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गया की मशरूम लेडी गीता देवी ने अपनी मेहनत से लिखी सफलता की कहानी.. पिंक मशरूम ने बनाया फेमस

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Published : Aug 20, 2022, 8:03 PM IST

पिंक मशरूम ने बिहार की गीता देवी और उनके परिवार की किस्मत को चमका दिया है. गरीबी के दलदल में फंसा परिवार आज कई लोगों को रोजगार के गुर सीखा रहा है. गीता देवी को पिंक मशरूम बेचने के लिए बाजार तक भी जाने की जहमत नहीं उठानी पड़ती बल्कि पहले ही बुकिंग हो जाती है. पढ़ें..

Gaya mushroom lady Geeta Devi
Gaya mushroom lady Geeta Devi

गया: किसी ने सच ही कहा है कि 'कामयाबी का तो जुनून होना चाहिए, फिर मुश्किलों की क्या औकात', इन पंक्तियों को गया की गीता देवी ने सही कर दिखाया है. पिंक ऑयस्टर मशरूम (Production Of Pink Oyster Mushroom In Gaya) का उत्पादन करने वाली गीता देवी पूरे जिले में पहली महिला (Mushroom Lady Of Gaya) हैं. सीजन में 1 क्विंटल मशरूम तक का उत्पादन कर लेती हैं. गीता देवी (Gaya Mushroom Lady Geeta Devi) की मेहनत का नतीजा है कि आज उन्होंने अपने परिवार को गरीबी से बाहर निकाला है और समाज की महिलाओं को पिंक मशरूम उत्पाद से जोड़ने के लिए प्रयास भी कर रही हैं.

पढ़ें: महिला दिवस स्पेशल: कमरे में मशरूम उगाने से लेकर 'नारी शक्ति सम्मान' तक का सफर, पढ़िए 'बिहार की मशरूम लेडी' की कहानी

गया की मशरूम लेडी गीता देवी बनी प्रेरणा स्त्रोत: बिहार के जिलों या बाजारों में व्हाइट मशरूम की उपलब्धता आसानी से है लेकिन पिंक मशरूम अपवाद के तौर पर ही देखने को मिलते हैं. लेकिन गया जिले के भगहर गांव की गीता देेवी पिंक मशरूम का उत्पादन कर रही हैं. गीता के पिंक मशरूम की डिमांड इतनी है कि उत्पादन होने से पहले ही मशरूम की बुकिंग हो जाती है. व्हाइट मशरूम जहां 100 से 150 रूपये किलो के बीच बाजारों में बिकते हैं तो पिंक मशरूम की कीमत 200 से 250 के करीब है. गीता ने जीविका की मदद से पिंक मशरूम का उत्पादन शुरू किया था और इसे एक बड़े रोजगार के तौर पर आजमा रही हैं.

पहले खाया.. फिर करने लगी उत्पादन..: पहले गीता देवी ने खाने के लिए पिंक मशरूम की पैदावार शुरू की थी लेकिन इसका स्वाद इतना लजीज था कि उन्होंने सोचा कि इसका उत्पादन करके बाजारों में इसे बेचने का काम किया जाए. गीता ने सोचा की सफेद मशरूम तो मार्केट में बहुत आसानी से उपलब्ध हैं लेकिन पिंक मशरूम नहीं हैं ऐसे में इसकी काफी मांग हो सकती है. इसी सोच के साथ गीता ने पिंक मशरूम का उत्पादन करना शुरू किया और उनकी मेहनत रंग लाई. सबसे बड़ी बात है कि पिंक मशरूम का उत्पादन कर गीता को उसके लिए बाजार की तलाश नहीं करनी पड़ती है बल्कि आर्डर पहले ही मिल जाते हैं.

व्हाइट मशरूम से ज्यादा गुणवत्तापूर्ण पिंक मशरूम: गीता देवी बताती हैं कि पिंक मशरूम व्हाइट मशरूम से ज्यादा गुणवत्तापूर्ण होती है. इसमें कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन की मात्रा भी अधिक पाई जाती है. ऐसा इसका सेवन करने वाले लोग भी मानते हैं. यही वजह है कि पिंक मशरूम की डिमांड लगातार बढ़ती ही जा रही है. वह बताती हैं कि इसका मुख्य सीजन ठंड के दिनों में होता है. ठंड के दिनों में वह 1 क्विंटल तक मशरूम का उत्पादन किया जा सकता है. वहीं अन्य मौसम में छिटपुट तौर पर मशरूम का उत्पादन करती हैं.

"पिंक मशरूम 22 से 25 दिनों में तैयार हो जाते हैं. पिंक मशरूम के बीज फ्लिपकार्ट से ऑनलाइन मंगाती हूं और उसके बीज को किट में रखती हूं. किट में भूसा और फिर पिंक मशरूम के बीज व अन्य चीजें नियमों के अनुसार एक साथ रखती हूं. इसके बाद 22 से 25 दिनों के अंतराल में पिंक मशरूम तैयार हो जाते हैं."- गीता देवी, पिंक मशरूम का उत्पादन करने वाली महिला

पिंक मशरूम ने बदल दी परिवार की किस्मत: गीता देवी के पति सुनील कुमार पहले परदेश में जाकर कमाते थे. कभी-कभी कुछ महीने दर्जी का काम करके भी किसी प्रकार घर चलाते थे. परिवार की स्थिति खस्ताहाल थी. इसी बीच गीता देवी ने पिंक मशरूम का उत्पादन शुरू किया तो परिवार की माली हालत सुधरती चली गई. अब पति को भी बाहर नहीं जाना पड़ता है. गीता देवी ने परिवार को इस कदर आत्मनिर्भर बना दिया है कि अब उसके पास हजारों रुपए बचत में रहते हैं. गीता देवी की मानें तो वह हर महीने कम से कम 10 हजार रुपए पिंक मशरूम का उत्पादन कर कमा ही लेती है. अब उसे गरीबी तंग नहीं करती.

पिंक मशरूम के फायदे जान सभी हैरान: पिंक मशरूम का उत्पादन करने वाली गीता देवी बताती हैं कि सबसे पहले गया जिले में पिंक मशरूम का उत्पादन शुरू किया था. बिहार में चंद लोग ही इसका उत्पादन करते होगें जो कि अपवाद के तौर पर हो सकता है. वह बताती है कि मशरूम को सुखाकर वह अचार, पापड़, बरी बनाती है और उसे बाजारों में बेचा जाता है. इसके अलावा वह औषधीय पाउडर भी तैयार करती हैं, जो बच्चों से लेकर वृद्ध के लिए विभिन्न बीमारियों में लाभप्रद होते हैं. पिंक मशरूम में एंटी-ऑक्सीडेंट भूरपूर होते हैं. इनमें से खास है ergothioneine, जो बढ़ती उम्र के लक्षणों को कम करने और वजन घटाने में सहायक होता है. यह इम्यूनिटी बढ़ाने में मदद करता है. एनीमिया के मरीजों के लिए यह बहुत फायदेमंद होता है.


दूसरी महिलाएं भी बन रहीं आत्मनिर्भर: गीता देवी अपने गांव-समाज के लिए प्रेरणास्रोत बन गई हैं. महिलाएं गीता से पिंक मशरूम उत्पादन के लिए गुर सीखने आती हैं. इस तरह पिंक मशरूम के उत्पाद को गया जिले में अब लघु उद्योग का रूप देने की कोशिश गीता देवी के द्वारा किया जा रहा है. गीता देवी बताती है कि जीविका के सहयोग से उसने पिंक मशरूम का उत्पादन शुरू किया था. करीब 3 वर्षों से उत्पादन कर रही हैं.


गया: किसी ने सच ही कहा है कि 'कामयाबी का तो जुनून होना चाहिए, फिर मुश्किलों की क्या औकात', इन पंक्तियों को गया की गीता देवी ने सही कर दिखाया है. पिंक ऑयस्टर मशरूम (Production Of Pink Oyster Mushroom In Gaya) का उत्पादन करने वाली गीता देवी पूरे जिले में पहली महिला (Mushroom Lady Of Gaya) हैं. सीजन में 1 क्विंटल मशरूम तक का उत्पादन कर लेती हैं. गीता देवी (Gaya Mushroom Lady Geeta Devi) की मेहनत का नतीजा है कि आज उन्होंने अपने परिवार को गरीबी से बाहर निकाला है और समाज की महिलाओं को पिंक मशरूम उत्पाद से जोड़ने के लिए प्रयास भी कर रही हैं.

पढ़ें: महिला दिवस स्पेशल: कमरे में मशरूम उगाने से लेकर 'नारी शक्ति सम्मान' तक का सफर, पढ़िए 'बिहार की मशरूम लेडी' की कहानी

गया की मशरूम लेडी गीता देवी बनी प्रेरणा स्त्रोत: बिहार के जिलों या बाजारों में व्हाइट मशरूम की उपलब्धता आसानी से है लेकिन पिंक मशरूम अपवाद के तौर पर ही देखने को मिलते हैं. लेकिन गया जिले के भगहर गांव की गीता देेवी पिंक मशरूम का उत्पादन कर रही हैं. गीता के पिंक मशरूम की डिमांड इतनी है कि उत्पादन होने से पहले ही मशरूम की बुकिंग हो जाती है. व्हाइट मशरूम जहां 100 से 150 रूपये किलो के बीच बाजारों में बिकते हैं तो पिंक मशरूम की कीमत 200 से 250 के करीब है. गीता ने जीविका की मदद से पिंक मशरूम का उत्पादन शुरू किया था और इसे एक बड़े रोजगार के तौर पर आजमा रही हैं.

पहले खाया.. फिर करने लगी उत्पादन..: पहले गीता देवी ने खाने के लिए पिंक मशरूम की पैदावार शुरू की थी लेकिन इसका स्वाद इतना लजीज था कि उन्होंने सोचा कि इसका उत्पादन करके बाजारों में इसे बेचने का काम किया जाए. गीता ने सोचा की सफेद मशरूम तो मार्केट में बहुत आसानी से उपलब्ध हैं लेकिन पिंक मशरूम नहीं हैं ऐसे में इसकी काफी मांग हो सकती है. इसी सोच के साथ गीता ने पिंक मशरूम का उत्पादन करना शुरू किया और उनकी मेहनत रंग लाई. सबसे बड़ी बात है कि पिंक मशरूम का उत्पादन कर गीता को उसके लिए बाजार की तलाश नहीं करनी पड़ती है बल्कि आर्डर पहले ही मिल जाते हैं.

व्हाइट मशरूम से ज्यादा गुणवत्तापूर्ण पिंक मशरूम: गीता देवी बताती हैं कि पिंक मशरूम व्हाइट मशरूम से ज्यादा गुणवत्तापूर्ण होती है. इसमें कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन की मात्रा भी अधिक पाई जाती है. ऐसा इसका सेवन करने वाले लोग भी मानते हैं. यही वजह है कि पिंक मशरूम की डिमांड लगातार बढ़ती ही जा रही है. वह बताती हैं कि इसका मुख्य सीजन ठंड के दिनों में होता है. ठंड के दिनों में वह 1 क्विंटल तक मशरूम का उत्पादन किया जा सकता है. वहीं अन्य मौसम में छिटपुट तौर पर मशरूम का उत्पादन करती हैं.

"पिंक मशरूम 22 से 25 दिनों में तैयार हो जाते हैं. पिंक मशरूम के बीज फ्लिपकार्ट से ऑनलाइन मंगाती हूं और उसके बीज को किट में रखती हूं. किट में भूसा और फिर पिंक मशरूम के बीज व अन्य चीजें नियमों के अनुसार एक साथ रखती हूं. इसके बाद 22 से 25 दिनों के अंतराल में पिंक मशरूम तैयार हो जाते हैं."- गीता देवी, पिंक मशरूम का उत्पादन करने वाली महिला

पिंक मशरूम ने बदल दी परिवार की किस्मत: गीता देवी के पति सुनील कुमार पहले परदेश में जाकर कमाते थे. कभी-कभी कुछ महीने दर्जी का काम करके भी किसी प्रकार घर चलाते थे. परिवार की स्थिति खस्ताहाल थी. इसी बीच गीता देवी ने पिंक मशरूम का उत्पादन शुरू किया तो परिवार की माली हालत सुधरती चली गई. अब पति को भी बाहर नहीं जाना पड़ता है. गीता देवी ने परिवार को इस कदर आत्मनिर्भर बना दिया है कि अब उसके पास हजारों रुपए बचत में रहते हैं. गीता देवी की मानें तो वह हर महीने कम से कम 10 हजार रुपए पिंक मशरूम का उत्पादन कर कमा ही लेती है. अब उसे गरीबी तंग नहीं करती.

पिंक मशरूम के फायदे जान सभी हैरान: पिंक मशरूम का उत्पादन करने वाली गीता देवी बताती हैं कि सबसे पहले गया जिले में पिंक मशरूम का उत्पादन शुरू किया था. बिहार में चंद लोग ही इसका उत्पादन करते होगें जो कि अपवाद के तौर पर हो सकता है. वह बताती है कि मशरूम को सुखाकर वह अचार, पापड़, बरी बनाती है और उसे बाजारों में बेचा जाता है. इसके अलावा वह औषधीय पाउडर भी तैयार करती हैं, जो बच्चों से लेकर वृद्ध के लिए विभिन्न बीमारियों में लाभप्रद होते हैं. पिंक मशरूम में एंटी-ऑक्सीडेंट भूरपूर होते हैं. इनमें से खास है ergothioneine, जो बढ़ती उम्र के लक्षणों को कम करने और वजन घटाने में सहायक होता है. यह इम्यूनिटी बढ़ाने में मदद करता है. एनीमिया के मरीजों के लिए यह बहुत फायदेमंद होता है.


दूसरी महिलाएं भी बन रहीं आत्मनिर्भर: गीता देवी अपने गांव-समाज के लिए प्रेरणास्रोत बन गई हैं. महिलाएं गीता से पिंक मशरूम उत्पादन के लिए गुर सीखने आती हैं. इस तरह पिंक मशरूम के उत्पाद को गया जिले में अब लघु उद्योग का रूप देने की कोशिश गीता देवी के द्वारा किया जा रहा है. गीता देवी बताती है कि जीविका के सहयोग से उसने पिंक मशरूम का उत्पादन शुरू किया था. करीब 3 वर्षों से उत्पादन कर रही हैं.


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