गया: जिले के नीमचक बथानी प्रखंड में प्रकृति की अनुपम भेंट का एक उदाहरण झरना सरेन है. यहां सरेन नाम के पहाड़ से सालों भर कल-कल की आवाज के साथ शीतल झरना प्रवाहित होता रहता है. इस झरने के कारण ही गांव का नाम सरेन पड़ गया. झरना इस इलाके के लोगों के लिए वरदान है, क्योंकि एक ओर पानी की किल्लत इस झरने के कारण नहीं रहती, दूसरी ओर इस झरने के शीतल पानी के सेवन से बाल नहीं झड़ते तो इसके सेवन से स्किन और लीवर की बीमारियां भी दूर रहती हैं.
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सरेन झरने का पानी लोगों के लिए वरदान: माना जाता है कि यदि बीमार व्यक्ति इस झरने के बहते ठंडे पानी का सेवन करे, तो कई तरह की बीमारियों से उसे निजात मिल जाती है. गया के सिविल सर्जन बताते हैं, कि इस झरने से सॉफ्ट वाटर आता है, जिसका हमारी जिंदगी में अच्छा प्रभाव होते हैं. झरना के कारण ही इस गांव का नाम झरना सरेन पड़ गया. इस झरना को लोग समुद्र के नाम से भी जानते हैं, जिसमें कभी पानी नहीं कम होता. ग्रामीणों का कहना है कि युगों से यह झरना बह रहा है. झरना इस इलाके के लोगों के लिए वरदान है. यह पहाड़ी इलाका है, लेकिन ये झरना इलाके की शान है.
उपेक्षित है सरेन का समुद्र: बिहार में ऐसा झरना नहीं के बराबर है. सरेन गांव स्थित इस झरने से पीने के लिए लोगों को ठंडा पानी मिलता है. इसे प्रकृति के अनमोल उपहार के रूप में देखा जाता है. हालांकि इसे प्रसिद्धि उतनी नहीं मिल पाई, जितनी होनी चाहिए थी. पर्यटन विभाग की सूची में शामिल होने के बावजूद भी यह स्थल उपेक्षित है और विकास नहीं हो पाया है.ग्रामीण सावित्री देवी बताती हैं, कि यहां झरना का पानी निकलता है. यह समुद्र के समान है. पहाड़ से यह समुद्र निकला है, जो झरने के रूप में हमारे सामने है.
"झरना युग युग से है. यहां इस झरने से पीने का ठंडा पानी आता है. पानी सालों भर मीठा आता है और सालों भर लोग इसे पीने के लिए उपयोग करते हैं."- सावित्री देवी, ग्रामीण
इस स्थान का है धार्मिक महत्व: इस स्थान का धार्मिक महत्व भी है. यहां कई मंदिर हैं. यहीं पर पर्व त्योहारों में मेले भी लगते हैं. छठ पर्व में इस बहते पानी से लोग भगवान सूर्य को अर्ध्य भी देते हैं. इस क्षेत्र में भगवान बुद्ध और अत्रि मुनि से जुड़ी कई कहानियां भी प्रचलित हैं. जहां पर यह झरना बहता है, वहां पर कई मंदिरें और बुद्ध प्रतिमा स्थापित है.
ठीक हो जाते हैं कई रोग: वहीं, सरेन गांव के रहने वाले महेंद्र प्रसाद बताते हैं यह झरना कब से है, यह किसी को भी नहीं पता है. इसके पानी का स्त्रोत पर्वत से आ रहा है, जो मीठा और ठंडा होता है. यह जड़ी बूटी का पानी है, जिससे रोग ठीक हो जाते हैं. सबसे बड़ी बात है, कि यह पानी पूरी तरह से शीतल ठंडा होता है.
"सालों भर ठंडा और शीतलता बनी रहती है. यह काफी प्रसिद्ध जगह है. ऐसा अनोखा झरना बिहार में सिर्फ गया में ही है. इसके अलावा कहीं भी नहीं है."- महेंद्र प्रसाद,ग्रामीण
'सॉफ्ट वाटर का हमारी जिंदगी में अच्छा प्रभाव': सिविल सर्जन डॉ रंजन कुमार सिंह बताते हैं कि सरेन झरना के बारे में सुना है. यहां सॉफ्ट वाटर है. इस सॉफ्ट वाटर का हमारी जिंदगी में अच्छा प्रभाव है. पहाड़ से आने वाले झरने के इस पानी का उपयोग करने वाले इलाके के काफी लोग हैं. यहां पानी ठंडा और शीतल होता है, जिससे इसका सेवन करने वाले को कई फायदे होते हैं.
"सिर के बाल नहीं झड़ते. वहीं बाल चमकीले बन जाते हैं. स्किन भी रुखा नहीं होता है. इस तरह यह पानी शरीर को स्वस्थ रखता है. इस तरह से पर्वत से आने वाले ठंडे पानी के सेवन से रोग मुक्त रहा जा सकता है. इसमें मिनरल और आयरन की मात्रा कम है. इसी के कारण पानी ठंडा और शीतल होता है. जहां मिनरल और आयरन ज्यादा होते हैं, वहां का पानी खारा और कड़वा होता है."-डॉ रंजन कुमार सिंह,सिविल सर्जन
पहाड़ से गर्म पानी निकलते हैं..लेकिन यहां..: यहां से शीतल जल प्राप्त होता है. सिविल सर्जन रंजन कुमार सिंह बताते हैं कि अक्सर पहाड़ से गर्म पानी आता है. किंतु यहां शीतल जल इस सरेन झरना से प्राप्त होता है. इस तरह स्किन, बाल, पेट के लिए अत्यंत फायदेमंद है. वहीं अन्य बीमारियों में इस पानी के सेवन के काफी फायदे हैं. गया में प्राकृतिक संपदा काफी है. उसी में एक उदाहरण यह भी है. इस तरह से इस अनूठे स्थान की महता को सरेन झरना और भी महत्वपूर्ण बनाता है.