गया: शहर का प्रसिद्ध शक्तिपीठ मंगला गौरी मंदिर के गर्भगृह में ताला लगा दिया गया है. साथ ही मंदिर के गर्भगृह में श्रद्धालुओं का प्रवेश वर्जित कर दिया गया है. अब श्रद्धालु मंदिर के गर्भगृह के बाहर से ही पूजा कर वापस लौट जाएंगे. मंगलागौरी मन्दिर मंगला गौरी मंदिर प्रबंध कारिणी समिति के सचिव सह पुजारी अमरनाथ गिरी ने बताया कि सरकार के निर्देशानुसार कोरोना वायरस के कारण 31 मार्च तक मंदिर के गर्भगृह को बंद कर दिया गया है.
मंदिर के गर्भगृह में लटका ताला
पुजारी ने कहा कि मंदिर का गर्भगृह काफी छोटा है और इसमें न तो कोई खिड़की है न ही कोई दूसरा प्रवेश द्वार है. इस बात को ध्यान में रखते हुए ताला लगा दिया गया है. हालांकि अब श्रद्धालु मंदिर के बाहर से ही पूजा कर वापस लौट जाएंगे. उन्होंने कहा कि जब तक सरकार का अगला आदेश नहीं आ जाता, तब तक मंदिर का गर्भगृह बंद रहेगा. वहीं, श्रद्धालु राजेश कुमार ने बताया कि सरकार के निर्देश पर मंदिर के गर्भगृह में ताला लगाया गया है. हम इसका स्वागत करते हैं. साथ ही हम पीएम मोदी के 22 मार्च को जनता कर्फ्यू के आह्वान के निर्णय के साथ खड़े हैं.
मंगला गौरी मंदिर का महत्व
बता दें कि मंगला गौरी मंदिर का काफी महत्व है. माता सती के मायके में हो रहे यज्ञ में कैलाशपति शंकर भगवान को निमंत्रण नहीं मिलने के कारण माता सती अपमान सहन नहीं कर सकी और हो रहे यज्ञ के हवन कुंड में जा कूद पड़ी. तभी कैलाशपति माता सती की हवन कुंड से जलते हुए शरीर को कैलाश पर्वत पर ले जाने के क्रम में विष्णु भगवान अपने चक्र से माता सती के जलते हुए शरीर पर सुदर्शन चक्र चला दिया. जिससे माता सती के शरीर का अंग 51 भिन्न-भिन्न स्थानों पर गिरा. माता सती का एक अंग गया शहर के भस्मकूट पर्वत पर गिरा. उस दिन से यह मंगला गौरी शक्तिपीठ नाम से जाना जाता हैं. जो शक्तिपीठ धाम के रूप में प्रसिद्ध हुआ.