गया : बिहार के गया में विश्व प्रसिद्ध पितृपक्ष मेला 2023 का आज चौथा दिन है. चौथे दिन आश्विन कृष्ण देवटिया को उत्तर मानस पिंडवेदी पर पिंडदान का बड़ा महत्व है. उत्तर मानस के अलावा उदीची, कनखल, दक्षिण मानस और जिहवा लोल पिंड वेदियों पर पिंडदान का कर्मकांड करना चाहिए.
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उत्तर मानस पिंडदान से जीवन चक्र से मुक्त हो जाते हैं पितर : पितृपक्ष मेले के चौथे दिन यानी आश्विन कृष्ण द्वितीया को उत्तर मानस वेदी पर पिंडदानियों की भीड़ उमड़ती है. उत्तर मानस वेदी पर पिंडदान करने से मान्यता है कि पितरों को जीवन चक्र से छुटकारा मिल जाता है. पितरों के निमित यहां पिंडदान करने से पितर जन्म-मरण के जीवन चक्र से मुक्त हो जाते हैं. ऐसे में उत्तर मानस पिंंडवेदी का बड़ा महत्व है.
उत्तर मानस पिंड वेदी में पिंडदान के बाद दक्षिण मानस जाना चाहिए. दक्षिण मानस के समीप ही तीन और तीर्थ उदीची, कनखल और जिहवालोल पिंडवेदी स्थित है. इन वेदियों पर उत्तर मानस के बाद दक्षिण मानस और फिर इन तीनों वेदी उदीची, कनखल और जिहवा लोल पहुंचकर पिंडदान करना चाहिए. उत्तर मानस के बाद उत्तर मानस और इन पिंडवेदियों पर पिंडदान से आश्विन कृष्ण द्वितीया के दिन का पिंडदान का कर्मकांड पूरा हो जाता है.
मौन धारण कर दक्षिण मानस को जाना चाहिए: उत्तर मानस में पिंडदान करने के बाद दक्षिण मानस जाने के लिए बड़ी मान्यता है. धर्म-पुराण के अनुसार उत्तर मानस के बाद दक्षिण मानस को जाना चाहिए. इस दौरान मौन धारण कर वहां पहुंचना चाहिए. उत्तर मानस, दक्षिण मानस के बाद उदीची कनखल और जिहवालोल पर पिंंडदान करना चाहिए. इस तरह आश्वनी कृष्ण द्वितीया के दिन उत्तर मानस समेत इन चार वेदियों पर पिंडदान से पितर को जीवन चक्र यानी जन्म मरण के चक्र से मुक्त हो जाते हैं.
28 सितंबर से शुरू है पितृपक्ष : गौरतलब है कि बिहार के गया में विश्व प्रसिद्ध पितृपक्ष मेला 28 सितंबर 2023 से शुरू हुआ है. यह पितृपक्ष मेला 14 अक्टूबर तक चलेगा. पहला दिन पुनपुन पटना में पिंडदानियों ने श्राद्ध तर्पण का कर्मकांड किया गया था, जो तीर्थयात्री पुनपुन को नहीं पहुंच सके, उन्होंने गया के गोदावरी सरोवर में पिंडदान किया. पितृपक्ष मेले के दूसरे दिन गया जी में फल्गु तट पर खीर से श्राद्ध पिंडदान का कर्मकांड होता है. वहीं, पितृपक्ष मेले के तीसरे दिन यानि आश्विन कृष्ण प्रतिपदा को प्रेतशिला, ब्रह्मा कुंड, राम कुंड एवं रामशिला और कागबली पर श्राद्ध करने का विधान है.
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