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गया: स्वतंत्रता सेनानी विष्णुदेव नारायण सिंह को राष्ट्रपति करेंगे सम्मानित, Etv भारत ने की खास बातचीत - Independence fighter Vishnudev Narayan Singh

96 वर्षीय विष्णुदेव नारायण सिंह मूलतः गया के टिकारी प्रखंड के चितखोर गांव के रहने वाले हैं. नौ अगस्त को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद स्वतंत्रता सेनानी विष्णुदेव नारायण सिंह को सम्मानित करेंगे. इस दिन राष्ट्रपति भवन में एट होम के कार्यक्रम का आयोजन होगा.

स्वतंत्रता सेनानी विष्णु देव नारायण सिंह
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Published : Aug 4, 2019, 12:57 PM IST

गया: 1939 में महज 14 साल की उम्र में आजादी की लड़ाई में कूदने वाले स्वतंत्रता सेनानी विष्णुदेव नारायण सिंह को नौ अगस्त को राष्ट्रपति पुरस्कार मिलेगा. बिहार सरकार के गृह विभाग का पत्र विष्णुदेव नारायण सिंह को मिल गया है. वो अपने सहयोगी के साथ 6 अगस्त को दिल्ली के लिए रवाना होंगे. इससे पहले भी उन्हें दो बार राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है.

96 वर्षीय विष्णुदेव नारायण सिंह मूलतः गया के टिकारी प्रखंड के चितखोर गांव के रहने वाले हैं. नौ अगस्त को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद स्वतंत्रता सेनानी विष्णुदेव नारायण सिंह को सम्मानित करेंगे. इस दिन राष्ट्रपति भवन में एट होम के कार्यक्रम का आयोजन होगा. इस दौरान उन्हें सम्मानित किया जाएगा. गया जिले के इस एक मात्र स्वतंत्रता सेनानी से ईटीवी भारत ने खास बातचीत की.

gaya news
सेनानीविष्णु देव नारायण सिंह का परिवार

सवाल- राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद आपको नौ अगस्त को सम्मानित करेंगे, कैसा लग रहा है?
जवाब- ठीक लग रहा है, सम्मान देना सिर्फ औपचारिकता है. पहले आम लोग, अफसर सम्मान देते थे. अब वो सम्मान नहीं मिलता है. राष्ट्रपति क्या सम्मान देंगे, असली सम्मान तो ये सब है.

सवाल- आप कम उम्र में आजादी के लड़ाई में शामिल हो गए? शुरुआत कहां से हुई ?
जवाब- 1939 में 14 वर्ष के उम्र में आजादी के लड़ाई में कूद गए थे, अंग्रेज हम लोगों को ब्लैक डॉग कहते थे. यह सुनकर गुस्सा आता था. 14 वर्ष के उम्र में सबसे पहले अंग्रेजी हुकूमत के झंडे को जला दिया. उसके बाद टिकारी थाना को जला दिए. उसके बाद अंग्रेज पुलिस हमें खोजने लगी. हमलोग भागते भागते बिहारशरीफ पहुँच गए. बिहारशरीफ में भी थाना को जला दिए. लेकिन वहां पकड़ा गये. पुलिस ने फुलवारीशरीफ कैम्प जेल में जंजीरों से बांधकर डाल दिया. कभी ये जेल, कभी वो जेल में भेज देता था. कहीं भी एक जगह नहीं रहने देता था.

Independence fighter Vishnudev Narayan Singh will
विष्णुदेव नारायण सिंह को मिलेगा राष्ट्रपति पुरस्कार

सवाल- जेल कितने वर्ष रहे, जेल में रहने के दौरान क्या-क्या यातनाएं झेलनी पड़ी?
जवाब- जेल में तीन वर्ष रहे थे, जेल में कष्ट दिया जाता था. जंजीरों से हाथ पैर बांधा रहता था. जेल के अंदर कैदी से तेल का कोल्हू चलवाया जाता था. जेल में बहुत यातनाएं दी गई. दोनों हांथ की अंगुली को तोड़ दिया गया. पैर में कील गड़ा दिया गया था. खाने के नाम पर रूखा सुखा कुछ मिल जाता था. इसके अलावा अंग्रेज मारपीट भी करते थे.

सवाल- जेल में रहने के दौरान किन-किन लोगों से मुलाक़ात हुई ?
जवाब- तीन साल जेल में रहे, एक जेल में कभी स्थायी नहीं रहे. महीना होते ही दूसरे जेल में भेज दिया जाता था. इस तरह मुझे नैनी जेल इलाहाबाद भेज दिया गया. वहाँ नेहरू जी से मुलाकात हुई थी. उसके बाद हजारीबाग जेल में जयप्रकाश नारायण जी से मुलाक़ात हुई. दीपावली के दिन जयप्रकाश नारायण के साथ 17 लोगों को जेल से भागने में मदद किये थे.

स्वतंत्रता सेनानी विष्णुदेव नारायण सिंह से खास बातचीत

सवाल- कभी अंग्रेज से आमने-सामने मुलाकात हुई?
जवाब- आमना- सामना तो होते रहता था. एक बार की घटना है. गया के मार्केट से सब्जी में ओल लेकर घर जा रहा था. तभी अंग्रेज सिपाही आये. उसने इंग्लिश में पूछा क्या है, तो मैंने कह दिया फ्रूट है. इसके बाद अंग्रेज उस ओल को लेकर खाने लगा. खाने के साथ ही ओल ने असर करना शुरू किया. अंग्रेज के मुँह में खुजलाहट होने लगी. जिसके बाद बाकी सिपाही मुझे पकड़ने के लिए दौड़ पड़े. लेकिन मैं पकड़ाया नही.

सवाल- स्वतंत्रता सेनानी वाला पेंशन मिलता है?
जवाब- केंद्र सरकार की तरफ से दिया गया पेंशन हर माह मिल जाता है. लेकिन बिहार सरकार वाला नहीं मिलता है. दिसंबर माह में आया था. आठ माह बीत गया लेकिन अब तक एक रुपया नहीं मिला है. जो बस में पास था, उसे भी लालू यादव ने रद्द कर दिया. हमलोग से ज्यादा सुविधा जेपी आंदोलन के सेनानी को मिल रहा है.

सवाल- आजादी के वक़्त जैसे देश की कल्पना की थी, क्या वैसा देश बना है?
जवाब- नहीं,उस वक़्त के नेता तपे तपाये रहते थे. अभी के नेता को आमजन से सरोकार नहीं है. देश मे संविधान बनने के तीन साल बाद तक सब ठीक रहा. तीन साल बाद सब बिगड़ने लगा. अभी नेता कौन बन रहा है ? जो अमीर है, बाहुबली है. वो नेता बन जा रहा है. सब लूट खसोट में लगे हैं.

गया: 1939 में महज 14 साल की उम्र में आजादी की लड़ाई में कूदने वाले स्वतंत्रता सेनानी विष्णुदेव नारायण सिंह को नौ अगस्त को राष्ट्रपति पुरस्कार मिलेगा. बिहार सरकार के गृह विभाग का पत्र विष्णुदेव नारायण सिंह को मिल गया है. वो अपने सहयोगी के साथ 6 अगस्त को दिल्ली के लिए रवाना होंगे. इससे पहले भी उन्हें दो बार राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है.

96 वर्षीय विष्णुदेव नारायण सिंह मूलतः गया के टिकारी प्रखंड के चितखोर गांव के रहने वाले हैं. नौ अगस्त को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद स्वतंत्रता सेनानी विष्णुदेव नारायण सिंह को सम्मानित करेंगे. इस दिन राष्ट्रपति भवन में एट होम के कार्यक्रम का आयोजन होगा. इस दौरान उन्हें सम्मानित किया जाएगा. गया जिले के इस एक मात्र स्वतंत्रता सेनानी से ईटीवी भारत ने खास बातचीत की.

gaya news
सेनानीविष्णु देव नारायण सिंह का परिवार

सवाल- राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद आपको नौ अगस्त को सम्मानित करेंगे, कैसा लग रहा है?
जवाब- ठीक लग रहा है, सम्मान देना सिर्फ औपचारिकता है. पहले आम लोग, अफसर सम्मान देते थे. अब वो सम्मान नहीं मिलता है. राष्ट्रपति क्या सम्मान देंगे, असली सम्मान तो ये सब है.

सवाल- आप कम उम्र में आजादी के लड़ाई में शामिल हो गए? शुरुआत कहां से हुई ?
जवाब- 1939 में 14 वर्ष के उम्र में आजादी के लड़ाई में कूद गए थे, अंग्रेज हम लोगों को ब्लैक डॉग कहते थे. यह सुनकर गुस्सा आता था. 14 वर्ष के उम्र में सबसे पहले अंग्रेजी हुकूमत के झंडे को जला दिया. उसके बाद टिकारी थाना को जला दिए. उसके बाद अंग्रेज पुलिस हमें खोजने लगी. हमलोग भागते भागते बिहारशरीफ पहुँच गए. बिहारशरीफ में भी थाना को जला दिए. लेकिन वहां पकड़ा गये. पुलिस ने फुलवारीशरीफ कैम्प जेल में जंजीरों से बांधकर डाल दिया. कभी ये जेल, कभी वो जेल में भेज देता था. कहीं भी एक जगह नहीं रहने देता था.

Independence fighter Vishnudev Narayan Singh will
विष्णुदेव नारायण सिंह को मिलेगा राष्ट्रपति पुरस्कार

सवाल- जेल कितने वर्ष रहे, जेल में रहने के दौरान क्या-क्या यातनाएं झेलनी पड़ी?
जवाब- जेल में तीन वर्ष रहे थे, जेल में कष्ट दिया जाता था. जंजीरों से हाथ पैर बांधा रहता था. जेल के अंदर कैदी से तेल का कोल्हू चलवाया जाता था. जेल में बहुत यातनाएं दी गई. दोनों हांथ की अंगुली को तोड़ दिया गया. पैर में कील गड़ा दिया गया था. खाने के नाम पर रूखा सुखा कुछ मिल जाता था. इसके अलावा अंग्रेज मारपीट भी करते थे.

सवाल- जेल में रहने के दौरान किन-किन लोगों से मुलाक़ात हुई ?
जवाब- तीन साल जेल में रहे, एक जेल में कभी स्थायी नहीं रहे. महीना होते ही दूसरे जेल में भेज दिया जाता था. इस तरह मुझे नैनी जेल इलाहाबाद भेज दिया गया. वहाँ नेहरू जी से मुलाकात हुई थी. उसके बाद हजारीबाग जेल में जयप्रकाश नारायण जी से मुलाक़ात हुई. दीपावली के दिन जयप्रकाश नारायण के साथ 17 लोगों को जेल से भागने में मदद किये थे.

स्वतंत्रता सेनानी विष्णुदेव नारायण सिंह से खास बातचीत

सवाल- कभी अंग्रेज से आमने-सामने मुलाकात हुई?
जवाब- आमना- सामना तो होते रहता था. एक बार की घटना है. गया के मार्केट से सब्जी में ओल लेकर घर जा रहा था. तभी अंग्रेज सिपाही आये. उसने इंग्लिश में पूछा क्या है, तो मैंने कह दिया फ्रूट है. इसके बाद अंग्रेज उस ओल को लेकर खाने लगा. खाने के साथ ही ओल ने असर करना शुरू किया. अंग्रेज के मुँह में खुजलाहट होने लगी. जिसके बाद बाकी सिपाही मुझे पकड़ने के लिए दौड़ पड़े. लेकिन मैं पकड़ाया नही.

सवाल- स्वतंत्रता सेनानी वाला पेंशन मिलता है?
जवाब- केंद्र सरकार की तरफ से दिया गया पेंशन हर माह मिल जाता है. लेकिन बिहार सरकार वाला नहीं मिलता है. दिसंबर माह में आया था. आठ माह बीत गया लेकिन अब तक एक रुपया नहीं मिला है. जो बस में पास था, उसे भी लालू यादव ने रद्द कर दिया. हमलोग से ज्यादा सुविधा जेपी आंदोलन के सेनानी को मिल रहा है.

सवाल- आजादी के वक़्त जैसे देश की कल्पना की थी, क्या वैसा देश बना है?
जवाब- नहीं,उस वक़्त के नेता तपे तपाये रहते थे. अभी के नेता को आमजन से सरोकार नहीं है. देश मे संविधान बनने के तीन साल बाद तक सब ठीक रहा. तीन साल बाद सब बिगड़ने लगा. अभी नेता कौन बन रहा है ? जो अमीर है, बाहुबली है. वो नेता बन जा रहा है. सब लूट खसोट में लगे हैं.

Intro:1939 ई में महज 14 वर्ष के उम्र में स्वंतत्रता के लड़ाई में कूदने वाले स्वंतत्रता सेनानी विष्णु देव नारायण सिंह को नौ अगस्त को मिलेगा राष्ट्रपति पुरस्कार। इससे पूर्व दो बार हो चुके राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित। गया जिला का एक मात्र स्वंतत्रता सेनानी विष्णु देव नारायण सिंह से ईटीवी भारत ने खास बातचीत किया ।


Body:96 वर्षीय विष्णुदेव नारायण सिंह मूलतः गया के टिकारी प्रखंड के चितखोर गांव के रहनेवाले हैं। गया शहर में तुतीबाड़ी रोड में अपने मकान में रहते हैं। नौ अगस्त को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद स्वंतत्रता सेनानी विष्णुदेव नारायण सिंह को सम्मानित करेगे। नौ अगस्त को राष्ट्रपति भवन में एट होम के कार्यक्रम का आयोजन होगा इस दौरान उन्हें सम्मानित किया जाएगा ।बिहार सरकार के गृह विभाग का पत्र विष्णु देव नारायण सिंह मिल गया है एक सहयोगी के साथ दिल्ली के लिए 6 अगस्त रवाना होंगे।

सवाल - राष्ट्रपति आपको नौ अगस्त को सम्मानित करेगे, कैसा लग रहा है

जवाब- ठीक लग रहा है, सम्मान देना सिर्फ औपचारिकता है। पहले आमजन, अफसर सम्मान देते थे अब वो सम्मान नही मिलता हैं। राष्ट्रपति क्या सम्मान देगे, असली का सम्मान तो ये सब है।

सवाल- आप कम उम्र में आजादी के लड़ाई में शामिल होंगे, शुरुआत कहा से हुआ

जवाब- 1939 में 14 वर्ष के उम्र में आजादी के लड़ाई में कूद गए थे, अंग्रेज हम लोगों को ब्लैक डॉग कहता था यह सुनकर गुस्सा आता था। 14 वर्ष के उम्र में सबसे पहले अंग्रेजी हुकूमत का झंडा को जला दिया उसके बाद टिकारी थाना को जला दिए। अंग्रेज पुलिस खोजने लगा हमलोग भागते भागते बिहारशरीफ पहुँच गए। बिहारशरीफ में भी थाना को जला दिए लेकिन वहां पकड़ा गयजे। पुलिस फुलवारीशरीफ कैम्प जेल मे जंजीरों से बांधकर डाल दिया। कभी ये जेल कभी वो जेल में भेज देता था कही भी एक जगह नही रहने देता था।

सवाल - जेल कितने वर्ष रहे ,जेल में रहने के दौरान क्या क्या यातनाएं झेलना पड़ा।

जवाब- जेल में तीन वर्ष रहे थे, जेल में कष्ट दिया जाता था। जंजीरों से हाथ पैर बांधा रहता था। जेल के अंदर कैदी से तेल के कोल्हू चलवाता था। जेल में बहुत यातनाएं दिया गया। दोनो हाथ के अंगुली तोड़ दिया गया पैर में कील गड़ा दिया गया था। खाने के नाम रूखी सुखी कुछ मिल जाता था। मारपीट जो अंग्रेज करते थे वो अलग था।

सवाल- जेल में रहने के दौरान किन किन लोगों से मुलाक़ात हुआ

जवाब- तीन साल जेल में रहे, एक जेल में कभी स्थायी नही रहे। महीना होते ही दूसरे जेल में भेज दिया जाता था। इस तरह मुझे नैनी जेल में इलाहाबाद भेज दिया गया वहाँ नेहरू जी से मुलाकात हुआ था। उसके बाद हजारीबाग जेल में जयप्रकाश नारायण जी से मुलाक़ात हुआ था। दीपावली के दिन जयप्रकाश नारायण के साथ 17 लोगो को जेल से भागने में मदद किये थे।

सवाल - कभी अंग्रेज से मुलाकात आमने सामने हुआ था

जवाब- आमना- सामना तो होते रहता था एक बार की घटना है गया के मार्केट से सब्जी में ओल लेकर घर जा रहा था। तभी अंग्रेज सिपाही आये उसने इंग्लिश में पूछा क्या है इसमें मैं कह दिया फ्रूट हैं। अंग्रेज ने उस ओल को लेकर खाने लगा, खाने के साथ ओल असर करना शुरू किया ,पूरा मुँह में उस अंग्रेज का खुजलाहट होने लगा। बाकी सिपाही मुझे पकड़ने के लिए दौड़ पड़े पर मैं पकड़ाया नही ।



Conclusion:सवाल- स्वंतत्रता सेनानी वाला पेंशन मिलता है

जवाब- केंद्र सरकार द्वारा दिया गया पेंशन हर माह मिल जाता है लेकिन बिहार सरकार वाला नही मिलता हैं। दिसंबर माह में आया था आठ माह बीत गया अब तक एक रुपया नही मिला है। जो बस में पास था उसे भी लालू यादव ने रद्द कर दिया। हमलोग से ज्यादा सुविधा जेपी आंदोलन के सेनानी को मिल रहा है।

सवाल- आजादी के वक़्त जैसा देश का कल्पना किये थे वैसा देश बना हैं

जवाब - नही,उस वक़्त के नेता तपे तपाये रहते थे अभी के नेता को आमजन से सरोकार नही है। देश मे संविधान बने के तीन साल तक सब ठीक रहा। तीन साल बाद सब बिगड़ने लगा। अभी नेता कौन बन रहा है जो अमीर है बाहुबली हैं वो बन जा रहा है। सब लूट खसोट में लगे हैं।
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