गया (बोधगया ) : बिहार में 15 दिनों में 4 जिलों में हुए चार धमाकों ( Blast in Bihar ) के बाद ईटीवी भारत की टीम ने गया जिले के बोधगया ( Bodhgaya ) स्थित महाबोधि मंदिर ( Mahabodhi Mandir ) की सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लिया तो मंदिर परिसर की बड़े पैमाने पर सुरक्षा बलों की तैनाती देखी गई. वहीं मंदिर के बाहरी परिसर और संबोधि द्वार के पास कोई सुरक्षा व्यवस्था नहीं दिखी. बिहार का बोधगया अति संवेदनशील क्षेत्र माना जाता है. महाबोधि मंदिर परिसर की सुरक्षा व्यवस्था चुस्त-दुरुस्त दिखी, लेकिन प्रवेश द्वार की सुरक्षा भगवान भरोसे है.
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मंदिर परिसर में सुरक्षा बलों की तैनाती
ईटीवी भारत की टीम ने बोधगया की सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लिया. पड़ताल में ये बात सामने आई कि महाबोधि मंदिर की सुरक्षा व्यवस्था चुस्त दुरुस्त है. जहां लोग बिना चेकिंग और बिना रोक टोक के प्रवेश नहीं कर सकते हैं. मंदिर परिसर में सुरक्षा बलों की तैनाती देखी है. यहां एक परिंदा भी पर नहीं मार सकता हैं लेकिन बोधगया क्षेत्र में सुरक्षा व्यवस्था की भारी कमी देखी गई.
सम्बोधि द्वार पर बिना रोक टोक प्रवेश
सुरक्षा व्यवस्था की पहली एनएच 83 पर स्थित सम्बोधि द्वार का है. इस द्वार से महाबोधि मंदिर और अन्य बौद्ध मंदिरों में जाते हैं. बोधगया में एंट्री करने का यह मुख्य रास्ता है लेकिन इस रास्ते पर अतिसंवेदनशील स्थान होने के बावजूद एक भी पुलिसकर्मी तैनाती नहीं है. सड़क की दूसरी तरफ यातायात थाना जहां सिर्फ पुलिस हेलमेट और गाड़ियों की कागजात चेकिंग कर रही है. सुरक्षा व्यवस्था का जायजा की दूसरी तस्वीर महाबोधि मंदिर से आधा किलोमीटर दूर चेक पोस्ट की है. इसी चेक पोस्ट से महाबोधि मंदिर तक चारपहिया वाहन ले जाने की मनाही है. यहां एसआई रैंक के अधिकारी सहित चार पुलिसकर्मियों की तैनाती की गई है.
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मंदिर में मेटल डिक्टेटर जांच
सुरक्षा व्यवस्था तीसरी तस्वीर महाबोधि मंदिर की है. जहां कोरोना काल के वजह से मंदिरों में आम श्रद्धालुओं की एंट्री पर रोक है. बीटीएमसी से जुड़े कर्मी और बौद्ध भिक्षु पूजा करने महाबोधि मंदिर में जाते हैं. मंदिर का पूरा परिसर को सीसीटीवी कैमरों से लैस है. हर एक जगह सीसीटीवी कैमरे की निगरानी में है. महाबोधि मंदिर में प्रवेश करने के लिए दो स्थानों डोर मेटल डिटेक्टर से गुजरकर जाना पड़ता है. सुरक्षा बल के तीन यूनिट 24 घंटे मुस्तैदी से सुरक्षा में डटे रहते हैं
'महाबोधि मंदिर की सुरक्षा को लेकर आईजी ने निरीक्षण किया है. कुछ कमियाों को दूर करने का निर्देश दिया गया है. महाबोधि मंदिर की सुरक्षा व्यवस्था अधिक बेहतर हो उसके लिए एक माह पूर्व मॉक ड्रिल भी करवाया गया. महाबोधि मंदिर की सुरक्षा व्यवस्था चुस्त दुरुस्त है. साथ ही बाहरी क्षेत्र में कुछ घटना घटित नहीं हो जाये उसके लिए सादे लिबास में पुलिस की टीम तैनात रहती है. आईबी से लेकर हर एजेंसी महाबोधि मंदिर की सुरक्षा को लेकर काफी गंभीर है.' :- आदित्य कुमार, एसएसपी
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2013 में हुआ था आतंकी हमला
बता दें कि महाबोधि मंदिर में दो आतंकी हमले हो चुके हैं. आतंकी हमले के बाद से ही महाबोधि मंदिर की सुरक्षा चाक चौबंद कर दी गई है. पहला आतंकी हमला 7 जुलाई, 2013 की सुबह थी, जब छह बजे बोधगया में महाबोधि मंदिर और उसके आसपास एक के बाद एक नौ विस्फोट हुए थे. आतंकियों ने महाबोधि वृक्ष के नीचे भी दो बम लगाए थे. एक सिलेंडर बम रखा गया था, जिसमें टाइमर लगा हुआ था. इन सबकी साजिश बड़ी घटना को अंजाम देने की थी. विस्फोट के बाद सुरक्षा बलों ने तीन बिना फटे और निष्क्रिय किए हुए बम भी बरामद किए थे. इन धमाकों का एक ही मकसद था कि सुबह-सुबह जब बौद्ध अनुयायी प्रार्थना के लिए आएं तो खून-खराबा हो. तेरगर मठ में फटे तीन बम खेल के मैदान में लगाए गए थे, जहां नए भिक्षु फुटबॉल खेलते थे.
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