाने में बिजली विभाग की लापरवाही सामने आ रही है. बिजली विभाग ने अंडरग्राउंड बिजली ले गयी है लेकिन उसको चिहिन्त नहीं किया है. बिजली विभाग अंडरग्राउंड वायर के बारे में जानकारी देगी, उसके बाद वहां नया पाइपलाइन बिछाया जाएगा.

गंदे पानी से ग्रामीण परेशान
गंदे पानी से ग्रामीण परेशान

नहीं किया जाता वाटर का ट्रीटमेंट
ईटीवी भारत ने गया नगर निगम के नगर आयुक्त सावन कुमार से वाटर ट्रीटमेंट की जानकारी लिया. इस दौरान पाया कि गया में एक भी वाटर ट्रीटमेंट प्लांट नहीं है. शहर में लगभग 70 लाख गैलन पानी की जरूरत है. अभी 30 से 35 लाख टन गैलन पानी की सप्लाई की जाती है.

गया में अभी वाटर ट्रीटमेंट प्लांट नहीं है. इस वजह से वाटर का ट्रीटमेंट नहीं हो पाता है. लेकिन साल में दो बार सभी वाटर टैंक को पारंपरिक तरीके से साफई की जाती है. 2021 में बुडको वाटर ट्रीटमेंट प्लांट को बैठा रही है, जिससे लोगों को स्वच्छ पानी मिलेगा. -सावन कुमार, नगर निगम आयुक्त

Last Updated : Dec 30, 2020, 8:54 PM IST
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